Diwali/दीपावली/दिवाली हिन्दू धर्म का एक पवित्र त्योहार है। जिसे हिन्दू धर्म को मानने वाले बड़ी धूम – धाम और हर्षौल्लास से मानते हैं। दिवाली का त्यौहार शरद ऋतु में कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।
दिवाली का त्योहार दीपों का त्योहार है। इस त्योहार को दीपावली के नाम से भी जानते हैं। दीपावली का शाब्दिक अर्थ है ‘दीपों की पंक्ति’। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है।
दीपावली के त्यौहार पर विशेषकर लक्ष्मी देवी की पूजा की जाती है। यह त्यौहार जीवन में खुशियों का प्रकाश लेकर आता है। इस दिन सब रिश्तेदार एक दुसरे से मिलकर बधाई देते हैं, मिठाई और उपहार एक दुसरे को देते हैं।
दिवाली का महत्व – Diwali Festival
दिवाली एक ऐसा पर्व है जो समाज के सभी वर्गो में उत्साह भर देता है। यह पर्व धर्म का अधर्म पर अच्छाई का बुराई पर और प्रकाश का अंधकार पर विजय का सूचक है। दीपावली का मानव के जीवन में निम्नलिखित महत्व है:
- आर्थिक महत्व: दिवाली के पर्व पर बाजारों में चहल पहल बढ़ जाती है और बाजार में सब लोग अपनी दुकानों को सजाते हैं। दीपावली में सब लोग खरीदारी करते हैं। दिवाली से पहले आने वाले धनतेरस के पर्व पर मुख्य रूप से खरीदारी की जाती है।किस पर्व पर निम्न मध्य और उच्च हर वर्ग के परिवार अपनी हैसियत के हिसाब से खरीदारी करते हैं। इस दिन सोना – चांदी के साथ-साथ पटाखे, वस्त्र और मिठाइयों की खूब खरीदारी की जाती है। इस दिन लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है ताकि घर में लक्ष्मी माता आए और जिससे कि परिवार में सुख समृद्धि की वृद्धि हो।
- सामाजिक महत्व: दिवाली के मौके पर सब लोग अपने रिश्तेदारों, सगे संबंधियों और अपने नजदीकी लोगों से मिलते हैं और मिठाई, उपहार व बधाई सांझा करते हैं। दीपावली का पर्व हिंदू, जैन और सिख आदि धर्मो के लोग भी बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं। दीपावली के पर्व से समाज में भाईचारा और प्रेम का प्रसार होता है जिससे समाज में अच्छे विचारों का आगमन होता है।
- आध्यात्मिक/ धार्मिक महत्व: दीपावली का पर्व हिंदुओं के अलावा और धर्मों के लोग भी मनाते हैं। इन सब धर्मों के लोगों में यह पर्व उमंग भर देता है। दीपावली के इस पावन दिन पर हर धर्म में कोई न कोई ऐसी घटना हुई है जोकि धर्म की अधर्म पर अच्छाई की बुराई पर और प्रकाश की अंधकार पर विजय की प्रतीक है। इस पर्व पर अलग-अलग धर्मो के लोगों में भी भाईचारे की भावना उत्पन्न होती है।
दिवाली की विशेषता
दीपावली का पर्व हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन प्रकाश, दीयों, मोमबत्तियां और बिजली की लड़ियों का विशेष महत्व रहता है। क्योंकि इस दिन घरों को बिजली की लड़कियों दीया और मोमबत्ती यों से सजाया जाता है जिसे घर प्रकाश में खो जाते हैं।
यह पर्व इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह पर्व लगभग पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व के मुख्य विशेषता यह है कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व व्यक्तिगत रूप से और सामाजिक दोनों ही रूपों में विशेष है।
क्योंकि यह पर्व पूरे भारतवर्ष के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है और इस त्यौहार को मनाने के कारण भी अलग अलग अलग अलग क्षेत्रों में भिन्न है। यह पर्व समाज में खुशियों की नई उमंग और उत्साह लेकर आता है। इस पर से आपसी भाईचारा और प्रेम बढ़ता है।
दिवाली में किसकी पूजा होती है?
दिवाली पर मुख्य रूप से गणेश और माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और उनकी आरती की जाती है। घरों में माता लक्ष्मी के आगमन के लिए घर को दीयों से सजाया जाता है और रंगोली भी बनाई जाती है। भारत के दक्षिण क्षेत्र के राज्यों में श्री कृष्ण भगवान जी की पूजा और आरती की जाती है।
पश्चिम बंगाल में माता काली की पूजा और आरती की जाती है। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गोबर की पूजा की जाती है। नेपाल में दीपावली के दिन कुत्तों की पूजा की जाती है।
दिवाली क्यों मनाई जाती है?
उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में दिवाली को मनाने के पीछे का का कारण या इतिहास यह है कि उस दिन भगवान राम अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और उनके परम भक्त हनुमान के साथ अयोध्या में 14 वर्षों का वनवास काट कर वापस लौटे थे।
इस अवसर पर पूरी अयोध्या नगरी को दीपू और फूलों से सजाया गया था। तब से ही यह दिन अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में दीपावली के नाम से मनाया जाता है। दूसरी तरफ दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में यह पर्व श्री कृष्ण द्वारा राक्षस राजा नरकासुर का वध करने के कारण मनाया जाता है।
पश्चिम बंगाल में दिवाली के इतिहास या दीपावली को मनाने का कारण यह है कि इस दिन माता शक्ति ने मां काली का अवतार धारण किया था। इसके अलावा पंजाब में दिवाली को मनाने का या दीपावली के इतिहास का कुछ अलग ही कारण है।
पंजाब में इस दिन स्वर्ण मंदिर की नींव रखी गई थी और गुरु हरगोविंद सिंह इस दिन जेल से रिहा हुए थे, यही दो कारण पंजाब में दीपावली के इतिहास का आधार है।
दिवाली से जुड़े नकारात्मक पहलु या कुरीतियाँ
दिवाली हर्षोल्लास, खुशियों और बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। लेकिन कुछ लोग इस पर्व पर जुआ खेलते हैं, शराब पीते हैं और खतरनाक पटाखे जलाते हैं। हमें इस पावन पर्व पर इन कुरीतियों से बचना चाहिए और इस प्रकार के हर कार्य से बचना चाहिए जिससे कि किसी दूसरे को परेशानी हो और जिससे इस पर्व की पावनता कम ना हो।
दिवाली पर जुआ खेलने वाले और शराब पीने वाले इस पर्व पर झगड़ा करते हैं और दूसरों को परेशान करते हैं जिससे की इस खुशी के पर्व के समय भी लोगों को दुख झेलना पड़ जाता है।
दिवाली के समय मनाये जाने वाले त्यौहार
- धनतेरस
- छोटी दिवाली
- दिवाली
- गोवर्धन
- भैया दूज
दीपावली से पहले एक दिन छोड़कर धनतेरस का पर्व आता है। इस दिन लोग कोई वस्तु खरीदते हैं और धनतेरस के पर्व के दिन ही लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है। इससे अगला दिन छोटी दिवाली का होता है। छोटी दीपावली के दिन भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा की जाती है।
छोटी दीवाली, श्री कृष्ण भगवान के द्वारा नरक स्वर्ग नाम के राक्षस राजा को मारने के उपलक्ष में मनाई जाती है। इससे अगले दिन मुख्य दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सूर्यास्त के बाद माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
दिवाली से अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों के दरवाजे पर गोबर लगाते हैं और भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा के साथ गोबर की भी पूजा की जाती है। दीपावली पर्व के साथ साथ मनाए जाने वाले पर्वों की श्रेणी में अंतिम पर्व भैया दूज का होता है।
भैया दूज का पर्व गोवर्धन पूजा से अगले दिन होता है। भैया दूज को यम द्वितीय के रूप में भी मनाया जाता है। यह पर्व भाई और बहनों का पर्व है। भैया दूज के दिन बहन द्वारा भाई की पूजा की जाती है और भाई को नारियल दिया जाता है और इसके साथ साथ भाई की लम्बी उम्र के लिए बहन द्वारा भगवान् से कामना की जाती है।
भारत में दिवाली
दिवाली का पर्व भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सब लोग सज धज के नए कपड़े पहनते हैं और अपने रिश्तेदारों और सगे संबंधियों से मिलकर मिठाई और उपहार साझा करते हैं। दिवाली के आने से कुछ दिन पहले से ही घरों में दीपावली के लिए साफ सफाई की जाती है।
घरों में रंग रोगन करवाया जाता है और रंगोली बनाई जाती है। दिवाली के दिनों में बाजार में चहल पहल बढ़ जाती है और बाजार में सब अपनी दुकानों को सजाकर रखते हैं।
दिवाली के अवसर पर सब लोग बाजार से कुछ न कुछ खरीदारी करते हैं और घरों को लाइटों और लड़ियों से सजाते हैं और इनके साथ साथ घरों में दिऐ भी जलाए जाते हैं। दीपावली के दिनों में बाजार में भीड़ बढ़ जाती है और अनेक प्रकार की मिठाइयां बनाई जाती हैं।
भारतवर्ष में ही दिवाली को मनाने के विभिन्न स्वरूप देखे जा सकते हैं। कुछ राज्यों में दीपावली निम्नलिखित प्रकार से मनाई जाती है:
- तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश: इन राज्यों में दिवाली को श्री कृष्ण भगवान द्वारा राक्षस राजा नरकासुर को मारने के उपलक्ष में मनाया जाता है। इस दिन इन राज्यों में श्री कृष्ण भगवान की पूजा की जाती है।
- पश्चिम बंगाल, उड़ीसा: इन राज्यों में दिवाली के दिन मां काली की पूजा की जाती है। क्योंकि इस दिन माता शक्ति ने महाकाली का रूप धारण किया था।
- पंजाब: इस राज्य में दिवाली को इसलिए माना जाता है क्योंकि इस दिन गुरु हरगोविंद सिंह जी को जेल से रिहाई मिली थी और 1577 ईस्वी पहले स्वर्ण मंदिर की नींव को रखा गया था।
विदेश में दिवाली
भारतवर्ष के अलावा दिवाली का त्यौहार विदेशों में भी मनाया जाता है। विदेश में रहने वाले भारतवासी तो इस त्योहार को मनाते ही हैं लेकिन इसके साथ साथ कुछ देश ऐसे भी हैं जो दीपावली को विशेष रूप से मनाते हैं। कुछ विदेशों में दीपावली का त्यौहार निम्नलिखित रुप से मनाया जाता है:
- नेपाल: नेपाल में भी दीपावली का त्यौहार बहुत हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। नेपाल में भी घरों में दिवाली के दिन दीये जलाए जाते हैं और सगे संबंधी एक दूसरे को बधाई देते हैं। दिवाली के दिन नेपाल में कुत्तों को सम्मान दिया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
- श्रीलंका: श्रीलंका में भी दीपावली का त्यौहार विशेष रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्रीलंका वासी सुबह जल्दी उठकर तेल से स्नान करते हैं और उसके बाद मंदिरों में पूजा करने के लिए जाते हैं। इस दिन श्रीलंका में अनेक प्रकार के गायन, खेल, नृत्य, आतिशबाजी और भोज का आयोजन भी किया जाता है।
- मलेशिया: मलेशिया में दिवाली के उपलक्ष में सरकारी छुट्टी दी जाती है। क्योंकि यहां पर हिंदू लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। इस दिन वह सब अपने घरों में दिवाली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और पार्टी करते हैं। इस दिन हिंदू लोगों द्वारा मलेशिया वासियों को भी अपने इस पर्व में शामिल कर लिया जाता है।