नदियाँ जीवन देने वाली होती हैं। किसी भी देश की प्रगति काफ़ी हद तक नदियों पर भी निर्भर करता है। नदियाँ हमें पीने के पानी के साथ कृषि के लिए सिंचाई का पानी भी उपलब्ध करवाती हैं। 30+ भारत की प्रमुख नदियां ( Important rivers of India ) और उनके बारे में जानकारी यहाँ दी गयी है।
नदी का अर्थ
नदी एक जलधारा है जो कि भूतल पर प्रवाहित होती है जिसका स्त्रोत प्रायः कोई हिमनद, झरना, झील या बरसात का पानी होता है। यह जलधारा किसी न किसी झील या सागर में गिरती है। नदी शब्द संस्कृत भाषा के नद्यः शब्द से निकला है। नदी मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं बरसाती और सदानीरा।
सदानीरा नदी वह होती हैं जिनमें वर्षभर जल बहता है और जिनका का स्त्रोत झरना, झील या हिमनद होता है। जबकि बरसाती नदियां वह होती हैं जो बरसात के पानी पर निर्भर होती है जिनमें बरसात के मौसम में ही जल होता है। भारत में सदानीरा नदियों के कुछ उदाहरण है जैसे – यमुना, गंगा, ब्रह्मपुत्र और कावेरी आदि।
भारत में नदियाँ
नदियों का भारत के सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में प्राचीन काल से ही बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से आर्य सभ्यता और सिंधु घाटी सभ्यताओं का आविर्भाव हमारे देश की गंगा और सिंधू नदी की घाटियों में ही हुआ है। वर्तमान में भी सर्वाधिक कृषि और जनसंख्या का संकेंद्रण नदी घाटी के क्षेत्रों में ही मिलता है।
प्राचीन काल में यातायात और व्यापार की सुविधा की दृष्टि से देश के अधिकतर नगर किसी नदी के किनारे ही विकसित हुए थे और वर्तमान समय में भी देश के अधिकतर धर्म से संबंधित स्थल किसी न किसी नदी से ही संबंधित मिलते हैं। हमारे भारतवर्ष को नदियों का देश कहा जाता है जिसमें हिमालय से निकलने वाली नदियां और प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली हैं।
भारत में अपवाह तंत्र (Drainage System in India)
भारत को नदियों का देश कहा जाता है और यहां पर लगभग 10360 नदियां है। यह नदियां भारत के अपवाह तंत्र की अलग-अलग नदी प्रणालियों के अंतर्गत आती हैं। भारत के अपवाह तंत्र में मुख्य रूप से दो नदी प्रणालियों को शामिल किया जाता है जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है:-
- हिमालय से निकलने वाली नदी प्रणाली
- प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली
हिमालय से निकलने वाली नदी प्रणाली
हिमालय से निकलने वाली नदियों में जल प्रवाह पूरे वर्ष निरंतर रूप से बना रहता है क्योंकि यह नदियां ग्लेशियर और बर्फ के पिघलने से बनती हैं। इन नदियों का बेसिन बहुत बड़ा है और इन नदियों का जल ग्रहण क्षेत्र हजारों वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। प्राचीन काल में एक बहुत ही विशाल नदी हुआ करती थी जिसे ‘हिंद ब्रह्मा’ नदी या ‘शिवालिक’ नदी कहते थे।
बाद में ‘’पोटवार पठार’’ का उत्थान होने के कारण यह नदी छिन्न-भिन्न होकर 3 अलग-अलग नदी तंत्रों में विभाजित हो गई। इसके विषय में भूगर्भ वैज्ञानिकों का मत एक नहीं है। इसलिए वर्तमान समय में हिमालय से निकलने वाली नदियों को मुख्यतः तीन नदी तंत्रों में बांटा गया है:- सिंधु नदी – तंत्र, गंगा नदी – तंत्र और ब्रह्मपुत्र नदी – तंत्र।
- सिन्धु नदी तंत्र: सिंधु नदी तंत्र में सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियों को शामिल किया जाता है। इस नदी का उद्गम स्थल मानसरोवर झील के निकट सानोख्याबाब हिमनद है जो कि तिब्बत में है। इस नदी की कुल लंबाई 2,880 किलोमीटर है। भारत में (पाक अधिकृत सहित) इसकी लंबाई 1,114 किलोमीटर है और केवल भारत में 790 किलोमीटर है। 11.65 लाख वर्ग किलोमीटर इस नदी का जल संग्रहण क्षेत्र है। इसकी मुख्य सहायक नदियों में झेलम, चिनाब, रावी, व्यास और सतलुज आदि नदियां शामिल हैं।
- गंगा नदी तंत्र: गंगा नदी गंगोत्री हिमनद से निकलती है जोकि उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट है। गंगा नदी यहां से भागीरथी नदी के रूप में निकलती है। देवप्रयाग में भागीरथी नदी अलकनंदा नदी से मिलती है उसके बाद इन दोनों नदियों की संयुक्त धारा को हम गंगा नदी के नाम से जानते हैं।इलाहाबाद में गंगा नदी यमुना और सरस्वती नदी से मिलती है और इन तीनों नदियों के संगम को त्रिवेणी संगम का नाम दिया जाता है।उत्तर प्रदेश और बिहार से होते हुए गंगा नदी पश्चिम बंगाल में पहुंचकर दो धाराओं में बंट जाती है जिनमें से एक धारा मुख्यधारा भागीरथी के रूप में और दूसरी धारा हुगली नदी के रूप में होती हैं।
बांग्लादेश में जमुना के नाम से ब्रह्मपुत्र नदी गंगा नदी की मुख्यधारा भागीरथी में मिलती है और इन दोनों नदियों की संयुक्त धारा को हम पद्मा के नाम से जानते हैं। यह पद्मा नदी बांग्लादेश में ही आगे चलकर मेघना नदी से मिल जाती है और इन दोनों की इस संयुक्त धारा को मिलने के बाद मेघना के नाम से जाना जाता है जो आगे बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। पश्चिम बंगाल में गंगा – ब्रह्मपुत्र डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा मानाजाता है।
सुंदरी वृक्ष की अधिकता की वजह से इस डेल्टा को हम ‘’सुंदरवन डेल्टा’’ भी कहते हैं। यमुना, गंडक, गोमती, सोन, बूढी गंगा, कोशी आदि नदियाँ गंगा नदी की सहायक नदियाँ हैं। विष्णुप्रयाग में विष्णु गंगा नदी और धौली गंगा नदी मिलकर यहां पर अलकनंदा नदी का निर्माण करती हैं। करण प्रयाग में पिंडार नदी और अलकनंदा नदी में आकर मिलती है। रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी नदी, अलकनंदा नदी से मिलाती है। देवप्रयाग में भागीरथी नदी और अलकनंदा नदी मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं।
- ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र: ब्रह्मपुत्र नदी मानसरोवर झील के निकट आन्ग्सी हिमनद से निकलती है जो कि तिब्बत में है। तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को सान्ग्पो नदी के नाम से जाना जाता है। जब यह नदी अरुणाचल प्रदेश में नामचा बरवा पर्वत शिखर के निकट प्रवेश करती है तब इस नदी को दिहांग नदी के नाम से जाना जाता है। बाद में इस नदी की दो अन्य सहायक नदियों के मिलने के बाद यह नदी ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जानी जाती है।इस नदी की जो 2 सहायक नदियां मिलकर ब्रह्मपुत्र नदी का निर्माण करती हैं उनका नाम लोहित और दिबांग नदी है। ब्रह्मपुत्र नदी को बांग्लादेश में जमुना नदी के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मपुत्र नदी में तीस्ता नदी, बांग्लादेश में मिलती है इसके बाद ब्रह्मपुत्र नदी पदमा यानी गंगा नदी में मिल जाती है। असोम घाटी में माजुली द्वीप का निर्माण ब्रह्मपुत्र नदी के गुम्फित होने के कारण ही हुआ है। लोहित, धनश्री दिबांग, कालांग, कामेंग, मानस, तीस्ता और संकोज आदि नदियाँ ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदियां हैं।
प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली
प्रायद्वीपीय भारत में भी बहुत सारी नदियां प्रवाहित होती हैं। मैदानी भाग की अपेक्षा प्रायद्वीपीय नदियां आकार में छोटी होती हैं। यह नदियाँ बारिश के पानी पर निर्भर रहती हैं अर्थात यह नदियाँ बरसाती होती हैं। बरसात का मौसम आते ही इन नदियों में जल का स्तर बढ़ जाता है और बरसात का मौसम जाते ही इन नदियों का जलस्तर बहुत कम हो जाता है।
प्रायद्वीपीय नदियों की गहराई कम होती है लेकिन इनकी घाटियाँ बहुत चौड़ी होती हैं और इन नदियों की अपरदन क्षमता लगभग समाप्त हो चुकी है। प्रायद्वीपीय भारत में प्रवाहित होने वाली नदियों को हम दो श्रेणियों में विभक्त कर सकते हैं –
1. एक पूर्व की ओर बहने वाली नदियां, 2. पश्चिम की ओर बहने वाली नदियां।
- पूर्व की ओर बहने वाली नदियां जैसे – दामोदर, हुगली, ब्रह्माणी, वैतरणी, महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, पेन्नार, वैगाई, ताम्रपर्णी, स्वर्णरेखा आदि बंगाल की खाड़ी में गिर जाती हैं।
- पश्चिम की ओर बहने वाली अधिकतर नदियां जैसे – माही, नर्मदा, तापी, जवारी, मांडवी, शरावती, गंगावेली, पेरियार, भरतपूजा, साबरमती, भादर और शतरंजी आदि अरब सागर में गिर जाती हैं।
भारत की प्रमुख नदियां ( Important rivers of India )
क्रम | नदी | उद्गम स्थान | लंबाई | सहायक नदी | संबन्धित तथ्य | संगम |
1 | गंगा | गंतोत्री हिमनद, गोमुख के निकट, उत्तराखंड | भारत में 2525 की. मी. |
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बंगाल की खाड़ी |
2 | यमुना | यमुनोत्री हिमनद, बंदरपूंछ के पश्चिम ढाल से निकलती है | 1375 की.मी. | बेतवा, केन, चम्बल, हिंड |
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गंगा, प्रयाग इलाहाबाद में |
3 | सतलुज | राकस ताल, मानसरोवर झील के निकट | कुल 1500 की.मी., भारत में 1050 की.मी. | स्पीती, स्वां, बासपा और नोगली खड्ड |
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चेनाब |
4 | रावी | रोहतांग दर्रे के निकट कांगड़ा जिले में | 725 की.मी. | बैरा नाला, सईवा |
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चेनाब |
5 | सिन्धु (Indus) | सानोख्याबाब हिमनद, मानसरोवर झील के निकट, तिब्बत | कुल 2880 की.मी., भारत में 1114 की.मी. | झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज |
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अरब सागर |
6 | ब्यास | रोहतांग दर्रे के निकट व्यास कुंड से निकलती है | 470 की.मी. | स्पिन, पारबती, मलाना नाला, सूजोन, सोलंग, फोजल, मनाल्सू, बाणगंगा, बिनवा, गज, मसेह, कुनाह, खैरण आदि |
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सतलुज |
7 | चम्बल | मध्य प्रदेश में मऊ के निकट जाना पाव पहाड़ी से निकलती है | 1050 की.मी. | सिप्ता, बनास, काली, पार्वती, सिंध |
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यमुना |
8 | झेलम | कश्मीर के बेरीनाग के निकट शेषनाग झील से निकलती है | -कुल लम्बाई 724 की.मी. है और भारत में 400 की.मी. है | किशनगंगा |
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चेनाब |
9 | काली गंगा या शारदा | कुमाऊं हिमालय के मिलाम हिमनद से निकलती है | 602 की.मी. | पूर्वी रामगंगा, चौकिया, लिसार, सर्मा, सरयू |
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घाघरा |
10 | कोसी | गोसाईथान छोटी के उत्तर में से निकलती है | 730 की.मी. | लिखू, तामूर, कोसी, भोटकोसी, दुधकोसी, सूनकोसी, यारु |
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गंगा |
11 | रामगंगा | मुख्य हिमालय के दक्षिण भाग से नैनीताल के पास से निकलती है | 696 की.मी. | खोन |
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गंगा |
12 | गंडक | नेपाल | भारत में लबाई 425 की.मी. | त्रिशूली गंगा, काली गंडक |
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गंगा |
13 | घाघरा | म्पसातुंग हिमानी जो की नेपाल के तकलाकोट से 37 की.मी. उत्तर पश्चिम में है | 1080 की.मी. कुल लम्बाई | छोटी गंगा और चौकिया |
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गंगा |
14 | महानदी | छतीसगढ के रायपुर जिले में सिहावा पर्वत श्रेणी निकट से निकलती है | 815 की.मी. | वैतरणी और ब्राह्मणी |
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बंगाल की खाड़ी |
15 | नर्मदा | अमरकंटक, जो की विन्ध्याचल पर्वत श्रेणियों में स्थित है से निकलती है | 1312 की.मी. | बंजार, बरना, हालन, तवा |
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खम्भात की खाड़ी |
16 | लूनी | अजमेर जिले में नाग पहाड़ से निकलती है | 320 की.मी. | सुकरी, मिठडी, जवाई, लिलडी, खारी, बांडी और जोजरी |
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कच्छ का रण |
17 | भ्रमपुत्र | मानसरोवर झील से 80 की.मी. दूर स्थित हिमनद, तिब्बत से निकलती है | कुल 2900 की.मी., भारत में 916 की.मी. | तीस्ता, डिबोंग,जिंजराम, सेसरी, धनसिरो, दिहांग और नोवा आदि |
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बंगाल की खाड़ी |
18 | ताप्ति | मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से निकलती है | 724 की.मी. | पूर्णा |
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खम्भात की खाड़ी |
19 | माहि | मध्य प्रदेश के धार जिले में महद झील से निकलती है | 585 की.मी. | टिंडी, जाखम, सारनी, गोमती |
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खम्भात की खाड़ी |
20 | कृष्णा | महाबलेश्वर के निकट पश्चिम घाट पहाड़ से निकलती है | 1400 की.मी. | अमरावती, पंचगंगा, मुसी, भीमा, कोयना, तुंगभद्र |
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बंगाल की खाड़ी |
21 | शिप्रा | ककरी बरडी नामक पहाड़ी से निकलती है जो मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में है | 560 की.मी. | खान और गंभीर |
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चम्बल |
22 | साबरमती | जयसमुन्द्र झील से निकलती है जो की उदयपुर जिले में अरावली पर्वत पर स्थित है | 371 की.मी. | वाकल, हाथ्मती, वटराक, हरनव और मधुमती |
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खम्भात की खाड़ी |
23 | सोम | उदयपुर जिले में बिछा मेंडा से निकलती है | 784 की.मी. | गोमती, सारनी और जोखम |
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माहि |
24 | कावेरी | ब्रहम गिरी पहाड़ी से निकलती है जो कर्नाटक के कुर्ग जिले में स्थित है | 800 की.मी. | काबिनी, भवानी और हिमावती |
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बंगाल की खाड़ी |
25 | पेरियार | पेरियार झील से निकलती है | 244 की.मी. | मुल्यार, मुथिरपुझा, चेरुथोनी, एडमाला और पेरिनजंकुटी |
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अरब सागर |
26 | गोदावरी | महाराष्ट्र के नासिक जिले की एक पहाड़ी से निकलती है | 1465 की.मी. | मंजरा, प्रवरा, पुरना और बेनगंगा |
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बंगाल की खाड़ी |
27 | हुगली | पश्चिम बंगाल के धुलिया की दक्षिण गंगा से अलग होने पर इसका निर्माण होता है | 260 की.मी. | जलांगी | बंगाल की खाड़ी | |
28 | पेन्नार | यह कर्नाटक की नंदी दुर्ग पहाड़ी से निकलती है | 597 की.मी. | चित्रावती और पापाधनी | बंगाल की खाड़ी | |
29 | तुंगभद्रा | कर्नाटक के पश्चिम घाट पहाड़ की गंगामुल छोटी से तुंग नदी और उसके ही पास में काडुर से भद्र नदी निकलती है | 331 की. मी. | वर्धा, कुमुदवती और हिन्द | कृष्णा | |
30 | बैगाई | तमिलनाडु में मदुरै से निकलती है | 228 की.मी. | तेवियार, कुमम, मंगलार और वर्षानाड आदि | बंगाल की खाड़ी |
भारत की सबसे बड़ी नदी कौन सी है?
- बहने की दृष्टि से देखा जाए तो भारत में सबसे लंबी नदी गंगा है। लेकिन भारत में प्रवाहित होने वाली सभी नदियों की कुल लंबाई की दृष्टि से देखा जाए तो ब्रह्मपुत्र नदी सबसे लंबी नदी कही जाएगी।
- जल ग्रहण की मात्रा की दृष्टि से ब्रह्मपुत्र नदी भारत की सबसे बड़ी नदी है।
डेल्टा किसे कहते हैं?
जब कोई भी नदी झील या सागर में गिरती है तो उसके वेग में कमी आ जाती है जिसके कारण मुहाने पर उस नदी के मलबे का निक्षेप होने लग जाता है जिससे वहां पर विशेष प्रकार के स्थल का निर्माण होने लग जाता है। इस स्थल को ही हम डेल्टा कहते हैं।
गुंफित नदी या सरिता क्या है?
ऐसी उथली, लघु तथा संग्रथित सरिताओं का जाल जो एक ही नदी या सरिता से उत्पन्न हुई हों, को हम गुम गुम्फित सरिता या फिर गुम्फित नदी कहते हैं। डेल्टा वाले भाग में नदी का जल कई वितरिकाओं में विभाजित हो जाता है और यह वितरिकाएं फिर कई बार पृथक होती हैं और कई बार मिल जाती हैं। इस तरह यह छोटी-छोटी वितरिकाएं आपस में उथली और गुथी हुई होती हैं जिन्हें गुंफित सरिताओं की संज्ञा दी जाती है।
ज्वारनदमुख (Estuary) क्या है?
नदी का जलमग्न मुहाना जहां पर सागर के खारे जल और स्थल से आने वाले जल का मिलन होता है, वहां जब नदी के जल के तेज प्रवाह की वजह से मलबे का निक्षेप मुहाने पर ना हो और नदी के जल के साथ मलबा भी समुंद्र में गिर जाए तब नदी का मुहाना गहरा हो जाता है। इसी गहरे मुहाने को हम ज्वारनदमुख (Estuary) कहते हैं।
“भारत की प्रमुख नदियां” लेख में अगर किसी ओर नदी को जोड़ना चाहते हैं तो नीचे कॉमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। अगर दी गयी भारत की प्रमुख नदियां और उनके बारे में कुछ सवाल हैं तो आपके कॉमेंट का इंतज़ार रहेगा।
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