बुधवार, जून 7, 2023

अर्थव्यवस्था किसे कहते है? Arthvyavastha kya hai? सरल भाषा में

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जिस तंत्र के द्वारा मनुष्य अपनी आर्थिक क्रियाएं संचालित करता है उस तंत्र को अर्थव्यवस्था कहते हैं। जो भी साधन उपलब्ध हैं उनका इस्तेमाल करके अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ही इस तंत्र का उद्देश्य है।

अर्थव्यवस्था (Economy) वितरण, उत्पाद और खपत की एक सामाजिक सुसज्जित व्यवस्था है जिसमें किसी भी देश राज्य या विश्व की आर्थिक गतिविधियों का वर्णन होता है। यदि आप विस्तार से जानना चाहते हैं कि Arthvyavastha kise kahte hain? और Arthvyavastha kya hai? तो इससे संबंधित सभी जानकारी यहां पर दी गई हैं।

Arthvyavastha kise kahte hain?

अर्थव्यवस्था की परिभाषा – Definition of economy in Hindi

जिस ढांचे अथवा व्यवस्था के अंतर्गत किसी भी राज्य, देश या विश्व की सभी आर्थिक क्रियाओं जैसे उत्पादन, वितरण, विनिमय, राजस्व आदि का वर्णन होता है उसे अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

अलग-अलग विद्वानों ने Economy को अपने शब्दों में कहा है जिनमें से प्रोफेसर लाक्स और प्रोफेसर ब्राउन द्वारा अर्थव्यवस्था की परिभाषा नीचे दी गई है।

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  • प्रो० लाक्स: अर्थव्यवस्था एक ऐसा संगठन है जिसके माध्यम से सुलभ उत्पादन संसाधनों का प्रयोग कर माननीय आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है।
  • प्रो० ब्राउन: अर्थव्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत मनुष्य अपनी आजीविका कमा कर अपनी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • प्रो० डब्लू एन लुक्स: अर्थ व्यवस्था में उन सभी संस्थाओं को शामिल किया जाता है जिनके द्वारा संसाधनों का उपयोग कर मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके और यह व्यक्ति, राष्ट्र के निश्चित समूह द्वारा चुना जाता है।

इन तीनों विद्वानों ने Arthvyavastha kise kahte hain? सवाल का जवाब अपने अपने शब्दों में दिया है।

किसी भी देश की Economy द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि देश में किन वस्तुओं का उत्पादन होगा और किस प्रकार से साधनों के द्वारा इनका वितरण किया जाएगा। परिवहन, बैंकिंग, बीमा, वितरण इत्यादि जैसी सुविधाएं मनुष्य और देश के नागरिकों को कैसे दी जाए और उत्पाद की गई वस्तुओं का कितना भाग भविष्य के लिए संभाल कर रखा जाए यह भी अर्थव्यवस्था द्वारा ही निर्धारित किया जाता है।

जिस प्रकार से किसी भी मनुष्य के शरीर के लिए भोजन, परिश्रम और पाचन प्रक्रिया इत्यादि की जरूरत होती है उसी प्रकार से Economy को सही तरीके से चलाने के लिए उत्पाद, उपभोग, वितरण इत्यादि जैसी प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। और अगर सरल भाषा में समझा जाए तो हम यह कह सकते हैं की साधनों का प्रयोग करके उत्पादन, खपत और वितरण जैसी प्रक्रियाओं की व्यवस्था बनाना ही अर्थव्यवस्था है।

वैश्वीकरण ने अर्थव्यवस्था को बहुत तेजी से आगे बढ़ाया है क्योंकि इस समय कोई भी देश व्यापार के लिए एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है और वह दूसरे देशों के साथ व्यापार कर अपनी अर्थव्यवस्था को को तेजी से आगे बढ़ा रहा है।

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अर्थव्यवस्था के प्रकार – types of economy in Hindi

  1. स्वामित्व के आधार की अर्थव्यवस्था
    • पूंजीवादी अर्थव्यवस्था
    • समाजवादी अर्थव्यवस्था
    • मिश्रित अर्थव्यवस्था
  2. विकास के आधार की अर्थव्यवस्था
    • विकसित अर्थव्यवस्था
    • विकासशील अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है जिनमें से पहला भाग है स्वामित्व के आधार पर और दूसरा है विकास के आधार पर। स्वामित्व के आधार पर पूंजीवादी अर्थव्यवस्था, समाजवादी अर्थव्यवस्था और मिश्रित अर्थव्यवस्था आती हैं जबकि विकास के आधार पर विकसित अर्थव्यवस्था और विकासशील अर्थव्यवस्था होती हैं।

चलिए समझते हैं कि इन सभी अर्थव्यवस्थाओं में क्या अंतर है।

1. स्वामित्व के आधार की अर्थव्यवस्था

स्वामित्व के आधार पर अर्थव्यवस्था को तीन भागों में बांटा गया है जो पूंजीवादी, समाजवादी और मिश्रित अर्थव्यवस्था है। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों में देखी जाती है और समाजवादी अर्थव्यवस्था चीन और उत्तर कोरिया जैसे देशों में देखी जा सकती है। भारत और जापान जैसे देशों में मिश्रित अर्थव्यवस्था है।

  • पूंजीवादी अर्थव्यवस्था – पूंजीवादी अर्थव्यवस्था एक प्राचीन और मजबूत अर्थव्यवस्था है और इसमें मानव द्वारा कमाई गई पूंजी और प्राकृतिक संसाधनों पर निजी हक होता है। इस अर्थव्यवस्था में साधनों का उपयोग अपने लाभ के लिए किया जाता है और इस अर्थव्यवस्था को स्वतंत्र अर्थव्यवस्था के नाम से भी पुकारा जाता है। यह Economy पूरे विश्व में सबसे मजबूत और प्राचीन मानी जाती है।
  • समाजवादी अर्थव्यवस्था – समाजवादी अर्थव्यवस्था में किसी भी देश या क्षेत्र पर सरकार का पूरा नियंत्रण होता है। इसके अंतर्गत संसाधनों का उपयोग करके वस्तुओं का उत्पादन किसी एक व्यक्ति या निजी हित में ना होकर समाज और सामाजिक हित के लिए किया जाता है। सामाजिक अर्थव्यवस्था का जन्म पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में होने वाले शोषण को खत्म करने के लिए हुआ है। चीन और उत्तर कोरिया देश सामाजिक Economy के अच्छे उदाहरण हैं।
  • मिश्रित अर्थव्यवस्था – मिश्रित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था होती है जिसमें समाजवाद और पूंजीवाद के गुणों का मिश्रण होता है। इस प्रकार की इकोनामी में सार्वजनिक और नीचे दोनों प्रकार की संस्थाओं का अस्तित्व रहता है और इसमें पूंजीवाद व समाजवाद के बीच का रास्ता निकाला जाता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र पर सरकार का भी हस्तक्षेप रहता है और समाज और देश के हित के लिए सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों द्वारा निजी क्षेत्र को नियंत्रित किया जाता है।

विकास के आधार की अर्थव्यवस्था

विकास के आधार की अर्थव्यवस्था को आर्थिक दृष्टि से आकाश जाता है और इसको मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है जिसमें से पहला भाग विकसित Economy है। संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूसल प्रोग्राम इटली पोलैंड इत्यादि देश विकसित अर्थव्यवस्था का एक अच्छा उदाहरण है। विकास के आधार की Economy का दूसरा भाग विकासशील Economy है और भारत वह ब्राजील जैसे देशों को आप इसके उदाहरण के रूप में देख सकते हैं।

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  • विकसित अर्थव्यवस्था – विकसित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था होती है जो आर्थिक रूप से संपन्न होती है यानी ऐसी अर्थव्यवस्था जिसका औद्योगिकरण हो चुका है और वहां के नागरिकों का रहन सहन का स्तर ऊंचा है और प्रति व्यक्ति आय भी अधिक है। जो देश व उसके नागरिक आधुनिक तकनीक द्वारा साधनों का उपयोग करते हैं और अपने आर्थिक विकास को सबसे ऊंचे शिखर पर लेकर जाते हैं ऐसी Economy को विकसित अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
  • विकासशील अर्थव्यवस्था – विकासशील अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था होती है जहां पर गरीबी के कारण आधुनिक तकनीक द्वारा संसाधनों का पूरी रूप से उपयोग नहीं हो पाया है। इस प्रकार की Economy में प्रति व्यक्ति आय और जीवन स्तर विकसित अर्थव्यवस्था की तुलना में कम होता है और औद्योगिक विकास की दर भी कम पाई जाती है। इस Economy में प्राकृतिक संसाधनों की अधिकता होने के बावजूद आर्थिक विकास कम गति से होता है। इन अर्थव्यवस्थाओं में प्राकृतिक संसाधनों और आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। भारत और ब्राजील देश इसका एक अच्छा उदाहरण है।

अर्थव्यवस्था की विशेषताएं – Arthvyavastha ki visheshtayen

Economy की विशेषताओं के बारे में जानना अति आवश्यक है क्योंकि इससे आप आसानी से समझ सकते हैं कि Arthvyavastha kya hai और अलग-अलग अर्थव्यवस्थाओं में क्या अंतर है।

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताएं – Punjivadi Arthvyavastha

  • निजी संपत्ति का अधिकार – पूंजीवादी Economy में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी संपत्ति को रखने, प्राप्त करने और उसे प्रयोग करने के साथ-साथ क्रय विक्रय करने का भी पूरा अधिकार प्राप्त होता है। वह अपनी मर्जी से अपनी निजी संपत्ति को अपने उत्तराधिकारीयों को दे सकता है।
  • उपभोक्ता की सार्वभौमिकता – प्रत्येक उपभोक्ता को सार्वभौमिक सत्ता मिलती है ताकि वह अपनी आय को अपनी इच्छा के अनुसार अपनी मनपसंद वस्तुओं पर खर्च कर सकें।
  • आर्थिक स्वतंत्रता – पूंजीवाद में व्यक्ति को पूर्ण रूप से आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त होती है और वह अपनी इच्छा अनुसार किसी भी व्यवसाय को चुन सकता है।
  • लाभ का उद्देश्य – पूंजीवाद Economy में व्यक्ति के लाभ का उद्देश्य निजी होता है और इसमें व्यक्ति केवल उन कामों को संपादित करता है जिसमें उसे अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो।
  • प्रतियोगिता – इस प्रकार की Economy में क्रेता, विक्रेता, उत्पादक और श्रम एक अच्छी संख्या में मौजूद होते हैं और वह स्वतंत्र रूप से एक-दूसरे के साथ प्रतियोगिता करते हैं।

समाजवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताएं – Samajwadi Arthvyavastha

  • संसाधनों पर समाज का स्वामित्व – समाजवाद में उत्पादन के साधनों पर समाज का स्वामित्व होता है और पूंजीवाद के विपरीत किसी भी भूमि, पूंजी आदि का प्रयोग निजी लाभ के लिए नए करते हुए समाज के उद्धार और सामाजिक उद्देश्य के लिए किया जाता है।
  • उत्पादन का निर्णय -उत्पादन का निर्णय सरकार द्वारा लिया जाता है और समाजवाद में आर्थिक स्वतंत्रता का अभाव देखा जाता है।
  • लाभ का उद्देश्य – समाजवादी अर्थव्यवस्था में लाभ का उद्देश्य निजी ना होकर सामाजिक होता है। इसीलिए इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में धन और आय के वितरण में बहुत कम असमानताएं मौजूद होती हैं।
  • प्रतियोगिता की कमी – इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में प्रतियोगिता का अभाव देखा जाता है। क्योंकि उत्पादन के साधनों पर सरकार का नियंत्रण होता है इसलिए यह प्रतियोगिता की कमी देखी जाती है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं – Mishrit Arthvyavastha

  • निजी और सार्वजनिक क्षेत्र का अस्तित्व – मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र पर्याप्त मात्रा में साथ-साथ पाए जाते हैं।
  • लाभ का उद्देश्य – इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में लाभ के उद्देश्य को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है और यह निजी व सामाजिक दोनों प्रकार का मौजूद होता है।
  • संपत्ति का अधिकार – मिश्रित अर्थव्यवस्था में आय और संपत्ति का अधिक वितरण होता है।
  • प्रतियोगिता – मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी व सामाजिक दोनों प्रकार के कार्य समान रूप से होते हैं इसलिए प्रतियोगिता की कमी नहीं होती और क्रेता, विक्रेता और श्रम अच्छी संख्या में मौजूद होता है।

भारत की अर्थव्यवस्था – Bharat ki Arthvyavastha

भारत की Economy एक Mixed Economy है और यह विश्व की पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। सन 1991 से लेकर आज तक भारत में बहुत तेजी से आर्थिक विकास हुआ है और जिसका कारण आर्थिक सुधार की नीति को लागू करना है।

भारत में हुए तेजी से आर्थिक विकास और भारत की नीतियों के कारण, भारत देश विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में सामने आया है, जिसका कारण भारतीय उद्योग और व्यापार में सुधार है।

भारतीय अर्थव्यवस्था का इतिहास – Bhartiya Arthvyavastha ka itihas

एक समय पर भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था और एक इतिहासकार एन गैस मेडिसिन के अनुसार भारत 10 वीं सदी तक विश्व की सबसे बड़ी Economy थी और उस समय विश्व की कुल GDP में भारत का हिस्सा 32.9% था।

ब्रिटिश काल के दौरान भारत की Economy का शोषण हुआ जिससे भारत को बहुत अधिक नुकसान झेलना पड़ा। इसका परिणाम यह हुआ कि जब भारत सन 1947 में आजाद हुआ तो भारतीय Economy पूरी तरह ढह चुकी थी। परंतु भारत की Economy का इतनी धीमी गति से बढ़ने का कारण समाजवादी प्रणाली की तरफ झुकाव था। परंतु बीसवीं शताब्दी में भारत ने इस प्रणाली का अंत किया और सन 1991 के बाद भारत ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जिसका परिणाम यह हुआ कि आज भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

सन 1991 में भारत देश को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था और उस समय भारत में अपने देश का सोना गिरवी रखा जिसके बाद भारत को लोन प्राप्त हुआ और उस समय तत्कालीन नरसिंह राव की सरकार ने वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के निर्देश में आर्थिक सुधारों के प्रयास किए। सन 1991 में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के निर्देशों में किए गए आर्थिक सुधारों के कारण भारत की Economy बहुत तेजी से आगे बढ़ी और लगभग 7 से 8% की प्रतिवर्ष वृद्धि के साथ भारत की Economy मजबूत हुई।

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान

कृषि भारतीय Economy की रीढ़ है। भारत की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर ही निर्भर है और देश की अधिकांश खाद्य की आपूर्ति देश में होने वाली कृषि से ही होती है। समय-समय पर किए गए उपायों के द्वारा भारत में कृषि का उत्पाद बड़ा है और भारत की जनसंख्या को एक बहुत बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्त हुई है।

कृषि में हुई बढ़ोतरी ने अन्य क्षेत्रों पर भी अपना प्रभाव डाला और जिसके परिणाम स्वरूप भारत की Economy तेजी से बढ़ी और भारत के नागरिकों तक अधिक से अधिक लाभ पहुंचा। कृषि में हुई बढ़ोतरी के कारण देश में गेहूं, मोटा अनाज और दालों का उत्पादन बहुत अधिक संख्या में हुआ जिस कारण कृषि ने जीडीपी में अपना एक महत्वपूर्ण योगदान दिया।

आज के समय में भारत कृषि के दम पर न केवल भारतीय नागरिकों की खाद्य पूर्ति कर रहा है बल्कि यहां पर पैदा होने वाले अनाज, डालो इत्यादि को दूसरे देशों में भी निर्यात कर रहा है।

उद्योग

औद्योगिक क्षेत्र में भारतीय Economy के आर्थिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सन 1947 के बाद भारत सरकार द्वारा देश में औद्योगिकरण को तेजी से आगे बढ़ाया गया जिससे भारतीय Economy तेजी से आगे बढ़े और आर्थिक नीतियों में सुधार के कारण निजी क्षेत्र तेजी से आगे बढ़े जिससे भारतीय उद्योग को गति प्राप्त हुई। इसके साथ-साथ वैश्वीकरण ने भी भारत की इकोनामी को आगे बढ़ाने में अपना बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।


हमें उम्मीद है कि आपको इससे यह अच्छी प्रकार से ज्ञात हुआ होगा कि Arthvyavastha kya hai? और Arthvyavastha kise kahte hain? यदि आपका कोई सवाल है या अर्थव्यवस्था लेख से संबंधित कुछ सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। आपके कमेंट का हमें इंतजार रहता है। धन्यवाद!

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