बादल हमें सभी को बहुत अच्छे लगते हैं जब भी हम आसमान की तरफ देखते हैं और हमें बादल नजर आते हैं तो वह दृश्य मन में होने वाला होता है और हमारा मन करता है कि इन्हें ही देखते रहे आज इस पोस्ट में हम बादल के बारे में जानेंगे।
इस पोस्ट में हमने बताया है की बादल क्या है, ( Badal kya hai ), बादल कैसे बनते हैं, बादल के प्रकार, बादल कैसे फटता है, बादल कैसे गरजता है आदि।
बादल क्या है ? Badal Kya hai
हवा में मौजूद जलवाष्प और हिम-कण मिलकर एक रूप ले लेते हैं, इन जलवाष्प और हिम कणों से मिलकर बनने वाले इस रूप को बादल कहते हैं। दूसरे शब्दों में या मौसम विज्ञान में बादल, पानी और अन्य रसायनिक तत्वों के मिश्रण से बनने वाला एक रूप है।जिसमें पानी और अन्य रसायनिक तत्व तरल बूंदों या ठोस कणों के रूप में मौजूद होते हैं।
बादल कैसे बनते हैं ?
हमारे आसमान में हजारों लाखों लीटर पानी वाष्प के रूप में मौजूद है जो हमें दिखाई नहीं देता लेकिन जब किसी क्षेत्र का तापमान कम होता है तो उस क्षेत्र में मौजूद वाष्प ठंडे होकर दरों में बदलते हैं जो इकट्ठे होकर बादल का रूप धारण कर लेते हैं। हवा में मौजूद डस्ट समुंदरी नमक और बर्फ भी इन पानी की वाष्प के साथ संघनित हो जाती हैं और इस प्रकार से बादलों का निर्माण होता है।
वाष्पीकरण की प्रक्रिया
जब कोई भी तरल पदार्थ गैस का रूप धारण कर लेता है तो उसे वाष्पीकरण कहते हैं इसी तरह जब पानी का तापमान ज्यादा हो जाता है तो पानी अपने तरल रूप को छोड़कर गैस रूप में बदल जाता है। ज्यादा तापमान के कारण पानी वास्तविक होकर वायुमंडल में चला जाता है और इस प्रकार से पानी का वाष्पीकरण होता है।
पानी का वाष्पीकरण हमारे जीवन चक्र के लिए बहुत ही उपयोगी है सूर्य से मिलने वाली गर्मी पानी के वाष्पीकरण की प्रक्रिया को बढ़ाती है जिस कारण हमारे वायुमंडल में हजारों लाखों लीटर पानी वाष्प के रूप में मौजूद होता है।
हमारी पृथ्वी पर 71% पानी मौजूद है जब भी सूर्य की गर्मी बढ़ती है तो हमारे महासागरों से पानी गरम होकर वातावरण में पहुंचता है और ठंडा होकर नीचे बारिश के रूप में गिरता है।
पानी के वाष्पीकरण से बादल बनने की प्रक्रिया
पृथ्वी की सतह पर वातावरण और हवा जितनी ज्यादा गर्म होगी उतना ही जलवाष्प होता है। गर्म हवा हमेशा ऊपर की तरफ उठती है इसीलिए जब सतह के पास का वातावरण गर्म हो जाता है तो जलवाष्प गर्म हवा के साथ ऊपरी वातावरण में पहुंच जाते हैं।
जैसे ही जलवाष्प ऊपरी वातावरण में पहुंचते हैं तो वहां का तापमान कम होने के कारण हवा की जलवाष्प को धारण करने की क्षमता कम हो जाती है और संक्षेपण होता है। जिस स्तर पर उस बिंदु पहुंचकर बादल का रूप धारण करता है उसे संघनन स्तर कहा जाता है।
संघनन – गैस या भाप ठण्ड की वजह से पानी और फिर बर्फ के क्रिस्टल में बदलने लगते हैं, और इस तरह वाष्प के सघन होने की प्रक्रिया संघनन कहलाती है।
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पानी का वाष्पीकरण सबसे ज्यादा कहां होता है?
जैसा आप सभी को ज्ञात है पानी ने पृथ्वी की सतह को घेरा हुआ है इसीलिए पानी का वाष्पीकरण सबसे ज्यादा समुंदरों झीलों नदियों आदि से सबसे ज्यादा होता है।
पानी के वाष्पीकरण में तापमान बहुत अहम होता है उदाहरण के तौर पर आपने देखा होगा कि सर्दी के मौसम से गर्मी के मौसम में कपड़े जल्दी सूखते हैं।यही कारण है कि गर्मी के दिनों में पानी का वाष्पीकरण ज्यादा तेजी से होता है।
हवा कैसे ऊपर उठती है जो बादलों का निर्माण करती है?
मुख्यतः 5 तरह से हवा ऊपर उठती है जिससे बादलों का निर्माण होता है, जिनका विवरण नीचे दिया गया है।
- सूरज की गर्मी – सूरज की गर्मी के कारण पृथ्वी की सतह से गरम हवा ऊपर उठती है और यह बादलों का निर्माण करती है, ऐसे बनने वाले बादलों को क्यूम्यलस बादल कहा जाता है.
- दो तरह के मौसम का टकराव – जब गरम हवा और ठंडी हवा के मौसम एक दूसरे के साथ टकराते हैं तब गरम हवा ऊपर की तरफ उठती है और इस प्रक्रिया से बादलों का निर्माण होता है। इस तरह से उत्पन्न बादलों को निम्बोस्ट्रेटस बादल कहा जाता है।
- पहाड़ी इलाका – जब हवा मैदान से पहाड़ों की तरफ चलती है तब वह हवा पहाड़ों से टकराकर ऊपर की तरफ उठती है जिससे स्ट्रेटस नामक बदल बनते हैं।
- हवा की धाराओं का टकराव – जब एक दिशा से आने वाली हवा दूसरी दिशा से आने वाली हवा से टकराती हैं, तब हवा टकराव के कारण ऊपर की तरफ बढ़ती है और इस प्रक्रिया से मेघपुंज बादल बनते हैं।
- परिसंचरण – जब हवा की गति में एक दम से बदलाव आता है तब हवा में परिसंचरण ( Circulation ) पैदा होता है जो हवा को ऊपर की तरफ उठाता है और बादल बनाता है।
बादल के प्रकार
बदल को मुख्यत 14 भागों में विभाजित किया जाता है, जिसका सम्बन्ध बदल की ऊंचाई और आकार से होता है।
बादल | ऊंचाई |
स्ट्रेटस बादल (Stratus Cloud) | सतह से 7000 फीट |
स्ट्रेटोक्यूमलस (Stratocumulus) | सतह से 7000 फीट |
निंबोस्ट्रेटस बादल (Nimbostratus Clouds) | सतह से 7000 फीट |
आल्टोक्यूम्यलस बादल ( Altocumulus Cloud) | 7000 से 23000 फिट |
आल्टोस्ट्रेटस बादल (Altostratus clouds) | 7000 से 23000 फिट |
सिरस बादल (Cirrus Clouds) | 16000 से 43000 फिट |
सिरोक्यूम्यलस बादल (Cirrocumulus clouds) | 16000 से 43000 फिट |
सिरोस्ट्रेटस बादल (Cirrostratus clouds) | 16000 से 43000 फिट |
मेघपुंज बादल (Cumulus clouds) | सतह से 43000 फिट |
क्यूम्यलोनिम्बस बादल (Cumulonimbus clouds) | सतह से 43000 फिट |
लेंटिकुलर बादल (Lenticular Clouds) | अनोखे तरीके से बनने वाले बादल, ऊंचाई निर्धारित नहीं |
केल्विन-हेल्महोल्ट्ज़ बादल (Kelvin-Helmholtz Clouds) | अनोखे तरीके से बनने वाले बादल, ऊंचाई निर्धारित नहीं |
मैमटस बादल (Mammatus Clouds) | अनोखे तरीके से बनने वाले बादल, ऊंचाई निर्धारित नहीं |
कंट्रेल्स (Contrails) | जेट विमान की उड़ने वाली ऊंचाई |
- स्ट्रेटस बादल (Stratus Cloud) – स्ट्रेटस बादल की ऊंचाई कम होती है और कोहरे की तरह दिखाई पड़ते हैं। यह बादल ज्यादातर पूरे आसमान को घेर लेता है।
- स्ट्रैटोक्यूम्यलस बादल (Stratocumulus Cloud)– स्ट्रैटोक्यूम्यलस बादल की ऊंचाई भी काम होती है और इनका रंग हल्का भूरा होता है। कभी कभी ये बादल पंक्ति में पंक्तिबद्ध दिखाई पड़ते हैं और कभी ये फ़ैल जाते हैं। स्ट्रैटोक्यूम्यलस बादल से आम तौर पर सिर्फ बून्दा-बांदी या कम बारिश होती है।
- निंबोस्ट्रेटस बादल (Nimbostratus Clouds) – निंबोस्ट्रेटस बादल ग्रे रंग के होते हैं जो आकाश में नीचे दिखाई देते हैं। इन बादलों से ज़्यादा बारिश होती है और ये कभी कभी पूरे आसमान को घेर लेते हैं। इन बादलों के किनारे साफ़ नज़र नहीं आते।
- आल्टोक्यूम्यलस बादल ( Altocumulus Cloud) – ये बादल हलके ग्रे और सफ़ेद रंग के होते हैं, जिनका एक हिस्सा ज्यादा गहरा होता है। इनकी मोटाई 1 किलोमीटर के लगभग होती है।
- आल्टोस्ट्रेटस बादल (Altostratus clouds) – इस बादल का रंग हल्का ग्रे और हल्का नीला ग्रे होता है। इस बादल के साथ बारिश और तूफान भी आ सकता है। जब इस बादल से बारिश होती है, और जमीं से टकराती है तब यह निंबोस्ट्रेटस बादल में बदल जाता है।
- सिरस बादल (Cirrus Clouds) – सिरस नामक बादल बर्फ के क्रिस्टल से बने हुए होते हैं जिनका रंग सफ़ेद होता है। दिखने में ये घोड़े की पूंछ के आकर के होते हैं, वैसे तो आम तौर पर इनसे बारिश नहीं होती और ये साफ़ मौसम में दिखायी देते हैं, लेकिन अगर इनका आकार बढ़ जाए तो इनके पीछे सिरोस्ट्रेटस बादल आने की सम्भावना होती है।
- सिरोक्यूम्यलस बादल (Cirrocumulus clouds) – ये बादल छोटे और गोल दिखाई देते हैं, जो अक्सर पंक्तियों में दीखते हैं। इन बादलों का रंग सफेद होता है लेकिन कभी-कभी यह ग्रे रंग के भी दिखाई पड़ते हैं जब यह बादल पूरे आसमान को ढक लेते हैं तो इसे मैकेरल आकाश कहा जाता है।
- सिरोस्ट्रेटस बादल (Cirrostratus clouds) – यह बादल दिखने में चादर की तरह पतले दिखाई पड़ते हैं और जब सूरत से आने वाली रोशनी इन बादलों से गुजरती है तो बर्फ के क्रिस्टल की वजह से यह हल्के चमकते हैं। अगर आपको यह बादल दिखते हैं तो इसकी संभावना बढ़ जाती है कि आने वाले 10 से 24 घंटे में बारिश या हिमपात हो सकता है।
- मेघपुंज बादल (Cumulus clouds) – मेघपुंज बादल का रंग सफेद होता है लेकिन कभी-कभी यह है हल्के ग्रे रंग के भी दिखाई पड़ते हैं। मेघपुंज बादलों की चौड़ाई 1 किलोमीटर लगभग होती है और इनका आकार ऊपर की तरफ बढ़ता है, और आकार फूलगोभी की तरह दिखाई पड़ता है।
- क्यूम्यलोनिम्बस बादल (Cumulonimbus clouds) – क्यूम्यलोनिम्बस बादल भी ऊपर की तरफ बढ़ते हैं और 10 किलोमीटर तक ऊंचे हो सकते हैं। इन बादलों की वजह से भारी बारिश बर्फ बिजली ओले आदि होती है।
- लेंटिकुलर बादल (Lenticular Clouds) – यह बादल उड़न तश्तरी की तरह दिखाई देता है जो एक ही स्थान पर गहरा नजर आता है। इन बादलों का दिखना आम नहीं होता क्योंकि यह बादल एक तेज हवा के प्रवाह के रास्ते में बाधा आने से बनते हैं जो अक्सर पहाड़ की चोटी के पास दिखाई देते हैं।
- केल्विन-हेल्महोल्ट्ज़ बादल (Kelvin-Helmholtz Clouds) – केल्विन हेम्होल्ट्ज बादल समुंदर की लहरों की तरह दिखाई देते हैं। इन बादलों का निर्माण तब होता है जब दो अलग-अलग हवा की धाराएँ मौजूद होती हैं जिनकी गति एक दूसरे से भिन्न होती है।
- मैमटस बादल (Mammatus Clouds) – मैमटस बादल, बादलों के गुच्छे की तरह दिखते हैं जो नीचे की तरफ लटके दिखाई पड़ते हैं। मैमटस बादल का नाम “मैमटस” शब्द से लिया गया है जिसका मतलब स्तन होता है। मैमटस बादल क्यूम्यलोनिम्बस बादलों से जुड़े होते हैं, और ये अक्सर गर्म मौसम में दिखाई पड़ते हैं।
- कंट्रेल्स (Contrails) – कॉन्ट्रैल्स बादल जलवाष्प के संघनित होने से बनता है। विमान के निकास से और चारों और से आने वाले छोटे कणों के अस पास जलवाष्प संघनित होता है और कॉन्ट्रैल्स बादल का निर्माण होता है। आपने अक्सर ऊंचाई पर उड़ रहे वायुयान के पीछे सफ़ेद बदल की धारियां बनती देखीं होंगी। ये कॉन्ट्रैल्स बादल होते हैं।
बादल का रंग काला और सफ़ेद होने के कारण
हम अक्सर बादलों को सफेद या ग्रे रंग में देखते हैं लेकिन जब ग्रे रंग गाढ़ा हो जाता है तो उसे अक्सर काला बादल बोला जाता है। वैसे तो ज्यादातर सफेद बादल ही देखने को मिलते हैं लेकिन जब किसी बादल में जलवाष्प की मात्रा ज्यादा होती है, तब प्रकाश इन बादलों से गुजर नहीं पाता जिस कारण यह हमें काले रंग के दिखाई पड़ते हैं।
सीधे और आसान शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि जिन बादलों में पानी की मात्रा ज्यादा होती है उनका रंग काला नजर आता है। क्योंकि ज्यादा जलवाष्प होने की वजह से प्रकाश उन बादलों से गुजर नहीं पाता।
बादल कैसे फटता है ?
जब एक ही जगह पर लगातार और बहुत सारी बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं। जिसके मुख्य तो दो कारण होते हैं।
1. कटोरी-नुमा जगह
यह स्थिति अक्सर पहाड़ी इलाके में बनती है। जब कोई जगह है चारों तरफ से ऊंचे ऊंचे पहाड़ों से घिरी होती है, इस तरह की जगह पर बदल जमा होते रहते हैं और जब ठंडे बादलों से नए बने गरम बदल मिलते हैं तो इनसे बिजली का निर्माण होता है। बिजली में पानी को ऊपर बादलों में रखने की क्षमता होती है, जो पानी क बरसने नहीं देती।
जब बदल से पानी नहीं बरस पाता और बादल इकट्ठे होते रहते हैं तो एक समय ऐसा आता है जब बादल पानी को अपने अंदर रोक नहीं पाते और एक साथ सारा पानी नीचे गिरता है। और इस तरह पानी के बरसने को बादल फटना कहते हैं जो कटोरी-नुमा जगह पर संभव हो पाता है।
2. गरम हवा
इस स्थिति में बादल के फटने की वजह पहाड़ नहीं बनते बल्कि गर्म हवाओं के कारण ऐसा होता है। जब गर्म हवाएं बादलों से टकराती हैं तब बादल पानी को अपने अंदर समेटे नहीं रख पाता और कुछ ही समय में सारा पानी पृथ्वी पर गिरता है जिस वजह से बादल फटने जैसी स्थिति पैदा होती हैं।
सन 2005 में मुंबई में बादल फटा था जो इसका एक अच्छा उदाहरण है।
बादल कैसे गरजता है ?
बादलों में जब बिजली चमकती है तो उससे अत्याधिक गर्मी पैदा होती हैं और बिजली चमकने वाली जगह पर मौजूद हवा गर्म होने के कारण तेजी से फैलती है। जिस कारण करोड़ों अणु एक दूसरे के साथ टकराते हैं, इन अणुओं के टकराने से आवाज उत्पन्न होती है जिसे हम बादल का गरजना कहते हैं।
बादलों में बिजली कैसे बनती है?
जैसा कि आप जानते हैं की जलवाष्प होने पर बादलों का निर्माण होता है, और जब बादलों का निर्माण होता है तो उन का तापमान ज्यादा होता है जो समय के साथ ठंडा होता चला जाता है। जब नए बादलों का निर्माण होता है और वह पहले से मौजूद ठंडे बादलों से मिलते हैं तब बिजली उत्पन्न होती है।
बादलों में गरम हवा के बहने और नीचे मौजूद ठंडी हवा से ऊपर की तरफ धनावेश ( Positive Charge ) और नीचे ऋणावेश होता है जिस वजह से भी बिजली पैदा होती है।
बारिश कैसे होती है ?
बादल जब ठंडा होता है तब जलवाष्प बर्फ के क्रिस्टल में बदल जाते हैं जिसे हम संघनन कहते हैं। जब किसी जगह गर्मी और नमी की मात्रा ज्यादा होती है तो वह इन क्रिस्टल को पानी की बूंदों में बदलना शुरू करते हैं। यह छोटी-छोटी पानी की बूंदे एक दूसरे से मिलकर बड़ी हो जाती है तब इनका भार ज्यादा होने के कारण बादल पानी को अपने अंदर नहीं रख सकता नतीजतन पानी नीचे गिरता है।
बारिश कितने प्रकार की होती है ?
बारिश को तीन भागों में बांटा गया है जो बारिश के होने के कारणों पर निर्भर करता है। जिनका विवरण आप नीचे पढ़ सकते हैं।
- पर्वतीय बारिश – जब बादल पहाड़ों की ढलान पर पहुंचते हैं तो वह ऊपर की तरफ उठना शुरू करते हैं और जैसे-जैसे यह ऊंचाई बढ़ती है तो बादल का तापमान गिरना शुरू हो जाता है फलस्वरूप बदल ठंडा होता है और संघनन की प्रक्रिया होती है। इस तरह से बिजली के चमकने के साथ साथ गरजना के साथ बारिश होती है।
- संवहनीय बारिश – गर्म हवा ऊपर उठकर ठंडी होती है, परिणाम स्वरूप संघनन की प्रक्रिया होती है और बादलों का निर्माण होता है। इस तरह के बादलों से थोड़े समय लिए वर्षा होती है।
- चक्रवात बारिश – जब नीचे ठंडी हवा बहती है और ऊपर गर्म और आर्द्र हवा बहने से आर्द्र हवा में संघनन प्रक्रिया होती है और बदल बनते हैं, जिससे चक्रवाती बारिश होती है।
आपने क्या सीखा
हमें उम्मेद है की आपको बदल और बारिश के बारे में जानकारी अच्छी लगी होगी और आपको आपके सवाल ” बादल कैसे बनते हैं?” का जवाब मिल गया होगा। आपको ये पोस्ट कैसी लगी, अपने विचार हमें कॉमेंट बॉक्स में साँझा करें।
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