भारत रत्न, जिसे अंग्रेजी में “Jewel of India” भी कहा जाता है, भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। भारत रत्न को 2 जनवरी 1954 को स्थापित किया गया था जिसे ऐसा हरण सेवाओं और उनकी प्रदर्शन के लिए दिया जाता है।
भारत रत्न पुरस्कार को मूल रूप से साहित्य, कला, विज्ञान और सार्वजनिक सेवाओं में उपलब्धियों के लिए दिया जाता था, लेकिन 2011 में सरकार ने मानव द्वारा सभी क्षेत्रों में किए गए प्रयास के लिए भारत रत्न पुरस्कार को मान्य किया। इसके पश्चात भारत रत्न किसी विशेष सेवाओं के लिए बाध्य में होकर सभी क्षेत्रों में प्राप्त किया जा सकता है।
भारत रत्न कैसे दिया जाता है?
भारत रत्न के लिए प्रतिवर्ष अधिकतम तीन व्यक्तियों को नामांकित किया जाता है जिसके लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को भारत रत्न के लिए सिफारिश करता है। जिन व्यक्तियों को भारत रत्न बनता है उन्हें राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किया हुआ प्रमाण पत्र और पीपल के पत्ते के आकार का पदक दिया जाता है।
भारत रत्न का इतिहास
2 जनवरी 1954 को राष्ट्रपति के लिए सचिव कार्यालय से एक प्रेस विज्ञापन जारी किया गया जिसमें दो नागरिक पुरस्कार की घोषणा की गई थी।
- भारत रत्न
- पद्म विभूषण
इन पुरस्कारों को 3 वर्ग में वर्गीकृत किया गया जिसमें भारत रत्न को पहले वर्ग में रखा गया जबकि दूसरा वर्ग और तीसरा वर्ग भारत रतन से नीचे रैंक करते हैं। इसके पश्चात 15 जनवरी 1955 को पद्म विभूषण को तीन वर्गों में दोबारा से वर्गीकृत किया गया जिसमें पहले वर्ग में “पद्म विभूषण” दूसरे वर्ग में “पद्म भूषण” और तीसरे वर्ग में “पद्म श्री” रखा गया।
ऐसा जरूरी नहीं है कि भारत रत्न प्राप्त करने वाला कोई भारतीय नागरिक हो, मतलब जो व्यक्ति भारतीय नागरिक नहीं है वह भी भारत रत्न प्राप्त कर सकता है।
सन 1980 में मदर टेरेसा, और सन 1987 में पाकिस्तान के अब्दुल गफ्फार खान वह 1990 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को भारत रत्न दिया गया था। पाकिस्तान के अब्दुल गफ्फार खान और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला गैर भारतीय भारत रत्न प्राप्त करने वाले व्यक्ति हैं।
सचिन तेंदुलकर सबसे कम आयु में भारत रत्न प्राप्त करने वाले व्यक्ति और पहले खिलाड़ी हैं। इसके अलावा तमिलनाडु की एमएस सुब्बूलक्ष्मी सबसे पहली संगीतकार हैं जिन्हें भारत रत्न प्रदान किया गया।
इस लेख में हम भारत रत्न के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन यदि आप पद्म विभूषण के बारे में विस्तार से जानकारी चाहते हैं तो आप पद्म विभूषण के बारे में लिखे गए लेख को पढ़ सकते हैं और जानकारी ले सकते हैं।
भारत रत्न का निलंबन
- 13 जुलाई 1977 में सबसे पहले भारत रत्न का निलंबन हुआ था, 1977 में जब मोरारजी देसाई ने भारत के चौथे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली उसके पश्चात यह फैसला लिया गया। इसके पश्चात जब इंदिरा गांधी सन 1980 में प्रधानमंत्री बनी तब इस निलंबन को रद्द कर दिया गया।
- सन 1992 में दो जनहित याचिकाएं केरल के उच्च न्यायालय में और दूसरी मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय में दायर की गई जो व्यक्तिगत रूप से दिए जाने वाले पुरस्कारों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देती थी। इन याचिकाओं के कारण सन 1992 में व्यक्तिगत रूप से दिए जाने वाले सम्मान जैसे भारत रत्न पर रोक लगानी पड़ी और दिसंबर 1995 को मुकदमा समाप्त हुआ जिसके पश्चात सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इन पुरस्कारों को फिर से शुरू किया गया।
भारत रत्न के बारे में कुछ मुख्य बातें
- भारत रत्न किसी भी व्यवसाय, पद, नस्ल या लिंग के भेद के बिना उच्चतम और असाधारण सेवा के लिए प्रदान किया जाता है।
- 1954 के नियम के अनुसार भारत रत्न केवल कला, साहित्य, विज्ञान और सार्वजनिक सेवाओं तक सीमित था, लेकिन 2011 में इन सीमाओं को हटाकर मानव द्वारा किसी भी क्षेत्र में किए गए उसके असाधारण सेवा के लिए भारत रत्न को लागू किया गया।
- सन 1954 तक मरणो उपरांत पुरस्कार देने की अनुमति नहीं थी लेकिन जनवरी 1955 में कानून में संशोधन किया गया और सन 1966 में लाल बहादुर शास्त्री सबसे पहले मरणोपरांत सम्मानित किए जाने वाले व्यक्ति बने।
- भारत रत्न देने के लिए कोई भी औपचारिक प्रक्रिया नहीं है, इस पुरस्कार की सिफारिशें केवल प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को दी जाती है।
- भारत रतन के लिए प्रति वर्ष अधिकतम 3 नाम नामांकित किए जाते हैं।
- सन 1999 में सबसे ज्यादा चार व्यक्तियों को राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
- सबसे पहला भारत रत्न सन 1954 में सर्वपल्ली राधा कृष्ण, सर सी वी रमन, और चक्रवर्ती राजा गोपाल आचार्य को दिया गया था।
भारत रत्न की बनावट
1954 के निर्देशों के अनुसार भारत रत्न पदक 35 मिलीमीटर व्यास में सोने से बना एक चक्कर था जिसके केंद्र में जलते हुए सूरज की आकृति का डिजाइन था। जिसमें देवनागरी स्क्रिप्ट में भारत रत्न लिखा गया था और पीछे की तरफ भारत के प्रतीक शेरों की आकृति के साथ सत्यमेव जयते लिखा हुआ था।
इसके 1 साल के पश्चात यानी सन 1955 में भारत रतन के डिजाइन में संशोधन किया गया और सोने से बने चक्कर को बदलकर पीपल के पत्ते के आकार में भारत रत्न का डिजाइन बनाया गया।
वर्तमान भारत रत्न पदक पीपल के पत्ते के आकार में है जिसकी लंबाई लगभग 59 मिलीमीटर और चौड़ाई 48 मिलीमीटर वह मोटाई 3.2 मिली मीटर की है। इस डिजाइन के ऊपर प्लेटिनम से बने जलते हुए सूरज का डिजाइन बना हुआ है जिसका व्यास 16 मिलीमीटर और किरणें 21 मिलीमीटर तक फैली हुई है।
इसके आगे वाले भाग पर भारत रत्न शब्द लिखे गए हैं और पीछे की तरफ सत्यमेव जयते जो भारत का प्रतीक है वह रखा गया है। भारत रत्न 51 मिलीमीटर सफेद रिबन के साथ जुड़ा हुआ होता है ताकि इसे गले में पहनाया जा सके।
सन 1957 में चांदी और गिल्ट की सजावट को जले हुए का से में बदल कर नया डिजाइन प्रदान किया गया।
भारत रत्न पदक अलीपुर टकसाल कोलकाता में तैयार किया जाता है इसके अलावा कोलकाता में पद्म विभूषण, पद्मभूषण, पद्म श्री और परमवीर चक्र जैसे अन्य नागरिक और सेल ने पुरस्कारों को भी तैयार किया जाता है।
भारत रत्न से संबंधित विवाद
समय-समय पर भारत रत्न कई विवादों में घिरा है, विवादों के अलावा जनहित याचिकाओं नहीं थी भारत को कई बार घेरा हुआ है।
जवाहरलाल नेहरू
सन 1955 में भरत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने खुद को भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला लिया, इसका विरोध हुआ जो तत्कालीन राष्ट्रपति लालनटोप और द वायर की रिपोर्ट में गलत साबित हुआ।
राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने यह खुद स्वीकार किया था कि नेहरू को सोवियत संघ और यूरोपीय देशों की सफल यात्रा के लिए उन्होंने बिना किसी सिफारिश या सलाह वह संवैधानिक रूप से कैबिनेट की सलाह के बिना यह पुरस्कार दिया था। उस समय शांति के रूप में शीत युद्ध बहुत ही तेजी से आगे बढ़ रहा था और जवाहरलाल नेहरू द्वारा भारत को विश्व के मामलों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा था।
इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी जवाहरलाल नेहरु की बेटी थी जो भारत की तीसरी प्रधानमंत्री बनी। उस समय भारत के राष्ट्रपति वीवी गिरी नहीं पूर्वी पाकिस्तान (जिसे अब हम बंगला देश के नाम से जानते हैं) पर 1971 के युद्ध में भारत की जीत के लिए इंदिरा गांधी को यह पुरस्कार दिया गया था।
इंदिरा गांधी को भारत रत्न से नवाजे पर इसका विरोध हुआ, लेकिन इंदिरा गांधी पर लगे आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत साबित हुए और तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने इंदिरा गांधी को सम्मानित करने की पूरी जिम्मेदारी ली।
सुभाष चंद्र बोस
राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा 23 जनवरी 1992 को एक प्रेस विज्ञापन प्रकाशित किया गया, जो सुभाष चंद्र बोस को मरणोपरांत पुरस्कार प्रदान करने के बारे में था।
राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा लिए गए इस फैसले का कड़ा विरोध हुआ और इसकी आलोचना हुई और इसे रद्द करने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता का कहना था कि पुरस्कार से अधिक व्यक्तित्व का सम्मान करना हास्यास्पद है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस को अतीत और भविष्य के प्राप्तकर्ता ओं के साथ वर्गीकृत करना लापरवाही का काम था। यह इसलिए था क्योंकि सरकार ने 18 अगस्त 1947 को उनकी मृत्यु को आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया था।
सी एन आर राव
सन 2013 में राष्ट्रपति सचिवालय से सी एन आर राव को भारत रत्न से सम्मानित करने कि घोषणा हुई।
इसके खिलाफ अनेकों जनहित याचिकाएं दायर की गई जिसमें याचिका कर्ताओं का कहना था कि होमी भाभा और विक्रम साराभाई जैसे अन्य भारतीय वैज्ञानिकों ने सी एन आर राव से अधिक योगदान दिया है। सी एन आर राव द्वारा प्रकाशित किये 1400 शोध पात्र शारीरिक रूप से संभव नहीं है।
इसके अलावा याचिकाकर्ताओं का कहना था कि साहित्यिक चोरी के मामले भी राहुल के पास साबित हो चुके हैं, इसीलिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित नहीं करना चाहिए। सीएनआर राव के खिलाफ दर्ज जनहित याचिकाओं को उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किया गया और उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
सचिन तेंदुलकर
सन 2013 में राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा सीएनआर राव के साथ-साथ सचिन तेंदुलकर को भी भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी।
सचिन तेंदुलकर के खिलाफ जनहित चुनाव आयोग में याचिका दायर की गई जिसमें कहा गया कि सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न से सम्मानित करना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। इस जनहित याचिका में कहा गया कि सचिन तेंदुलकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा राज्यसभा के मनोनीत सदस्य हैं इसीलिए उन्हें भारत रत्न देने का निर्णय गलत है।
सचिन को भारत रत्न देने के निर्णय से अन्य राज्यों के मतदाताओं पर प्रभाव पड़ेगा जहां पर उस समय चुनाव प्रक्रिया चल रही थी।
इसके अलावा सचिन तेंदुलकर और कुछ मंत्रियों के खिलाफ एक और जनहित याचिका दायर की गई जिसमें भारतीय हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद को अनदेखा करने की साजिश का आरोप लगाया गया था।
इसके पश्चात् 4 दिसंबर 2013 को चुनाव आयोग ने यह याचिका खारिज कर दी और कहा कि गैर मतदान राज्यों के लोगों को पुरस्कार देना आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। जो भी याचिका उच्च न्यायालय में दायर की गई थी वह भी उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई।
जनहित याचिका
सन 1992 में एक याचिका 13 फरवरी 1992 को बालाजी राघवन ने केरल उच्च न्यायालय में और दूसरी जनहित याचिका 24 अगस्त 1992 को मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय में सत्यपाल आनंद द्वारा की गई।
अनुच्छेद 18(1) के अनुसार किसी भी नागरिक पुरस्कार का शीर्षक नहीं हो सकता, जिसके पश्चात 25 अगस्त 1992 को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी नागरिक पुरस्कारों को अस्थाई रूप से निलंबित कर दिया था।
इसके पश्चात उच्चतम न्यायालय की एक स्पेशल डिवीजन बेंच का गठन किया गया जिसमें पांच न्यायधीश चुने गए। इन पांच न्यायाधीशों के नाम थे- एस एम अहमदी, सी जे कुलदीप सिंह, बीपी जीवन रेड्डी, ऍन पी सिंह, और एस सगीर अहमद।
इस स्पेशल डिवीजन बेंच ने निर्णय दिया कि भारत रत्न और पद्म विभूषण अनुच्छेद 18 के तहत शीर्षक नहीं है।
पढ़ें: CAA क्या है? – CAA क़ानून की सभी जानकारी
भारत रत्न प्राप्तकर्ताओं की सूची
साल | नाम | राज्य/देश | तत्कालीन प्रधानमंत्री |
1954 | सी राजगोपालाचारी | तमिलनाडु | जवाहरलाल नेहरू |
सर्वपल्ली राधा कृष्ण | तमिल नाडु | जवाहरलाल नेहरू | |
सी वी रमन | तमिल नाडु | जवाहरलाल नेहरू | |
1955 | भगवान दास | उत्तर प्रदेश | जवाहरलाल नेहरू |
म विश्वेश्वराय | कर्नाटका | जवाहरलाल नेहरू | |
जवाहरलाल नेहरू | उत्तर प्रदेश | जवाहरलाल नेहरू | |
1957 | गोविंद बल्लभ पंत | उत्तराखंड | जवाहरलाल नेहरू |
1958 | धोंडो केशव कर्वे | महाराष्ट्र | जवाहरलाल नेहरू |
1961 | बिधन चंद्र रॉय | वेस्ट बंगाल | जवाहरलाल नेहरू |
पुरुषोत्तम दास टंडन | उत्तर प्रदेश | जवाहरलाल नेहरू | |
1962 | राजेंद्र प्रसाद | बिहार | जवाहरलाल नेहरू |
1963 | जाकिर हुसैन | आंध्र प्रदेश | जवाहरलाल नेहरू |
पांडुरंग वामन काणे | महाराष्ट्र | जवाहरलाल नेहरू | |
1966 | लाल बहादुर शास्त्री | उत्तर प्रदेश | इंदिरा गांधी |
1971 | इंदिरा गांधी | उत्तर प्रदेश | इंदिरा गांधी |
1975 | वी वी गिरी | ओडिशा | इंदिरा गांधी |
1976 | के कामराज | तमिल नाडु | इंदिरा गांधी |
1980 | मदर टेरेसा | पश्चिम बंगाल (मेसेडोनिया में जन्म) | इंदिरा गांधी |
1983 | विनोबा भावे | महाराष्ट्र | इंदिरा गांधी |
1987 | अब्दुल गफ्फार खान | पाकिस्तान | राजीव गांधी |
1988 | एम जी रामचंद्रन | तमिल नाडु | राजीव गांधी |
1990 | बी आर अंबेडकर | महाराष्ट्र | विश्वनाथ प्रताप सिंह |
नेल्सन मंडेला | दक्षिण अफ्रीका | विश्वनाथ प्रताप सिंह | |
1991 | राजीव गांधी | उत्तर प्रदेश | पीवी नरसिम्हा राव |
वल्लभभाई पटेल | गुजरात | पीवी नरसिम्हा राव | |
मोरारजी देसाई | गुजरात | पीवी नरसिम्हा राव | |
1992 | अबुल कलाम आजाद | पश्चिम बंगाल | पीवी नरसिम्हा राव |
जेआरडी टाटा | महाराष्ट्र | पीवी नरसिम्हा राव | |
सत्यजीत राय | पश्चिम बंगाल | पीवी नरसिम्हा राव | |
1997 | गुलजारी लाल नंदा | पंजाब | इंद्र कुमार गुजराल |
अरूणा आसफ अली | पश्चिम बंगाल | इंदर कुमार गुजराल | |
एपीजे अब्दुल कलाम | तमिल नाडु | इंदर कुमार गुजराल | |
1998 | एमएस सुब्बूलक्ष्मी | तमिल नाडु | इंदर कुमार गुजराल |
सी सुब्रमण्यम | तमिल नाडु | इंद्र कुमार गुजराल | |
1999 | जयप्रकाश नारायण | बिहार | अटल बिहारी वाजपेई |
अमर्त्य सेन | पश्चिम बंगाल | अटल बिहारी वाजपेई | |
गोपीनाथ बोर्दोलोई | आसाम | अटल बिहारी वाजपेई | |
रवि शंकर | उत्तर प्रदेश | अटल बिहारी वाजपेई | |
2001 | लता मंगेशकर | महाराष्ट्र | अटल बिहारी वाजपेई |
बिस्मिल्लाह खान | उत्तर प्रदेश | अटल बिहारी वाजपेई | |
2009 | भीमसेन जोशी | कर्नाटक | मनमोहन सिंह |
2014 | सी एन आर राव | कर्नाटक | मनमोहन सिंह |
सचिन तेंदुलकर | महाराष्ट्र | मनमोहन सिंह | |
2015 | मदन मोहन मालवीय | उत्तर प्रदेश | नरेंद्र मोदी |
अटल बिहारी वाजपेयी | मध्य प्रदेश | नरेंद्र मोदी | |
2019 | प्रणब मुख़र्जी | पश्चिम बंगाल | नरेंद्र मोदी |
भूपेन हज़ारिका | असम | नरेंद्र मोदी | |
नानाजी देशमुख | महाराष्ट्र | नरेंद्र मोदी |