दोस्तों, भाषा एक ऐसा साधन है जिसकी मदद से हम अपने विचार जो हमारे मन में होते हैं, उन्हें दूसरों को व्यक्त करते हैं। हमारे मुख से निकलने वाली वाचक ध्वनियों से हम एक दूसरे को अपने विचार या बात बता पाते हैं उसे भाषा कहते हैं।
भाषा की परिभाषा
भाषा की कई तरह की परिभाषा हम दे सकते हैं। भाषा की कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:-
- भाषा हमारी मुख से निकलने वाले वाचक ध्वनियों से बनी शब्द या वाक्यों का समूह है जिनकी मदद से हम अपनी बात या अपने मन के विचारों को दूसरे व्यक्ति के सामने रख सकते हैं या व्यक्त कर सकते हैं।
- एक ऐसा साधन जिसकी मदद से व्यक्ति अपने विचार किसी दूसरे व्यक्ति के सामने रखता है और उन विचारों को व्यक्त करने के लिए जिन शब्दों और वाक्यों के समूह का उपयोग किया जाता है उसे भाषा कहते हैं।
- अपने मन के विचारों को बोलकर व्यक्त करना और बोलने में उपयोग होने वाली वाचक ध्वनियाँ जिनसे शब्द और वाक्य बनते हैं उन शब्द और वाक्यों के समूह को भाषा कहा जाता है।
वाचक ध्वनियां और स्वर एक सुसज्जित व्यवस्था में मिलकर शब्दों का निर्माण करते हैं, और शब्दों से वाक्यों का निर्माण किया जाता है जिनसे कोई भी व्यक्ति अपने विचार दूसरे को समझा पाता है या व्यक्त कर पता है। इन शब्दों और वाक्यों के उच्चारण से एक बात किसी दूसरे व्यक्ति को बताई जाती है, जिसे बोली, भाषा, ज़बान आदि भी कहा जाता है।
पूरे संसार में हज़ारों प्रकार की भाषाएँ मौजूद हैं और अलग अलग जगह पर अलग अलग भाषाएँ बोली जाती है। किसी भी साधारण व्यक्ति के लिए भी अपनी भाषा को छोड़कर किसी दूसरी भाषा को समझना आसान नहीं होता। बचपन से ही हम किसी समाज या देश की भाषा बोलते हैं और उसे अच्छी तरह समझते हैं, इसका कारण है कि हम बचपन से ही उस भाषा को सुनने वह बोलने में अभ्यस्त रहते हैं।
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किसी भी भाषा की अनेकों उपभाषा हो सकती है और एक भाषा कई तरह की लिपियों में भी लिखी जा सकती है। या दो या दो दो से अधिक भाषाओं की एक लिपि हो सकती है।
बोली, विभाषा और भाषा में अंतर
भाषा और बोली में मौलिक अंतर बता पाना आसान नहीं है क्यों की बोली एक भाषा का ही छोटा रूप होता है। लेकिन बोली और भाषा में अंतर क्षेत्र के विस्तार और व्यवहार पर निर्भर करता है।
- बोली और भाषा में बहुत कम अंतर होता है बोली भाषा की एक छोटी इकाई है। बोली को हम एक बोल-चाल वाली भाषा या लहजे के रूप में समझ सकते हैं जो अलग अलग जगह पर भिन्न हो सकती है। इसको हम एक उदाहरण से आसानी से समझ सकते हैं – किसी भी एक बात को कहने के लिए एक व्यक्ति जो किसी A गाँव में रहता है उसका लहजा किसी दूसरे व्यक्ति जो किसी B गाँव में रहता है से अलग हो सकता है। यह लहजा थोड़ी दूरी पर बदलता रहता है और भाषा की इस चोटी इकाई को बोली कहते हैं।
- विभाषा बोली का एक विस्तृत रूप होता है जिसे किसी प्रांत या उप-प्रांत में बोला जाता है। किसी एक वि-भाषी क्षेत्र में अलग अलग बोली स्थानीय भेदों के आधार पर मिलती हैं।
- भाषा, विभाषा का विकसित और आदर्श रूप होता है जिसे किसी देश या अलग अलग देशों में बोला जाता है।
भाषा के प्रकार / भाषा के भेद
भाषा के तीन प्रकार या भेद होते हैं –
1. कथित भाषा / मौखिक भाषा : जो हम एक दूसरे को बोलकर अपने विचार व्यक्त करते हैं या सुनते हैं, उसे कथित भाषा या मौखिक भाषा कहा जाता है।
कथित भाषा का उदाहरण: जब दो व्यक्ति बोलकर आपस में बात करते हैं और विचारों को एक दूसरे तक पहुँचते हैं तो ये कथित भाषा है।
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2. लिखित भाषा : लिखित भाषा का वो रूप होता है, जिसे लिख कर या पढ़ कर विचारों का आदान प्रदान किया जाता है।
लिखित भाषा का उदाहरण: जैसे आप अब हिंदी डेटा वेबसाइट पर दी गयी जानकारी को पढ़ और समझ रहे हैं। यह लिखित भाषा है। लिखित भाषा का उपयोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक अपने विचारों को पहुँचने में भी किया जाता है।
3. सांकेतिक भाषा : सांकेतिक भाषा में विचारों को संकेतों और इशारों से आदान प्रदान किया जाता है। इन संकेतों के लिए शरीर के अंगो का उपयोग किया जाता है। सांकेतिक भाषा में ध्वनि का उपयोग भी किया जाता है।
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सांकेतिक भाषा का उदाहरण: 1. जो व्यक्ति बोल नहीं पाते वो अपनी बात इशारों से कहते हैं। 2. ट्रैफ़िक पुलिस का सिपाही अपने इशारों से गाड़ियों को आने जाने या रुकने का निर्देश डेटा है। 3. फ़ुटबाल खेल में रेफ़री सिटी बजाकर खिलाड़ियों को निर्देश देता है।
भाषा के रूप
भाषा के अनेकों रूप हैं और भाषा को न केवल उस शक्ति से पहचाना जाता है जिसके साथ उस भाषा से कविताओं और कहानियों का निर्माण किया गया है कि बल की भाषा व सामाजिक संदर्भों और उद्देश्यों को साकार करने की क्षमता रखती है।
विश्व की अन्य भाषाओं में आजीविका का माध्यम बनने की विशेषताओं के साथ भाषा का एक नया आयाम भी उभर रहा है और इसके अनेकों रूप में सामने आएँ है।
जैसे: राज्यभाषा, राजभाषा, राष्ट्रीय भाषा, संपर्क भाषा, बोलचाल की भाषा, और मानक भाषा आदि।