रविवार, सितम्बर 24, 2023

बृहस्पति ग्रह की संक्षिप्त जानकारी – Brihaspati grah

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इस लेख में हम बृहस्पति ग्रह के बारे में जानेंगे निम्नलिखित विषयों को जानेंगे: बृहस्पति ग्रह की उत्पत्ति या अस्तित्व, बृहस्पति के बारे में, संरचना, बृहस्पति ग्रह पर जीवन की संभावनाएं, पृथ्वी से तुलना, बृहस्पति ग्रह पर ग्रेट रेड स्पॉट (Great Red Spot) क्या है, बृहस्पति के लिए भेजे गए उड़ान अभियान।


बृहस्पति ग्रह

बृहस्पति ग्रह की उत्पत्ति

ब्रह्मांड में सौरमंडल के सभी ग्रहों की उत्पत्ति की प्रक्रिया एक ही है। इसलिए हम पहले यह जान लेते हैं की सौरमंडल कैसे बना क्योंकि बृहस्पति ग्रह भी सौरमंडल के आठ ग्रहों में से एक है।

लगभग 4.6 अरब साल पहले ब्रह्मांड में  सिर्फ धूल के कण और गैस (मुख्यतः हाइड्रोजन व् हीलियम) ही उपस्थित थी जो बहुत तीव्र गति से घूम रहे थे इनके अलावा सिर्फ  अन्धकार फैला था। धीरे धीरे ये धूल कण समीप आने लगे और गुरुत्वाकर्षण के कारन एक दुसरे से जुड़ने लगे।

बहुत सालों की लम्बी अवधि के बाद ये धूल कण बड़ी चट्टानों का रूप लेने लगे और ठोस और सघन हो गए। यह ठोस भाग केंद्र में और गैस के बादल उसके चारों और तेज गति से घूम रहे थे। गुरुत्वाकर्षण के कारण इन गैस के बादलों का दबाव केंद्र की तरफ बढ़ने लगा और तेज गति से घुमने के कारण तथा हाइड्रोजन और हीलियम गैस के कारण न्यूक्लिअर फ़िज़न हुआ और केंद्र वाले ठोस हिस्से में ऊष्मा पैदा हुई।

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उसके बाद कुछ ऐसा हुआ की ये गैस के बादल जो ठोस केंद्र के चारों और घूम रहे थे (डिस्क के आकर में गैस के बादल को नेब्युला कहते हैं) उसमे विस्फोट हुआ। जिससे केंद्र वाला हिस्सा जिसमें ऊष्मा पैदा हो रही थी जिसे अब हम सूर्य कहते हैं अलग हो गया और गैस का ये बादल और धूल कण अलग अलग हिस्सों में बिखर गए। लेकिन गुरुत्वाकर्षण के कारण ये हिस्से एक दुसरे से जुड़ने लगे और धीरे धीरे बड़े हो गए।

विस्फोट के बाद धूल कण और चट्टानें केंद्र वाले हिस्से के समीप घूम रहे थे और गैसीय टुकड़े उससे दूर घूम रहे थे जो धीरे धीरे गुरुत्वाकर्षण के कारण एक दुसरे के समीप आके जुड़ते गए और बड़े होने लग गए जिन्होंने बाद ग्रहों का रूप लिया। इन्हीं ग्रहों में से एक ग्रह है बृहस्पति। उपरोक्त वर्णित प्रक्रिया नेब्युला सिद्धांत पर आधारित है।

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बृहस्पति ग्रह पर एक नजर

बृहस्पति ग्रह को इंग्लिश में जुपिटर कहते हैं और बृहस्पति ग्रह का रंग पीला है। घूर्णन गति तीव्र होने के कारण इसका आकार चपटा हो गया है अर्थात् भूमध्य रेखा पर बहुत कम ही सही लेकिन ध्यान देने लायक़ उभार है।

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सूर्य से दूरी के आधार पर 5वां ग्रह है। यह सौरमंडल में आकर के आधार पर सब ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। यह इतना बड़ा है की सब ग्रहों का द्रव्यमान मिला देने पर भी इसका द्रव्यमान उससे तक़रीबन दो गुना ज्यादा होगा।

गैसीय ग्रहों के रूप में वर्गीकृत किये गए 4 ग्रहों (शनि, बृहस्पति, अरुण, वरुण) में से बृहस्पति भी एक है। कोई हमसे पूछे की बृहस्पति ग्रह के कितने उपग्रह हैं या बृहस्पति ग्रह के कितने चंद्रमा हैं तो हम कह सकते हैं की इसके अब तक 64 उपग्रह हैं जिनमें ‘गैनिमेडे’ पुरे सौरमंडल में सबसे बड़ा उपग्रह है। सौरमंडल के सबसे ज्यादा चमकने वाले पिंडों में से यह चौथा है, पहले तीन सूर्य, चन्द्र और शुक्र हैं। इसलिए इसे हम बिना किसी यंत्र की सहायता लिए खूली आँखों से देख सकते हैं।

Jupiter is 300 times heavier than Earth on a mass basis
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इसका अपनी धुरी पर परिभ्रमण करने का समय सबसे कम है, इसलिए इस ग्रह पर सबसे छोटा दिन होता है। यह ग्रह अपना अपनी धुरी पर परिभ्रमण 9 घंटे 55 मिनट में पूरा कर लेता है। देखने में यह ग्रह पीले रंग का है। सूर्य के चारों और अपनी परिक्रमा करने में बृहस्पति को 12 वर्ष लग जाते हैं। बृहस्पति के चारों और भी शनि ग्रह की तरह छल्ले बने हुए हैं लेकिन वो शनि की तुलना में छोटे और धुंधले हैं।

इन छल्लों के वातावरण में भिन्नता के कारण इनकी सीमा को देखा जा सकता है क्योंकि वातावरण भिन्न होने के कारण ही इनकी सीमा किसी पट्टियों के रूप में दिखती हैं। बृहस्पति एक गैसीय ग्रह है इसलिए इसमें सिर्फ गैस और धूल के बादल ही हैं इसमें ठोस सतह बहुत कम उपस्थित है अर्थात बृहस्पति की कोई जमीन नहीं है।

बृहस्पति ग्रह की संरचना

बृहस्पति मुख्यतः तरल पदार्थों और गैसों से बना है। इस ग्रह के वातावरण में मुख्यतः दो गैस ही पाई जाती है। इसका बाहरी वातावरण 71 प्रतिशत हाइड्रोजन, 24 प्रतिशत हीलियम और 5 प्रतिशत अन्य तत्वों से मिलकर बना है। यहाँ प्रतिशत का अर्थ है अणुओं की मात्रा हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान हीलियम परमाणु का 1/4 होता है। इस ग्रह में ब्रम्हांड के दो सबसे हल्के और सबसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले तत्त्व हैं। इसलिए इसकी रचना सूर्य या किसी तारे के समान लगती है।

इस ग्रह में धूल और गैस के अनेकों विशाल बादल हैं जो अशांत हैं। बहरी वातावरण में जमी हुई अमोनिया के क्रिस्टल मिलते हैं। यह हमेशा अमोनिया बृहस्पति का वातावरण बहुत ही सघन है। इस ग्रह के अन्दर के भाग में घने पदार्थों के होने की आशंका है। कुछ वैज्ञानिकों का मत है की इसके आंतरिक भाग में हाइड्रोजन के उच्च दबाव के कारण हाइड्रोजन ठोस अवस्था में उपलब्ध है।

धातु हाइड्रोजन के कारण ही इसका चुम्बकीय क्षेत्र बाक़ी सब ग्रहों से अधिक शक्तिशाली है। बृहस्पति में अक्रिय गैस भी प्रचुर मात्रा में हैं। सूर्य से भी दो से तीन गुना ज्यादा अक्रिय गैस बृहस्पति में है और यह एक बहुत ठंडा ग्रह है।

बृहस्पति पर जीवन की सम्भावनाएँ

air present in Jupiter Travels at a speed of 500 km
Air present in Jupiter
Travels at a speed of 500 km approx.

बृहस्पति की संरचना को देखते हुए हम कह सकते हैं की बृहस्पति पर जीवन संभव नहीं है। वैसे अब तक बृहस्पति के बाहरी वातावरण का ही स्पष्टता से पता चला है। इसके आंतरिक वातावरण और संरचना से हम पूरी तरह से अवगत नहीं हैं। लेकिन बृहस्पति में उपस्थित विशाल अशांत गैस और धूल के बादल और 500 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली हवाओं को देखकर लगता हैं बृहस्पति पर शायद ही कभी जीवन संभव हो।

बृहस्पति ग्रह की पृथ्वी से तुलना

  • सूर्य से दूरी के आधार पर पृथ्वी तीसरे स्थान पर है और बृहस्पति पांचवे स्थान पर है।
  • आकार के आधार पर बृहस्पति पहले स्थान पर है जबकि पृथ्वी पांचवा बड़ा ग्रह है।
  • बृहस्पति एक गैसीय ग्रह है और पृथ्वी एक ठोस और चट्टानों वाला ग्रह है।
  • बृहस्पति का व्यास पृथ्वी के व्यास से 10 गुना ज्यादा बड़ा है।
  • द्रव्यमान के आधार पर बृहस्पति पृथ्वी से 300 गुना भारी है।
  • बृहस्पति ग्रह में पृथ्वी की तुलना में 100 गुना अधिक सतह क्षेत्र है।
  • पृथ्वी ऑक्सीजन से समृद्ध है जबकि बृहस्पति में हाइड्रोजन और हीलियम ही मुख्य गैस हैं।
  • बृहस्पति पर जीवन संभव नहीं जबकि पृथ्वी ही सौरमंडल का अब तक का इकलोता ग्रह है जहाँ  जीवन की सम्भावनाएँ सर्वाधिक हैं।
  • बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी की तुलना में लगभग दोगुना है।
  • बृहस्पति पर एक दिन पूरा लगभग 10 घंटे का होता है जबकि पृथ्वी पर यह 24 घंटे के लगभग है।
  • पृथ्वी का केवल एक उपग्रह है जबकि बृहस्पति के अब तक के अध्ययन के तहत तक़रीबन 64 उपग्रह है।

बृहस्पति ग्रह पर ग्रेट रेड स्पॉट क्या है? – Brihaspati Grah Par Great Red Spot Kya Hai?

बृहस्पति की मुख्य विशेषताओं में से एक विशेषता है बृहस्पति पर मौजूद एक विशालकाय लाल धब्बा (Great Red Spot)। यह धब्बा इस ग्रह पर स्थित उच्च दाब वाला क्षेत्र है। यह लगभग 25000 किलीमीटर लम्बा तथा लगभग 12000 किलोमीटर चौड़ा है।

यह धब्बा इतना बड़ा है की इसमें दो पृथ्वी समा सकती हैं। यह धब्बा इतना बड़ा होने के कारण इसको पृथ्वी से भू-आधारित दूरबीन से भी आसानी से देखा जा सकता है। इस धब्बे के क्षेत्र वाला ऊपरी भाग बाक़ी क्षेत्रों की तुलना में ऊँचा और ठंडा है। यह लाल धब्बा भूमध्य रेखा के 22 डिग्री दक्षिण में स्थित है।

Brihaspati Grah Par Great Red Spot Kya Hai
Brihaspati Grah Par Great Red Spot Kya Hai

यह लाल धब्बा (Great Red Spot) एक विशाल चक्रवाती तूफ़ान है जो निरंतर बना रहता है अर्थात यह चिरस्थाई है। बृहस्पति के अशांत वातावरण में ऐसे तूफ़ान होना एक साधारण बात है लेकिन यह तूफ़ान बहुत विशाल है। इसके आलावा भी बृहस्पति पर अनेकों सफ़ेद और भूरे धब्बे मौजूद हैं।

सफ़ेद धब्बे शांत बादलों जो की ऊपरी वातावरण के अन्दर होते हैं से मिलकर बने हैं जबकि भूरे धब्बे की प्रकृति गरम होते है और ये परत के अन्दर वाले सामान्य बादलों से बनते हैं।

पढ़ें: मंगल ग्रह की सभी जानकारी।

बृहस्पति ग्रह के लिए भेजे गए उड़ान अभियान

  1. पायनियर 10: दिसम्बर 3, 1973 को यह अन्तरिक्ष यान बृहस्पति तक पहुंचा जिसको अमेरिका की अन्तरिक्ष अनुसन्धान संस्था द्वारा एटलस सेंटौर राकेट की मदद से भेजा गया था। पायनियर 10 पहला अन्तरिक्ष यान था जिसने क्षुद्रग्रह घेरे को पार किया। इसने बृहस्पति की तस्वीरें ली और यह बृहस्पति से थोड़ी दुरी से होता हुआ उससे आगे निकल गया और अन्तरिक्ष के बाहरी क्षेत्र में पहुँच गया, उसके बाद उसका संपर्क पृथ्वी से टूट गया।
  2. पायनियर 11: दिसम्बर 4, 1974 को यह अन्तरिक्ष यान बृहस्पति तक पहुंचा। इसको भी अमेरिका के नासा द्वारा भेजा गया था। इसका भार 260 किलोग्राम था। यह दूसरा अन्तरिक्ष यान था जिसने क्षुद्र ग्रह घेरे को पार किया। यह यान बृहस्पति और शनि ग्रह तक पहुंचा उसके बाद 1995 में उसका पृथ्वी से संपर्क टूट गया।पायनियर 11, दूसरा ऐसा अन्तरिक्ष यान था जिसने एस्केप वेलोसिटी को प्राप्त किया और सौरमंडल से बहार अन्तरिक्ष के बाहरी क्षेत्र में कहीं चला गया।
  3. वॉयेजर 1: मार्च 5, 1979 को यह बृहस्पति और उसके बाद शनि ग्रह तक भी पहुंचा, और इसका भार 815 किलोग्राम है। यह पहला यान है जिसने बृहस्पति के उपग्रहों की तस्वीरें भेजी।नासा का यह अभियान सबसे लम्बा है। यह अन्तरिक्ष यान अब तक काम कर रहा है। इस यान ने बृहस्पति के साथ साथ शनि ग्रह की भी यात्रा की है। यह यान सूर्य और पृथ्वी से अनंत दूरी पर स्थित है और गतिशील है।
  4. वॉयेजर 2: जुलाई 9, 1979 को यह बृहस्पति तक पहुंचा। यह एक मानव रहित अन्तरिक्ष यान था जिसे अमेरिका की नासा संस्था द्वारा भेजा गया/ यह भी वॉयेजर 1 के समान ही था। परन्तु इसकी गति धीमी थी, इसके पथ को युरेनस और नेप्चून तक पहुँचने के अनुकूल बनाने के लिए इसकी गति को धीमा किया गया था।जब शनि ग्रह इसके रस्ते में आया तो उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण यह युरेनस की तरफ हो गया और बृहस्पति के उपग्रह टाइटन का अध्ययन नहीं कर पाया।इस यान की यात्रा के लिए ग्रहों की एक विशेष स्थिति का फायदा उठाया गया जिसमें सब ग्रह एक सीधी रेखा में आते हैं। यह स्थिति 176 वर्ष बाद ही आती है। इस स्थिति का फायदा उठाकर ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करके यान की ऊर्जा को बचाया गया। इसके एक मुख्य विशेषता यह भी थी की इस यान में बहुत कम खर्च हुआ था।
  5. युलिसेस: इस अन्तरिक्ष यान को सूर्य के सब अक्षांशों के अध्ययन के लिए भेजा गया था। इस यान को नासा और यूरोपीय अन्तरिक्ष संस्था “इसा” द्वारा संयुक्त रूप से भेजा गया था। यह यान सौलर बैटरियों से संचालित नहीं हो सकता था इसलिए इसको बृहस्पति से मुठभेड़ करवाया गया ताकि इस रेडियो आइसोटोप थ्र्मोएलेक्त्रिक जनरेटर से संचालित किया जा सके। इसा के अनुरोध पर इस यान को ओडीसियस नाम दिया गया था।
  6. कैसिनी: यह अन्तरिक्ष यान शनि ग्रह और उसके उपग्रहों के अध्ययन के लिए भेजा गया था। बृहस्पति के सन्दर्भ में इतना ही कह सकते हैं की यह यान बृहस्पति को पार करके शनि ग्रह का अध्ययन कर रहा है। सुनने में आया है की इसका संपर्क टूट चूका है और वो शनि ग्रह से टकराकर नष्ट हो चूका है।
Rashvinder
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मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
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