हजारों लाखों लोग कोलेस्ट्रोल की समस्या से जूझ रहे हैं और उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि “कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें?” कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए अनेकों प्रकार की दवाइयां खाई जाती हैं और घरेलू उपचार और घरेलू दवाइयां भी कोलेस्ट्रोल को कम करने में बहुत ही सहायक साबित हुई है।
इस पोस्ट में आप जानेंगे कोलेस्ट्रोल के लक्षण, कोलेस्ट्रोल होने के कारण और कोलेस्ट्रोल को खत्म करने या कम करने का रामबाण उपाय भी आपको यहां पर मिलेगा।
कोलेस्ट्रॉल क्या है?
कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) एक मोम के जैसा ही एक पदार्थ होता है। कोलेस्ट्रॉल का निर्माण यकृत (Liver) में होता है। यह कोशिका झिल्ली के साथ साथ शरीर के हर भाग में होता है।
कोलेस्ट्रॉल, हमारे शरीर में कोशिकाओं, हार्मोन्स और पित्त रस ( Bile Juice) के निर्माण का कार्य करता है, जिससे शरीर के अन्दर वसा को पचाने में सहायता मिलती है। कोशिका झिल्ली में इसका मुख्य कार्य उचित मात्रा में तरलता स्थापित करना होता हैं।
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शरीर में इसकी अधिकता होने से रक्त वाहिकाओं में वसायुक्त पदार्थ जमा हो जाता है जिससे शरीर में रक्त का प्रवाह बाधित होता है, जिसके परिणामस्वरूप हृदय रोग पैदा होता है। अगर यह जमा वसायुक्त पदार्थ टूट जाता है तो रक्त का थक्का बन जाता है जिससे मनुष्य को दिल का दौरा पद सकता है या फिर स्ट्रोक आ सकता है।
कैसे बढ़ता है?
मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि अनियमित जीवन शैली की वजह से होती है और यह समस्या पीढ़ी दर पीढ़ी भी रह सकती है।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
- अनियमित खान – पान
- अनुचित और अनियमित दिनचर्या
- डेयरी पदार्थ, मांस, मछली और अंडे खाने से
- व्यायाम करने के अभाव में
- अत्याधिक मात्रा वाला वसायुक्त खाना खाने से
- अनुवांशिकता के कारण भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है
- मनुष्य के शरीर के भार में अत्याधिक वृद्धि के कारण
- बढ़ती उम्र
बढ़ने के लक्षण
कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का पता हम अपने रक्त की जांच से लगा सकते हैं। लेकिन कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कुछ लक्षण भी हैं जिनको महसूस करके हम इसका पता लगा सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से मिले और उनसे परामर्श करें। वैसे सामान्यतः कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के के लक्षण कुछ ख़ास नहीं है, लेकिन निम्नलिखित लक्षणों से हम अनुमान लगा सकते हैं –
- लगातार मितली आना
- सांस लेने में परेशानी होना
- तीव्र गति से पैदल चलने पर साँसों का फूल जाना
- बाहों और जबड़ों में दर्द महसूस होना
- अत्याधिक पसीना छूटना
- रक्तचाप (Blood Pressure) ज्यादा रहने लग जाए
- सभी स्थितियां सामान्य होने पर भी पैरों में दर्द महसूस होने लग जाए
- खून का गाढ़ा होना
बढ़ने के नुकसान?
व्यक्ति के जीवन में नियमितता होना बहुत जरुरी है। खराब आदतों और जीवन में अनियमितता के कारण बहुत सारी बीमारियाँ होने की सम्भावना बढ़ जाती हैं। जिनमें से एक है शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, इसके बढ़ने से शरीर में कई रोग हो जाते हैं, जो गंभीर रूप भी ले सकते हैं जिससे इन्सान की मृत्यु भी हो सकती है।
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कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से हार्ट अटैक, हार्ट फ़ैल होना या स्ट्रोक आने जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती हैं। कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के सामान्यतया लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसके लक्षण मुख्यतः तभी दिखाई देते हैं जब इसकी मात्रा अत्याधिक बढ़ जाती है। इसलिए समय समय पर अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाते रहें और नियमित व्यायाम करें।
कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से व्यक्ति को निम्नलिखित नुकसान या रोग हो सकते हैं:
- हृदय सम्बन्धी रोग: कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से, वसायुक्त पदार्थ पच नहीं पता है जो की बाद में रक्त वाहनियों में जम जाता है। वसायुक्त पदार्थ के रक्त वाहनियों में जमने से रक्त का प्रवाह बाधित होता है और हृदय तक रक्त का संचार उचित रूप से ना होने से हार्ट अटैक, हार्ट फ़ैल या स्ट्रोक आने की समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
- रक्त संचार बाधित होना: कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से रक्त संचार बाधित होता है जिसके कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में जैसे- दिल, गुर्दा, आँख, मस्तिष्क और शरीर के बाकी हिस्सों में भी रक्त का उचित मात्रा में संचार नहीं हो पाता। इस समस्या के कारण शरीर के इन विभिन्न हिस्सों की कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- नेत्र सम्बन्धी रोग: कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से रक्त संचार का प्रवाह होने में समस्या होती है, जिसके कारण आँखों तक होने वाला रक्त का संचार धीमे हो जाता है या बंद हो जाता है जिससे आँखों की रोशनी धीरे धीरे कम होती जाती है और आँखों की रोशनी ख़त्म भी हो सकती है।
- तनाव (Stress) और चिंता (Tension) की स्थिति उत्पन्न होना: कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से रक्त का संचार शरीर के मुख्य हिस्सों तक उचित मात्र में नहीं हो पता जिससे उन हिस्सों की कार्यप्रणाली पर प्रभाव पड़ता है। ऐसा होने से मनुष्य को कोई ना कोई बीमारी समय समय पर घेर ही लेती है, जिससे मनुष्य हमेशा तनाव और चिंता की स्थिति बनी रहती है जो की अपने आप में बहुत सी बीमारियों के लिए आमंत्रण का कारण होती है।
- मस्तिष्क सम्बन्धी रोग: रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होने के कारण मस्तिष्क तक भी रक्त का संचार उचित रूप से नहीं हो पाता जिसके कारण ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज होने की समस्याएँ पैदा होती हैं।
- गुर्दे सम्बन्धी रोग: रक्त संचार प्रभावित होने से शरीर के विभिन्न हिस्सों के जैसे ही शरीर में गुर्दे पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे शरीर में गुर्दे की समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।