बुधवार, मार्च 22, 2023

कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें – लक्षण, कारण और रामबाण इलाज।

- Advertisement -
- Advertisement -
- Advertisement -

हजारों लाखों लोग कोलेस्ट्रोल की समस्या से जूझ रहे हैं और उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि “कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें?” कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए अनेकों प्रकार की दवाइयां खाई जाती हैं और घरेलू उपचार और घरेलू दवाइयां भी कोलेस्ट्रोल को कम करने में बहुत ही सहायक साबित हुई है।

इस पोस्ट में आप जानेंगे कोलेस्ट्रॉल के बारे में और इसके साथ-साथ आप कोलेस्ट्रोल के लक्षण, कोलेस्ट्रोल होने के कारण और कोलेस्ट्रोल को खत्म करने या कम करने का रामबाण उपाय भी आपको यहां पर मिलेगा।

कोलेस्ट्रॉल क्या है? – What Is Cholesterol in Hindi

कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) एक मोम के जैसा ही एक पदार्थ होता है। कोलेस्ट्रॉल का निर्माण यकृत (Liver) में होता है। यह कोशिका झिल्ली के साथ साथ शरीर के हर भाग में होता है।

कोलेस्ट्रॉल, हमारे शरीर में कोशिकाओं, हार्मोन्स और पित्त रस ( Bile Juice) के निर्माण का कार्य करता है, जिससे शरीर के अन्दर वसा को पचाने में सहायता मिलती है। कोशिका झिल्ली में इसका मुख्य कार्य उचित मात्रा में तरलता स्थापित करना होता हैं।

शरीर में इसकी अधिकता होने से रक्त वाहिकाओं में वसायुक्त पदार्थ जमा हो जाता है जिससे शरीर में रक्त का प्रवाह बाधित होता है, जिसके परिणामस्वरूप हृदय रोग (Heart Disease) पैदा होती है। अगर यह जमा वसायुक्त पदार्थ टूट जाता है तो रक्त का थक्का बन जाता है जिससे मनुष्य को दिल का दौरा पद सकता है या फिर स्ट्रोक आ सकता है।

कोलेस्ट्रॉल कैसे बढ़ता है?

मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि अनियमित जीवन शैली की वजह से होती है और यह समस्या पीढ़ी दर पीढ़ी भी रह सकती है।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

  • अनियमित खान – पान
  • अनुचित और अनियमित दिनचर्या
  • डेयरी पदार्थ, मांस, मछली और अंडे खाने से
  • व्यायाम करने के अभाव में
  • अत्याधिक मात्रा वाला वसायुक्त खाना खाने से
  • अनुवांशिकता के कारण भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है
  • मनुष्य के शरीर के भार में अत्याधिक वृद्धि के कारण
  • बढ़ती उम्र

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण

कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का पता हम अपने रक्त की जांच से लगा सकते हैं। लेकिन कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कुछ लक्षण भी हैं जिनको महसूस करके हम इसका पता लगा सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से मिले और उनसे परामर्श करें। वैसे सामान्यतः कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के के लक्षण कुछ ख़ास नहीं है, लेकिन निम्नलिखित लक्षणों से हम अनुमान लगा सकते हैं –

  • लगातार मितली आना
  • सांस लेने में परेशानी होना
  • तीव्र गति से पैदल चलने पर साँसों का फूल जाना
  • बाहों और जबड़ों में दर्द महसूस होना
  • अत्याधिक पसीना छूटना
  • रक्तचाप (Blood Pressure) ज्यादा रहने लग जाए
  • सभी स्थितियां सामान्य होने पर भी पैरों में दर्द महसूस होने लग जाए
  • खून का गाढ़ा होना

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के नुकसान?

व्यक्ति के जीवन में नियमितता होना बहुत जरुरी है। खराब आदतों और जीवन में अनियमितता के कारण बहुत सारी बीमारियाँ होने की सम्भावना बढ़ जाती हैं। जिनमें से एक है शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, इसके बढ़ने से शरीर में कई रोग हो जाते हैं, जो गंभीर रूप भी ले सकते हैं जिससे इन्सान की मृत्यु भी हो सकती है।

कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से हार्ट अटैक, हार्ट फ़ैल होना या स्ट्रोक आने जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती हैं। कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के सामान्यतया लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसके लक्षण मुख्यतः तभी दिखाई देते हैं जब इसकी मात्रा अत्याधिक बढ़ जाती है। इसलिए समय समय पर अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाते रहें और नियमित व्यायाम करें।

कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से व्यक्ति को निम्नलिखित नुकसान या रोग हो सकते हैं:

  • हृदय सम्बन्धी रोग: कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से, वसायुक्त पदार्थ पच नहीं पता है जो की बाद में रक्त वाहनियों में जम जाता है। वसायुक्त पदार्थ के रक्त वाहनियों में जमने से रक्त का प्रवाह बाधित होता है और हृदय तक रक्त का संचार उचित रूप से ना होने से हार्ट अटैक, हार्ट फ़ैल या स्ट्रोक आने की समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
  • रक्त संचार बाधित होना: कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से रक्त संचार बाधित होता है जिसके कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में जैसे- दिल, गुर्दा, आँख, मस्तिष्क और शरीर के बाकी हिस्सों में भी रक्त का उचित मात्रा में संचार नहीं हो पाता। इस समस्या के कारण शरीर के इन विभिन्न हिस्सों की कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • नेत्र सम्बन्धी रोग: कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से रक्त संचार का प्रवाह होने में समस्या होती है, जिसके कारण आँखों तक होने वाला रक्त का संचार धीमे हो जाता है या बंद हो जाता है जिससे आँखों की रोशनी धीरे धीरे कम होती जाती है और आँखों की रोशनी ख़त्म भी हो सकती है।
  • तनाव (Stress) और चिंता (Tension) की स्थिति उत्पन्न होना: कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से रक्त का संचार शरीर के मुख्य हिस्सों तक उचित मात्र में नहीं हो पता जिससे उन हिस्सों की कार्यप्रणाली पर प्रभाव पड़ता है। ऐसा होने से मनुष्य को कोई ना कोई बीमारी समय समय पर घेर ही लेती है, जिससे मनुष्य हमेशा तनाव और चिंता की स्थिति बनी रहती है जो की अपने आप में बहुत सी बीमारियों के लिए आमंत्रण का कारण होती है।
  • मस्तिष्क सम्बन्धी रोग: रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होने के कारण मस्तिष्क तक भी रक्त का संचार उचित रूप से नहीं हो पाता जिसके कारण ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज होने की समस्याएँ पैदा होती हैं।
  • गुर्दे सम्बन्धी रोग: रक्त संचार प्रभावित होने से शरीर के विभिन्न हिस्सों के जैसे ही शरीर में गुर्दे पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे शरीर में गुर्दे की समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।

कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें?

जैसा की हम जानते ही हैं की कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से शरीर में कितनी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो की किसी की मौत का कारण भी बन सकती हैं। इसलिए हमें कोलेस्ट्रॉल की समय समय पर जांच करवाते रहना चाहिए और हमें कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण के लिए या कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए प्रयास करने चाहिए

हमें अपने कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को संतुलन में रखना चाहिए, और इसके बढ़ने का मुख्य कारण हमारी जीवनशैली में अनियमितता का होना है। हमें कोलेस्ट्रॉल को संतुलित करने के लिए या कम करने के लिए अपनी दिनचर्या में नियमितता लानी चाहिए, खाना पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए और नियमित व्यायाम अवश्य करें।

कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकने या बढ़ने के बाद उसे कम करने के लिए विभिन्न प्रकार के योगासन कर सकते हैं। नियमित व्यायाम या योगासन करने से रक्त वाहिकाओं में रक्त का प्रवाह जो वसायुक्त पदार्थ के जमने से बाधित हो जाता है वो प्रवाह संचारित होना शुरू हो सकता है। हम कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए घरेलु नुस्खे इस्तेमाल कर सकते हैं।

अपने खान पान पर ध्यान रखें तो भी कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। होम्योपैथी दवाओं का इस्तेमाल करके भी कोलेस्ट्रॉल कम कर सकते हैं।

उपरोक्त वर्णित कोलेस्ट्रॉल को कम करने के उपायों का नीचे विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है।

1. कोलेस्ट्रॉल कम करने की एक्सरसाइज ( Exercise )

  • दौड़ना (Running): रोज सुबह और शाम तेज गति से चलना या दौड़ना हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने और उच्च रक्त चाप (High Blood Pressure) को कम करने का बेहतर उपाय है। अगर आपको दौड़ना पसंद है तो यह उपाय कोलेस्ट्रॉल के संतुलन के लिए श्रेष्ठ उपायों में से एक है। अगर आपकी उम्र ज्यादा है और आप दौड़ नहीं सकते तो तीज गति से चलना (Jogging) भी दौड़ने की तरह ही कोलेस्ट्रॉल को कम करने का एक बेहतर उपाय है।
  • चलना (Walking): दौड़ने और तेज गति से चलने से कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। इसके साथ साथ हम खाना खाने के बाद सुबह शाम अगर थोडा बाहर खुले में टहलें या चलें तो इससे भी कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद मिलती है। यह उपाय ज्यादा उम्र वाले लोगों के लिए है जो दौड़ नहीं सकते। इस उपय से भी दौड़ने की तरह ही कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है।
  • तैरना (Swimming): तैरने से भी शरीर की कैलोरी को बर्न करने और उच्च रक्त चाप और कोलेस्ट्रॉल को कम करने का श्रेष्ठ तरीका है। तैराकी में शरीर के हर अंग की कसरत हो जाती है। इससे रक्त का प्रवाह शरीर के हर हिस्से में संचार उचित मात्रा में होने में मदद मिलती है। तैरने से कोलेस्ट्रोल को कम करने, वसा को पचाने और वजन को कम करने में बहुत मदद मिलती है। गर्मी में तैराकी करने से शरीर में कोलेस्ट्रोल को कम करने के साथ साथ हम शरीर को ठंडा भी कर सकते हैं।
  • साइकिलिंग  (Cycling): साइकिलिंग करना भी दौड़ने, तेज चलने और तैरने के जैसे ही कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए बहुत कारगर साबित हुआ है। साइकिलिंग करने से शरीर की ऊर्जा खर्च होती है जिससे कैलोरी बर्न होती है। कभी कभी देखा जाता है की दौड़ने या तेज चलने से जोड़ों में दर्द की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, लेकिन साइकिलिंग में ऐसा होना कम ही संभव है। अगर आपके पास समय कम हो तो साइकिलिंग की व्यवस्था घर में भी हो सकती है। साइकिलिंग करने से हार्ट फ़ैल होने या हार्ट अटैक होने के खतरे की सम्भावना कम हो जाती हैं।

2. कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए योग आसन

  • अर्धमत्स्येन्द्रासन: इस आसन से हमारे यकृत (Liver) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस आसन को करने से हमारी पचाने की शक्ति मजबूत होती है। इसके साथ साथ इससे कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण कर सकते हैं और इसे कम कर सकते हैं। इस आसन को करने से रीड की हड्डी कोमल हो जाती है। इस आसन को करने की जो मुद्रा है उससे पेट की मासपेशियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • सूर्य नमस्कार: यह आसन प्रातः रोजाना करना चाहिए। इस आसन में 8 आसनों को शामिल किया जाता है। इस आसन को करने से पेट की मासपेशियों में खिंचाव होता है जिससे कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है। इसके साथ साथ इस आसन से शरीर में मेटाबौलिक रेट बढ़ जाती है जिससे हमारा वजन भी कम हो जाता है। इस आसन को बिलकुल शांति से करें, कभी जल्दबाजी में ना करें और इसे करने के तुरंत बाद नहाना नहीं चाहिए।
  • चक्रासन: इस आसन को करने से हम पेट की समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इससे हमारे पेट की मांसपेशियों की मालिश हो जाती है। इससे पेट जुडी समस्याओं से निदान पाया जा सकता है। इसके साथ साथ इस आसन को करने से हम अपने कोलेस्ट्रॉल की स्तर पर भी नियंत्रण रख सकते हैं।
  • ​कपालभाति: इस आसन को करने से पेट की मांसपेशियों पर प्रभाव पड़ता है और हमारी पेट सम्बन्धी समस्याएँ दूर होती हैं। इस आसन को करने से शरीर की मेटाबौलिक रेट बढ़ जाती है जिससे हमारा वजन कम होता है। इस आसन को करने से हम अपने अवांछनीय कोलेस्ट्रॉल को भी कम कर सकते हैं।
  • सर्वांगासन: इस आसन को हम ‘आसनों की रानी’ भी कहते हैं। इस आसन को करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा होता है। इस आसन को करने से थाइरोइड हार्मोन्स को नियंत्रित करने में बहुत मदद मिलती है। इससे चर्बी, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन को तोड़ने में बहुत सहायता मिलती है। इसके साथ साथ इस आसन को करने से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी बहुत मदद मिलती है।
  • वज्रासन: वज्रासन को करने से मासपेशियों की ऐठन ख़तम की जा सकती है। इस आसन को करने से कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। कोलेस्ट्रॉल कम करने का यह बेहतर आसन है। इससे हम अपने कोलेस्ट्रॉल के साथ साथ वजन पर भी नियंत्रण रख रकते हैं।
  • शलभासन: देखने में ऐसा लगता है जैसे इस आसन को करना आसान है, लेकिन ऐसा नहीं है इस आसन को करना भी कठिन है। इस आसन से कन्धों और बाँहों को मजबूती मिलती है। इस आसन को करने से पाचन क्रिया मजबूती होती है। इस आसन को करने से अवांछनीय कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है और कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण किया जा सकता है। इस आसन को गर्भवती महिलायें और माईग्रेन की समस्या वाली ना करें।
  • पशिमोतानासन: इस आसन को करने से हमारा वजन कम होता है। इसके साथ साथ अवांछनीय वसा को दूर करने के लिए और कोलेस्ट्रॉल को कम करके उस पर नियंत्रण रखने के लिए यह आसन बहुत कारगर है।

3. कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर क्या न खाएं

  • कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर चिकन से परहेज करें: वैसे तो सामान्यतया चिकन को हम कम वसा वाला खाद्य पदार्थ मानते हैं। लेकिन चिकन की त्वचा (Skin) में वसा, कैलोरी और कोलेस्ट्रॉल संतृप्त मात्रा में मौजूद होता है। मुर्गियों के पैरों (Legs) में कोलेस्ट्रोल और वसा जैसे पदार्थ ज्यादा मात्रा में मौजूद होते हैं। चिकन को पकाने के बाद इन सब पदार्थों की मात्रा और बढ़ जाती है। अगर आप चिकन खाने से खुद को रोक नहीं पाते हैं तो कम से कम चिकन पकाने या बनाने से पहले चिकन की त्वचा को उतर दें उसके बाद खाएं। ऐसा करने पर आप अत्याधिक मात्रा में कोलेस्ट्रॉल को खाने से खुद को बचा सकेंगे।
  • कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर मीट खाने से परहेज करें: वैसे तो मीट में अधिक मात्रा में प्रोटीन होती है, लेकिन मीट में खराब वसा और कोलेस्ट्रॉल का भंडार भी होता है। सूअर का मांस, बीफ, मटन, कलेजी और प्रोसेस्ड मीट में अत्याधिक मात्रा में सफ़ेद वसा मौजूद होती है जो की कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देती है। वसा के प्रकार और वसा की गुणवत्ता कोलेस्ट्रॉल को प्रभावित करती है। इसलिए हमें खराब वसा खाने से परहेज करना चाहिए।
  • कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर तले हुए खाने से परहेज करें: तले हुए खाद्य पदार्थ हमारे शरीर के लिए हर प्रकार से बहुत हानिकारक होते हैं। तले हुए खाने से हमारे शरीर में पानी की कमी की समस्या पैदा होती है। जिस तेल में खाने के पदार्थ को तला जाता है वह अत्याधिक वसा से युक्त होता है। ऐसे खाने से हमारे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे खाने से हमारा वजन बढ़ता है और हमारे पाचन तंत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर आप तले हुए खाने के शौक़ीन हैं और खुद को ऐसा खाना खाने से रोक नहीं पाते हैं तो कम से कम ऐसे तले हुए खाने को खाएं जो जैतून या सूरजमुखी के तेल में तले हुए हों। इन तेलों में तला हुआ खाना कम हानिकारक होता है।
  • कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर ज्यादा वसा युक्त डेयरी उत्पाद से परहेज करें: डेयरी उत्पादों में अधिक मात्रा में खनिज और कैल्शियम होता है जिससे हमारे शरीर की कैल्शियम और खनिज पदार्थों की ज़रूरत पूरी होती है। इन उत्पादों के को खाने से हमारी हड्डियों और दाँतों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेकिन ऐसे डेयरी उत्पाद जिनमें वसा की मात्रा अधिक होती है जैसे- बटर, अधिक वसा युक्त दूध और पनीर आदि को खाने से बचना चाहिए। क्योंकि इनमें कोलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक होती है। हमेशा कम वसा वाले डेयरी उत्पाद ही खाएं। एक दिन में हमारे शरीरी में 72% कोलेस्ट्रॉल की मात्रा की जो खपत होती है उसके बराबर कोलेस्ट्रॉल हमें 100 ग्राम बटर खाने से ही मिल जाती है। क्योंकि 100 ग्राम बटर में लगभग 215 मिली. ग्राम कोलेस्ट्रॉल मौजूद होता है।

उपरोक्त वर्णित पदार्थों के अलावा भी ऐसे कुछ खाद्य पदार्थ हैं जिनका परहेज हमें कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की स्थिति में करना चाहिए जैसे- अंडे के अन्दर का पीला भाग (योक), ट्रांस वसा (बिस्किट और चिप्स आदि), दुग्ध उत्पाद (क्रीम और चीज), तेल से भरपूर पदार्थ (नारियल तेल और मक्खन), वसा युक्त खाना (मछली, मीट, पोल्ट्री) और बाजार का खाना।

4. कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज – घरेलू उपाय

आज से हजारों साल पहले जब हमारे पास कोई दवाइयां नहीं होती थी, तब घर में दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली चीजों से ही बीमारियों का उपचार हो जाता था। वर्तमान में मनुष्य के व्यस्त जीवन और अनुचित खान पान से शरीर में बीमारियाँ होने की सम्भावनाएँ बहुत बढ़ गई हैं।

कोलेस्ट्रॉल को संतुलित रखने और कम करने के लिए अगर दवाइयों का इस्तेमाल ज्यादा करेंगे तो उनके दुष्परिणाम भी होंगे। इसलिए हमें अपने खान पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए और नियमित व्यायाम करना चाहिए। हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली चीजों से भी घर में ही इसे कम करने का उपाय कर सकते हैं।

ये घरेलू नुस्खे बहुत लाभदायक होते हैं। कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने के घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं:

  • लहसुन: लहसुन में एलिसिन नामक एक यौगिक होता है जो इसे कम करने में और उसको नियंत्रण करने में बहुत लाभदायक होता है। लहसुन का सेवन करने से हम अपने कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के साथ साथ अपनी पाचन क्रिया को मजबूत और उच्च रक्त चाप को भी कम कर सकते हैं। हमें लहसुन की चाय बनाकर पीनी चाहिए या फिर हमें लहसुन को छिलके समेत चबाना चाहिए। इससे हमारे कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी सहायता मिलेगी और हमारा वजन भी कम होगा।
  • प्याज़: मुख्यतः लाल रंग का प्याज कोलेस्ट्रॉल को कम करने में अहम् भूमिका निभाता है। प्याज अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ता है और खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है। हम एक चम्मच प्याज के रस को एक चम्मच शहद में मिलकर इस मिश्रण को रोजाना पी सकते हैं। हम एक कप छाछ में प्याज को काटकर मिलाके और उसमें एक चम्मच काली मिर्च मिलाकर रोजाना पी सकते हैं।
  • अखरोट: अखरोट में बहुत अधिक मात्रा में पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। अखरोट को खाते ही तुरंत हमारे शरीर को शक्ति मिलती है। अखरोट में फाइबर, ओमेगा 3, मग्निसियम, कोपर और फोस्फोरस जैसे तत्त्व अत्याधिक मात्रा में पाए जाते हैं। अखरोट का सेवन करने से हमारे शरीर में रक्त वाहिकाओं में जमा खराब कोलेस्ट्रॉल पिघल जाता है और वापिस यकृत की तरफ प्रवाहित होने लग जाता है। इसलिए रोजाना सुबह चार से पांच अखरोट अवश्य खाने की आदत बनाएं।
  • अलसी पाउडर: अलसी पाउडर के अन्दर ओमेगा 3 फैटी एसिड और लिनोलेनिक एसिड मौजूद होता है। यह हमारे शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में कारगर भूमिका निभाता है। अलसी के बीज या फिर फ्लेक्स बीज खाने से हमारी पाचन क्रिया में भी सुधार होता है और इससे हृदय पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हम अलसी के बीज के पाउडर को दूध के साथ या फिर गर्म पानी के साथ सेवन कर सकते हैं।
  • निम्बू (Lemon): निम्बू के अन्दर विटामिन सी अत्याधिक मात्रा में मौजूद होता है। निम्बू का सेवन करने से खराब कोलेस्ट्रॉल पाचन क्रिया के द्वारा बाहर निकला जा सकता है। निम्बू का सेवन करने से हम Cholesterol को कम करने के साथ साथ इन्फेक्शन को भी कम कर सकते हैं। हम निम्बू के रस को सब्जी में डाल सकते हैं, निम्बू का शरबत बना कर पी सकते हैं, निम्बू को सलाद पर निचोड़ कर भी सेवन कर सकते हैं।
  • दलिया (Oats): दलिये (Oats) के अन्दर बीटा ग्लूकोन नाम का गाढ़ा चिपचिपा पदार्थ होता है जिससे हमारी आँतों की सफाई हो जाती है और इससे कब्ज की समस्या भी दूर हो सकती है। इसका सेवन करने से खराब कोलेस्ट्रॉल अवशोषित नहीं हो पाता है। वैज्ञानिकों के एक शोध के अनुसार अगर हम तीन महीने तक लगातार इसका सेवन करते रहें तो हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) की मात्रा में 5% तक कमी आ सकती है।
  • संतरे का जूस: रोजाना संतरे का जूस पीने से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत मदद मिलती है। संतरे के अन्दर विटामिन सी, फ्लेवोनोइड और फोलेट पाया जाता है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार रोजाना 750 मिलीलीटर संतरे का जूस पीने से हमारा खराब कोलेस्ट्रॉल कम होता है और अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। संतरे के जूस में स्टेरोल के गुण विद्यमान होने से यह और भी ज्यादा कारगर सिद्ध होता है। इसलिए रोजाना संतरे का जूस पीने की आदत बनाएं।
  • मछली का तेल: मछली के तेल में भरपूर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है। इसके सेवन से हम हृदय रोगों से बच सकते हैं और खून में वसा की मात्रा को कम किया जा सकता है। इसलिए रोजाना 1-4 ग्राम मछली के तेल का सेवन करने की आदत बनाएं।
  • सेब सिरका: सेब के सिरके के सेवन करने से हम कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं और यह एक बेहतर घरेलू उपाय है। इससे ना केवल कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है बल्कि उच्च रक्त चाप, स्वसन संक्रमण और गुप्त रोगों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। महीने में कम से कम दो से तीन बार इसका सेवन करें। इसको हम एक गिलास पानी में एक चम्मच मिलकर पी सकते हैं।
  • धनिया के बीज: धनिया के बीजों का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत मदद मिलती है। इसके साथ साथ इसका सेवन करने से शुगर के रोग पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसको हम एक गिलास पानी में दो चम्मच धनिया के बीज का पाउडर डालकर, इसे उबालकर छान लें उसके बाद हम इसी मिश्रण को दिन में दो या तीन बार में पिएँ। हम इलायची, दूध और चीनी भी इस मिश्रण में मिला सकते हैं।

5. कोलेस्ट्रॉल कम करने की होम्योपैथिक दवा

  • लायकोपोडियम (Lycopodium): इस दवा को कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली होम्योपैथिक दवाओं में सम्मिलित किया जाता है। इस दवा के सेवन से यकृत (Liver) और हृदय (Heart) में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा संतुलित रहती है। डॉक्टर से परामर्श करके इस दवा का सेवन कर सकते हैं।
  • अल्फाल्फा (Alfalfa): यह दवा कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए मशहूर दवाओं में शामिल है। इस दवा में विटामिन ए (A), विटामिन (C), विटामिन इ (E) और विटामिन के (K) मौजूद होने से कोलेस्ट्रॉल को अवशोषित करने में कमी आती है जिससे कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
  • कोलेस्ट्रीनम लैट (Cholesterinum Latt): यह दवा भी कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली महत्वपूर्ण दवाओं में शामिल है। इस दवा के तौर पर डॉक्टर ट्राईटुरेशन गोली (Trituration Tablet) को लेने की सलाह देते हैं। इस दवा में हर्ब्स, सक्रिय केमिकल और प्राकृतिक खनिज पदार्थ होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित रखने में बहुत कारगर साबित होते हैं।
  • अवेना सतिवा (Avena Sativa): यह दवा भी कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए डॉक्टर द्वारा बताई जाती है। इस दवा का सेवन करने से भी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में सहायता मिलती है। इसके साथ साथ यह दवा सुगर को अवशोषित करने में भी सहायक है। इससे रक्त सुगर स्तर (Blood Sugar Level): संतुलित रहता है।
  • कोलेस्ट्रीनम (Cholesterinum): इस दवा को भी डॉक्टरों द्वारा प्रेसक्राइब किया जाता है कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए। यह दवा आट्रीयाल वॉल में भी नुक्सान होने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

Note : किसी भी दवा को लेने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।

ज़रूर पढ़ें: गेहूं से एलर्जी – लक्षण, टेस्ट और इलाज।

कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए

कोलेस्ट्रॉल का निर्माण यकृत में होता है। हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा संतुलित होनी चाहिए। लेकिन बहुत से लोगों को यह नहीं पता होता की हमारे शरीर में किस प्रकार के कोलेस्ट्रॉल की कितनी मात्रा आदर्श रूप में होनी चाहिए।

कोलेस्ट्रॉल मुख्यतः दो प्रकार का होता है-

  1. हाई डेंसिटी लिपोप्रोटिन (High Density Lipoprotein, HDL)
  2. लो डेंसिटी लिपोप्रोटिन (Low Density Lipoprotein, LDL)

HDL कोलेस्ट्रॉल को हम अच्छा कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। HDL में चर्बी (Fat) की तुलना में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। इस कोलेस्ट्रॉल के होने से हृदय सम्बन्धी रोगों के कम होने की सम्भावना होती हैं।

वहीँ दूसरी तरफ LDL कोलेस्ट्रॉल होता है, जिसे हम खराब कोलेस्ट्रॉल भी कहते हैं। LDL में चर्बी (Fat) की जगह पर प्रोटीन की अधिकता होती है। LDL के कारण हमारे शरीर में हृदय रोग और अन्य कोलेस्ट्रॉल के असंतुलन सम्बन्धी रोग पनपते हैं।

उपरोक्त वर्णित दोनों प्रकार के अलावा भी एक वसा का प्रकार है जिसे ट्राईग्लिसरोइड (Triglycerides) कहते हैं। यह भी हमारे रक्त में होता है। हमारा शरीरी इसके द्वारा ऊर्जा बनाता है। ट्राईग्लिसरोइड की मात्रा भी संतुलित होनी चाहिए।

हमारे शरीर कोनसा कोलेस्ट्रॉल कितनी मात्रा में होना चाहिए इसका वर्णन निम्नलिखित है:

  • सामान्यतया कोलेस्ट्रॉल की मात्रा शरीर में 200mg/dl से कम ही रहना चाहिए। LDL की मात्रा 100mg/dl से कम रहनी चाहिए और HDL की मात्रा शरीर में 60mg। dl से ज्यादा ही होनी चाहिए। इसके साथ साथ ट्राईग्लिसरोइड की मात्रा 150mg/dl से कम रहनी श्रेष्ठ मानी जाती है।
  • वयस्कों में पुरुषों के लिए HDL की मात्रा 40mg/dl से ज्यादा और महिलाओं के लिए 50mg। dl से ज्यादा होना बेहतर रहता है और LDL की मात्रा अगर कोरोनरी आर्टरी बिमारी हो तो 70mg/dl से कम ही होनी चाहिए। इसके साथ साथ वयस्कों में ट्राईग्लिसरोइड की मात्रा 149mg। dl से कम रहना चाहिए।
  • बच्चों या किशोरों के लिए HDL की मात्रा 45mg/dl से ज्यादा और LDL की मात्रा 110mg/dl से कम होनी चाहिए। इसके साथ साथ ट्राईग्लिसरोइड की मात्रा 9 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों में 75mg/dl से कम और 10 वर्ष से 19 वर्ष तक के किशोरों के लिए इसकी मात्रा 90mg। dl से कम होनी चाहिए।

कोलेस्ट्रॉल कम होने के नुकसान

वैसे तो कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होना अच्छा समझा जाता है, लेकिन अगर यह मात्रा बहुत कम हो जाती है तो इससे हमें कुछ बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके स्तर को बढ़ने से रोकने के साथ-साथ, हमें इसको इसके आदर्श स्तर पर बनाये रखने की कोशिश भी करनी चाहिए।

कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को इसके आदर्श स्तर से ज्यादा कम नहीं होने देना चाहिए। अगर यह मात्रा ज्यादा कम हो जाती है तो हमें केंसर, उम्र कम होना अर्थात् जल्दी मरने की सम्भावना बढ़ना, मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

  • केंसर: हमारे शरीर में वैसे तो LDL ज्यादा होना हानिकारक होता है। लेकिन LDL हमारे शरीर में केंसर होने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अगर ज्यादा कम हो जाती है तो केंसर होने की संभावना बढ़ जाती है और इससे लड़ने के लिए हमारे शरीर की क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • उम्र कम होना: एक अध्ययन में पता चला है की अगर हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा कम है तो इससे हमारी उम्र कम हो जाती है।
  • मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव: कोलेस्ट्रॉल हमारे मस्तिष्क की याद रखने की क्षमता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी मात्रा अगर ज्यादा कम हो जाती है तो हमारी याद्दास्त पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अक्सर देखा गया है की कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाइयों को मस्तिष्क की क्षमता कम करने वाली दवाइयां भी कहा जाता है।
  • हिंसक प्रवृति: कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होने से देखा गया है की गुस्सा ज्यादा आने लग जाता है। अधिक गुस्सा आने से व्यवहार हिंसक प्रवृति का हो जाता है। इसके निम्न स्तर गुस्से को बढ़ावा देने में बहुत अहम् भूमिका अदा करता है।
  • संक्रमण का सामना करने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव: कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का निम्न स्तर पर होने से हमारे शरीर की संक्रमण से लड़ने की जो क्षमता होती है, उसको यह कम कर देता है। इससे संक्रमण का हमारे शरीर में फैलने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं। इसे कम करने वाली दवाओं से हमारे शरीर की संक्रमण से लड़ने वाली शक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

कोलेस्ट्रॉल से सम्बंधित कुछ ज़रूरी सवाल और जवाब

उच्च कोलेस्ट्रॉल के शारीरिक लक्षण

  • मितली आना
  • सांस लेने में परेशानी
  • साँस फूलना
  • बाहों और जबड़ों में दर्द
  • अत्याधिक पसीना
  • ज़्यादा रक्तचाप
  • पैरों में दर्द
  • खून गाढ़ा होना

सम्बंधित जानकारी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

- Advertisement -spot_img

ज़रूर पढ़ें

नवीनतम