आज के समय में जिस प्रकार से हमारा खानपान पहले के मुकाबले बदलता जा रहा है, इस प्रकार से नई-नई बीमारियां भी जन्म ले रही हैं। गेहूं से एलर्जी इसी प्रकार की एक बीमारी है, जो हमें पिछले कुछ वर्षों में ही ज्यादा देखने को मिली है। इस लेख में गेहूं से एलर्जी के कारण, गेहूं से एलर्जी के लक्षण और टेस्ट के साथ इलाज के बारे में जानेंगे।
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गेहूं से एलर्जी क्या है?
भारत देश में रोटी हमारे खाने का एक मुख्य भाग है, और रोटी गेहूं के आटे से बनती हैं। वैसे तो अलग-अलग अनाज का आटा बनाया जा सकता है लेकिन गेहूं के आटे की रोटी के बिना लोग अपना खाना अधूरा ही समझते हैं। लेकिन गेहूं के आटे की रोटी से बहुत लोगों को एलर्जी हो जाती है।
गेहूं खाने से हमें गेहूं से एलर्जी और सीलिएक डिजीज की समस्या उत्पन्न हो सकती है। लेकिन ऐसा नहीं है की ये समस्याएँ सब को हो, बल्कि ये बीमारी बहुत की काम लोगों को होती है। लेकिन बहुत सारे लोग जिन्हें इस समस्या से जूझना पड़ता है, वो गेहूं से एलर्जी और सीलिएक डिजीज को एक समझ लेते हैं जबकि ऐसा नहीं है।
- गेहूं से एलर्जी: गेहूं में मौजूद ग्लोबुलिन प्रोटीन, एल्बुमिन प्रोटीन, ग्लिएडिन प्रोटीन और ग्लूटेन से यह गेहूं की एलर्जी होती है।
- सीलिएक डिजीज: गेहूं में मौजूद ग्लूटेन से हमें सीलिएक डिजीज (Coeliac Disease) की समस्या होती है।
लेकिन यहाँ पर दी गयी जानकारी गेहूं की एलर्जी ( Gehun se allergy ) के बारे में हैं।
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गेहूं से एलर्जी के कारण – Wheat allergy reasons in Hindi
गेहूं में मौजूद ग्लोबुलिन प्रोटीन, एल्बुमिन प्रोटीन, ग्लिएडिन प्रोटीन और ग्लूटेन गेहूं से एलर्जी के कारण हैं। हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली इनके साथ रीऐक्शन करना शुरू कर देती है जो गेहूं की एलर्जी का कारण बनता है। जब हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली किसी अच्छे पदार्थ को बैक्टिरिया, वायरस जैसे रोगाणु या विषैला पदार्थ समझना शुरू कर देती है, तब इस तरह की समस्या पैदा होती है।
हमारा शरीर, गेहूं में मौजूद ग्लोबुलिन प्रोटीन, एल्बुमिन प्रोटीन, ग्लिएडिन प्रोटीन और ग्लूटेन के साथ रीऐक्शन शुरू कर देता है और इन्हें शरीर के लिए विषाक्त पदार्थ समझकर उन्हें हानि पहुँचना शुरू कर देता है।
ज़्यादातर लोगों का शरीर सिर्फ़ एक तरह के प्रोटीन के साथ रीऐक्ट करता है लेकिन यह एक से ज़्यादा तरह के प्रोटीन के साथ भी रीऐक्ट करना शुरू कर देता है, इसलिए इसकी जाँच अत्यंत आवश्यक है।
गेहूं से एलर्जी के कुछ और कारण
- उम्र: यह बीमारी 16 वर्ष के कम उम्र वाले बच्चों में ज़्यादा ख़तरनाक होती है, शिशुओं और छोटे बच्चों में प्रतिरक्षा प्रणाली कम होती है और वह पूरी तरह विकसित नहीं होती, जो गेहूं में मौजूद प्रोटीन के साथ रीऐक्शन का कारण बनता है।
- पारिवारिक: अगर आपको ये बीमारी है तो आपके बच्चों को ये बीमारी होने की सम्भावना बढ़ जाती है और अगर आपके परिवार में किसी को भी ये बीमारी है तो सभी को इसकी जाँच करवानी चाहिए।
गेहूं से एलर्जी के लक्षण – Wheat Allergy Symptoms in Hindi
- गले में सूजन: इस बीमारी में गले में सूजन या अकड़न आ सकती है, अगर आपके खाने में आप गेहूं से बनी चीजें खा रहें हैं, और खाना खाने के बाद आप अगर ऐसा महसूस करते हैं, तो आपको इसकी जाँच अवश्य करवा लेनी चाहिए।
- चेहरे पर सूजन: चेहरे पर सूजन आना भी गेहूं से एलर्जी का एक लक्षण है जो खाना खाने के तुरंत बाद महसूस हो सकती है।
- छाती में दर्द: खाना खाने के बाद आपको छाती में दर्द महसूस या जकड़न महसूस हो सकती है जो इसके शुरुआती लक्षणों में से एक है। अगर ऐसा आप महसूस करते हैं तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें।
- साँस लेने में तकलीफ़: छाती में दर्द के साथ आपको साँस लेने में भी तकलीफ़ हो सकती है, और अगर गेहूं से बनी चीजें खाने के बाद अगर आप कई दिनों से ऐसा महसूस करते हैं तो ये गेहूं से एलर्जी का एक मुख्य लक्षण है।
- पाचन समस्या: गेहूं से बनी कोई भी चीज़ खाने के बाद पेट में दर्द, पेट का फूलना, उल्टी या दस्त होना।
- सिर में दर्द और चक्कर आना: खाने के बाद चक्कर आना और सिर में दर्द भी गेहूं से एलर्जी के लक्षण हैं।
- आँखों की समस्या: धुंधला दिखाई देना, और सिर चकराना भी गेहूं से एलर्जी के मुख्य कारण हैं।
- त्वचा: इसमें त्वचा का रंग नीला या पिला भी पड़ सकता है।
- बेहोश होना: कई मरीज़ों में खाने के बाद बेहोशी के लक्षण भी देखे गये हैं।
- खाना निगलने में कठिनाई: गले में सूजन आने के कारण खाना निगलने में कठिनाई या दर्द महसूस होता है।
अगर आप इन सभी लक्षणों को अपने शरीर में देखते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। गले में सूजन, साँस लेने में तकलीफ़, त्वचा का रंग नीला या पिला पड़ना, छाती में दर्द, बेहोशी और चक्कर आना काफ़ी गम्भीर समस्या है, अगर ऐसा होता है तो मरीज़ को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। क्योंकि ये एक जानलेवा बीमारी है।
गेहूं से एलर्जी के टेस्ट – Wheat Allergy Tests in Hindi
आपको सबसे पहले अपने डॉक्टर को अपने खान-पान के बारे में ज़रूर बताना चाहिए, और उन लक्षणों के बारे में जो उन्हें खाने के बाद महसूस होता है। इसके बाद अगर डॉक्टर को गेहूं से एलर्जी के लक्षण महसूस होते हैं, तो वो गेहूं की एलर्जी की जाँच दो तरह से कर सकते हैं।
- खून टेस्ट: हमारे खून में मौजूद एंटीबॉडी से गेहूं की एलर्जी का पता लगाया जा सकता है। कुछ ऐसे एंटीबॉडी हैं जो हमारे शरीर में गेहूं के प्रोटीन के कारण बनते हैं, और इस तरह से इस बीमारी का पता लगाया जाता है।
- त्वचा टेस्ट: इंजेक्शन के द्वारा, गेहूं में मौजूद प्रोटीन की कुछ मात्रा हमारी त्वचा (Skin) में डाला जाता है, जिसके बाद यह देखा जाता है की उसका कुछ रीऐक्शन हमारे शरीर के साथ हुआ है के नहीं। इस तरह गेहूं से एलर्जी के बारे में पता लगाया जाता है। इस टेस्ट में जहां प्रोटीन त्वचा में डाला जाता है, वहाँ लाल रंग, या लाल गाँठ बन जाती है और इससे वहाँ खुजली भी महसूस हो सकती है। जिससे इस बीमारी का पता लगाया जाता है।
गेहूं से एलर्जी का इलाज, बचाव और सलाह
बचाव – Precautions
गेहूं से एलर्जी के इलाज से पहले इस एलर्जी से बचाव के बारे में हमें सोचना चाहिए। अगर अपने खाने में कुकीज़, बिस्किट, पेस्ट्री, केक, चोकलेट, सोया सोस, केचप आदि का ज़्यादा सेवन करते हैं तो आपको इनसे बचना चाहिए और इन्हें अपने खाने की लिस्ट से बाहर करना चाहिए।
क्योंकि, किसी भी चीज़ की अधिकता नुक़सानदायक होती है। और अगर आपको ऊपर दिए गये लक्षणों में से कुछ भी महसूस होता है तो आपको अपनी जाँच करवानी चाहिए और अपने खाने में ग्लूटेन फ़्री आटे का उपयोग करना चाहिए।
इलाज – Treatment
एंटीहिस्टामिन दवा: इस दवा का उपयोग डॉक्टर उन मरीज़ों को देते हैं, जिन्हें गेहूं से कम एलर्जी है। लेकिन किसी भी तरह की दवाई लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें। क्योंकि यह डॉक्टर ही जाँच कर के बता सकता है की आपको कितनी और किस प्रोटीन की एलर्जी है। आपकी एलर्जी के टेस्ट रिपोर्ट को देखकर ही डॉक्टर आपको सही दवाई की सलाह देंगे।
एपीनेफ़्रीन दवा: एपीनेफ़्रीन दवा ज़्यादा एलर्जी वाले मरीज़ को दी जाती है, अगर आपको ज़्यादा गेहूं से एलर्जी है तो आपको अपने साथ एपीनेफ़्रीन दवा के ऑटो इंजेक्टेर इंजेक्शन रखने चाहिए, जिसकी सलाह डॉक्टर आपको देंगे। किसी भी तरह की दवाई लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
सलाह – Advice
खाने के बारे में डायरी लिखना: डॉक्टर आपको एक डायरी लिखने की सलाह दे सकते हैं, जिसमें आपको रोज़ जो भी आप खा रहे हैं वो लिखना है और उसके बाद आपको क्या महसूस होता है वो आपको लिखना होता है। जिससे डॉक्टर आसानी से समझ जाता है की आख़िर आपको किस किस पदार्थ की एलर्जी है, और एक अच्छा इलाज आपको मिल पता है।
कुछ आहार छोड़ने की सलाह: डॉक्टर आपको कुछ तरह के पदार्थ खाने के मना कर सकते है, एलर्जिक प्रोटीन मौजूद होते हैं। कुछ समय बाद वो आपके खाने में ऐसे पदार्थों की मात्रा डलवा सकते हैं, ताकि आप उनके बारे में अपनी डायरी में लिख सके और डॉक्टर आसानी से आपके लक्षणों को समझ पाए।
ग्लूटेन फ़्री आटा: अगर आपको इस तरह की एलर्जी है तो आपको ग्लूटेन फ़्री आटे की रोटी खाने की सलाह दी जा सकती है।
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