भारत का इतिहास युद्धों से भरा हुआ है और भारत की धरती पर सैकड़ों युद्ध लड़े गए हैं जिनमें से एक हल्दीघाटी का युद्ध भी लड़ा गया था। हल्दीघाटी का युद्ध एक प्रमुख युद्ध था जो राजस्थान में स्थित हल्दीघाटी क्षेत्र में महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच लड़ा गया था।
महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी में अकबर के साथ हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा था जिसमें भील प्रजाति के लोगों ने महाराणा प्रताप का साथ दिया। महाराणा प्रताप का एक घोड़ा, जिसका नाम चेतक था वह ली हल्दीघाटी के युद्ध में ही शहीद हुआ था।
हल्दीघाटी का युद्ध
हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को महाराणा प्रताप और अकबर की सेनाओं के बीच हुआ था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना में लगभग 1600 सैनिक मौजूद थे जिन्होंने महाराजा अकबर के दस हजार सैनिकों के साथ युद्ध लड़ा था।
हल्दीघाटी का युद्ध लड़ने में महाराणा प्रताप की मदद भील प्रजाति ने की थी और अकबर की सेना की मदद जयपुर के राजा मानसिंह ने की थी।
हल्दीघाटी युद्ध के कारण
जब महाराणा प्रताप का राजतिलक हुआ और वह राजा बने तब अकबर ने अपने दूतों को महाराणा प्रताप के दरबार में भेजा और उन्हें अपना गुलाम बनने का प्रस्ताव दिया। अकबर ने महाराणा प्रताप को संदेशा भेजा कि वह भी दूसरे राजपूत राजाओं की तरह अकबर की छत्रछाया में जागीरदार के रूप में उनके लिए काम करें।
जब यह प्रस्ताव महाराणा प्रताप के सामने अकबर द्वारा भेजे गए दूतों ने रखा तो महाराणा प्रताप ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। सबसे पहला प्रस्ताव महाराणा प्रताप के पास सन 1572 में भेजा गया था,जिसके पश्चात लगातार 4 साल तक अकबर ने महाराणा प्रताप के पास अपने दूध भेजें जिसमें यही प्रस्ताव उनके सामने रखा गया।
लेकिन महाराणा प्रताप अपनी जगह पर अडिग रहे और उन्होंने गुलामी करना ठुकरा दिया। जो राजा अकबर के अधीन थे उन्हें अकबर द्वारा कहा गया कि वह महाराणा प्रताप पर हमला करें। इतिहासकारों के अनुसार अकबर ने जब यह आदेश अपने अधीन राजाओं को दिया तो वह महाराणा प्रताप के खिलाफ लड़ने को तैयार हो गए, इनमें से एक राजा मानसिंह भी थे जो अकबर के अधीन काम करते थे।
राजा मानसिंह ने महाराणा प्रताप के खिलाफ अकबर का साथ दिया और महाराणा प्रताप से युद्ध करने का फैसला लिया। दूसरी तरफ भील पर जाति के लोगों ने महाराणा प्रताप का साथ दिया और उनकी तरफ से लड़े।
भील प्रजाति और अकबर की सेना के बीच युद्ध
भील प्रजाति ने महाराणा प्रताप का साथ दिया और महाराणा प्रताप की सेना में लगभग 1600 सैनिक मौजूद थे। वहीं दूसरी तरफ अकबर का साथ राजा मानसिंह ने दिया था और उनकी सेना में लगभग 10000 सैनिक मौजूद थे।
हल्दीघाटी का युद्ध गोरिल्ला पद्धति से लड़ा गया था, और हल्दीघाटी का युद्ध गुरिल्ला पद्धति से लड़ा गया था, जिसमें महाराणा प्रताप की सेना ने अकबर और मानसिंह की सेना को शुरुआती ढाई घंटे में ही खदेड़ दिया था। हल्दीघाटी का युद्ध 4 घंटे चला लेकिन इसका कोई भी परिणाम नहीं निकला।
हल्दीघाटी युद्ध का परिणाम
हल्दीघाटी युद्ध में भील प्रजाति के लोगों ने अकबर की विशाल सेना को धूल चटा दी, और उनको लगभग ढाई घंटे में ही खदेड़ दिया। वैसे तो यह माना जाता है कि हल्दीघाटी के युद्ध का कुछ भी परिणाम नहीं रहा। लेकिन कुछ ऐसे सुबूत मिलते हैं जिसमें हमें यह पता चलता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की जीत हुई थी।
इस बात पर आज भी मतभेद है कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की जीत हुई थी या अकबर की सेना की, क्योंकि इस युद्ध में महाराणा प्रताप और उनका घोड़ा चेतक बुरी तरह घायल हो गया था। जिसके बाद महाराणा प्रताप ने जंगल में भील प्रजाति के साथ ही शरण ली थी।
इस युद्ध के पश्चात जब महाराणा प्रताप जंगल में पहुंचे तब घायल होने के कारण चेतक घोड़ा शहीद हो गया था। इस तथ्य के आधार पर यह माना जाता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की जीत हुई थी।
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हल्दीघाटी की फोटो
हल्दीघाटी प्रश्नोत्तरी
हल्दीघाटी में कितने युद्ध हुए?
हल्दीघाटी में एक युद्ध हुआ है जो 18 जून 1576 में महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच हुआ था।
हल्दीघाटी युद्ध में अकबर का साथ किस राजा ने दिया?
अकबर का साथ राजा मान सिंह ने दिया था जो महाराणा प्रताप के खिलाफ लड़े थे।
हल्दीघाटी युद्ध का परिणाम क्या था?
हल्दीघाटी युद्ध का कोई भी परिणाम नहीं रहा, लेकिन कुछ प्रमाण है से मिलते हैं जिसमें यह पता लगता है कि महाराणा प्रताप की हल्दीघाटी में जीत हुई थी। लेकिन यह एक बहस का विषय है क्योंकि इस घाटी के बाद महाराणा प्रताप ने जंगल में शरण ली थी इसीलिए यह कहा जाता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की सेना की जीत हुई थी।
हल्दीघाटी का युद्ध क्यों हुआ था?
अकबर महाराणा प्रताप को अन्य राजपूत राजाओं की तरह अपना गुलाम बनाना चाहते थे, लेकिन महाराणा प्रताप को यह मंजूर नहीं था इसी कारण हल्दीघाटी का युद्ध हुआ।
हल्दीघाटी का युद्ध कितने समय चला?
हल्दीघाटी का युद्ध कुल 4 घंटे लड़ा गया था जिसमें महाराणा प्रताप और अकबर की सेनाएं एक दूसरे के साथ लड़ी जिसका कोई भी परिणाम नहीं रहा।
हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना कितनी थी?
हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना में 1500 से 3000 के बीच में सैनिक मौजूद थे जो अकबर की सेना से बहुत कम थे।
हल्दीघाटी युद्ध में अकबर की सेना कितनी बड़ी थी?
हल्दीघाटी युद्ध में अकबर की सेना में लगभग 10 हजार के करीब सैनिक मौजूद थे जो महाराणा प्रताप की सेना की तुलना में बहुत ज्यादा थे।
हल्दी घाटी कहां पर स्थित है?
हल्दीघाटी राजस्थान में स्थित अरावली पर्वत श्रृंखला में बलीचा और खमनेर।गांव के बीच मौजूद एक घाटी है जिसे हल्दीघाटी कहा जाता है
हल्दीघाटी का नाम कैसे पड़ा?
हल्दीघाटी राजस्थान में मौजूद अरावली पर्वत श्रृंखला में बलीचा गांव के पास एक दर्रा है जिसे हल्दीघाटी कहा जाता है और इसका यह नाम यहां की मिट्टी के कारण पड़ा। हल्दीघाटी की मिट्टी का रंग हल्दी की भांति पीला है इसीलिए इस घाटी को हल्दीघाटी कहा जाता है।