दोस्तों चाहे कोई व्यक्ति किसान है या एक आम आदमी कपास का उसके जीवन में बहुत अधिक महत्व है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कपास क्या होता है? यदि नहीं तो हम यहां पर कपास के बारे में ही बात करने वाले हैं और जानेंगे कि आखिर कपास क्या है? और किस प्रकार से यह हमारे काम आता है। इसके साथ साथ हम कपास के पौधे के बारे में भी यहां पर जानेंगे।
कपास क्या होता है?
कपास एक पौधे का नाम है और इससे हमें रुई प्राप्त होती है। रुई को इंग्लिश में Cotton कहा जाता है। यह एक नकदी फसल है और पूरे संसार में दो प्रकार की कपास बोई जाती है।
एक कपास जिसको देसी कपास कहा जाता है और दूसरे किस्म की कपास अमेरिकन कपास कहलाती है इसे सफेद सोना भी कहा जाता है और इसके पौधे की लंबाई 2 से 7 फीट तक होती है जिसका आकार झाड़ी के आकार का होता है।
जाने: देसी और अमेरिकन कपास में अंतर
कपास के प्रकार
- छोटे रेशे वाली कपास
- मध्यम रेशे वाली कपास
- लंबे रेशे वाली कपास
कपास का उत्पादन भारत, पाकिस्तान, चीन, उत्तरी अमेरिका दक्षिण अमेरिका अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में होता है। सबसे अधिक कपास अमेरिका, भारत और चीन में होती है।
कपास से क्या बनाया जाता है?
कपास का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है और कपास के पौधे से प्राप्त होने वाले रुई का प्रयोग हम कपड़े, वस्त्र इत्यादि बनाने में करते हैं। कपास से प्राप्त होने वाली रुई का उपयोग न सिर्फ कपड़े बनाने में बल्कि चिकित्सा के क्षेत्र में और अन्य क्षेत्रों में भी इसका उपयोग किया जाता है जिसके बारे में नीचे बताया गया है।
- कपड़ों का निर्माण: कपास से सूती वस्त्र बनाए जाते हैं और इसके साथ दूसरे प्रकार के कपड़ों में भी इसका उपयोग किया जाता है। सबसे पहले कपास से प्राप्त हुई रुई का धागा तैयार किया जाता है। उसके बाद इसे कपड़ों में और अन्य वस्त्रों में जैसे तकिया, कपड़ा, चादर, पर्दे आदि के निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है।
- चिकित्सा के क्षेत्र में: चिकित्सा के क्षेत्र में रुई का बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है और रवि के साथ-साथ पट्टी, बैंडेज, मास्क इत्यादि में रुई का प्रयोग होता है जो कपास के पौधे से ही प्राप्त की जाती है।
- कागज बनाने में: अच्छी गुणवत्ता वाले कागज के निर्माण में कपास के पौधे से प्राप्त हुई रुई का भी प्रयोग किया जाता है। कागज बनाने में सैलूलोज का प्रयोग होता है और उसका रुई एक शुद्ध सैलूलोज है।
- फिल्टर: कपास के पौधे से प्राप्त होने वाली रुई एक प्रकार का रेशा होता है और इसका उपयोग कई प्रकार के फिल्टर बनाने में किया जाता है। इनफील्ड का उपयोग अलग-अलग औद्योगिक कार्यों और ऑटोमोबाइल में किया जाता है।
- इंसुलेशन: कपास से प्राप्त हुई हुई बहुत अच्छा इंसुलेटर होता है। इसका उपयोग सर्दी के कपड़े बनाने में और उद्योग में तापमान को स्थानांतरित होने से बचाने में किया जाता है। रुई के देशों के बीच हवा मौजूद होती है जो तापमान को एक सतह से दूसरी सतह के बीच जाने से रोकती है।
कपास का पौधा
कपास के पौधे की लंबाई 2 फीट से लेकर 7 फीट के बीच होती है। इसका आकार झाड़ी के समान होता है जिस पर सफेद और हल्के पीले रंग के फूल लगते हैं। यह फूल रुई के होते हैं जो एक सफेद रंग का रेशा होती है।
कपास के पौधे से प्राप्त होने वाली रुई जिन फलों से निकलती है उन फलों को बॉल्स भी कहा जाता है। कपास के पौधों को किसी भी समय उगाया जा सकता है परंतु इन्हें उगाने के लिए एक विशेष तापमान और वातावरण की जरूरत होती है। इसीलिए भारत में इसे बसंत ऋतु के दौरान बोया जाता है और शरद ऋतु के दौरान इसकी कटाई कर ली जाती है।
भारत में कपास की खेती कहां होती है?
वैसे तो भारत में कपास की खेती राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और महाराष्ट्र राज्य में की जाती है परंतु कपास का उत्पादन सबसे ज्यादा भारत के गुजरात राज्य में होता है।
कपास की खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण कारक और जलवायु:
- कपास की खेती के लिए जरूरी तापमान – 21 से 27 डिग्री सेंटीग्रेड
- कपास की खेती के लिए वर्षा – 75 से 100 सेंटीमीटर
- कपास के लिए उपयुक्त मिट्टी – काली मिट्टी