शनिवार, सितम्बर 23, 2023

मंगल ग्रह की हिंदी में संक्षिप्त जानकारी

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मंगल ग्रह के बारे में इस लेख में आपको निम्नलिखित विषयों की जानकारी मिलेगी: मंगल ग्रह, मंगल ग्रह कैसे बना, इसका अस्तित्व तथा उत्पत्ति, मंगल ग्रह की जानकारी हिन्दी में, मंगल की संरचना, मंगल पर जीवन की सम्भावनाएँ, पृथ्वी से तुलना, मंगल ग्रह के चन्द्रमा की संख्या कितनी है या मंगल ग्रह के कितने उपग्रह हैं, मंगल पर भेजे गए उड़ान अभियान, मंगल ग्रह का ज्योतिष विज्ञान से सम्बन्ध में कुछ रोचक तथ्य, मंगल ग्रह कैसे बना, इसका अस्तित्व तथा उत्पत्ति।


Mangal Grah, मंगल ग्रह

मंगल ग्रह – Mangal Grah

सौरमंडल में सूर्य की उत्पत्ति और बाकी ग्रहों के जन्म की प्रक्रिया के समय ही मंगल ग्रह का निर्माण हुआ था। तक़रीबन 4.8 अरब वर्ष पहले हमारे सौरमंडल का निर्माण प्रारंभ हुआ। ब्रह्मांड में उस समय अन्धकार के सिवाय सिर्फ धूल के कण और गैस ही मौजूद थी। धीरे धीरे ये धूल कण समीप आकर गुरुत्वाकर्षण के कारण जुड़ने लगे।

इसी तरह इन धूल के कणों ने पत्थर और फिर चट्टानों का आकर ले लिया और गैस के बादल भी गुरुत्वाकर्षण के कारण इसके चारों तरफ घूम रही थी। चारों तरफ घुमती हुई गैस किसी डिस्क के आकार में थी जिससे नेब्युला कहते हैं। अब ये धूल के कण जुड़कर ठोस रूप ले चुके थे और इनकी घुमने की गति बहुत तेज थी। गैस के बादल चारों तरफ तीव्र गति से घूम रहे थे जिस कारण ठोस केंद्र पर गैस का दाब बढ़ रहा था। दाब और ताप बढ़ने के कारण उस ठोस केंद्र में ऊर्जा उत्पन्न होने लगी और वो एक आग के गोले में बदल गया।

फिर एक समय ऐसा आया की नेब्युला में विस्कोट हुआ और ठोस वाला केंद्र जो की किसी आग के गोले के समान था वो अलग हो गया और बाकी अवशेष अन्तरिक्ष में ही बिखर गए लेकिन ये अवशेष गुरुत्वाकर्षण के कारण उस केंद्र वाले ठोस भाग के चरों तरफ ही घुमने लगे जिसे हम सूर्य कहते हैं। धीरे धीरे ये अवशेष गुरुत्वाकर्षण के कारण एक दुसरे से जुड़ने लगे और विशाल रूप लेने लगे जो आगे चलकर ग्रहों में बदल गए।

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गुरुत्वाकर्षण के कारण चट्टानों वाले या ठोस सतह वाले ग्रह सूर्य के नजदीक थे और गैसीय ग्रहों को सौर वायु द्वारा उनको दूर हटा दिया गया जिस कारण ये गैसीय ग्रह ठन्डे भी हैं। इस तरह नेब्युला विस्फोट के सिद्धांत के आधार पर सौरमंडल और मंगल ग्रह का भी जन्म हुआ।

“मंगल ग्रह की जानकारी हिन्दी में “

मंगल ग्रह को इंग्लिश में मार्स (Mars) कहते हैं। मंगल की सूर्य से दूरी लगभग औसतन 225 मिलियन किलोमीटर है। मंगल अपने अक्ष पर 25.19 डिग्री झुका हुआ है। इसका अपने अक्ष पर घूर्णन काल 24 घंटे, 39 मिनट, 35 सेकंड है। मंगल पर एक वर्ष 687 दिनों का होता है अर्थात मंगल सूर्य की एक परिक्रमा 687 दिनों में पूरी करता है।

मंगल का रंग लाल है। मंगल सूर्य से दुरी के आधार पर चौथे स्थान पर है और ग्रहों के आकार के आधार पर मंगल दूसरा सबसे छोटा ग्रह है। यह पृथ्वी की तरह एक स्थलीय ग्रह है। इस ग्रह पर सतह के साथ साथ बर्फीले पहाड़, रेगिस्तान, ज्वालामुखी इत्यादि भी हैं जिनको देखने से पृथ्वी का आभास होता है।

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मंगल का लाल रंग मंगल पर उपलब्ध भरपूर मात्र में लौह खनिज है। इस लौह खनिज पर जंग लगने के कारण मंगल का वातावरण और उसकी मिटटी का रंग लाल दिखाई देता है। पहले माना जाता था की मंगल की सतह पर जल तरल अवस्था में है लेकिन मंगल के अध्ययन के लिए भेजे गए अन्तरिक्ष यान द्वारा इस बात के प्रमाण नहीं मिले और यह बात सिद्ध नहीं हो पाई। लेकिन मंगल को अब भी पृथ्वी के विकल्प के रूप में देख जाता है।

वैज्ञानिकों का मानना है की प्रारंभ में मंगल पर पानी उपस्थित था लेकिन किसी क्षुद्र ग्रह के मंगल के साथ टकराने से मंगल के वातावरण में उथल-पुथल हुई और पानी भांप बनकर अन्तरिक्ष में उड़ गया। और कुछ पानी मंगल की क्रस्ट में चला गया जो ज्वालामुखी के द्वारा बाहर आ रहा है।

मंगल पर पानी गरम फँवारों के रूप में फूट रहा है और दक्षिण ध्रुवीय बर्फीली चोटियाँ कम हो रही है यह पुष्टि भी भेजे गए अन्तरिक्ष यानों द्वारा की गई है। क्षुद्र ग्रह के टकराने से मंगल की सतह में एक विशालकाय गद्दा या खाई बन गई है। इस खाई को मंगल की सतह पर साफ़ साफ़ देखा जा सकता है। यह पृथ्वी की सबसे बड़ी खाई से भी अत्यधिक बड़ी है।

सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत जिसका नाम ओलम्पस मोंस है मंगल ग्रह पर ही स्थित है। मंगल ग्रह की भौतिक विशेषताओं के अलावा मंगल पर मौसम परिवर्तन और उसका घूर्णन पृथ्वी के समान है इसलिए मंगल पर जीवन संभव होने की कल्पना हमेशा की जाती हैं इस पृथ्वी का श्रेष्ठ विकल्प माना जाता है। मंगल पर पूरे ग्रह को ढक देने वाले विशाल तूफ़ान उठते रहते हैं।

माना जाता है की मंगल पर मौजूद ज्वालामुखी निष्क्रिय हैं। मंगल ग्रह को हम धरती से नंगी आँखों से भी देख सकते हैं

ज़रूर पढ़ें: सौरमंडल किसे कहते हैं? परिभाषा, खोज और ग्रह

मंगल की संरचना

मंगल ग्रह का लाल रंग मंगल पर मौजूद लौह ऑक्साइड (फेरिक ऑक्साइड) की वजह से है जिसे हेमेटाईट या जंग लगे लोहे के रूप में जाना जाता है। इसका मतलब है मंगल पर लौह धातु प्रचुर मात्र में है।

इसके साथ साथ मंगल पर और भी बहुत धातुएं हैं। मंगल पर ऑक्सीजन और सिलिकॉन युक्त खनिज पदार्थ, धातु व् अन्य बहुत तत्त्व मौजूद हैं। ये सब मंगल ग्रह की ऊपरी चट्टान बनाते हैं। मंगल की सतह सिलिका से संपन्न थोलेइतीक बेसाल्ट से बनी हुई है। लौह ऑक्साइड के धूल के कणों ने मंगल की ज्यादातर सतह को ढँक रखा है।

नासा का भेजा हुआ इनसाइट लेंडर जिसको मंगल ग्रह का अध्ययन करने के लिए भेजा था, उसने मंगल पर आने वाले भूकम्पों का अध्ययन किया और मंगल की क्रस्ट, मेंटल और कोर की जानकारी दी। इनसाइट लेंडर ने मंगल की सतह के 41 मील नीचे तक की परतों के सबूत प्राप्त किये।

मंगल पर आने वाले भूकम्पों के आँकड़ो की सहायता से मंगल की भू-पर्पटी पर मौजूद खनिजों और धातुओं का पता चला। मंगल की पर्पटी पर प्रचुर मात्र में पोटेशियम, मेगनीसियम, कैल्शियम, एल्युमीनियम और लोहा मौजूद है। सौरमंडल में मंगल ग्रह की विशेष स्थिति के कारण मंगल की और भी बहुत रासायनिक विशेषताएँ हैं। फोस्फोरस, सल्फर और क्लोरिन जैसे कम क्वथनांक बिंदु वाले तत्व भी मंगल ग्रह पर बहुतायत में पाए जाते हैं।

फिनिक्स लेंडर के प्रमाणों के आधार पर मंगल की मिट्टी में सोडियम, क्लोराइड, पोटासियम और मेगनीसियम शामिल हैं जिससे मंगल की मिट्टी के क्षारीय होने का पता चलता है। मंगल की सतह पर जल नहीं है जिसका मुख्य कारण है निम्न वायु दाब लेकिन दो ध्रुवीय चोटियाँ ऐसे दिखती हैं जैसे जल से बनी हों।

अगर दक्षिण ध्रुव की बर्फीली छोटी की बर्फ़ पिघल जाये तो मंगल की 11 प्रतिशत सतह को ढँक लेगी। फिनिक्स लेंडर ने मंगल की उथली भूमि का सीधा निरीक्षण किया जिससे पता लगा की किसी समय में मंगल की सतह पर जल विद्यमान रहा है।

मंगल पर जीवन की सम्भावनाएँ

मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं में सबसे पहले यही सवाल उठता है की, क्या मंगल ग्रह पर पानी है। कहने को तो मंगल ग्रह पर जीवन की सम्भावनाएँ होने के लिए पृथ्वी के विकल्प के रूप में देखा गया है, लेकिन मंगल ग्रह पर ऑक्सिजन और जल के होने की बात से अभी हम अनजान हैं।

इसके साथ साथ मंगल पर तीव्र गति वाले तूफ़ान समय समय पर आते रहते हैं। मंगल पर ज्वालामुखियों भी बहुत आते रहते हैं। मुख्यतः जहाँ पानी होता है वही पर जीवन संभव होता है। मंगल पर पानी को तरल रूप में रखने के लिए मंगल का वायुमंडलीय दाब अपर्याप्त है। मंगल पर चुम्बकीय क्षेत्र की कमी है और मंगल के वायुमंडल में सघनता की कमी है जिसके कारण सौर वायु का अवरोध नहीं हो पाता।

वैज्ञानिकों का सुझाव है की कभी पहले मंगल पर जीवन संभव था, लेकिन इस बात को स्पष्ट और निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इस बात के कोई प्रमाण अब तक मिले नहीं हैं सिर्फ आशंकाएँ बताई जा रही हैं। रहने के लिए आधार के रूप में मिट्टी के पोषक तत्त्व मंगल पर हैं लेकिन पैरा-बैंगनी किरणों को रोकना भी बहुत आवश्यक है जो मंगल पर संभव नहीं है।

मंगल ग्रह की पृथ्वी से तुलना

  1. हमारी पृथ्वी मंगल ग्रह (लाल ग्रह) या Mars से बड़ी है। मंगल का व्यास 6791.4 किलोमीटर है, इसकी तुलना में पृथ्वी का व्यास 12755.6 किलोमीटर है।
  2. मंगल ग्रह पृथ्वी के मुकाबले अपनी धुरी पर ज्यादा झुका हुआ है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी है जबकि मंगल 25.19 डिग्री झुका हुआ है।
  3. मंगल पर एक वर्ष में दिनों की संख्या पृथ्वी से लगभग दोगुनी है। मंगल सूर्य के चारों तरफ अपनी एक परिक्रमा में 687 दिन लगाता है जबकि पृथ्वी 365.25 दिन में परिक्रमा पूरी कर लेती है।
  4. अन्तरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नीली रंग की दिखती है जबकि मंगल का रंग लाल है जिसकी वजह से मंगल को लाल ग्रह भी कहा जाता है।
  5. पृथ्वी पर जीवन संभव है जबकि मंगल पर जीवन की सिर्फ आशंकाएँ ही बताई जा रही हैं।
  6. पृथ्वी का वायुमंडल पैरा-बैंगनी किरणों को रोकने में सक्षम है लेकिन मंगल का वायुमंडल सघन न होने की वजह से सूर्य से आने वाली पैरा-बैंगनी किरणों को नहीं रोक पाता।
  7. मंगल अपनी धुरी पर एक चक्कर 24 घंटे 37 मिनट में पूरा करता है और पृथ्वी 23 घंटे 56 मिनट में अर्थात् मंगल पर पृथ्वी की तुलना में दिन बड़ा होता है।
  8. पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल मंगल की तुलना में 2.66 गुना अधिक है। पृथ्वी पर आपका वजन जितना होगा मंगल पर आपका वजन उसका आधे से भी कम होगा।
  9. मंगल ग्रह और पृथ्वी के औसत तापमान में भी अंतर है। पृथ्वी पर यह 13.8 है जबकि मंगल पर यह -62.7 है।
  10. मंगल का वातावरण बहुत सुखा है, यह पानी वाष्प (water vapour) और कार्बन डाइऑक्साइड से बना है जबकि पृथ्वी का वातावरण नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसी गैसों से बना है।
  11. पृथ्वी का एक उपग्रह है “चंद्रमा” और मंगल ग्रह के दो उपग्रह हैं। चंद्रमा के कारण ही पृथ्वी पर समंदरों में ज्वर भाटा आता है। अगर चंद्रमा नहीं होता तो समुंदर जल धाराएँ आज ऐसी नहीं होती।

मंगल ग्रह के चंद्रमा की संख्या कितनी है ?

फोबोस और डिमोज नाम के दो प्राकृतिक उपग्रह हैं मंगल ग्रह के। इन उपग्रहों की कक्षा मंगल के बहुत करीब है इसलिए इनको ऐसे क्षुद्र ग्रह भी कहा गया है जिनको मंगल ने पकड़ के रखा हुआ है।

इन दोनों उपग्रहों में से फोबोस ज्यादा नज़दीक है और डिमोज से बड़ा है। यूनानी की पुरानी कथाओं में एरेस (युद्ध का देवता) के पुत्रों फोबोस और डायमाज के नाम पर इन उपग्रहों का नाम रखा गया है। इन उपग्रहों का शाब्दिक अर्थ भय है। चंद्रमा की अपेक्षा इनकी कक्षा कुछ अलग दिखाई देती है।

फोबोस पश्चिम में उदय होकर, पूर्व में अस्त हो जाता है। उसके बाद केवल 11 घंटे पश्चात फिर से उदय होता है। डायमोज फोबोस के विपरीत पूर्व में उदय होता है धीरे धीरे और 2.7 दिन लगाकर पश्चिम में अस्त हो जाता है। इसकी भ्रमण और घूर्णन अवधि आपस में मिलती हैं।

मंगल की घूर्णन दिशा की तरफ ही घूमते हुए यह धीरे धीरे अस्त हो जाता है उसके पश्चात फिर उदय होने में ज्यादा समय लेता है। मंगल ग्रह के ज्वारीय बल के कारण फोबोस की कक्षा छोटी होती जा रही है जिसके कारण माना जा रहा है की तक़रीबन 5 करोड़ वर्ष बाद फोबोस या तो छल्लों के रूप में मंगल के चारों तरफ बिखर जायेगा या मंगल से टकराकर नष्ट हो जायेगा।

मंगल पर भेजे गए उड़ान अभियान

मंगल ग्रह पर पहुँचने वाला प्रथम देश सोवियत संघ/ रूस है। अब तक मंगल ग्रह पर 8 देशों द्वारा 59 मिशन भेजे गए हैं। संख्या के आधार पर मंगल पर भेजे गए मिशनों की सूचि में सबसे पहले अमेरिका का नाम आता है उसके बाद सोवियत संघ/ रूस और यूरोपियन यूनियन आता है।

अमेरिका ने अब तक 29 मिशन भेजे हैं। सोवियत संघ/ रूस ने 22 और यूरोपियन यूनियन ने 4 मिशन भेजे हैं। जापान, भारत, चीन और युएई इन चारों देशों ने एक एक मिशन भेजे हैं। इन 59 मिशनों में 23 मिशन तो असफल हो गए हैं और 31 सफल तथा 3 आंशिक असफल हुए हैं।

इन 59 मिशनों में एक मिशन अमेरिका द्वारा भेजा गया है जो अभी मंगल ग्रह के पथ पर ही है जिसके 18 फ़रवरी तक मंगल की कक्षा में पहुँचने का अनुमान है। आज के समय में केवल 9 मिशन ही कार्यरत हैं। फिलहाल मंगल पर कार्य कर रहे लेंडर की संख्या 13 है, लेकिन रोवर सिर्फ एक ही है जो मंगल की सतह पर अभी काम कर रहा है।

यह कार्यरत रोवर अमेरिका द्वारा भेजा गया था। यह 2012 से अब तक कार्य कर रहा है। दुनिया में अपनी धाक ज़माने की सोच से सोवियत संघ ने सबसे पहले लेंडर भेजा था लेकिन वो असफल हो गया था। लेंडर भेजने से पहले वह फ्लाईबाय मिशन भेज रहा था जिसको मंगल के पास से होकर गुजरना होता है।

19 मई, 1971 को सोवियत संघ पहली सफलता मिली मंगल की कक्षा में चक्कर लगाने वाले ऑर्बिटर मिशन के रूप में। 28 मई, 1971 को सोवियत संघ ने एक रोवर भी भेजा लेकिन वो असफल रहा लेकिन रोवर के साथ भेजा गया लेंडर सफल हो गया और उस लेंडर ने सफलता का झंडा गाड़ दिया।

उसके बाद अमेरिका को सफलता हासिल हुई 30 मई, 1971 को एक ऑर्बिटर के रूप में। अमेरिका इस होड़ में सोवियत संघ से पिछड़ गया। अमेरिका को 20 अगस्त, 1975 को अपने लेंडर उतारने की सफलता हासिल हुई।

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मंगल ग्रह का ज्योतिष विज्ञान से सम्बन्ध में कुछ रोचक तथ्य

ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रहों, 12 राशियों और 27 नक्षत्रों की गणना के आधार पर कोई अनुमान लगाया जाता है या किसी से सम्बंधित कोई भविष्यवाणी दी जाती है। इन 9 ग्रहों में एक मंगल गृह भी शामिल है। बाकी ग्रहों के जैसे ही मंगल गृह का भी ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व है। मंगल गृह का ज्योतिष शास्त्र से संबंध समझने के लिए हमें ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान होना जरूरी है।

जब हम आसमान की और देखते हैं तो हजारों सवाल पैदा होते है जैसे – गृह क्या हैं, नक्षत्र क्या हैं, सब गृह अस्त क्यों नहीं हो जाते, सूर्य हमेशा एक दिशा से ही क्यों उदय होता है, तारे कभी कभी दिखने बंद क्यों हो जाते हैं, कोई कोई तारा ज्यादा क्यों चमकता हैं। इन सब सवालों के जवाबों के लिए इंसान ने गृह नक्षत्रों, तारों, सूर्य इत्यादि को समझना और परखना प्रारम्भ कर दिया। जब हमको इन सब की जानकारी होने लगी और ग्रहण नक्षत्रों की चाल को हम समझने लग गए जब हम अपने आस पास की घटनाओं को गृह नक्षत्रों से जोड़ने लग गए। इसी तरह घटित होने वाली घटनाओं को गृह नक्षत्रों से जोड़ते जोड़ते एक शास्त्र ही बन गया जिसका नाम है ज्योतिष शास्त्र।

ज्योतिष शास्त्र से अर्थ है एक ऐसे शास्त्र या विज्ञान से जो हमें गृह नक्षत्रों और समय का ज्ञान कराए। जो शास्त्र हमें जीने मरने का रहस्य, संसार की जानकारी, सुख – दुख के विषय में ज्ञान का बोध कराए या ज्ञान की ज्योति प्रदान करे उसे ही ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र से सम्बंधित मंगल गृह के विषय में कुछ रोचक तथ्य निम्नलिखित हैं:-

  • किसी की कुंडली में अगर मण्डल दोष पाया जाता है तो मुख्यतः उसके वैवाहिक जीवन में बढ़ाएँ उत्पन्न होती हैं। जीवन साथी के साथ तालमेल नहीं हो पता। जीवन साथी के साथ हमेशा क्लेश होता है। विवाह में अवरोध उत्पन्न होते हैं। कुल मिलाकर कहें तो मंगल दोष में प्रत्यक्ष रूप से वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • मंगल दोष को दूर करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में बहुत उपाय दिये गए हैं। मंगल गृह के उपाय करने से हम मंगल दोष के प्रभाव बच सकते हैं। मंगल गृह के उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं:-
  1. नहाने के पश्चात लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
  2. मंगल के दिन व्रत रखना चाहिए।
  3. बजरंग बाली हनुमान को चोला चढ़ना तथा मूंगा धारण करने जैसे उपाय कर सकते हैं।
  4. हनुमान को मंगल के दिन सिंदूर चढ़ा सकते हैं।
  • अगर कुंडली में मंगल गृह मजबूत होगा तो मंगल गृह के शुभ फल निम्नलिखित हो सकते हैं:-
  1. अपनी नौकरी या कार्य में बड़ा पद प्राप्त होगा।
  2. वैवाहिक जीवन अच्छा व्यतीत होगा।
  3. जीवन साथी के साथ मधुर संबंध बनेंगे।
  4. मंगल मजबूत होगा तो मंगल गृह के फल से व्यक्ति बलवान और धनवान बनेगा।
  5. अपनी मेहनत से सफलता हासिल होगी और अच्छी किस्मत का निर्माण होगा।
  • मंगल गृह मंत्र:-ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम।कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम।
  • मंगल गृह की पत्नी का नाम मेघा है परंतु कुछ धर्म ग्रन्थों की मान्यता के अनुसार मंगल गृह की पत्नी का नाम ज्वालिनी देवी है।
  • मंगल गृह मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन (मंगल की जननी) के क्षिप्रा नदी के किनारे है जिसको ‘मंगल-नाथ’ मंदिर कहते हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी मंगल गृह मंदिर है जिसका नाम अमलनेर है।

मंगल ग्रह के कितने उपग्रह हैं

मंगल ग्रह से 2 उपग्रह हैं। इसकी दूरी मंगल ग्रह से बहुत कम है इसलिए इन्हें क्षुद्र ग्रह भी कहा जाता है।

Rashvinder
Rashvinder
मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
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