मैरी क्रिसमस (Christmas) हर वर्ष 25 दिसंबर के दिन मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ 25 दिसंबर को ही नहीं मनाया जाता बल्कि 25 दिसंबर से क्रिसमसटाइड की शुरुआत हो जाती है और अगले 12 दिन तक अलग-अलग उपलक्ष्य पर 6 जनवरी तक यह उत्सव मनाया जाता है।
मैरी क्रिसमस मुख्यतः ईसाई धर्म को मानने वालों का पर्व है लेकिन वर्तमान में गैर ईसाई धर्म वाले लोग भी इस पर्व को मनाने लगे हैं। मैरी क्रिसमिस पर सब लोग अपने अपने घरों और गिरजाघर की सफाई करके अच्छे से उनकी सजावट करते हैं। दोस्त और रिश्तेदार आपस में उपहार साझा करते हैं और इसके साथ साथ जरूरतमंद लोगों को गिफ्ट भी दिए जाते हैं।
मैरी क्रिसमस (Christmas) के दिन सांता क्लॉज़ का विशेष महत्व है। इस दिन लोग सांता क्लॉज़ बनके बच्चों को गिफ्ट देते हैं।
मैरी क्रिसमस क्यों मनाते हैं?
25 दिसंबर को मरियम के घर प्रभु यीशु का जन्म हुआ था। प्रभु यीशु के जन्म की खुशी के उपलक्ष में ही हर वर्ष 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस डे मनाया जाता है। दरअसल 25 दिसंबर के दिन को मकर संक्रांति या फिर रोमन उत्सव के साथ संबंध स्थापित करने के लिए चुना गया है, प्रभु यीशु के जन्म की तारीख 25 दिसंबर कोई ज्ञात वास्तविक तारीख नहीं है।
ईशा मसीह का जन्म
नाजरेथ नाम की जगह पर बहुत समय पहले एक मेहनती महिला रहती थी, जिसका नाम मरियम था। मरियम दूसरों की बहुत सहायता करती थी और वह एक अच्छी महिला थी। वह एक आदमी से प्यार करती थी जिसका नाम युसूफ था। युसूफ भी एक अच्छा आदमी था। एक दिन ईश्वर ने गैब्रियल नाम की परी के माध्यम से मरियम को एक संदेश पहुंचाया।
वह संदेश यह था कि लोगों की सहायता के लिए ईश्वर धरती पर किसी आत्मा को भेजेगा जोकि मरियम के बेटे के रूप में जन्म लेगी और उसका नाम यीशु रखना है। इस संदेश पर मरियम ने चिंता जाहिर की कि वह तो अविवाहित है फिर बच्चा कैसे होगा इस पर गैब्रियल ने कहा तुम इसके बारे में चिंता मत करो यह ईश्वर का एक चमत्कार होगा।
गैब्रियल ने यह भी बताया की मरियम के चचेरे भाई एलिजाबेथ, जिसके कोई बच्चा नहीं था वह एक बच्चे को जन्म देंगे जिसका नाम बेपटिस्ट होगा जोकि यीशु के जन्म के लिए मार्ग तैयार करेगा।
मरियम, गैब्रियल का संदेश सुनकर अपनी सहमति दे देती है। वह अपने चचेरे भाई से मिलने जाती है और तीन माह के पश्चात वापिस लौटती है और उस समय तक वह गर्भवती हो चुकी होती है। यह बात जानकर युसूफ चिंता में पड़ जाता है और मरियम से शादी ना करने के बारे में सोचने लगता है।
फिर एक दिन यूसुफ को सपने में एक परी दिखाई देती है जो कि ईश्वर की उस इच्छा के बारे में यूसुफ को सब बताती है। युसूफ उस परी का संदेश सुनकर सुबह उठता है और फैसला लेता है कि वह मरियम से शादी करेगा।
शादी होने के पश्चात मरियम और युसूफ बेथलहम की तरफ चले गए। बेथलहम में जाकर उन्होंने देखा की वहां बहुत भीड़ है और रहने की जगह नहीं है। तब उन्होंने किसी जानवरों के खलिहान में रहने का निर्णय लिया और वहीं पर ईश्वर के पुत्र को मरियम ने जन्म दिया और उसका नाम यीशु रखा।
यीशु के जन्म के संकेत के लिए ईश्वर ने एक उज्जवल सितारे को माध्यम बनाया। दुनिया भर के अलग-अलग हिस्सों के बुद्धिमान और विद्वान आदमियों ने उज्जवल सितारे के महत्व को जान लिया था। वह सब लोग उस उज्जवल सितारे का पालन करते हुए यीशु के जन्म स्थान की तरफ यीशु और उनके मां-बाप के लिए उपहार लेकर चल पड़े।
बेथलहम के विभिन्न हिस्सों में स्वर्ग दूत यीशु के जन्म की खबर देने लगे। उन्होंने दुनिया में इस पवित्र आत्मा के आने के स्वागत में गाने गाए और उनके जन्म का आनंद लिया।
तब से ही क्रिसमस के रूप में इस दिन को मनाया जाता है। लोग इस दिन नए – नए कपड़े पहनते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, गिरजाघर और अपने घरों की सफाई करते हैं, कैंडल जलाते हैं, क्रिसमस ट्री को सजाते हैं और उपहार के रूप में क्रिसमस ट्री को सजा कर एक दूसरे को देते हैं।
मैरी क्रिसमस कैसे मनाते हैं? Christmas Celebration in Hindi
- यह उत्सव लगभग पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन मुख्यतः ईसाई धर्म के लोग बाइबल पढ़ते हैं और उपवास भी करते हैं।
- क्रिसमस के अवसर पर सब लोग अपने घरों और गिरजाघरों की सफाई करते हैं और उन्हें सजाते हैं। सब अलग-अलग तरह के पकवान बनाते हैं और अपने दोस्तों और सगे संबंधियों के साथ सांझा करते हैं। इसके साथ साथ उपहार भी सांझा करते हैं।
- इस दिन चर्च या गिरजाघरों में कैंडल जलाकर प्रार्थना की जाती है, मेडिटेशन की जाती है और गाने गाए जाते हैं।
- क्रिसमस को मनाने के लिए विशेष रुप से क्रिसमस ट्री को भी सजाया जाता है। सब लोग एक दूसरे को क्रिसमस ट्री को सजाकर उपहार के रूप में देते हैं।
- क्रिसमस के दिन लोग सांता क्लॉज़ का रूप धारण करके बच्चों को उपहार बांटते हैं।
क्रिसमसटाइड क्या है
क्रिसमसटाइड 12 दिनों तक लगातार अलग अलग रूपों में मनाये जाने वाले दिनों के समूह को कहते हैं। क्रिसमस की शुरुआत 25 दिसम्बर (मैरी क्रिसमस) से हो जाती है और 5 जनवरी को इसका आखरी दिन के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमसटाइड के सब दिनों के विषय में सम्पूर्ण जानकारी निम्नलिखित हैं:-
- 25 दिसंबर: यह दिन प्रभु यीशु के जन्मदिवस के उपलक्ष में क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है।
- 26 दिसंबर: ऐसा माना जाता है कि इस दिन सेंट स्टीफन ने ईसाई धर्म के लिए अपनी कुर्बानी दी थी। इसलिए इस दिन को सेंट स्टीफन डे या फिर बॉक्सिंग डे के रूप में भी मनाया जाता है।
- 27 दिसंबर: यह दिन प्रभु यीशु के एक दोस्त के लिए मनाया जाता है। यह दिन यीशु प्रभु के दोस्त सेंट जॉन जोकि उनके दोस्त होने के साथ-साथ उनसे प्रेरित भी थे को समर्पित है।
- 28 दिसंबर: इस दिन राजा हीरोद ने प्रभु यीशु को ढूंढते समय बहुत सारे मासूम लोगों को मार दिया था। उन्हीं मारे गए मासूम लोगों की याद में इस दिन उन लोगों के लिए प्रार्थना की जाती है और आयोजन किए जाते हैं।
- 29 दिसंबर: क्रिसमसटाइड का यह पांचवा दिन सेंट थॉमस को समर्पित है। 12 वीं सदी में आज के दिन ही उनको चर्च पर राजा के अधिकार को चुनौती देने के लिए कत्ल कर दिया था। उनकी इसी कुर्बानी के लिए यह दिन समर्पित है।
- 30 दिसंबर: इस दिन को सेंट इग्विन ऑफ वर्सेस्टर को समर्पित किया गया है।
- 31 दिसंबर: क्रिसमसटाइड के सातवें दिन के विषय में यह माना जाता है कि आज ही के दिन को पोक सिल्वेस्टर ने मनाया था। इस दिन खेलकूद की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। कुछ यूरोपियन देशों में नए वर्ष से पहले की रात्रि को सिल्वेस्टर भी कहा जाता है।
- 1 जनवरी: यह दिन प्रभु यीशु की माता मरियम या फिर मदर मैरी को समर्पित होता है।
- 2 जनवरी: यह दिन चौथी सदी के सबसे प्रथम ईसाई ‘सेंट ग्रेगरी नाजियाजेन’ और ‘सेंट बेसिल द ग्रेट’ को समर्पित किया जाता है।
- 3 जनवरी: ऐसा माना जाता है कि इस दिन प्रभु यीशु का नामकरण किया गया था इसलिए इस दिन गिरजाघरों की सफाई की जाती है और उन्हें सजाया जाता है तथा प्रार्थना की जाती है और गीत गाए जाते हैं।
- 4 जनवरी: यह दिन अमेरिका की पहली संत एलिजाबेथ को समर्पित किया जाता है। इस दिन सेंट एलिजाबेथ जो कि 18वीं और 19वीं सदी की संत थी, उनको याद किया जाता है।
- 5 जनवरी: क्रिसमसटाइड का यह आखिरी दिन होता है। यह 12वाँ दिन अमेरिका के प्रथम बिशप सेंट जॉन न्यूमन को समर्पित किया जाता है। इस दिन को हम एपिफेनी भी कहते हैं।
क्रिसमस ट्री का महत्व
सदाबहार फर का वृक्ष जिसको सनोबर के नाम से भी जानते हैं, इसको क्रिसमस ट्री के रूप में क्रिसमस के दिन सजाकर उपहार में दिया जाता है। यह ऐसा वृक्ष होता है जो हमेशा हरा भरा रहता है और कभी भी मुरझाता नहीं है इसीलिए यह सदाबहार है। यह वृक्ष बर्फ गिरने के मौसम में भी हरा भरा रहता है।
मुख्यतः बालमस, डग्लस और फर के पौधे को क्रिसमस ट्री के रूप में क्रिसमस के दिन फूल, रंग बिरंगे रिबन, लड़ीयों और लाइटों से सजाया जाता है और सब लोग अपने सगे सबंधियों और दोस्तों को इसे उपहार में देते हैं।
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सांता क्लॉज़ का महत्व – Santa Claus
वैसे तो सांता क्लॉज़ और मैरी क्रिसमस के बीच कोई संबंध नहीं है लेकिन मैरी क्रिसमस के दिन लोग सांता क्लॉज़ बनकर बच्चों को उपहार बांटते हैं। ऐसा माना जाता है कि सांता क्लॉज़ का असली रूप संत निकोलस हैं। सांता क्लॉज़ के बारे में यह भी जानकारी मिलती है कि इनका जन्म आखरी बाइबल के लिखे जाने के 100 वर्ष पश्चात हुआ था, इसी कारण बाइबल में सांता क्लॉज़ का कहीं भी जिक्र नहीं मिलता है।
Saint Nicholas को डच भाषा में Sinter Klass कहते हैं इसमें Sinter का अर्थ है संत और Klass का अर्थ है निकोलस। जब डच अमेरिका में पहुंचे तो वहां रहने वाले आदमियों ने सिंटर क्लास को सांता क्लॉज़ कहकर बुलाना शुरू कर दिया। इस तरह ही संत निकोलस, सांता क्लॉज़ बने। असल में सेंट निकोलस ग्रीक बिशप थे, जो अपनी दयालुता के लिए लोकप्रिय थे और उनसे किसी का दुख नहीं देखा जाता था।
इसलिए वह रात को जरूरतमंदों और बच्चों को छुपकर उपहार दिया करते थे, जिससे उनको बहुत शांति महसूस होती थी। उस समय जुराब और जूतों में सोने के सिक्कों के रखे होने की बहुत कहानियां सुनने को मिलती थी। इसलिए वर्तमान में भी ऐसा कहते हैं कि सांता क्लॉज़ आकर बच्चों के जूते और जुराबों में उपहार रख कर चले जाएंगे।
यहीं से ही दुनिया भर में लोगों का सीक्रेट सांता क्लॉज़ बन कर आना और क्रिसमस के दिन बच्चों को उपहार देने का रिवाज शुरू हुआ। क्रिसमस के मौके पर बच्चों द्वारा अपनी जुराब घर के बाहर रखते हुए देखने को मिलती है क्योंकि बच्चे यह सोच कर जुराब बाहर रखते हैं कि रात को सीक्रेट सेंटा आएगा और उनकी जुराब में उपहार रखके चला जाएगा।
इसलिए क्रिसमस के दिन बच्चे सांता क्लॉज़ का बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं। सांता क्लॉज़ को देवदूत के रूप में भी माना जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि सांता क्लॉज़ स्वर्ग से बच्चों के लिए उपहार लेकर आते हैं और बच्चों को उपहार देकर वह वापिस स्वर्ग में चले जाते हैं।