सोमवार, अक्टूबर 2, 2023

Pen ka avishkar kisne kiya – पेन का अविष्कार

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इस पोस्ट में आज हम ” Pen ka avishkar kisne kiya” विषय के बारे में बात करेंगे। आज के समय में हर काम डिजिटल माध्यम से होने लग गया है। टेक्नोलॉजी के इस समय में ऑफिस का सब काम भी ऑनलाइन होने लग गया है। सच कहें तो आज के समय में कागज का इस्तेमाल कम करने पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन जब इंसान लिखने की शुरुआत करता है तब पेंसिल (Pencil) या पेन (Pen) से ही कागज पर लिखना सीखता है।

आज के इस डिजिटल दौर में भी, भले ही कागज का इस्तेमाल कम होता जा रहा है और अधिकतर कार्य ऑनलाइन हो जाते हैं लेकिन फिर भी पेन हमारे लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि पहले था। कोई भी आदमी चाहे वह नौकरी करने वाला हो, कोई पेशा करने वाला हो, छात्र हो या कोई सामान्य व्यक्ति हो घर से निकलते समय पेन को हमेशा साथ लेकर चलते हैं। अगर हमारी शर्ट या कोट की जेब में पेन रखा हुआ दिखता है तो इससे हमारा व्यक्तित्व भी बहुत प्रभावशाली लगता है। आज भी समाज में जिसके पास पेन दिखता है उसको पढ़ा लिखा और समझदार व्यक्ति माना जाता है।

Pen ka avishkar kisne kiya

हर एक बच्चा स्कूल जाना शुरू करते ही पेन का इस्तेमाल करने लग जाता है और पूरी उम्र वह इसका इस्तेमाल करता रहता है, इसलिए आने वाले भविष्य में यह डिजिटल दौर कितना भी आगे निकल जाए लेकिन पेन का इस्तेमाल हमेशा होता रहेगा। आज इस लेख में आप पेन का आविष्कार किसने और कब किया तथा पेन से संबंधित अन्य जानकारी पा सकते हैं।

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पेन क्या है ? – Pen kya hai ?

पेन एक लिखने का उपकरण है। पेन में स्याही डालकर उससे हम कागज पर लिख सकते हैं। इसमें हम किसी भी रंग की स्याही डाल सकते हैं। जिस प्रकार प्राचीन काल में मोर की पंख को स्याही में डुबो कर लिखने का कार्य किया जाता था उसी तकनीक के आधार पर पेन का भी आविष्कार किया गया। पेन में स्याही, पेन के अंदर के भाग में डाली जाती है। पेन की बाहर की तरफ आगे एक नोक (नीब) लगी होती है जोकि टाइटेनियम या फिर स्टेंलेस स्टील की बनी होती है, इसमें से ही पेन के अंदर डाली गई शाही बाहर आती है और कागज पर इस नोक या नीब से लिख पाते हैं।

आज के दौर में अधिकतर लोग बॉल पेन का उपयोग करते हैं, जिसमें शाही के लिए रिफिल डाली जाती है। पेन का एक दूसरा प्रकार भी होता है जिसको फाउंटेन पेन कहते हैं इसमें रिफिल की बजाए नीब होती है जिससे लिखा जाता है। पेन में उपयोग होने वाली अलग-अलग रंगों वाली स्याही को तेल या पानी जैसे किसी सॉल्वेंट में मिलाकर बनाया जाता है। पेंसिल का लिखा हुआ थोड़े समय मैं ही मिट जाता है या रख हो जाता है जबकि पेन से लिखा हुआ जल्दी नहीं मिटता है।

पेन का आविष्कार किसने किया ?

पेन का आविष्कार किसने किया अगर इस सवाल का आप स्टिक जवाब जानना चाहोगे तो यह बताना थोड़ा मुश्किल होगा। क्योंकि आधुनिक पेन का आविष्कार होने से पहले भी लिखने का कार्य किया जाता था। इसके साथ साथ पेन भी मुख्यतः दो प्रकार के हैं जिनका दो अलग-अलग व्यक्तियों ने आविष्कार किया। आधुनिक पेन की कहानी फाउंटेन पेन के आविष्कार से शुरू हुई। फाउंटेन पेन के आविष्कार का श्रेय जाता है Petrache Poenaru को, जो कि एक फ्रांसीसी आविष्कारक थे।

दूसरी तरफ कलम के क्षेत्र में बॉल पॉइंट पेन को एक महत्वपूर्ण आविष्कार का दर्जा मिला। वैसे तो बॉल पॉइंट पेन का आविष्कार करने का श्रेय दो व्यक्तियों को जाता है जिनमें से एक का नाम है लादिसालो जोस बिरो तथा दूसरे का नाम है जॉन जैकब लाउड। लेकिन जॉन जैकब लाउड को ही बॉल पॉइंट पेन का मुख्य आविष्कारक माना गया है

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पेन का आविष्कार कब हुआ

फाउंटेन पेन का आविष्कार Petrache Poenaru द्वारा 1827 में किया गया था। लेकिन इसमें कुछ खामियां थी जिन को सुधार कर 1884 में लुईस वाटर मैन नाम के एक अमेरिकी व्यक्ति ने इसकी डिजाइन में कुछ बदलाव किया और एक नया फाउंटेन पेन बनाया।

जॉन जैकब लाउड लेदर का काम करने वाले एक व्यक्ति थे। लेदर के बड़े बड़े टुकड़ों पर निशान लगा कर उनको काटना होता था। लेदर के टुकड़ों पर निशान लगाने के लिए फाउंटेन पेन और पेंसिल का इस्तेमाल करना मुमकिन नहीं हो रहा था। इस समस्या को देखकर उन्होंने एक पेन बनाया जिस की नोक धातु की बॉल के आकार की थी। यह बॉल एक सॉकेट में लगी हुई थी और चारों और घूम सकने वाली थी। यही बॉल पेन उनका आविष्कार था। उन्होंने 30 अक्टूबर 1888 को इसका पेटेंट अमेरिका में प्राप्त किया।

लेकिन यह बॉल पेन लेदर पर लिखने के लिए तो ठीक था परंतु इसकी नोक बहुत कठोर होने के कारण कागज पर लिखना इससे बहुत मुश्किल था। इसलिए ही यह पेन ज्यादा प्रचलित नहीं हो पाया। इसके बाद लादिसालो जोस बिरो ने 1931 में बॉल बेयरिंग और पतली शाही का प्रयोग करके एक आधुनिक बॉल पेन बनाया। यह पेन बहुत सफल रहा और पूरी दुनिया में 100 अरब से भी ज्यादा संख्या में यह बिका।

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रोलर पेन का आविष्कार

रोलर पेन में उपर की तरफ रबर लगा रहता है, जिससे लिखने में आसानी रहती है और उँगलियों पर दबाव कम पड़ता है। रोलर पेन का आविष्कार जापानी कंपनी ऑटो ने 1963 में किया था।

टीबाल्डी फुल्गोर नोक्टर्नस (Tibaldi Fulgor Nocturnus)

यह दुनिया का सबसे महंगा और कीमती पेन है। इसकी कीमत वर्तमान में लगभग 60 करोड़ से भी उपर है।

बॉल पेन Vs फाउंटेन पेन

बॉल पेन और फाउंटेन पेन में निम्नलिखित अंतर हैं:

  • फाउंटेन पेन की स्याही बॉल पेन की तुलना में जल्दी ख़त्म हो जाती है।
  • फाउंटेन पेन में स्याही पेन के अन्दर ही भरी जाती है जबकि बॉल पेन में स्याही रिफिल में आती है जिसके ख़तम होने पर हम दूसरी रिफिल डाल सकते हैं।
  • फाउंटेन पेन की नोक चौड़ी होती है जबकि बॉल पेन की नोक पतली और छोटी होती है।
  • फाउंटेन पेन से लिखा हुआ सूखने में बॉल पेन की तुलना में ज्यादा समय लेता है।

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Rashvinder
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मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
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