गुरूवार, मार्च 30, 2023

Rabi aur Kharif ki fasal – सरल हिंदी भाषा में

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यह सवाल अक्सर पूछा जाता है की रबी की फसल क्या होती है? या ख़रीफ़ की फसल क्या होती है ? ज़्यादातर जब हम स्कूल में पढ़ते हैं और कृषि से सम्बंधित आपका विषय है या किसी competitive exam की तैयारी कर रहे होते हैं तो इनके बारे में गहराई से जानना बहुत ज़रूरी है

सबसे पहले हम जानते हैं की रबी और ख़रीफ़ का नाम कैसे पड़ा और इनको इस नाम से क्यों पुकारा जाता है

  • रबी की फसल: रबी का मतलब ‘बसंत’ ऋतु होता है। अरबी भाषा में बसंत को रबी बोला जाता है इसीलिए वो फ़सले जिनका सम्बंध बसंत ऋतु से होता है उनको रबी की फसल कहते है।
  • ख़रीफ़ की फसल: ख़रीफ़ का मतलब ‘पतझड़’ ऋतु होता है। अरबी भाषा में पतझड़ को ख़रीफ़ बोला जाता है इसीलिए पतझड़ ऋतु से सम्बंध रखने वाली फसलों को ख़रीफ़ की फसल बोला जाता है।
Rabi aur Kharif ki fasal

रबी की फसल – Rabi ki Fasal

रबी की फसलें जिनको कम तापमान की ज़रूरत होती है, उन फसलों को अक्तूबर व नवम्बर में बोया जाता है। इन फसलों की कटाई फ़रवरी व मार्च में कर ली जाती है।

भारत उपमहाद्वीप में रबी की फसलों को अक्तूबर से नवंबर तक बोया जाता है इसका एक अच्छा उदाहरण है दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि जिन फसलों को उगाते समय कम तापमान (अक्तूबर से नवंबर) की ज़रूरत होती है और फ़सल को पकड़ते वक़्त शुष्क और गर्म वातावरण की ज़रूरत होती है उन्हें रबी की फ़सल कहा जाता है।

रबी का दूसरा नाम बसंत ऋतु भी होता है ना तो वो फ़सलें जो बसंत ऋतु में काटी जाती हैं उन्हें रबी की फ़सल कहा जाता है। गेहूं, आलू, चना, मसूर, दाल, अलसी, जौ, मटर और सरसों रबी की मुख्य फ़सलें हैं।

  • गेहूं: गेहूं पूरे विश्व का प्रमुख खाद्यान्न हैं और विश्व भर में गेहूं की खेती की जाती है। वैसे तो विश्व में सबसे ज़्यादा बुलाए जाने वाली फ़सल पक्का है लेकिन पक्का के बाद गेहूं दूसरी सबसे ज़्यादा उगाए जाने वाली और धान तीसरी सबसे ज़्यादा उगाए जाने वाली फ़सल है। लेकिन याद रहे धान रबी की फ़सल नहीं है धान एक ख़रीफ़ की फ़सल है। गेहूं का वैज्ञानिक नाम तरितिकम ऐस्टिवम (Triticum aestivum) है । गेहूं को इंग्लिश में व्हीट (Wheat) कहा जाता है।
  • आलू: आलू का उद्गम स्थल दक्षिण अमेरिका को माना जाता है यह मक्का, गेहूं, और धान के बाद सबसे ज़्यादा उगाए जाने वाली फ़सल है। आलू को इंग्लिश में पटेटो (Potato) कहते हैं और वनस्पति विज्ञान की दृष्टि से आलू एक तना है। भारत में आलू की सबसे ज़्यादा पैदावार उत्तर प्रदेश में होती है। चीन और रूस के बाद आलू उत्पादन में भारत का तीसरा स्थान है।
  • चना: चने की बुवाई अक्सर 15 नवंबर से 25 नवम्बर के बीच में की जाती है। क्योंकि चना एक रबी की फ़सल है इसलिए इसे उगाने के समय कम तापमान की ज़रूरत होती है। यह एक प्रमुख दलहन फ़सल है और चने के आटे को बेसन कहा जाता है। चना की कई तरह की क़िस्में पायी जाती है, फ़ोटो में गए काले चने / क़बूली चने हैं। भारत में सफ़ेद चने ( छोले ) व क़बूली चने ज़्यादा खाए जाते हैं।
  • मसूर: मसूरी में दलहन फ़सल है और दलहन फसलों इसका एक महत्वपूर्ण स्थान है आम भाषा में मसूर को लाल दाल भी कहा जाता है। अगर हम मसूर दाल के उत्पादन के बारे में बात करें तो भारत विश्व में कनाडा के बाद दूसरे स्थान पर आता है और भारत में मध्य प्रदेश सबसे ज़्यादा मसूर उत्पादन करने वाला राज्य है। मसूर दाल को अक्टूबर से दिसंबर तक बोया जाता है इसलिए मसूर को रबी की फ़सल कहा जाता है।
  • दाल: भारत उप महाद्वीप में अनेकों प्रकार की दालें उगायी जाती है ये बहन और दालों को दलहन भी कहा जाता है। दालें रबी की फ़सल होती है। अरहर की दाल, मूंग की दाल, मसूर दाल, उड़द दाल, राजमा, चना दाल आदी कुछ प्रमुख दालें हैं।
  • अलसी: अलसी एक रबी की फसल है और इसको तीसी नाम से भी जाना जाता है और रेशेदार फसलों में अलसी का एक महत्वपूर्ण स्थान है। अलसी के बीज से तेल निकाला जाता है जिसका उपयोग कई तरह के सामान बनाने में उपयोग किया जाता है। चीन अलसी का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। अलसी का उपयोग कई परकार की दवाइयाँ आदि बनाने में भी किया जाता है, भारत में अलसी का उपयोग खाने में और आयुर्वेदिक दवाइयाँ बनाने में किया जाता है।
  • जौ: पृथ्वी पर प्राचीनकाल से कृषि की जाने वाली फसलों में जौ एक फ़सल है जिसका उल्लेख प्राचीन भाषाओं जैसे संस्कृत में में भी हुआ है। जो की फ़सल को संस्कृत में ‘यव’ कहते हैं। 100 से ज़्यादा देशों में जो फ़सल की पैदावार होती है और रूस इसका सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारतीय संस्कृति में जौ का उपयोग त्योहार, शादी ब्याह में भी किया जाता है और हिंदू धर्म में जौ फ़सल का बहुत महत्व है। जौ की फ़सल को गेहूं के समय पर ही उगाया व काटा जाता है।
  • मटर: मटर एक प्रकार की सब्ज़ी है, और इसे एक प्रमुख रबी की फ़सलो में से एक माना जाता है। मटर के सूखे रूप में भी खाया जाता है। मटर को मुख्यतः सब्ज़ी बनाने में और नमकीन आदि बनाने में उपयोग में लाया जाता है। वैसे तो मटर एक मौसमी सब्ज़ी है, लेकिन आधुनिक युग में मटर को सुरक्षित रख लिया जाता है, जिसका उपयोग कभी भी कर सकते हैं।
  • सरसों: मूँगफली के बाद सरसों दूसरी महत्वपूर्ण तिलहन फसल है और मुख्यत भारत के उत्तर, पूर्व व पश्चिम राज्यों में उगाई जाती है। सरसों के बीजों से तेल निकाला जाता है, जिसका उपयोग खाना बनाने व अन्य कार्यों में किया जाता है। सरसों का वैज्ञानिक (scientific name) नाम ब्रेसिका कम्प्रेसटिस है।

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rabi aur kharif ki fasal list

खरीफ की फसल – Kharif ki Fasal

ऐसी फसलें जिन्हें जून-जुलाई में बोया जाता है और अक्टूबर के आसपास काटा जाता है ऐसी फसलों को खरीफ की फसल कहते हैं।

खरीफ का मतलब पतझड़ भी होता है। खरीफ की फसलों को बोते समय ज्यादा तापमान की आवश्यकता होती है और जब यह फसल पकती है तो शुष्क वातावरण की जरूरत होती है। इसीलिए जून-जुलाई का महीना इन फसलों को बोने के लिए और अक्टूबर का महीना काटने के लिए उपयुक्त होता है।

खरीफ की फसल के नाम : धान, मक्का, जवार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, जूट, कपास आदि।

  • धान (चावल): पूरे विश्व में धान एक प्रमुख फसल है और मक्का के बाद धान ही ऐसी फसल है जिसे सबसे ज्यादा उगाया जाता है। धान के बीज को ही चावल कहा जाता है और जब धान के ऊपर का छिलका हट जाता है तो हमें चावल प्राप्त होते हैं। यह एक प्रमुख Kharif ki Fasal है जिससे पतझड़ के मौसम में काटा जाता है।
  • मक्का: विश्व में सबसे ज्यादा बोई जाने वाली फसल का नाम मक्का है यह मोटे अनाज की श्रेणी में गिना जाता है। भारत देश में लगभग 7 तरह के मक्का पाए जाते हैं। मार्च अप्रैल में मक्का की बुआई शुरू हो जाती है, और मक्का एक Kharif ki Fasal है। मक्का को इंग्लिश में कॉर्न(Corn) बोला जाता है। इसका उपयोग काफ़ी तरह की खाने की चीजों में होता है ओर अलग अलग तरह के व्यंजन मक्का से बनाए जाते हैं।
  • ज्वार: ज्वार भी खरीफ की एक प्रमुख फसल है यह ज्यादातर कम वर्षा वाले क्षेत्रों में अनाज और चारे के लिए बोई जाती है। जानवरों जैसे भैंस व गाय आदि के लिए ज्वार एक पोस्टिक चारा है। उत्तर भारत में ज्वार को मुख्यतः जानवरों के लिए ही बोया जाता है और इसकी बुवाई वर्षा से पहले या वर्षा आरंभ होते ही कर दी जाती है। वैसे तो बरसात से पहले सिंचाई करके भी इस फसल को तैयार किया जा सकता है लेकिन जब बरसात अच्छी तरह से हो जाए तभी इसको चारे के रूप में पशुओं को खिलाना चाहिए क्योंकि गर्मी में ज्वार की फसल में कुछ विश पैदा हो जाता है जिसका दुष्प्रभाव पशुओं पर पड़ सकता है।
  • बाजरा: बाजरा खरीफ की एक मुख्य फसल है और यह एक प्रकार की बड़ी घास होती है। बाजरा भी ज्वार से मिलती जुलती फसल है और अक्सर बाजरे को ज्वार के कुछ दिन पश्चात बोया जाता है और सर्दी के आरंभ में काट लिया जाता है। बाजरा की फसल को उगाने के लिए सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं होती इसके लिए जमीन को तीन से चार बार जोत कर बीज को बो दिया जाता है। बाजरा फसल का उपयोग मुख्यतः खाने में किया जाता है और इस फसल को पशुओं के चारे के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। बाजरा अमीनो एसिड और प्रोटीन से भरपूर फसल है और भारत में तथा अफ्रीका में इसका उपयोग रोटी दलिया और बीयर आदि बनाने में होता है।
  • मूंगफली: मूंगफली एक मुख्य तिलहन फसल है और इसे प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। यह एक Kharif ki Fasal है जिसे विश्व भर में बोया जाता है और खाने में उपयोग किया जाता है। भारत में मूँगफली को भून कर भी खाया जाता है, और इसका मक्खन (Peanut Butter) भी बना कर बड़े चाव से विश्व भर में खाया जाता है। मूँगफली को सस्ता बादाम के नाम से भी जाना जाता है, भारत में इससे कई इलाक़ों में कच्चा बादाम भी बोलते हैं।
  • गन्ना: ब्राजील गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और गन्ने के उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। गन्ने का उपयोग सबसे ज्यादा उपयोग चीनी व गुड बनाने में होता है। इसके अलावा गन्ने का जूस भी भारत व अन्य देशों में काफी पसंद किया जाता है। भारत में सबसे ज़्यादा गन्ना उत्तर-प्रदेश राज्य में उगाया जाता है। जो भारत का गन्ना उत्पादन का 39% – 40% है।
  • सोयाबीन: सोयाबीन का वैज्ञानिक नाम ग्लाइसिन मैक्स है, और सोयाबीन एक दलहन फसल मानी जाती है। सोयाबीन प्रोटीन से भरपूर होता है, और स्वास्थ्य के लिए यह एक बहुत ही उपयोगी खाद्य पदार्थ है। सोयाबीन को उगाने के लिए जून और जुलाई सबसे उपयुक्त समय माना जाता है, और इसे बोते समय जलवायु का गरम वह नम होना जरूरी है। सोयाबीन एक Kharif ki Fasal है, फल स्वरूप इससे ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती लेकिन सोयाबीन के पौधों में जब दाना आना शुरू हो जाए अर्थात लगभग सितंबर के महीने में यदि खेत में नमी ने हो तो इसकी सिंचाई करके अच्छा उत्पादन हम ले सकते हैं।
  • जूट: जूट या पटसन एक प्रकार के पौधे के रेशे को कहा जाता है और इनका उपयोग अक्सर रसिया बनाने में दरी बनाने में बोरे बनाने में कपड़े तथा कागज आदि बनाने में किया जाता है। जूट के रेशे की लंबाई अक्सर 14 से 15 फुट तक होती है और झूठ का रेशा मजबूत चमकदार और सफेद रंग का होता है। जूट की पैदावार भारत में सबसे ज्यादा होती है और भारत के बाद बांग्लादेश दूसरे स्थान पर जूट उत्पादन में आता है।
  • कपास: विश्व भर में दो प्रकार की किस्में कपास की पाई जाती हैं। देसी कपास और अमेरिकन कपास। कपास से रुई तैयार की जाती है और रूई से कपड़े बनाए जाते हैं। कपास को सफेद सोना भी कहा जाता है। कपास की खेती मुख्यतः चीन भारत पाकिस्तान अमेरिका वह अफ्रीका के कुछ भागों में होती है।

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