शनिवार, सितम्बर 23, 2023

SAARC – दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन – सभी जानकारी

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SAARC/सार्क संगठन एशिया के 8 देशों ने मिलकर बनाया है, जिसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान और मालदीव ने मिलकर बनाया था जिसमें आठवां देश अफगानिस्तान सन 2007 में सार्क के 14 शिखर सम्मेलन में जोड़ा गया।

SAARC Full Form

  • SAARC Full form in English – South Asian Association for regional cooperation.
  • SAARC Full form in Hindi –  दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन

इस संगठन को इंग्लिश में “सार्क” (SAARC) और हिंदी में “दक्षेस” भी कहा जाता है।

वेबसाइट: www.saarc-sec.org 

SAARC, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन

SAARC के बारे में 

  • स्थापना के समय सदस्य देशों की संख्या – 7 (बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्तान और भारत)
  • स्थापना तिथि – 8 दिसम्बर, 1985
  • मुख्यालय – काठमांडू, नेपाल
  • मुद्राएँ – 8
  • प्रेक्षक देश – 9 (रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया, जापान, चीन, इरान, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपियन यूनियन, मॉरिशस, मयन्मार और संयुक्त राज्य अमेरिका)
  • संचालक – मंत्रिपरिषद द्वारा नियुक्त महासचिव
  • महासचिव का कार्यकाल – 3 साल

SAARC के प्रमुख अंग

  • विदेश सचिवों की स्थाई समिति: प्राथमिकताएं निर्धारित करना, समन्वय एवं सम्पूर्ण निगरानी रखना, संसाधनों को संगठित करना और वित्त्पोषणों और परियोजनाओं को मंजूरी देना।
  • प्रमुखों की बैठक: इस प्रकार की बैठक वार्षिक रूप से शिखर सम्मलेन के स्तर पर आयोजित होती हैं।
  • सचिवालय: 1. 16 जनवरी, 1987 को काठमांडू में सचिवालय की स्थापना की गई संगठन की बैठकों से सम्बंधित सेवाएं, संगठन की गतिविधियों के क्रियान्वयन के लिए निगरानी एवं समन्वय, SAARC और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के मध्य संचार चैनल के रूप में कार्य करना।

     2. सचिवालय में महासचिव, 7 निर्देशक व् अन्य सेवा कर्मचारी शामिल हैं। महासचिव की नियुक्ति                              मंत्रिपरिषद द्वारा 3 साल के लिए प्रत्येक सदस्य देश के वर्णमाला कर्म के आधार पर की जाती है।

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SAARC के प्रमुख निकाय

  • दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय: यह भारत में अवस्थित एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया प्रमाण पत्र एवं डिग्री, राष्ट्रीय संस्थाओं या विश्वविद्यालयों द्वारा दी गई संबंधित डिग्री एवं प्रमाण पत्र के समान मानी जाती हैं।
  • सार्क मध्यस्थता परिषद: यह निकाय एक अंतर सरकारी निकाय है जो पाकिस्तान में स्थापित है। यह निकाय बैंकिंग, वाणिज्यिक, निवेश, व्यापारिक और औद्योगिक जैसे संबंधित विवादों के निपटान के लिए एक कानूनी मंच प्रदान करता है।
  • सार्क विकास कोष (SDF): इस निकाय का मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और विकास जैसी सामाजिक क्षेत्र में सहयोग आधारित परियोजनाओं का वित्त पोषण करना है। सार्क के सदस्य देशों के वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधियों द्वारा गठित किए गए बोर्ड द्वारा SDF का शासन किया जाता है। इस बोर्ड के कार्यों की देखरेख SDF की गवर्निंग काउंसिल (MSc के वित्त मंत्री) द्वारा की जाती है।
  • दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय मानक संगठन: इस निकाय का मुख्य उद्देश्य सार्क के सदस्य देशों के बीच अनुरूपता और मानकीकरण के संबंध में सहयोग एवं समन्वय को बढ़ाना है। इस निकाय के कार्यों में अंतर क्षेत्रीय व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय बाजार मैं पहुंच की सुविधा देने के लिए सामंजस्य पूर्ण मानकों का विकास करना भी सम्मिलित है। इस निकाय का सचिवालय बांग्लादेश के ढाका में अवस्थित है।

सार्क संगठन का इतिहास

बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउर रहमान ने 1970 के दशक में एक प्रस्ताव रखा की क्यों ना दक्षिण एशियाई देशों का एक व्यापारिक गुड बनाया जाए जिससे वह आसानी से एक दूसरे के साथ व्यापार कर सके और आगे बढ़ सके।

इसके पश्चात सन 1980 में दोबारा से इसके बारे में चर्चा हुई और अप्रैल 1981 में 7 देशों के विदेश सचिव श्रीलंका के कोलंबो शहर में पहली बार मिले। इस मुलाकात में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान और मालदीव के विदेश सचिव शामिल थे।

सन 1981 में कोलंबो में हुई इस चर्चा में मुख्यतः 5 क्षेत्रों को या यह कहें कि पांच ऐसे उद्देश्य चुने गए जिन पर यह साथ देश मिलकर काम करेंगे इसके पश्चात आने वाले वर्षों में इन पांच क्षेत्रों में नए क्षेत्र भी जोड़े गए।

SAARC का कार्य क्षेत्र

  • आर्थिक, व्यापार एवं वित्त
  • कृषि एवं ग्रामीण विकास
  • सूचना
  • गरीबी उन्मूलन
  • पर्यटन
  • मानव संसाधन विकास
  • सामाजिक मुद्दे
  • प्राकृतिक आपदा एवं पर्यावरण
  • बायो टेक्नोलॉजी
  • ऊर्जा
  • परिवहन
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
  • शिक्षा, सुरक्षा
  • संस्कृति व् अन्य

सार्क संगठन के उद्देश्य

  • दक्षिण एशिया में रहने वाले लोगों के जीवन में सुधार और गुणवत्ता लाने के लिए सहयोग
  • आर्थिक विकास, सांस्कृतिक विकास और सामाजिक विकास में तेजी लाने और दक्षिण एशिया में रहने वाले व्यक्तियों को स्वाभिमान के साथ रखने और उनकी क्षमताओं का एहसास कराने के लिए अवसर पैदा करना।
  • दक्षिण एशिया में मौजूद देशों के बीच मजबूती और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना
  • एक दूसरे की समस्याओं को समझना और आपसी विश्वास को बढ़ाना
  • अन्य विकासशील देशों के साथ सहयोग को बढ़ाना
  • साझा हित के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक दूसरे के साथ मजबूती से खड़ा होना
  • एक दूसरे की आर्थिक, सामाजिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में मदद करना

सार्क संगठन का महत्व

सार्क संगठन का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि सार्क में शामिल देशों की आबादी, विश्व की कुल आबादी की 20% से भी अधिक है। इसके अलावा यह क्षेत्र विश्व का सर्वाधिक और महत्वपूर्ण उपजाऊ क्षेत्र की है और इस क्षेत्र से पूरे विश्व भर को भोजन जैसे गेहूं, चावल इत्यादि मिलता है।

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यदि इस क्षेत्र में उगने वाले अनाज की प्रतिशतता को नापा जाए तो वह किसी भी क्षेत्र में होने वाले अनाज से कहीं ज्यादा है।

सार्क संगठन का महत्व तब बढ़ जाता है जब इन दक्षिण एशियाई देशों में समस्याएं और मुद्दे लगभग समान है जैसे कुपोषण, गरीबी, प्राकृतिक आपदाएं, सामाजिक स्थिति और तकनीक की कमी। इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए इस क्षेत्र में मौजूद सभी देशों को एक दूसरे के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है और इसीलिए सा संगठन का महत्व बहुत अधिक है।

यह सभी देश एक दूसरे के साथ मिलकर विकास कर सकते हैं और इस क्षेत्र में विकास प्रक्रिया को एक दूसरे के साथ मिलकर आगे बढ़ा सकते हैं और यहां पर रहने वाले लोगों के जीवन स्तर को भी ऊपर उठा सकते हैं।


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Rashvinder
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मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
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