शनिवार, सितम्बर 23, 2023

सेटेलाइट क्या है? इसके प्रकार, उपयोग और यह कैसे काम करता है? – satellite in hindi

- Advertisement -

आपने कई बार सेटेलाइट के बारे में पढ़ा या सुना होगा और अक्सर हम टीवी और अखबार इत्यादि में भारत व अन्य देशों के द्वारा सेटेलाइट लांच करने के बारे में सुनते व पढ़ते हैं। इन सेटेलाइट को दुनिया की अलग-अलग स्पेस एजेंसी द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाता है।

यह सेटेलाइट अलग-अलग प्रकार की होती हैं और इनके काम भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं। आज के आधुनिक दुनिया में Satellite की मदद से हम अपनी जीवनशैली को और अधिक बेहतर बनाते हैं और चाहे सुरक्षा संबंधी कारण हो या मानव विकास जैसे मोबाइल सेवा बेहतर बनाना, कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाना, मौसम की जानकारी इत्यादि, इन सभी में सेटेलाइट का एक महत्वपूर्ण योगदान है।

विश्व के अलग-अलग अंतरिक्ष एजेंसियां जैसे नासा और इसरो इत्यादि, इन सभी सेटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित करती हैं और इनका उपयोग होता है।

Note: संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी का नाम नासा है और भारत की अंतरिक्ष एजेंसी का नाम इसरो है।

- Advertisement -

जब हम Satellite के बारे में सुनते वह पढ़ते हैं तो हमारे मन में यह सवाल जरूर आता है कि आखिर यह “सेटेलाइट क्या है?” और “सैटेलाइट कैसे काम करती है?” इन सभी के बारे में हम यहां पर जानेंगे और इसके साथ साथ सैटेलाइट से संबंधित अन्य जानकारियां भी आपको यहां पर मिलेंगी।

Satellite meaning in Hindi – सेटेलाइट को हिंदी में उपग्रह कहते हैं। और मानव द्वारा निर्मित Satellite को कृत्रिम उपग्रह है कहा जाता है। चंद्रमा भी पृथ्वी का उपग्रह (सेटेलाइट) है परंतु यह एक प्राकृतिक उपग्रह है।

सेटेलाइट क्या है? Salellite kya hai?

Satellite meaning in hindi, Satellite in hindi
Satellite in hindi

अंतरिक्ष में मौजूद वह वस्तु जो किसी ग्रह या तारे के चारों तरफ परिक्रमा करती है उसे सेटेलाइट या उपग्रह कहा जाता है। हमारी पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली Satellite की संख्या हजारों में है जो कृत्रिम उपग्रह कहलाते हैं परंतु पृथ्वी का एक प्राकृतिक सैटेलाइट भी मौजूद है जिसे हम चंद्रमा या चांद के नाम से जानते हैं।

इसी प्रकार से हमारे सौरमंडल में दूसरे ग्रहों के भी प्राकृतिक उपग्रह मौजूद हैं जो उन ग्रहों की परिक्रमा करते रहते हैं। मानव द्वारा निर्मित Satellite जो पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं वह समय-समय पर अलग-अलग जानकारी पृथ्वी पर भेजते रहते हैं जिससे हमें अलग-अलग प्रकार की जानकारी मिलती रहती है।

- Advertisement -

यह सभी सैटेलाइट सिर्फ पृथ्वी की जानकारी नहीं लेती बल्कि कुछ सेटेलाइट दूसरे ग्रहों और ब्रह्मांड में मौजूद दूसरे स्टार और आकाशगंगा इत्यादि की जानकारी भी इकट्ठा करती हैं, जिसे पृथ्वी पर भेजा जाता है और वैज्ञानिकों द्वारा इस पर शोध की जाती है। इस प्रकार से मानव ने सौरमंडल और ब्रह्मांड को काफी तेजी से और अच्छे से समझा है और भविष्य ब्रह्मांड से संबंधित जानकारी भी इन्हीं Satellite की मदद से हमें मिलती रहेगी।

यह सभी Satellite अलग-अलग प्रकार की होती हैं जिनका कार्य अलग-अलग होता है जैसे कम्युनिकेशन, टीवी सिग्नल और फोन कॉल्स इत्यादि इन सैटेलाइट के कुछ कार्यों के अच्छे उदाहरण हैं।

ज़रूर पढ़ें: सौरमंडल किसे कहते हैं? परिभाषा, खोज और सभी ग्रह

Satellite कितने प्रकार की होती हैं?

सैटेलाइट को दो मुख्य भागों में बांटा जाता है, जिनमें से सबसे पहला प्रकार प्राकृतिक और दूसरा मानव निर्मित है।

  • प्राकृतिक उपग्रह (Natural satellites)
  • कृत्रिम उपग्रह (Man-made or artificial satellite)
Typres of satellite in hindi

 1. प्राकृतिक उपग्रह – Natural satellites

प्राकृतिक उपग्रह वह उपग्रह होते हैं जो किसी ग्रह का चक्कर लगाते हैं और जिन्हें प्रकृति द्वारा ही निर्मित किया गया है। हमारा चंद्रमा पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है और इसी प्रकार से हमारे सौरमंडल में भी ग्रहों के अलग-अलग चंद्रमा मौजूद हैं जो उनका चक्कर लगाते हैं।

2. कृत्रिम उपग्रह – Man-made/artificial satellite

कृत्रिम उपग्रह/मानव निर्मित उपग्रह वह उपग्रह होते हैं जिन्हें मानव द्वारा बनाया गया है। इन उपग्रहों को किसी भी ग्रह के चक्कर लगाने के लिए डिजाइन किया जाता है और उनकी तयशुदा जगह पर छोड़ दिया जाता है जिसके पश्चात यह उपग्रह हमें लगातार सिग्नल भेजते रहते हैं और हमें अलग-अलग प्रकार की जानकारी मिलती रहती हैं।

यह सेटेलाइट मुख्यतः 11 प्रकार के होते हैं:

  • Astronomical satellites – एस्टॉनोमिकल सैटेलाइट की मदद से ग्रहों की स्थिति और सौरमंडल व बाहरी ब्रह्मांड में मौजूद अंतरिक्ष वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है। हमारे सौरमंडल में मौजूद किसी भी प्रकार की वस्तु की जानकारी एस्टॉनोमिकल सेटेलाइट्स द्वारा ली जाती है।
  • Bio satellites – बायो सेटेलाइट द्वारा अंतरिक्ष में जीवन की खोज की जाती है और इसके साथ-साथ इसका इस्तेमाल अंतरिक्ष में जीवित जीवो को ले जाने और उन पर अध्ययन करने के लिए किया जाता है
  • Communication satellites – इन सेटेलाइट का उपयोग कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है और आज के समय में इन सेटेलाइट्स को लो अर्थ आर्बिट में स्थापित करते हैं। ताकि अच्छी प्रकार से कम निकेशन किया जा सके।
  • Weather satellites – जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है कि वेदर सैटेलाइट वह सेटेलाइट होती हैं जिनसे हम पृथ्वी की जलवायु और मौसम की जानकारी प्राप्त करते हैं और किसी भी क्षेत्र में मौसम संबंधी जानकारी हमें वेदर सैटलाइट से ही प्राप्त होती हैं।
  • Killer satellites – किलर सेटेलाइट्स का उपयोग दुश्मन के हथियारों को ढूंढने और उन्हें खत्म करने के लिए किया जाता है। यह सेटेलाइट दुश्मन द्वारा स्थापित अंतरिक्ष में दूसरी Satellite को भी तबाह करने के लिए उपयोग की जाती है।
  • Navigation satellites – नेवीगेशन सैटलाइट का उपयोग किसी भी इलेक्ट्रॉनिक वस्तु जैसे मोबाइल इत्यादि की लोकेशन पता करने के लिए किया जाता है। यह सेटेलाइट अपने सिग्नल मोबाइल और जीपीएस संबंधित उपकरणों को अपना सिग्नल भेजती है जिससे उसकी लोकेशन का पता चल पाता है।
  • Earth observation satellites – अर्थ ऑब्जर्वेशन सेटेलाइट का उपयोग हमारी पृथ्वी पर निगरानी रखने के लिए किया जाता है इसके साथ साथ पृथ्वी का मैप बनाना और पर्यावरण या मौसम पर निगरानी बनाए रखना भी इस सेटेलाइट द्वारा किया जाता है।
  • Solar power satellites – इस प्रकार की सेटेलाइट का उपयोग सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा ग्रहण करने और उसे इंस्टॉल करने के लिए किया जाता है ताकि इस ऊर्जा का उपयोग अलग-अलग प्रकार से किया जा सके।
  • स्पेस stations – स्पेस स्टेशन भी एक प्रकार का सेटेलाइट होता है जिसमें अलग-अलग छोटी-छोटी सेटेलाइट जुड़ी होती हैं और इसका उपयोग अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा रहने के लिए किया जाता है।
  • Miniaturised satellites – यह सेटेलाइट आकार में काफी छोटी होती हैं और इनका वजन भी काफी कम होता है। इन सभी सेटेलाइट का उपयोग भी अलग-अलग प्रकार की जानकारियां प्राप्त करने के लिए किया जाता है और इनका वजन 10 किलोग्राम से लेकर 1000 किलोग्राम तक होता है।
  • Spacecraft – स्पेसक्राफ्ट एक प्रकार का जहाज होता है जिसे स्पेस में उड़ाया जाता है यह Orbit में घूमने के साथ-साथ Orbit से आगे जाकर वापस आने में ही सक्षम होता है और इसमें हवाई जहाज की तरह लैंडिंग सुविधाएं भी मौजूद होती हैं। जिसकी मदद से स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लैंड किया जा सकता है।

सैटेलाइट कैसे काम करता है?

Satellite एक self contained communication system होता है जिससे पृथ्वी से सिग्नल भेजा जाता है और रिस्पांस में सैटेलाइट द्वारा पृथ्वी पर वापस सिग्नल भेजा जाता है। इस प्रकार से पृथ्वी पर वैज्ञानिकों द्वारा Satellite को कमांड दी जाती है और वह अपना कार्य करता है।

Satellite को कुछ इस प्रकार से डिजाइन किया जाता है कि वह अंतरिक्ष के वातावरण को आसानी से सहन कर सके और अंतरिक्ष में मौजूद रेडिएशन का उस पर कोई भी असर ना हो। इसके साथ-साथ यह भी ध्यान रखा जाता है कि सेटेलाइट वजन में हल्का होना चाहिए ताकि इसे आसानी से अंतरिक्ष में या पृथ्वी के Orbit में स्थापित किया जा सके।

किसी भी सेटेलाइट को स्थापित करने के लिए बहुत अधिक पैसा खर्च होता है इसीलिए लॉन्चिंग का खर्च कम करने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा इसे जितना मुमकिन हो उतना हल्का बनाया जाता है और सभी प्रकार के टेस्ट पहले से ही कर लिए जाते हैं क्योंकि अंतरिक्ष में इनकी मरम्मत करना संभव नहीं होता।

ज़रूर पढ़ें: पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई

सेटेलाइट के मुख्य भाग

वैसे तो सैटेलाइट के कार्य के अनुसार अलग-अलग भाग हो सकते हैं परंतु कुछ ऐसे सैटेलाइट के पार्ट्स हैं जो लगभग सभी प्रकार की सेटेलाइट में मौजूद होते हैं जिनका विवरण यहां पर दिया गया। जैसा कि आप जानते हैं कि सेटेलाइट अलग-अलग प्रकार की होती हैं और उनका कार्य भी अलग-अलग हो सकता है इसीलिए उनके फंक्शन के आधार पर यह पार्ट्स अलग-अलग होते हैं।

सेटेलाइट के कुछ मुख्य भाग:

  • Antenna – किसी भी सेटेलाइट का एंटीना हुआ है भाग होता है जिससे पृथ्वी पर मौजूद वैज्ञानिकों द्वारा या फिर किसी अन्य शोर से सिग्नल प्राप्त किया जाता है और वापिस उसे ट्रांसलेट कर दिया जाता है।
  • Command and data handling – सेटेलाइट का कमांड और डाटा हैंडलिंग सेंटर सेटेलाइट के फंक्शन पर निगरानी रखता है और यह निर्धारित करता है कि satellite को पृथ्वी से कमांड प्राप्त हो रही हैं और सभी उपकरण सही से काम कर रहे हैं या नहीं।
  • Power – इस भाग से सूरज की किरणो से ऊर्जा प्राप्त करके बिजली में बदला जाता है, जिसका उपयोग satellite को ऊर्जा देना है।
  • Transporters – ट्रांसपोर्टर की मदद से पृथ्वी से प्राप्त होने वाली फ्रीक्वेंसी को डाउन लिंक फ्रीक्वेंसी में बदला जाता है और जब पृथ्वी पर सिग्नल भेजना होता है तो इन ट्रांसमिशन फ्रिकवेंसी को बढ़ाने का काम किया जाता है।
  • Guidance and stabilisation – गाइडेंस और स्टेबलाइजेशन द्वारा सेटेलाइट को उसके निर्धारित स्थान पर रखा जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि सेटेलाइट सही दिशा में जा रहा है या नहीं और यदि ऐसा नहीं है तो ट्रस्ट उसकी मदद से Satellite को सही दिशा में रखा जाता है।
  • Payload – सैटेलाइट द्वारा जानकारी प्राप्त करने के उपकरणों को इसमें लोड किया जाता है और जितने भी उपकरण सेटेलाइट में मौजूद होते हैं वह उस Satellite का टोटल पर लोड होता है।
  • Housing – हाउसिंग सेटेलाइट का वह भाग होता है जिसे अंतरिक्ष के वातावरण को सहन करने के लिए बनाया जाता है ताकि सैटेलाइट को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान ना हो सके।

Satellite अपने Orbit में कैसे टिका रहता है?

किसी भी सेटेलाइट को पृथ्वी अपने गुरुत्वाकर्षण बल से अपनी तरफ खींच सकती है, और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण कोई भी सेटेलाइट बिना गति Orbit में स्थापित नहीं रह सकता। इसीलिए Orbit की ऊंचाई और सेटेलाइट के भाव की गणना करके सैटेलाइट की स्पीड निर्धारित की जाती है ताकि वह निरंतर पृथ्वी का चक्र लगाता रहे।

पृथ्वी के मुख्य तीन Orbit

  • Low Earth orbit
  • Polar orbit
  • Geostationary orbit

सेटेलाइट के उपयोग

  • टीवी सिग्नल को ट्रांसमिट करने के लिए सेटेलाइट का उपयोग किया जाता है और बिना Satellite के टीवी सिग्नल ट्रांसलेट करने पर बाधा उत्पन्न होती है इसीलिए इन सिग्नल को Satellite द्वारा ट्रांसमिट किया जाता है।
  • नेविगेशन के लिए Satellite का उपयोग होता है और आपके फोन में मौजूद जीपीएस भी Satellite का इस्तेमाल करके ही आपके फोन की लोकेशन का पता लगाता है। आज के समय में कारों में भी जीपीएस मौजूद होता है जिससे आपको अपनी कार की लोकेशन और उसकी स्थिति ज्ञात होती है।
  • मौसम संबंधी जानकारी जैसे तूफान, बारिश, गर्मी इत्यादि Satellite द्वारा प्राप्त की जाती हैं। Satellite से प्राप्त हुई जानकारी से ही मौसम विभाग मौसम संबंधी भविष्यवाणी कर पाता है।
  • वायु प्रदूषण, जंगली आग, तेल रिसाव, समुंदर की लहर इत्यादि की जानकारी Earth Observation सैटेलाइट द्वारा की जाती है जिससे किसी भी प्रकार की आपदा से बचाव किया जाता है।
  • मोबाइल कम्युनिकेशन में Satellite का उपयोग किया जाता है और हमारा फोन इन सिग्नल के साथ कनेक्ट होता है जिससे आसानी से कम्युनिकेशन हो पाता है।
  • Satellite का उपयोग अन्य कार्यों के लिए भी किया जाता है जिससे दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ-साथ अपने क्षेत्र की रक्षा की जाती है।
  • Satellite की मदद से भूमि के अंदर मौजूद पानी और खनिज पदार्थों का पता लगाया जाता है।
  • इंटरनेट की मदद से दुनिया एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई है और समुंदर में मौजूद फाइबर केबल इसमें हमारी मदद करते हैं परंतु आज के समय में इंटरनेट के लिए सैटेलाइट का भी उपयोग होना शुरू हो गया है।

Satellite को टकराने से कैसे रोका जाता है?

जब भी किसी स्पेस एजेंसी द्वारा Orbit में कोई Satellite छोड़ा जाता है तो वहां पर मौजूद लाखों Satellite से टकराने का डर बना रहता है। पृथ्वी की कक्षा में लाखों की संख्या में सेटेलाइट और सेटेलाइट के अलग-अलग भाग घूम रहे हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि जब भी कोई नई Satellite Orbit में स्थापित करनी हो तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि वह किसी ऐसी वस्तु से ना टकरा जाए जिससे पूरी Satellite तबाह हो जाए।

कुछ ऐसी एजेंसी में मौजूद है जो पृथ्वी के Orbit में घूम रही Satellite और उनके कबाड़ यानी कचरे पर नजर रखती हैं। जब भी कोई स्पेस एजेंसी Orbit में Satellite को स्थापित करती है तो इन एजेंसी की मदद से यह सुनिश्चित किया जाता है और यदि भविष्य में भी किसी Satellite के टकराने काम है होता है तो इन एजेंसियों द्वारा स्पेस एजेंसी को अलर्ट भेजा जाता है जिससे इन Satellite को एक दूसरे के साथ टकराने और पृथ्वी के Orbit में मौजूद कचरे से टकराने से बजाया जाता है।

United State स्पेस surveillance network कैसी है जेंसी है जो इस प्रकार के खतरे से Satellite को बचाती है और यदि किसी दूसरी स्पेस एजेंसी का वह सैटेलाइट हो तो उन्हें अलग भी करती हैं।

भारतीय satellites

भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने आज के समय में विश्व भर में अपना नाम बनाया है और अपने क्षेत्र में ऊंचाइयों को छुआ है। भारत ने सबसे पहले satellite सन 1975 में भेजा था, जिसका नाम आर्यभट्ट था और अभी तक भरत देश सैंकड़ों की संख्या में अपने satellite अंतरिक्ष में छोड़ चुका है।

भारत के satellites इसरो द्वारा भेजे जाते हैं, वहीं शुरुआरी समय में भारत को देशों की मदद लेनी पड़ती थी। भारत की स्पेस agency ISRO ने दुनिया भर में अपना नाम बनाया है और आज के समय में दूसरे देशों के satellites भी इसरो द्वारा भेजे जाते हैं।

Satellite संबंधित उपकरण

  • सेटेलाइट फोन
  • मोबाइल डिवाइस
  • एंटीना
  • जीपीएस डिवाइस
  • सैन्य उपकरण
  • टीवी डिश एंटीना

यह कुछ ऐसे उपकरण है जो सेटेलाइट से जुड़े होते हैं। इन उपकरणों को हम आम तौर पर कभी ना कभी देखते हैं। परंतु इसके अलावा भी सैकड़ों हजारों तरह के उपकरण मौजूद हैं, जो सैटेलाइट से संबंधित हैं।

Rashvinder
Rashvinder
मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
- Advertisement -

सम्बंधित जानकारी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

ज़रूर पढ़ें

नवीनतम