Silai Machine ka avishkar kisne kiya: दोस्तों आज हम सिलाई मशीन के बारे में बात करेंगे, और सारी बातें नहीं है जैसे सिलाई मशीन का आविष्कार किसने किया था, सिलाई मशीन का इतिहास, सिलाई मशीन क्या है, सिलाई मशीन के प्रकार, और भारत में सिलाई मशीन कब आई आदि।
आपने कभी ना कभी घर में या बाजार में टेलर को सिलाई मशीन से कपड़े सिलते हुए देखा, और कभी न कभी मन में यह विचार आया होगा कि आखिर सिलाई मशीन का इतिहास क्या है, और सिलाई मशीन का आविष्कार किसने किया, इसी तरह के सवालों का जवाब आपको आज इस पोस्ट में मिलेगा।
सिलाई मशीन क्या है?
सिलाई मशीन एक ऐसा उपकरण है जिसकी मदद से किसी भी वस्तु या कागज या चमड़े आदि को एक धागे की मदद से सिला जाता है। आज के समय में जो भी हम कपड़े पहन रहे हैं या बैग पर्स या चादर आदि का अपने घर में या अपने जीवन में उपयोग कर रहे हैं उन सभी को सिलाई मशीन की मदद से ही सिला जाता है।
सिलाई मशीन ने कपड़े सिलने को बहुत ही आसान बना दिया है, पहले कपड़ों को धागों से और हाथ की मदद से सिला जाता था लेकिन आज के समय में वही का सिलाई मशीन से बहुत अधिक आसान हो गया है और हम थोड़े से समय में ही किसी भी चीज को जैसे कपड़े चमड़े आदि को सील सकते हैं।
जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत होता है, यह एक ऐसी मशीन है जिसकी मदद से किसी वस्तु कागज या चमड़े को सिला जाता है। औद्योगिक क्रांति के समय पर सिलाई मशीन का आविष्कार हुआ था, और सिलाई मशीन ने औद्योगिक क्रांति को आगे बढ़ाने में अपना एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज के समय में सिलाई मशीन द्वारा अलग-अलग डिजाइन दिए जाते हैं यहां तक की मोटी मोटी रजाइया छात्रों और चमड़े को भी आसानी से सिलाई मशीन के द्वारा सिला जाता है।
सिलाई मशीन का आविष्कार किसने किया ?
सबसे पहले सिलाई मशीन ए. वाईसेंथोल ने बनाई, जिसमें एक सुई का उपयोग होता था जो दोनों तरफ से मुखी ली थी और उसमें एक छेद था। ए. वाईसेंथोल ने यह मशीन सन 1755 में बनाई थी।
इसके बाद 1790 ईस्वी में एक दूसरी मशीन का आविष्कार हुआ जिस के आविष्कारक थॉमस सेंट थे, इस सिलाई मशीन में एक सुई की मदद से कपड़े में छेद होता था और फिर एक चरखी धागे को छेद के ऊपर लाती थी, फिर एक कांटेदार सुई इस धागे को नीचे की तरफ लेकर जाती थी जो एक हुक में फस जाती थी। इस तरह थॉमस सेंट ने ए. वाईसेंथोल द्वारा बनाई गई मशीन का आधुनिकरण किया। लेकिन इन दोनों को ही आधुनिक सिलाई मशीन का आविष्कारक नहीं माना जाता।
फ्रांस में एक बहुत ही निर्धन दर्जी हुआ करते थे जिनका नाम बार्थलेमी थिमानियर था। सिलाई मशीन का आविष्कार बार्थलेमी थिमानियर ने किया था और इन्होंने सिलाई मशीन के अविष्कार का पेटेंट अपने नाम पर सन 1830 ईस्वी में फ्रांस में करवाया था।
इसके बाद कुछ लोगों ने बार्थलेमी थिमानियर के संस्थान में तोड़फोड़ की, जिस वजह से बहुत मुश्किल से यह अविष्कार बच पाया। सन 1830 ईस्वी में पेटेंट करवाया गया डिजाइन लकड़ी का था। जब बार्थलेमी थिमानियर के संस्थान में तोड़फोड़ हुई जहां पर मशीनें बनती थी, उसके बाद बार्थलेमी थिमानियर ने 1845 ईस्वी में मशीन का और बढ़िया रूप तैयार किया और उसे पेटेंट करवा लिया। सन 1848 में इंग्लैंड और अमेरिका में भी आधुनिक मशीन का पेटेंट ले लिया था।
सिलाई मशीन का अविष्कारक बार्थलेमी थिमानियर को माना जाता है, और आधुनिक सिलाई मशीन का अविष्कारक एलायस होवे को माना जाता है, लेकिन यह पूर्णता सत्य नहीं है क्योंकि आधुनिक मशीन के अविष्कार करने में काफी लोगों का हाथ रहा है। सिलाई मशीन के जन्मदाता बार्थलेमी थिमानियर, वाटर हंट, इलियास होवे, जोसेफ मेडास्पागर, और एलन बी विल्सन को माना जाता है।
इसके अलावा ए. वाईसेंथोल और थॉमस सेंट की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता, चलिए जानते हैं सिलाई मशीन के इतिहास के बारे में कि कैसे सिलाई मशीन का अविष्कार हुआ और किन-किन लोगों ने सिलाई मशीन के अविष्कार में अपना योगदान दिया।
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सिलाई मशीन का इतिहास
सिलाई मशीन का इतिहास बहुत पुराना है, और पुराने समय से ही सिलाई मशीन का उपयोग करते आ रहे हैं। सिलाई की सबसे पहली मशीन ए. वाईसेंथोल ने बनाई थी, जिसका आधुनिकरण थॉमस सेंट ने किया था।
इसके बाद 1830 में बार्थलेमी थिमानियर ने सिलाई मशीन का पेटेंट फ्रांस में अपने नाम करवाया और यह मशीन लकड़ी द्वारा बनाई गई थी। इस मशीन का निर्माण वह अपने संस्थान पर करते थे, कुछ समय पश्चात कुछ लोगों ने उनके संस्थान पर हमला कर दिया जिस वजह से मशीन का डिजाइन बहुत मुश्किल से बचाया जा सका। 1845 में उन्होंने लोहे की सिलाई मशीन का पेटेंट अपने नाम करवाया और इसके बाद सन 1848 में इंग्लैंड और अमेरिका में भी सिलाई मशीन का पेटेंट ले लिया गया था।
छेद वाली नोक का विचार सबसे पहले 1832 में वाल्टर हंट को आया था। उन्होंने एक घूमने वाले हैंडल के साथ एक गोल और छेदिली नोक वाली सुई लगाई, जो कपड़े को छेद कर नीचे जाती थी और उसके बाद सुई में बने छेद से धागा बाहर आता और नीचे बने फंदे में अटक जाता था जिसके बाद सुई ऊपर आ जाती थी।
वाल्टर हंट ने जब इसका पेटेंट 1853 में करवाना चाहा तो उन्हें पेटेंट नहीं मिला क्योंकि इंग्लैंड में रहने वाले न्यूटन एंड अर्कीबोल्ड ने 1841 में ही दस्ताने सिलने के लिए पहले ही पेटेंट करवा लिया था। इसके बाद 1846 में एलायस होव ने मशीन बनाकर अपने नाम पेटेंट करवा लिया था।
1849 ईस्वी में एलन बी विल्सन ने स्वतंत्र रूप से एक दूसरा आविष्कार किया जिसमें उन्होंने एक घूमने वाली बोबिन का आविष्कार किया जिसका पेटेंट उन्होंने 1850 में करवाया। इस मशीन में कपड़ा सरकार ने वाला यंत्र लगा था जो अपने आप ही कपड़े को आगे की तरफ सरका देता था।
18 सो 56 ईस्वी में डिप्स नामक किसान ने एक श्रृंखला सिलने वाली मशीन बनाई जिसमें विलकॉक्स नामक व्यक्ति ने सुधार किए, यह मशीन गिल्ड विल्कॉक्स के नाम से बहुत मशहूर हुई और आज के समय में इस मशीन में बहुत अधिक सुधार हुआ है।
भारत में सिलाई मशीन का इतिहास
19वीं शताब्दी के अंत तक भारत में भी सिलाई मशीन आ गई थी, सबसे पहले भारत में दो सिलाई मशीन आई ए अमेरिका की सिंगर और इंग्लैंड पफ थी। आज के समय में सिंगर के आधार पर मेरिट मशीन भारत में ही बनती है। लेकिन उषा नामक सिलाई मशीन प्रमुख और उन्नत है।
भारत में स्वतंत्रता के बाद मशीनें बननी शुरू हो गई थी जिनमें से सबसे पहला कारखाना 1935 में कोलकाता में खोला गया, उस कारखाने में बनाई जाने वाली सिलाई मशीन का नाम उषा था। उषा मशीन के सभी कलपुर्जे भारत में ही बनाए जाते थे और आज भी यह भारत में बनाई जाती है जिसे भारत अपने देश में भी उपयोग करता है और विदेशों में भी इस मशीन को भेजा जाता है।
सिलाई मशीन के प्रकार
तीन प्रकार की सिलाई मशीन मौजूद हैं, और इन तीनों सिलाई मशीन को इनके काम करने के सोर्स के आधार पर विभाजित किया गया है।
- यांत्रिक सिलाई मशीन
- इलेक्ट्रॉनिक सिलाई मशीन
- कंप्यूटराइज्ड सिलाई मशीन
यांत्रिक सिलाई मशीन
यांत्रिक सिलाई मशीन या मैकेनिकल सिलाई मशीन एक बहुत ही सरल मशीन है, जिसको बनाने में बहुत कम लागत और समय लगता है। यांत्रिक सिलाई मशीन मुख्यतः दो प्रकार की होती है जिसमें एक प्रकार हाथ द्वारा चलाया जाता है और दूसरे प्रकार को पैदल सिलाई मशीन कहते हैं जिसमें मशीन को चलाने के लिए पैदल दिया जाता है जिसे पैरों द्वारा चलाया जाता है।
हाथ वाली सिलाई मशीन
हाथ द्वारा चलाई जाने वाली यांत्रिक मशीन में एक गोल चक्कर लगा होता है जिसके ऊपर एक हैंडल लगा होता है जिसको हाथ द्वारा घुमाया जाता है। मशीन में लगे गोलचक्कर को एक हैंडल द्वारा घुमाया जाता है जिससे मशीन चलती है और कपड़े सिले जाते हैं। इस तरह की मशीन को घर पर अधिक उपयोग में लाया जाता है।
पैर वाली सिलाई मशीन
पैर द्वारा चलाई जाने वाली अंतरिक मशीन को पेडल सिलाई मशीन भी कहा जाता है, इस मशीन में नीचे की तरफ पैदल लगा होता है और इसके साथ एक धूरा या चक्कर जुड़ा होता है, नीचे पेडल के साथ जुड़े चक्कर से एक बेल्ट मशीन के ऊपर बने छोटे चक्कर के साथ जुड़ी होती है।
पैरों से नीचे लगे पैदल को चलाया जाता है जिसकी मदद से नीचे लगा चक्कर घूमता है और बेल्ट की मदद से मशीन में लगे छोटे चक्कर को घुमाया जाता है। इस तरह से यह मशीन चलती है।
पुराने समय में ऐसी मशीन को बड़ी-बड़ी कंपनियों में चलाया जाता था क्योंकि उस समय इलेक्ट्रॉनिक किया कंप्यूटराइज मशीन का आविष्कार नहीं हुआ था। आज के समय में पेडल सिलाई मशीन का उपयोग टेलर द्वारा अधिकतर किया जाता है, क्योंकि इस मशीन को चलाना काफी आसान है और इसमें हाथ का उपयोग नहीं करना पड़ता।
इलेक्ट्रॉनिक सिलाई मशीन
इलेक्ट्रॉनिक सिलाई मशीन में, चक्के को घुमाने के लिए मोटर का उपयोग होता है। इलेक्ट्रॉनिक सिलाई मशीन में एक मोटर मशीन के चक्के के साथ जुड़ी होती है और जैसे ही पैदल को दबाया जाता है तो मोटर बिजली की मदद से चलती है जो अपने साथ मशीन के चक्के को भी घुमाती है।
इलेक्ट्रॉनिक सिलाई मशीन को चलाने के लिए बिजली का उपयोग होता है और यह सिलाई मशीन वर्ष 1970 में सबसे पहले उपयोग में आई और काफी लोकप्रिय भी हुई। सिलाई मशीन से जुड़े उद्योग इलेक्ट्रॉनिक सिलाई मशीन का उपयोग करते हैं क्योंकि इससे कई तरह के कपड़े सिले जाते हैं और इस सिलाई मशीन की गति अधिक होने के कारण कपड़ों को और अधिक तेजी से सिला जाता है।
कंप्यूटराइज्ड सिलाई मशीन
आज के दौर में मानव ने इतनी ज्यादा तरक्की कर ली है कि वह हर चीज को कंप्यूटराइज कर सकता है। जिसका असर सिलाई मशीन पर भी पड़ा। आज के समय में या नहीं बीसवीं सदी में कंप्यूटराइज सिलाई मशीन उपयोग में लाई जाती हैं। इन सिलाई मशीनों में पहले से बने डिजाइन को सॉफ्टवेयर की मदद से फीड कर दिया जाता है, इसके बाद सॉफ्टवेयर इस डिजाइन को पड़ता है और मशीन को चलाता है।
कंप्यूटर सिलाई मशीन ने मनुष्य का काम बहुत अधिक कम कर दिया है, और एक बार डिजाइन इस मशीन में फीड होने के बाद यह मशीन अपने आप काम करती हैं।
सिलाई मशीन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
भारत की सबसे पहली सिलाई मशीन ?
सन 1935 में कोलकाता में एक कारखाना लगा जिसमें सिलाई मशीन बनाई गई, इस कारखाने में बनाई जाने वाली सिलाई मशीन का नाम उषा था। और आज के समय में भी यह मशीन भारत में बनाई जाती है।
सिलाई मशीन का आविष्कार किसने किया था?
सिलाई मशीन किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं बनाई गई इसीलिए सिलाई मशीन के जन्मदाता बार्थलेमी थिमानियर, वाटर हंट, इलियास होवे, जोसेफ मेडास्पागर, और एलन बी विल्सन को माना जाता है।
सबसे पहले बनी सिलाई मशीन किस धातु की थी?
सबसे पहले बार्थलेमी थिमानियर द्वारा सिलाई मशीन को फ्रांस में बनाया गया था, जिसे लकड़ी द्वारा बनाया गया था।
लोहे की सिलाई मशीन कब बनी थी?
सन 1845 में बार्थलेमी थिमानियर द्वारा लोहे की मशीन का पेटेंट फ्रांस में करवाया गया था। इसके बाद 1848 मैं इंग्लैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका में भी इस मशीन का पेटेंट लिया गया।
सिलाई मशीन कितने प्रकार की होती हैं?
सिलाई मशीन मुख्यतः तीन प्रकार की होती है। 1. यांत्रिक सिलाई मशीन 2. इलेक्ट्रॉनिक सिलाई मशीन 3. कंप्यूटराइज्ड सिलाई मशीन
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