सोमवार, अक्टूबर 2, 2023

वैश्वीकरण क्या है – परिभाषा, प्रभाव और परिणाम।

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किसी भी देश को आगे बढ़ने में वैश्वीकरण में अपना सबसे बड़ा सहयोग दिया है। यदि आप यह सोच रहे हैं कि वैश्वीकरण क्या है और यह कैसे शुरू हुआ और कैसे इसने हमें लाभ पहुंचाया तो आप इन सभी का जवाब हमारी इस पोस्ट “वैश्वीकरण क्या है – परिभाषा, प्रभाव और परिणाम” में पा सकते हैं।

इसके साथ-साथ आपको यहां पर वैश्वीकरण का इतिहास और इससे होने वाले लाभ और हानि आदि के बारे में भी जानने को मिलेगा।

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वैश्वीकरण क्या है? – What is Globalisation in Hindi

जब भी किसी देश में व्यापार बढ़ता है तो उस देश का बाजार व्यापार के अनुसार छोटा लगने लगता है और एक नए बाजार की कमी महसूस होने लगती है जिसके कारण दुसरे देशों के बाजारों से सम्बन्ध स्थापित किया जाता है। इस प्रकार जिस तरह व्यापार बढ़ रहा है इस प्रवृति ने दुनिया के सब देशों को निकट ला दिया है। जिससे पूरी दुनिया के बाजारों का एकीकरण हुआ है। ऐसा होने से लगने लगा है जैसे पूरा विश्व किसी बड़े गाँव के जैसा है जिसमें एक ही बाजार है।

जब एक देश में निर्मित वस्तुओं को दुसरे देश के बाजारों में बेचा जाता है तो इसको हम वैश्वीकरण कहते हैं। व्यापार को बढ़ाने और नए बाजारों की खोज ने परिवहन के साधनों में भी बढ़ोतरी की है। क्योंकि एक देश के बाजार का दुसरे देश के बाजार से सम्बन्ध स्थापित करने में परिवहन के साधनों की अहम् भूमिका है। वैश्वीकरण ने पूरी दुनिया के बाजारों को बहुत निकट ला दिया है, और इन सब बाजारों ने मिलकर एक नए विश्व बाजार का रूप ले लिया है ऐसा प्रतीत हो रहा है। सब बाजार मिलकर एक इकाई के रूप में कार्य कर रहे हैं।

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इस प्रकार हम कह सकते हैं की वैश्वीकरण का अर्थ है सब देशों का मिलकर, परस्पर समन्वय और सहयोग से एक बाजार की तरह कार्य करना। वैश्वीकरण का अर्थ है व्यापारिक काम काजों में मुख्यतः विपणन सम्बन्धी कार्यों का अन्तर्राष्ट्रीय-करण करना और पूरे विश्व बाजार को एक ही जगह के रूप में देखना। वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यापार देश की सीमाओं को लांघकर विश्व बाजार के अंतर्गत होने वाले तुलनात्मक लागत सिद्धांतों के लाभों को प्राप्त किया जाता है और विश्व बाजारों में निर्भरता पैदा होती है। वैश्वीकरण में वस्तुओं के आयात निर्यात के प्रतिबंधों को हटा दिया जाता है।

वैश्वीकरण को और भी कई नामों से जाना जाता है जैसे- पृथ्वी-करण, भूमंडलीय-करण, वैश्वायान जागति-करण।

वैश्वीकरण की परिभाषा – Definition of Globalisation in hindi

जैसा की हमने वैश्वीकरण के अर्थ को जानकर ज्ञात हुआ की वैश्वीकरण में वो सब प्रक्रियाएँ सम्मिलित हैं जिससे एक देश का व्यापार या अर्थव्यवस्था पूरे विश्व के व्यापार या अर्थव्यवस्था से जुड़ जाती है, और बाजार स्वतन्त्र रूप से चलता है। वैश्वीकरण में पूरा विश्व एक बड़े गाँव या एक एकीकृत बाजार के रूप में जन्म लेता है।

जानें: अर्थव्यवस्था क्या होती है और इसकी विशेषताएं

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कुछ अलग – अलग विद्वानों द्वारा दी गई वैश्वीकरण की परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:

  • श्रीमती राजकुमारी शर्मा: ‘वैज्ञानिक प्रवृति, मानव कल्याण और आर्थिक समानता के लिए उठाये गए विश्व स्तरीय कदमों को वैश्वीकरण में सम्मिलित किया जाता है।
  • एंथनी गिडेंस: विश्व के अलग अलग क्षेत्रों और लोगों के बीच बढती जा रही परस्परिकता को ही वैश्वीकरण कहते हैं।
  • प्रो. टी. राघवन: राजनीतिक सीमाओं को लांघकर किसी देश के आर्थिक कार्यों के विस्तार को वैश्वीकरण कहते हैं।

वैश्वीकरण का इतिहास – History of Globalization in Hindi

अपने वैश्वीकरण क्या है और वैश्वीकरण की परिभाषा को जाना है, परंतु वैश्वीकरण का इतिहास जानना और समझना भी आवश्यक है। वैश्वीकरण के इतिहास से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु नीचे दिए गए हैं।

वैश्वीकरण के इतिहास को हम निम्नलिखित उदाहरणों से जानेंगे:

  • सुमेरियन सभ्यता और सिन्धु घाटी सभ्यता के बीच व्यापारिक सम्बन्ध थे।
  • हान राजवंश जो की चीन का एक राजवंश था उसके यूरोप और एशिया के साथ व्यापारिक रिश्ते कायम थे।
  • गुप्त काल से ही भारत का श्रीलंका, मिश्र, रोम, इरान, सीरिया और यूनान से बिना किसी प्रतिबन्ध के व्यापार होने लग गया थे।
  • पूर्वी और पश्चिमी समुंदर के उस पार वाले देशों से भी भारत के व्यापारिक सम्बन्ध रहे हैं।
  • इस्लाम के उदय के पश्चात मुस्लिम और यहूदी व्यापारी पूरे विश्व में व्यापार के लिए घूम रहे थे।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के बाद वैश्वीकरण में बहुत वृद्धि हुई थी।
  • 19वीं शताब्दी के औद्योगीकरण की वजह से वस्तुओं की संख्या में वृद्धि हुई जिसके कारण नए बाजारों की खोज हुई ताकि इन वस्तुओं को बेचा जा सके। इससे पूरे विश्व में और मुख्यतः यूरोप में अनेक बाजारों का निर्माण हुआ।
  • 1990 वाले दशक में वैश्वीकरण पूरी दुनिया में फैल गया और उसने पूरे विश्व बाजार को एक इकाई का रूप दिया।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात बहुत सारे आजाद देशों का उदय हुआ और वो स्वतंत्र रूप से व्यापार करने लग गए।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष , विश्व व्यापार संगठन और विश्व बैंक जैसे संगठनों का निर्माण हुआ जिससे विश्व व्यापार को बढ़ावा मिला और विश्व व्यापार के प्रतिबंधों में कमी आई।

वैश्वीकरण के कारण

अब आप यह तो जानते हैं कि वैश्वीकरण क्या है, परंतु इसकी शुरुआत के कुछ कारण रहे हैं। नीचे दिए गए वैश्वीकरण के कारण कुछ ऐसी महत्वपूर्ण घटनाएं थी जिसके बाद सभी देशों ने इसकी महत्वता को समझा यह जाना कि वैश्वीकरण क्या है और किस प्रकार से हम अपने देश और देश के लोगों को इससे फायदा पहुंचा सकते हैं।

  • सोवियत संघ का पतन होने के पश्चात अमेरिका और सोवियत संघ में चल रहा शीत युद्ध भी ख़त्म हो गया। इसके बाद अमेरिका एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया। अमेरिका उदारवादी लोकतंत्र, वैश्वीकरण और पूंजीवाद को मानने वाला राष्ट्र था। अमेरिका से प्रभावित होकर भी बहुत से राष्ट्रों ने लोकतंत्र के मूल्यों को स्वीकार किया जिसके साथ साथ वैश्वीकरण को भी बढ़ावा मिला।
  • शीत युद्ध में साम्यवाद की पूंजीवाद से हार हुई जिसके कारण राष्ट्रों में पूंजीवाद की धारणा फैलने लगी क्योंकि पूंजीवाद ने साम्यवाद को हराकर अपना वर्चस्व कायम किया था। अधिकतर राष्ट्रों में यह धारणा फैलने लगी की पूंजीवाद ही अच्छी शासन व्यवस्था और आर्थिक विकास के लिए श्रेष्ठ है। इस धारणा ने ही राष्ट्रों को पूंजीवाद पर आधारित अर्थव्यवस्था को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जिससे वैश्वीकरण ने जन्म लिया।
  • सूचना और संचार के साधनों की खोज और उनके तीव्र प्रचार और प्रसार से हर व्यक्ति विश्व के साथ जुड़ गया था। 1990 के पश्चात इन्टरनेट, उपग्रह, टेलीविज़न इत्यादि साधनों से प्रत्येक व्यक्ति को विश्व की सूचना मिलने लगी और वो उनसे प्रभावित होने लगा जिससे संकीर्ण राष्ट्रीय भावनाएँ कमजोर हुई। धीरे धीरे सूचना और संचार तकनीक पूरे विश्व में पैर पसारने लगी जिससे प्रत्येक व्यक्ति वैश्वीकरण के बारे में सोचने लगे जिसके फलस्वरूप वैश्वीकरण का उदय हुआ।
  • लम्बे समय तक चले शीत युद्ध के ख़त्म होने के साथ ही पुरानी विश्व व्यवस्था भी ख़त्म हो चुकी थी, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समस्याएँ वैसी ही बनी रही जिसके कारण एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत महसूस हुई। इस व्यवस्था के निर्माण के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं की स्थापना की गई जिससे की मानव अधिकारों की अवहेलना पर रोक लग सके, युद्ध होने से रोका जा सके, पर्यावरण को संतुलित रखा जा सके, विश्व में शान्ति कायम की जा सके, दो राष्ट्रों में विवादों को शांति से सुलझाया जा सके, ग़रीबी को दूर किया जा सके और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को रोका जा सके। इन समस्याओं के हल के लिए जिस नई व्यवस्था का निर्माण किया गया उसी व्यवस्था को वैश्वीकरण कहा गया।
  • सोवियत संघ के पतन के पश्चात विश्व की राजनीति में उथल पुथल हुई और नई नई धारणाओं और राजनीतिक प्रवृतियों की उत्पत्ति हुई। सोवियत संघ के विघटन के पश्चात के रुसी गणराज्य ने राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक माध्यमों द्वारा अनेक पश्चिमी राष्ट्रों और अमेरिका पर रूस की निर्भरता को प्रदर्शित किया। सोवियत संघ के विघटन ने और इस निर्भरता ने वैश्वीकरण को पैदा किया।

वैश्वीकरण की विशेषताएं – Characteristics of Globalization

वैश्वीकरण क्या है सवाल के जवाब को जानने के साथ इसकी विशेषताएं भी आपको जानना जरूरी है। वैश्वीकरण की विशेषताएं जानकर आप इसके महत्व को समझ सकते हैं।

  • इसमें सूचना और प्रौद्योगिकी की अहम् भूमिका है, मुख्यतः इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने पूरे विश्व के बाजारों को जोड़कर विश्व को ही एक विश्व गाँव का रूप दिया है।
  • इसमें अर्थव्यवस्था में खुलापन पैदा किया जाता है और वैश्वीकरण स्वतन्त्र बाजार के सिद्धांतों पर आधारित है।
  • इसमें आर्थिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध भी सम्मिलित हैं। वैश्वीकरण में इनका भी विस्तार होता है।
  • इसमें विश्व के सभी देशों के नीति, नियमों, प्रक्रियाओं और विनियमों में सामंजस्य और समन्वय उत्पन्न किया जाता है।
  • इसमें व्यापारिक प्रतिबंधों को कम से कम करने का प्रयास किया जाता है जिससे मुक्त रूप से वैश्विक व्यापार सुचारू रूप से चलता रहे।
  • इसमें पूँजी, तकनीक और श्रम का एक देश से दुसरे देशों में स्वतन्त्र रूप से प्रवाह होता है।
  • इसमें विश्वव्यापी समस्याओं के समाधान के लिए सब देशों में सहमती और एकजुटता लाने के लिए सहयोग में वृद्धि होती है।
  • इससे श्रम बाजार के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा मिलता है।
  • इसमें परिवहन के साधनों में क्रांतिकारी विकास हुआ है जिससे विश्व के देशों के बीच भौगोलिक दूरियां सिमट गई हैं। और पूरा विश्व एक मंच पे आ गया है।
  • बिचौलियों की संख्या को इससे बढ़ावा मिलता है। वैश्वीकरण के चलते बहुत सारे एजेंट लोगों को एक देश से दुसरे देश में वैध या अवैध तरीके भेजते हैं और आयात निर्यात के कार्यों के लिए एजेंटों की संख्या में भी वृद्धि होती है।
  • वैश्वीकरण में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संख्या में भी क्रन्तिकारी बढ़ोतरी हुई है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों (Multi National Company) के द्वारा सेवाओं, वस्तुओं, तकनीकों, प्रबंधकों, विशेषज्ञों और पूंजी की एक देश से दुसरे देश में आवाजाही में सहयोग में बढ़ोतरी हुई है।

वैश्वीकरण के लाभ – Advantages of Globalization in Hindi

शीत युद्ध के बाद देश और राजनेताओं ने इस बात को समझा और जाना कि वैश्वीकरण क्या है और किस प्रकार से वैश्वीकरण के लाभ वह ले सकते हैं। वैसे तो देश और राज्यों के बीच में लेनदेन पहले से ही होता आया है परंतु शीत युद्ध के पश्चात इसमें बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई और इसके बहुत सारे लाभ हुए।

  • वैश्वीकरण की वजह से उत्पादकों की संख्या बढ़ रही है जिससे प्रतिस्पर्धा में भी वृद्धि हो रही है। प्रतिस्पर्धा के कारण उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि आती है जिसका लाभ ग्राहक को मिलता है। वैश्वीकरण के कारण व्यापार बढ़ता जा रहा है जिससे गुणवत्ता भी बढती जा रही है।
  • वैश्वीकरण से एक देश के लोगों को दुसरे देश के लोगों के त्योहारों, संस्कृतियों और वह इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं इत्यादि का ज्ञान होता है। जिससे पूरे विश्व में संस्कृति  का सब देशों में आदान प्रदान सम्भव हुआ है। आज हम वो सब वस्तुएं देख और इस्तेमाल  कर सकते हैं जो की पहले उपलब्ध नहीं होती थी।
  • वैश्वीकरण से बाजारों का एकीकरण हुआ है जिसकी वजह से कोई भी देश किसी भी देश में अपना उत्पाद बेच सकता है और खरीद भी सकता है। इससे बाजारों की स्वतंत्रता को बढ़ावा मिला है।
  • संचार के साधनों में आई क्रांति वैश्वीकरण का परिणाम है। संचार के साधनों ने पूरे विश्व को किसी एक बड़े गाँव का रूप दे दिया है।
  • वैश्वीकरण के कारण प्रत्येक देश को विश्व व्यापार को सुचारू रूप से चलने के लिए अपने नियमों में अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार बदलाव किये हैं जिनकी वजह से नियमों में एकीकरण हुआ है।
  • वैश्वीकरण की वजह से विश्व की अर्थव्यवस्था का एकीकरण हुआ है। प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था पर विश्व अर्थव्यवस्था का बहुत प्रभाव पड़ता है। वैश्वीकरण के कारण प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था, विश्व अर्थव्यवस्था से जुडी हुई है।
  • वैश्वीकरण से विकासशील देशों को विकसित देशों की उन्नत तकनीक से सहयोग मिलता है। आज के समय सब देश तकनीक को दुसरे देशों के साथ साझा करते हैं, जिससे तकनीक में सुधर हो रहे हैं।
  • वैश्वीकरण से  संचार और परिवहन पर लगने वाली लागत में भी कमी आती है।
  • वैश्वीकरण का प्रत्येक देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। वैश्वीकरण की वजह से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होती है।
  • वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप देश के सकल घरेलु उत्पाद (Gross Domestic Product) में वृद्धि होती है।
  • वैश्वीकरण से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का देश में आगमन होता है जिससे देश में रोजगार बढ़ता है, सकल घरेलू उत्पाद बढ़ता है, नई तकनीक का प्रसार होता है, देश का राजस्व बढ़ता है इत्यादि।
  • वैश्वीकरण से देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) बढ़ता है जिससे देश में बिना ऋण के पूंजी का आगमन होता है।
  • वैश्वीकरण से ग्राहक को प्रतिस्पर्धा की वृद्धि के कारण कम मूल्य पर अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद मिलते हैं जिससे व्यक्ति के जीवन स्तर में वृद्धि होती है।
  • वैश्वीकरण से दो देशों में श्रम का आदान प्रदान होता है जिससे व्यक्ति एक देश से दुसरे देश में रोजगार प्राप्त करते हैं जिससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है।
  • वैश्वीकरण से देश को विदेशी सहयोग भी मिलता है अर्थात् वैश्वीकरण के कारण अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलता है। इसकी वजह से दो देशों में ना केवल व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित होते हैं अपितु समाजी और राजनीतिक सम्बन्ध भी स्थापित होते हैं, जिससे आपसी सहयोग में वृद्धि होती है।
  • वैश्वीकरण के कारण विकासशील देशों की औद्योगिक और आर्थिक विकास में तीव्र गति से वृद्धि होती है।
  • वैश्वीकरण के कारण प्रतिस्पर्धा बढती है जिसके फलस्वरूप उत्पादक निर्यात के स्तर पर बने रहने के लिए उत्पाद की गुणवत्ता और कीमत पर विशेष ध्यान रखते हैं जिससे उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार आता है।
  • वैश्वीकरण से पूरा विश्व एक बाजार बन गया है जिससे उत्पादक को उत्पाद को बेचने के लिए नए नए बाजारों की खोज नहीं करनी पड़ती जिसके कारण उत्पादन में वृद्धि करके औसत लागत में कमी की जा सकती है।

वैश्वीकरण की हानियाँ – Disadvantages of Globalization

  • वैश्वीकरण के कारण पूंजीवाद में वृद्धि हुई है और पूंजीवाद निजीकरण को बढ़ावा देता है।
  • 1980 के में जो राजनीतिक उपनिवेश वाद था उसने आज आर्थिक उपनिवेश वाद का रूप ले लिया है जिसका कारण है वैश्वीकरण।
  • वैश्वीकरण से उत्पन्न हुए निजीकरण से कल्याणकारी राज्य की धारणा को ठेस पहुंची है। देश में सब क्षेत्रों से धन अर्जित कर शिक्षा और स्वास्थ्य पर वह धन व्यय किया जाता है और शिक्षा और स्वास्थ्य की  सुविधाएँ निशुल्क लोगों को प्रदान की जाती  है जिससे कल्याणकारी राज्य की स्थापना हो लेकिन वैश्वीकरण के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी निजीकरण की गति बहुत तीव्र हो गई है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund), विश्व बैंक (World Bank), विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं जो की वैश्वीकरण को क्रियाशील बनने के लिए एजेंट के रूप में कार्यरत हैं अप्रत्यक्ष रूप से कृषि क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए स्वतन्त्र करने के लिए दबाव डालती हैं। इससे विकासशील देशों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • वैश्वीकरण संस्थागत ढांचा उचित नहीं है यह भेदभाव से भरा हुआ है।
  • वैश्वीकरण का भारतीय लघु उद्योगों पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। वैश्वीकरण से बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संख्या में वृद्धि हुई है जिससे भारतीय लघु एवं कुटीर उद्योग प्रतिस्पर्धा में उनके सामने खड़े नहीं हो पा रहे हैं। जिससे ये उद्योग ख़त्म होते जा रहे हैं। छोटे मोटे कार्यों में लगे हुए व्यक्ति या उत्पादक कमजोर होते जा रहे हैं या ख़त्म होते जा रहे हैं।
  • वैश्वीकरण की वजह से अमीर और गरीब के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है। अमीर और अमीर होता जा रहा है और गरीब और गरीब होता जा रहा है। इस तरह आर्थिक असमानता बढ़ रही है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों को अधिक वेतन देती हैं इसके कारण भी आर्थिक असमानता को बढ़ावा मिला है। वैश्वीकरण के कारण आर्थिक असंतुलन की  स्थिति पैदा हो रही है।
  • वैश्वीकरण से पूंजीवाद का विकास हुआ है जिससे मशीनी-करण को बढ़ावा मिला है जिसके कारण मानव श्रम की मांग में कमी हुई है जिसके कारण रोजगार में कमी हुई है।
  • कल्याणकारी राज्य की अवधारणा कमजोर हुई है।
  • वैश्वीकरण में कृषि क्षेत्र में आर्थिक सुधारों का अभाव रहा है।
  • वैश्वीकरण से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आता है, बहुराष्ट्रीय कंपनियों का आगमन होता है, प्रतिस्पर्धा बढती है जिसके परिणाम स्वरूप ज्यादा औद्योगिक क्रियाएँ होती हैं जिसके लिए वनों को काटा जाता है और इन औद्योगिक गतिविधियों के बढ़ने के कारण प्रदूषण में भी वृद्धि होती है।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सामने छोटी कम्पनियाँ पर्याप्त साधनों और तकनीकी के की कमी के कारण मर रही हैं। ऐसी छोटी कंपनियों का पतन होता जा रहा है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ये कम्पनियाँ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सामने लम्बे समय तक टिक नहीं पाती हैं। औद्योगिक जगत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का दबदबा या वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। ये कम्पनियाँ छोटी कंपनियों, लघु उद्योगों और लघु पैमाने के उद्योगों को निगलती जा रही हैं।
  • किसानों की आत्महत्या, गाँव और शहरों के मध्य असमानताएँ, बौद्धिक योग्यता का प्रवसन (Migration), मानव श्रम का प्रवसन जैसी समस्याएँ भी वैश्वीकरण के कारण उत्पन्न हुई हैं।
  • वैश्वीकरण से राष्ट्र प्रेम की भवान को ठेस पहुँच रही है क्योंकि लोग विदेशी  वस्तु की तरफ आकर्षित होकर अपनी देशी वस्तु को तिरस्कार योग्य और घटिया समझते हैं और विदेशी वस्तु को खरीदना शान समझते हैं।
  • मानव सम्पदा अधिकार कानून, वित्तीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट कानून जैसे अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का गलत उपयोग हो रहा है। पेटेंट कानून का सहारा लेकर कुछ परंपरागत उत्पाद पेटेंट के कारण महंगे  हो गए हैं क्योंकि इससे एकाधिकार की सोच को बढ़ावा मिलता है।

वैश्वीकरण से सम्बंधित अन्तर्राष्ट्रीय समझौते, नीतियाँ और संगठन

  • आसियान (Association of South East Asian Nations): 8 अगस्त 1967 में आर्थिक, सामजिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तथा विनियोग और व्यापार में सहयोग को बढाने के लिए सदस्य राष्ट्रों ने मिलकर बैंकॉक (थाईलैंड) में इस संगठन की स्थापना की/ इसका मुख्यालय जकार्ता (इंडोनेशिया) में है। फिलहाल 2022 में इसके 10 सदस्य राष्ट्र हैं – फिलिपिन्स, इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, मलेसिया, म्यांमार, लाओस, कंबोडिया, ब्रूनेई, सिंगापुर/ इस संगठन में पूर्ण वार्ताकार का दर्जा भारत को मिला है।
  • व्यापार एवं प्रशुल्कों पर सामान्य समझौता (GATT, General Agreement on Trade & Tariff): अक्टूबर 1947 में 23 राष्ट्रों ने मिलकर मुक्त व्यापार को प्रोत्साहन करने के लिए और राष्ट्रों के बीच सीमा शुल्क को ख़तम करने के उद्देश्य से GATT की स्थापना की। भारत भी इसके इन 23 स्थापना करने वाले देशों में शामिल था और भारत ने भी इसके लिए हस्ताक्षर किये थे। इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में था। 1994 तक इसके सदस्य देशों की संख्या 128 तक पहुँच चुकी थी। बाद में GATT की जगह विश्व व्यापार संगठन WTO (World Trade Organization) ने ले ली।
  • विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization): इस संगठन को GATT के उत्तराधिकारी के रूप में जाना जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रों के मध्य व्यापारिक विवादों को सुलझाना और राष्ट्रों के मध्य व्यापार की देखरेख करना। बौद्धिक संपदा अधिकार से सम्बंधित समझौते भी इस संगठन का हिस्सा हैं। इसकी स्थापना 1 जनवरी, 1995 में हुई। इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में है। वर्तमान (2022) में इसके सदस्य देश 164 हैं जिनमें यूरोपीय संघ भी सम्मिलित है। अफगानिस्तान इसका 164वाँ सदस्य देश था जो 29 जुलाई, 2016 को शामिल हुआ था।
  • उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता (NAFTA, North America Free Trade Agreement): 1 जनवरी, 1994 को यह संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), मेक्सिको और कनाडा के मध्य आंतरिक व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए इसकी स्थापना हुई।
  • दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन  (SAARC, South Asian Association for Regional Cooperation): 8 दिसम्बर, 1985 में 7 देशों ने मिलकर इस संगठन की स्थापना की/ इन 7 देशों में भारत, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव्स, श्रीलंका, भूटान और पाकिस्तान शामिल हैं। इसका मुख्यालय ढाका (बांग्लादेश) में है। इसके अवलोकनकर्ताओं में ईरान, जापान, मॉरिशस, यूरोपियन यूनियन, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, दक्षिण कोरिया, म्यांमार और चीन शामिल हैं। वर्तमान में इसके 8 सदस्य हैं। 8वाँ सदस्य अफगानिस्तान है जो 2005 में इसका सदस्य बना।
  • दक्षिण एशियन मुक्त व्यापार समझौता (SAAFTA, South Asian Free Trade Agreement): 1 जनवरी, 2006 में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन  (SAARC, South Asian Association for Regional Cooperation) के सदस्य राष्ट्रों ने मिलकर इस समझौते पर हस्ताक्षर किए/ इसका मुख्य उद्देश्य मुक्त व्यापार को मजबूत करना है।
  • एशियाई क्षेत्रीय मंच (Asian Regional Forum): इसकी स्थापना आसियान के सदस्य देशों द्वारा जुलाई, 1993 में की गई।

निष्कर्ष

वैश्वीकरण ने हमारे जीवन को बदल कर रख दिया है। जब लोगों ने यह समझा और जाना की वैश्वीकरण क्या है और इसके क्या-क्या फायदे हैं उसके बाद यह बहुत तेजी से बड़ा और उसने पूरी दुनिया को ही बदल कर रख दिया। आज के समय सभी देश एक दूसरे के साथ व्यापार करते हैं और अनेकों अंतरराष्ट्रीय समझौते और संगठन बने हैं। जिनका मकसद है कि किस प्रकार से मानव जाति का भला किया जा सके।

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पढ़ें: भाषा किसे कहते हैं? भाषा की परिभाषा, रूप और प्रकार।

Rashvinder
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मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
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