विश्व युद्ध अनाथ दिवस कब मनाया जाता है?
(World Day of War Orphans) विश्व युद्ध अनाथ दिवस हर वर्ष 6 जनवरी के दिन मनाया जाता है। किसी भी युद्ध, संघर्ष या खराब परिस्थिति में बच्चों का समूह ऐसा होता है जो सबसे कमजोर और वंचित होता है। ऐसे बच्चों को अपना स्कूल शुरू करने में, युद्ध की वजह से मिले मानसिक आघातों से उबरने में और अपना जीवन सामान्य रूप से शुरू करने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए ऐसे बच्चों को विशेष देखभाल और संरक्षण की जरूरत होती है।
यह दिवस ऐसे बच्चों की उम्र बढ्ने के दौरान उनके सामने आने वाली मानसिक, सामाजिक, आर्थिक, भावनात्मक और शारीरिक परेशानियों के विषय में जागरूकता फैलाना और इन परेशानियों को दूर करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करता है। यह दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि ऐसे बच्चों की समस्याओं को कम करके उनको समाज में एक बेहतर जीवन देने का प्रयास किया जा सके।
क्योंकि ऐसे उपेक्षित बच्चों को बिना उनके परिवार के अकेले दुनिया में छोड़ दिया जाता है और उनकी देख – रेख करने वाला कोई नहीं होता है। विश्व युद्ध अनाथ दिवस को मनाने की शुरुआत भी इसलिए ही हुई है ताकि पूरे विश्व को उनका परिवार बनाया जा सके और उनको किसी भी प्रकार की कठिनाई महसूस ना हो।
विश्व युद्ध अनाथ दिवस की शुरुआत कब हुई?
World Day of War Orphans दिवस 6 जनवरी को मनाने की शुरुआत SOS Enfants en Detresses (SOSEED) नामक फ्रांसीसी संगठन द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था संघर्ष या युद्ध से प्रभावित हुए बच्चों की सहायता करना और उनके जीवन को सामान्य और बेहतर बनाने के लिए कार्य करना। इस संगठन ने इस दिवस की शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के पश्चात की थी। द्वितीय विश्व युद्ध 1945 में खत्म हुआ था उसके बाद विश्व युद्ध अनाथ दिवस की शुरुआत की गई थी।
World Day of War Orphans का महत्व
World Day of War Orphans दिवस का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत महत्व है। यह दिवस संघर्ष में अनाथ हुए बच्चों के लिए मुख्य रूप से महत्व रखता है। ऐसे बच्चों की स्थिति को पूरे विश्व के सामने लाने और उनकी इस स्थिति को सुधारने के लिए विश्व युद्ध अनाथ दिवस का विशेष महत्व है। विश युद्ध अनाथ दिवस के निम्नलिखित महत्व हैं:-
- इस दिन संघर्ष और युद्ध में अनाथ हुए बच्चों की स्थिति के विषय में जागरूकता फैलाने के लिए कई तरह के जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
- ऐसे अनाथ बच्चों के सामने आने वाली समस्याओं के विषय में दुनिया को अवगत कराया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है की हर आदमी, ऐसे बच्चों तक उनके शैक्षिक और स्वास्थ्य संबन्धित अवसरों को पहुंचाने की अपनी ज़िम्मेदारी समझें।
- जागरूकता कार्यक्रमों के जरिये ऐसे बच्चों के लिए बुनियादी स्वछता, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसी सुविधाओं तक पहुँच जैसे विषयों पर ज़ोर दिया गया है।
- ऐसे बच्चे जब अनाथालय में अपना जीवन बिताते हैं और बड़े होते हैं तो उन्हे सामाजिक, मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक कठिनाओं को झेलना पड़ता है। इन कठिनाइयों के चलते उनकी मानसिक स्थिति बहुत पेचीदा और दयनीय हो जाती है। उनको मानसिक और सामाजिक तौर पर अच्छा माहौल प्रदान करने के लिए यह दिवस विशेष महत्व रखता है।
World Day of War Orphans का उद्देश्य
World Day of War Orphans दिवस का मुख्य उद्देश्य है युद्ध या संघर्ष में अनाथ हुए बच्चों के जीवन को सामान्य रूप से शुरू करने में उनकी हर तरह से सहायता करना। वैश्विक समुदायों में ऐसे बच्चे सबसे कमजोर और वंचित वर्ग में शामिल हैं। ऐसे बच्चों की मानसिक स्थिति के विषय में समझना और उनको मानसिक आघातों से उबरने के लिए सहायता करना भी विश्व युद्ध अनाथ दिवस का उद्देश्य है। विषय युद्ध अनाथ दिवस के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:-
- विश्व को ऐसे बच्चों की मानसिक स्थिति के विषय में जागरूक करना।
- ऐसे बच्चों को बाकी बच्चों के जैसे समान अवसर और बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच जैसे विषय में ध्यान रखना।
- ऐसे बच्चों को उनका स्कूल शुरू करने में सहायता करना।
- ऐसे बच्चों के मानसिक आघातों को ठीक करने के लिए प्रयास करना।
- ऐसे बच्चों की महामारी के दौरान सुरक्षा करना।ऐसे बच्चों को समान अवसर मिले, इस मुद्दे के विषय में सुनिश्चित करना की हर व्यक्ति इस प्रयास में अपनी ज़िम्मेदारी समझे।
- ऐसे बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक वैश्विक मंच उपलब्ध करवाना।
विश्व युद्ध अनाथ दिवस के विषय में कुछ मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं:-
- संयुक्त राष्ट्र बाल कोश (United Nation International Children’s Education Fund) UNICEF के अनुसार ”मृत्यु की किसी भी वजह से एक या फिर दोनों माता – पिता को 18 वर्ष से कम आयु में खो देने वाले को अनाथ कहा जाता है”
- 2015 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में उस समय लगभग 140 मिलियन बच्चे अनाथ थे।
- यूनिसेफ के अनुसार 2001 से अनाथों की संख्या धीरे धीरे घट रही है। एक अनुमान के अनुसार द्वितीय विश्व युद्ध ने लाखों अनाथों का निर्माण किया था, लगभग 2 लाख युगोस्लाविया और 3 लाख पोलैंड में अनाथ हुये।
- अफगानिस्तान में लगभग 30 साल की लड़ाई के पश्चात अब लगभग 2 मिलियन बच्चे अनाथ हैं जिनमें से लगभग 6 लाख से ज्यादा सड़कों पर सोते हैं।
- UNICEF ऐसे बच्चों को साक्ष्य आधारित हिंसा को रोकने में प्रतिक्रिया और हस्तक्षेप जैसे सेवाएँ 140 से भी ज्यादा देशों में प्रदान करता है।
- UNICEF की रिपोर्ट के अनुसार गरीबी, संघर्ष, बीमारी, महामारी, प्राकृतिक आपदाओं चिकित्सा आवश्यकताओं की कमी के कारण लगभग 5700 बच्चे हर रोज अनाथ हो जाते हैं।
सारांश
अनाथ बच्चे मौन शिकार होते हैं हिंसा के, ऐसे बच्चे संघर्ष, संसाधनों की लड़ाई और युद्ध के बीच बड़े हो जाते हैं। हिंसा के कारण परिवार टूट जाते हैं जिसके कारण एक अनाथ बच्चे को खुद की और अपने छोटे बहन और भाई की देख रेख करनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में बहुत से बच्चे यौन शोषण के शिकार भी बन जाते हैं।
इसलिए हर व्यक्ति को अपनी यह ज़िम्मेदारी समझनी चाहिए की ऐसे बच्चे अगर उनके आस पास हों तो, उनकी सामान्य जीवन शुरू करने में हर संभव कोशिश करें, उनका स्कूल शुरू करवाएँ और यह सुनिश्चित करने की उनको हर सुविधाएं और अवसर समान रूप से मिल रहे हैं की नहीं।
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