राम मंदिर हिंदुओं के प्रभु श्री राम जी का मंदिर है। आजकल हर समाचार, न्यूज़ चैनल और सोश्ल मीडिया पर आपको राम मंदिर की खबरें मिल रही होंगी। क्योंकि इसके निर्माण और भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या का अस्तित्व को लेकर लंबे समय से सर्वोच्च न्यायालय में मामला चल रहा था और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद राम मंदिर, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में निर्माणाधीन है और 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर, अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इस मंदिर को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद बाबरी मस्जिद को तुड़वा कर बनवाया जा रहा है। इस लेख में आपको राम मंदिर से संबन्धित महत्वपूर्ण जानकारीयों का वर्णन मिलेगा।
श्री राम भगवान
श्री राम एक हिन्दू देवता हैं, जो की विष्णु भगवान के अवतार माने जाते हैं। पूरे भारतवर्ष में श्री राम की पुजा होती है, इनके मंदिर पूरे भारतवर्ष में मौजूद हैं। हिन्दू समुदाय में श्री राम एक महत्वपूर्ण देवता के रूप में पूजे जाते हैं। हिन्दू धर्म और हिन्दू धर्म के महाकाव्य रामायण में श्री राम को मर्यादा पुरुषोतम श्री राम के रूप में माना जाता है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण, जो की एक प्राचीन भारतीय महाकाव्य है जिसमें अयोध्या को श्रीराम की जन्मभूमि बताया गया है।
इतिहास
जैसा की इस लेख में उपरोक्त वर्णित है रामायण महाकाव्य में अयोध्या को श्री राम की जन्मभूमि बताया गया है और वहाँ पर श्री राम का महल था। यह महल बहुत ही भव्य और समृद्ध था, जो की अयोध्या के सरयू तट पर था। प्राचीन काल में अयोध्या, कौशल जनपद की राजधानी हुआ करती थी। इस अयोध्या नगरी में चौराहों पर बड़े बड़े स्तम्भ थे, चौड़ी चौड़ी सड़कें थी। श्री राम के पिता महाराज दशरथ ने इस नगरी को ऐसा सुंदर और भव्य बनाया था। श्री राम के जल समाधि लेने के पश्चात अयोध्या नगरी उजाड़ सी गई थी लेकिन उनके पुत्र कुश और उनकी आगे आने वाली 44 पीढ़ियों तक श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या का अस्तित्व बना रहा।
लगभग 100 ई.पू. सम्राट विक्रमादित्य शिकार करते करते अयोध्या के स्थान पर पहुँच गए और बताया जाता है की उन्होने वह पर कुछ चमत्कार देखे। सम्राट विक्रमादित्य ने वह पर खोज कार्य प्रारम्भ किया तो वह आस पास रहने वाले योगी और साधुओं से पता चला की यह श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या है। उसके बाद सम्राट विक्रमादित्य ने वह पर एक भव्य मंदिर, कूप, महल और सरोवरों का निर्माण करवाया। सम्राट विक्रमादित्य के बाद आने वाले राजाओं ने समय – समय पर अयोध्या में बने मंदिर का जीर्णोद्धार किया और मंदिर की देख रेख की।
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उसके पश्चात 11वीं सदी में राजा जयचंद, जो की कन्नौज के राजा थे वो आए और उन्होने अयोध्या में सम्राट विक्रमादित्य के प्रशस्ति शिलालेख के उखाड़कर उसकी जगह पर अपना नाम लिख दिया। पानीपत के युद्ध में जयचंद की मृत्यु हो गई। उसके पश्चात 14वीं सदी में भारत पर बाहरी आक्रमण होने लग गए और लुटपाट होने लग गई। बाहरी आक्रमणकारियों ने भारत में पुजारियों की हत्याएँ की, मंदिरों को तोड़ा और लुटपाट की। लेकिन फिर भी अयोध्या में मंदिर का अस्तित्व बना रहा।
उसके पश्चात 16वीं सदी में मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर ने उत्तर भारत में मंदिरों पर आक्रमण करके उनको तोड़ना शुरू कर दिया। उत्तर भारत के मंदिरों को आक्रमण करके तोड़ने की इसी शृंखला में उन्होने अयोध्या के राम मंदिर को भी तुड़वा दिया और उसकी जगह पर 1528 में एक मस्जिद का निर्माण करवाया, जिसका नाम बाबरी मस्जिद रखा गया। 19वीं सदी में बाबरी मस्जिद को लेकर धार्मिक हिंसा भड़कनी शुरू हो गई। सबसे पहले धार्मिक हिंसा 1853 में हुई। उसके बाद ब्रिटिश प्रशासन द्वारा हिंदुओं को इस स्थल पर पुजा करने से प्रतिबंधित कर दिया गया। तब से ही यह स्थल विवादित स्थल बना हुआ है। इस स्थल को लेकर धार्मिक हिंसा शुरू होने लगी और यह स्थल विवादित स्थल बन गया और इस वजह से सर्वोच्च न्यायालय में मामला दर्ज हुआ। यह मामला बहुत लंबे समय तक लंबित रहा और आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय ने 2019 में इस मामले में फैसला सुनाया और उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ शुरू हुआ।
विवाद
दरअसल यह एक ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक विवाद है। 1853 में राम मंदिर को लेकर पहली बार हुई धार्मिक हिंसा के बाद यह विवाद ज्यादा बढ़ गया। 1853 के बाद इस विवाद को लाकर बहुत ज्यादा धार्मिक दंगे होने लग गए। हिन्दू समुदाय वाले लोग कह रहे थे की अयोध्या श्री राम भगवान की जन्म भूमि है। यहाँ पर पहले राम मंदिर मौजूद था, जिसको तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। वहीं मुस्लिम समुदाय वाले लोग कह रहे थे कि यहाँ मस्जिद पहले से ही मौजूद थी यहाँ कोई मंदिर नहीं था।
इस बार को लेकर धार्मिक दंगे होते थे। उसके बाद 1992 में एक राजनैतिक रैली के दौरान विवादित स्थान मौजूद बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया गया जिसके परिणामस्वरूप 6 दिसंबर 1992 को इसने एक बड़े धार्मिक दंगे का रूप धरण कर लिए था। उसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मामला दर्ज हुआ हुआ। इस मामले में उच्च न्यायालय ने 30 सितंबर 2010 को फैसला सुनाया की अयोध्या की विवादित जमीन को तीन भागों में बांटा जाएगा। अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ जमीन को 1/3 हिस्से को सुन्नी वक्फ बोर्ड, 1/3 हिस्से हिन्दू महासभा और 1/3 हिस्से को निर्मोही आखाडा को दिया जाने का फैसला सुनाया गया।
उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश श्री रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 9 नवंबर, 2019 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को हटा दिया दिया गया और फैसला सुनाया की विवादित भूमि को एक सरकार द्वारा गठित ट्रस्ट को हिन्दू मंदिर बनाने के लिए सौंपा जाएगा और मस्जिद बनाने के लिए सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का निर्णय सुनाया। इसके साथ ही प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के द्वारा अधिग्रहित 67 एकड़ भूमि को भी सरकार द्वारा गठित ट्रस्ट को सौंपने की घोषणा की।
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राम मंदिर का निर्माण
2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया की विवादित जमीन भारत सरकार द्वारा गठित ट्रस्ट को सौंपी जाएगी। उसके बाद भारत सरकार द्वारा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ स्थल नामक ट्रस्ट का निर्माण किया गया। 5 फरवरी 2020 को इस ट्रस्ट को संसद में मंदिर निर्माण की योजना को स्वीकार करने की घोषणा कर दी गई।
7 फरवरी 2020 को अयोध्या से कुछ दूर धनीपुर नामक जगह पर 5 एकड़ जगह नई मस्जिद बनाने के लिए आबंटित की गई। 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर की आधारशिला रखी गई थी और राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ।
इस मंदिर के कुल क्षेत्रफल 70 एकड़ है जो की हरित क्षेत्र है और मंदिर का क्षेत्रफल 2.77 एकड़ है। इस मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। इस मंदिर की निर्माण शैली भारतीय नागर शैली है। यह मंदिर भूकंपरोधी संरचना पर आधारित है और यह मंदिर तीन मंज़िला है। इस मंदिर के दरवाजों को सागौन की लकड़ी से बनाकर उस पर सोने की परत को चढ़ाया गया है। इस मंदिर में 5 मंडप (नृत्य मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप, रंग मंडप, कीर्तन मंडप) हैं। राम मंदिर से संबन्धित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं:-
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- राम मंदिर के मुख्य वास्तुकार श्री चन्द्रकान्त बी. सोमपुरा हैं। यह अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार से हैं। सोमपुरा परिवार की 15 पीढ़ियों ने दुनिया भर में 100 से भी अधिक मंदिरों के डिजाइन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। चन्द्रकान्त बी. सोमपुरा के बेटों आशीष सोमपुरा और निखिल सोमपुरा ने भी उनके पिता का राम मंदिर के डिजाइन में उनकी सहायता की थी।
- इस मंदिर के मूर्तिकार श्री सत्यनारायण पांडे, गणेश भट्ट और अरुण योगिराज हैं।
- इस मंदिर के निर्माण कार्य के लिए लार्सन एंड टुब्रो कंपनी ने निशुल्क देखरेख की पेशकश की थी और इसके निर्माण कार्य लार्सन एंड टुब्रो कंपनी को ही सौंपा गया।
- इस मंदिर के डिजाइन को तैयार करने में IIT चेन्नई, CBRI रुड़की, NGRI हैदराबाद, IIT बॉम्बे, IIT गुवाहाटी, SVNIT सूरत ने सहायता की है।
- इस मंदिर के निर्माण में रोल्ड कंपेक्टेड कंक्रीट, ग्रेनाइट पत्थर, तांबे की प्लेटें, सागौन की लकड़ी, गुलाबी बलुआ पत्थर, शालिग्राम शीला, सोना और अष्टधातु आदि सामग्रियों का प्रयोग हुआ है।
- इस मंदिर के परियोजना प्रबंधन का कार्य टाटा कंसलटिंग ईंजिनियर्स लिमिटेड को सौंपा गया है।
- मंदिर में मोटे रोल्ड कंपेक्टेड कंक्रीट को परतदार बनाया गया है और कृत्रिम पत्थर का आकार दिया है।
- मंदिर में नमी ना आए उसके लिए मंदिर की नींव पर ग्रेनाइट का 21 फुट मोटा चबूतरा बनाया गया।
- इस मंदिर में लगे घंटे का भार 2100 कि.ग्रा. है और इस घंटे को अष्टधातु से बनाया गया है। इस घंटे कि आवाज 15 कि.मी. दूर तक सुनाई देती है।