किसी भी कम्पनी की सफलता के लिए मार्केटिंग बहुत ज़रूरी हैं, यदि आप मार्केटिंग विभाग में अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको यह समझना ज़रूरी है कि मार्केटिंग क्या होता है। मार्केटिंग के प्रकार और मार्केटिंग के लाभ भी इस लेख में जानेंगे। चलिए जानते हैं कि Marketing kya hai और प्रकार।
मार्केटिंग क्या होता है?
ज़्यादातर लोगों को लगता है विज्ञापन करने को ही मार्केटिंग कहते हैं। लेकिन मार्केटिंग एक व्यापक विषय है। मार्केटिंग एक पेड़ है तो विज्ञापन उसकी सिर्फ एक शाखा है। मार्केटिंग, कॉर्पोरेट क्षेत्र में बहुत अहम भूमिका निभाता है। मार्केटिंग में ग्राहक व्यवहार समझने से लेकर बिक्री करना और बिक्री के उपरांत सेवाएँ प्रदान करने तक की सब प्रक्रियाएँ शामिल की जाती है।
दरअसल मार्केटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसको छोटे और बड़े दोनों व्यापारियों या व्यवसाय करने वालों को करना पड़ता है। यह अनेक क्रियाओं का एक समूह है। मार्केटिंग में निर्धारित योजना के तहत प्रक्रिया में कार्यों को करना पड़ता है। मार्केटिंग के जरिये हम अपने उत्पाद को बेहतर बना सकते हैं, ग्राहक को संतुष्ट कर सकते हैं, बिक्री में वृद्धि कर सकते हैं, उत्पाद के ब्रांड का प्रचार कर सकते हैं, उत्पाद के पैकेजिंग, लेबलिंग, ग्रेडिंग की जाती है। मार्केटिंग को हिन्दी में हम ‘‘विपणन” कहते हैं।
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मार्केटिंग के उद्देश्य
Marketing kya hai यह तो हमने पढ़ा है, परंतु मार्केटिंग के उद्देश्य भी जानना ज़रूरी है:-
- बिक्री में वृद्धि करना। अगर बिक्री में वृद्धि होगी तो उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे प्रति इकाई लागत में कमी आएगी।
- उत्पाद/ ब्रांड को प्रभावशाली बनाना।
- उत्पाद/ ब्रांड के बारे में ग्राहकों को जागरूक करना। विज्ञापन के माध्यम से ग्राहकों को उत्पाद के विषय में बताना।
- उत्पाद/ ब्रांड का प्रचार, प्रसार करना और उसको प्रबंधित करना।
- ग्राहक संतुष्टि को सुनिश्चित करना।
- ब्रांड पर भरोसे का निर्माण।
- राजस्व में वृद्धि।
- कंपनी के लाभ में वृद्धि करना।
- बाजार में कंपनी के हर उत्पाद की छवि बनाना और उस छवि को बनाए रखना।
- बाजार में कंपनी की छवि बनाना और बनाए रखना।
- (After Sale Service) बिक्री के पश्चात ग्राहकों को सेवाएँ प्रदान करना।
मार्केटिंग की अवधारणाएँ – Concepts
मार्केटिंग के कार्यों को मार्केटिंग की अवधारणाओं के अनुसार किया जाता है। जो भी मार्केटिंग के संबंध में निर्णय लिए जाते हैं वह सब कंपनी द्वारा चयन की गई मार्केटिंग अवधारणा पर आधारित होते हैं। मार्केटिंग अवधारणाओं को हम विपणन प्रबंधन दर्शन भी कहते हैं। मार्केटिंग क्या है, समझने के साथ मार्केटिंग के कान्सेप्ट्स को भी समझना ज़रूरी है।
मार्केटिंग अवधारणाएँ निम्नलिखित 5 प्रकार की हैं:-
1. उत्पाद की अवधारणा
इस अवधारणा में यह माना जाता है की उपभोकता अच्छे गुणवत्ता वाले उत्पाद को खरीदने में रुचि रखते हैं। इसके अंतर्गत कंपनी उत्पाद की गुणवत्ता को निरंतर सुधारने का प्रयास करती है।
2. विपणन अवधारणा
इस अवधारणा में संगठनात्मक उद्देश्यों को पूरा करने, बाज़ारों की आवश्यकताओं को जानने और प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में ग्राहकों को ज्यादा संतुष्टि प्रदान करने पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित रखा जाता है।
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3. उत्पादन अवधारणा
इस अवधारणा में यह माना जाता है की उपभोक्ता उस उत्पाद को ज्यादा खरीदते हैं जो उत्पाद बाजार में ज्यादा उपलब्ध होते हैं।
4. बिक्री की अवधारणा
इस अवधारणा में यह माना जाता है की बड़े पैमाने पर बिक्री और प्रचार के प्रयास करने पर ही उपभोक्ता को अपने उत्पाद की तरफ आकर्षित किया जा सकता है और अपने उत्पाद को बेचा जा सकता है।
5. सामाजिक विपणन अवधारणा
इस अवधारणा में माना जाता है की कंपनी को उत्पाद का मूल्य ऐसा निर्धारित करना चाहिए जो की उपभोक्ता के लिए भी उपयुक्त हो, समाज के लिए भी उचित हो और कंपनी के लिए भी लाभयुक्त हो।
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मार्केटिंग में हम क्या कार्य करते हैं?
बाजार अनुसंधान, ग्राहक व्यवहार विश्लेषण से लेकर बिक्री के पश्चात सेवा प्रदान करने तक की प्रक्रिया के अंतर्गत मार्केटिंग के बहुत सारे कार्य होते हैं। कुछ लोग मार्केटिंग का मतलब उत्पाद के विषय में प्रचार करना ही समझते हैं, लेकिन मार्केटिंग का विषय बहुत व्यापक है। उत्पाद का प्रचार करना इसकी प्रक्रिया में आने वाला सिर्फ एक कार्य है। मार्केटिंग/विपणन के अंतर्गत हम विभिन्न कार्य करते हैं:-
- बाजार अनुसंधान और विश्लेषण:- बाजार में क्या उत्पाद उपलब्ध है क्या नहीं है, बाजार में प्रतियोगिता स्तर क्या है, बाजार का क्या साइज़ है या सब पता लगाना और उस पर विश्लेषण करना।
- ग्राहक अनुसंधान और विश्लेषण:- ग्राहक का व्यहार, पसंद, खरीदने की क्षमता, रुचि, आयु वर्ग, आवश्यकता इत्यादि के विषय में अनुसंधान करना और उसका विश्लेषण करना।
- उत्पाद अनुसंधान और विश्लेषण:- ग्राहक अनुसंधान के आधार पर उत्पाद निर्धारण करना होता है। उत्पाद किस विशेष आयु वर्ग के लिए निर्मित किया जाए, क्या उत्पाद निर्मित किया जाए, उत्पाद का क्या साइज़ हो, उत्पाद ग्राहक की रुचि, पसंद और आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिए आदि विषय को लेकर उत्पाद अनुसंधान करना और विश्लेषण करना।
- उत्पाद का मूल्य निर्धारण:- उत्पाद का मूल्य ऐसा होना चाहिए जो कंपनी के लिए लाभप्रद भी हो और ग्राहक के लिए भी उचित हो। मूल्य का निर्धारण करते समय प्रतियोगी उत्पाद के मूल्य को भी ध्यान में रखना चाहिए।
- ग्रेडिंग और मानकीकरण:- मानकीकरण के अंतर्गत उत्पाद को पूर्व निर्धारित मानकों के आधार पर निर्मित किया जाता है ताकि उत्पाद में एकरूपता और स्थिरता लाई जा सके। इसके अलावा उत्पाद की गुणवता के आधार पर उत्पाद को निर्मित करने की प्रक्रिया को ग्रेडिंग कहा जाता है।
- पैकेजिंग और लेबलिंग:- पैकेजिंग के अंतर्गत उत्पाद को पैक करने के विषय में निर्धारण किया जाता है, जिससे उत्पाद आकर्षक, सुरक्षित, हेंडलिंग में आरामदायक बनाया जा सके। लेबलिंग के अंतर्गत उत्पाद के पैकेज के उपर उत्पाद के विषय में जानकारी देने के लिए लेबेल लगाया जाता है।
- ब्रांडिंग:- ब्रांडिंग के अंतर्गत उत्पादक के ब्रांड नाम से संबन्धित निर्णय लिए जाते हैं। ब्रांड नाम का निर्धारण करते समय प्रतियोगी उत्पाद के ब्रांड नाम का भी ध्यान रखा जाता है। यह भी निर्णय लिया जाता है की कंपनी के हर उत्पाद का अलग अलग ब्रांड नाम रखा जाए या हर उत्पाद के लिए एक ही ब्रांड नाम रखा जाए। ब्रांड से संबन्धित निर्णय लेना ब्रांडिंग के अंतर्गत आता है।
- विज्ञापन:- उत्पाद के प्रचार और प्रसार के लिए विज्ञापन से संबन्धित विषयों पर निर्णय लिया जाता है। विज्ञापन किस माध्यम से कराया जाए, कहाँ कहाँ विज्ञापन करना है आदि।
- भौतिक वितरण:- उत्पाद की बिक्री के लिए उत्पाद को बाजार तक पहुंचाना, उत्पाद के भंडारण, कंपनी से सीधे उपभोक्ता तक उत्पाद का वितरण का प्रबंध करना इत्यादि इसके अंतर्गत किया जाता है। वितरण के लिए किस परिवहन माध्यम को चुना जाए यह सब निर्णय इसके अंतर्गत लिए जाते हैं।
- ग्राहक सेवाएँ प्रदान करना:- आज के समय में उपभोक्ता संतुष्टि ही हर कंपनी का मुख्य उद्देश्य है। इस उद्देश्य के लिए जरूरी होता है की बिक्री होने के बाद ग्राहकों को सेवाएँ दी जाएँ ताकि ग्राहक पूर्ण रूप से संतुष्ट हो सके।
मार्केटिंग के लाभ
- रोजगार के अवसर देता है।
- बाजार का विस्तार होता है।
- कंपनी की अन्य क्रियों को गति प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय में वृद्धि होती है।
- कंपनी के लाभों में वृद्धि।
- कंपनी निर्णयों को लेने के लिए आधार प्रदान करता है।
- ग्राहक को अंतिम संतुष्टि प्रदान करता है।
- ब्रांड वैल्यू को बढ़ता है।
- कंपनी की आर्थिक स्थिति को स्थिरता प्रदान करता है।
- ग्राहकों के जीवन स्तर में वृद्धि में सहायक।
- लक्षित बाजार की पहचान करने में सहायक।
- प्रतिस्पर्धी उत्पाद और कंपनी की पहचान करने में सहायक।
- आदर्श उपभोक्ताओं को टार्गेट करने के लिए आधार प्रदान करता है।
मार्केटिंग में कैरियर बनाने के लिए क्या करें?
मार्केटिंग में कैरियर बनाने के लिए सबसे पहले जरूरी है हाई स्कूल डिप्लोमा प्राप्त करना और इसके साथ साथ हमें अँग्रेजी और गणित विषय में अच्छे अंक प्राप्त करने होंगे। अगर हमें पढ़ाई के लिए विदेश जाना है तो हमें अँग्रेजी में प्रवीनता प्राप्त करनी होगी। इसके बाद हमको स्नातक डिग्री प्राप्त करनी होती है। अगर हम ज्यादा ऊंचाई पर जाने की सोच रहे हैं तो हम MBA में भी प्रवेश ले सकते हैं। किसी भी क्षेत्र में स्नातक की डिग्री में न्यूनतम कट ऑफ मार्क से ज्यादा अंक लाने होंगे।
इसके बाद हमें मार्केटिंग इनटर्नशिप पूरी करनी चाहिए। इनटर्नशिप करना मार्केटिंग में कैरियर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होता है। इससे किसी विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। मार्केटिंग में जॉब मिलने से पूर्व ही हम इनटर्नशिप में मार्केटिंग के तरीकों को सीख लेते हैं जो हमारे लिए बहुत ही सहायक सिद्ध होते हैं।
इसके बाद हमें अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त करनी होती है। इसके लिए हम अधिकतर मार्केटिंग में MBA करते हैं।
मार्केटिंग का कोई कोर्स करने के लिए हमें विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए आवेदन देना होता है या फिर कोई प्रतियोगी परीक्षा देनी होती है। कुछ महत्वपूर्ण परीक्षाओं के नाम निम्नलिखित हैं:-
- CMAT
- CAT
- IPMAT
- IBSAT
- MICAT
- GMAT
मार्केटिंग मिक्स क्या है? – Marketing mix in hindi
विपणन मिश्रण / मार्केटिंग मिक्स में मार्केटिंग के उद्देश्यों को पूरा करने से संबन्धित कारकों के उचित संयोजन का कार्य किया जाता है। विपणन मिश्रण में 4P और 7P के सिद्धान्त महत्वपूर्ण है, इनमें मार्केटिंग के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए संबन्धित कारकों के विषय में उल्लेख किया गया है। 4P और 7P का उल्लेख निम्नलिखित है:-
मार्केटिंग के 4P क्या हैं
4P के अंतर्गत Product, Price, Place और Promotion से संबन्धित कार्य किए जाते हैं। 4P का उल्लेख ई. जेरोम मेककार्थि ने अपनी पुस्तक बेसिक मार्केटिंग में किया है।
- Product (उत्पाद):- उत्पाद मूर्त या अमूर्त हो सकती है अर्थात यह कोई वस्तु या सेवा भी हो सकती है। हमें सबसे पहले उत्पाद का चयन करना होता है की कैसा उत्पाद बनाया जाए। इसके लिए पहले ग्राहकों के व्यवहार, पसंद, आवश्यकता, रुचि आदि के लिए अनुसंधान करना होता है जिससे की पता लगाया जा सके की कैसा उत्पाद बनाना चाहिए।
- Price (मूल्य):- उत्पाद का चयन होने के बाद हमें उत्पाद के मूल्य का निर्धारण करना होता है। मूल्य ऐसा होना चाहिए जो कंपनी के लिए लाभप्रद हो, प्रतियोगी कंपनी को टक्कर दे सके, ग्राहक के लिए उचित हो आदि।
- Place (स्थान):- विपणन के संदर्भ में स्थान वह जगह है जहां उत्पाद की बिक्री की जा सकती हो। हमें स्थान का चयन करने के लिए भी अनुसंधान करना चाहिए। हमें स्थान के निर्धारण करते देखना चाहिए की उत्पाद की ज्यादा मांग कहाँ पर हो सकती है, किस स्थान पर प्रतियोगिता कम है, किस स्थान के लोग उत्पाद के मूल्य को चुकाने की क्षमता रखते हैं आदि। स्थान भौतिक (जहां क्रेता और विक्रेता दोनों शारीरिक रूप से मिल सकें) भी हो सकता है और आभासी (ऑनलाइन) भी हो सकता है। उत्पाद को ग्राहक कहाँ से खरीदें यह निर्धारण भी करना होता है।
- Promotion (प्रचार):- उत्पाद की बिक्री के लिए जरूरी होता है की पहले सभावित ग्राहकों और ग्राहक समूहों को उत्पाद के विषय में बताया जाए। ग्राहक को विभिन्न विज्ञापन माध्यमों के जरिए ग्राहकों और बाज़ारों में उत्पाद का प्रचार और प्रसार करना पड़ता है, जिससे की ग्राहक उत्पाद के विषय में जाने और उसको खरीदें।
मार्केटिंग के 7P क्या हैं?
उपरोक्त वर्णित 4P के अलावा भी 3 और कारकों को विपणन मिश्रण में सम्मिलित किया जाता है। 4P के अलावा 3 और P में People, Process और Physical Evidence को शामिल किया जाता है, जिनका वर्णन निम्नलिखित है:-
- People:- इसमें मार्केटिंग के अंतर्गत ग्राहकों और कर्मचारियों दोनों को शामिल किया जाता है। इन दोनों के परस्पर अनुभव से उत्पाद की अच्छी छवि का निर्माण होगा। कर्मचारी अगर ग्राहकों को बिक्री के पश्चात अच्छी सेवा देते हैं और बिक्री से पहले ग्राहक को उत्पाद के विषय में अच्छे से जागरूक करते हैं तो उससे ग्राहक को संतुष्टि मिलती है जिससे वो उस उत्पाद को खरीदता है और अपने दोस्तों या रिशतेदारों को उस उत्पाद के विषय में बताता है।
- Process (प्रक्रिया):- अपने उत्पाद को बेचने या सेवा प्रदान करने की प्रक्रिया में हमें हमेशा ग्राहक संतुष्टि पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस प्रक्रिया में ग्राहक संतुष्टि ही हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए, क्योंकि अंतिम रूप में उत्पाद की बिक्री और प्रचार ग्राहक के उत्पाद के विषय में अच्छे अनुभव पर निर्भर करती है।
- Physical Evidence:- जिस वातावरण में ग्राहक और विक्रेता एक दूसरे के साथ संपर्क करें उस वातावरण को आकर्षक, प्रभावशाली, आसान और लचीला होना चाहिए। यह वातावरण कोई गोदाम, दुकान, मंडी या इंटरनेट भी हो सकता है। वस्तु को बेचने या सेवा को प्रदान करने के लिए ऐसा वातावरण का चयन करना चाहिए जो ग्राहक के लिए उपयुक्त हो।
मार्केटिंग कितने प्रकार की होती है?
मार्केटिंग मुख्य रूप से चार प्रकार की होती है B2B, B2C, C2B, C2C इसके अलावा भी मार्केटिंग के विभिन्न प्रकार होते हैं। मार्केटिंग के प्रकारों का विवरण निम्नलिखित है:-
1. B2B – Business to Business
इस मार्केटिंग तकनीक में एक उत्पाद का प्रचार और बिक्री एक व्यवसाय से दूसरे व्यवसाय को की जाती है। जैसे – कंपनी द्वारा थोक विक्रेता को, कंपनी द्वारा अलीबाबा, फ्लिपकार्ट, अमेज़ोन, इंडियामार्ट जैसी ऑनलाइन कंपनियों को। इस मार्केटिंग में किसी पहले से स्थापित व्यवसाय को उत्पाद का प्रचार और बिक्री की जाती है। इसमें खुदरा व्यापारी (Whole Seller) को टार्गेट किया जाता है।
2. B2C – Business to Customer
इस मार्केटिंग तकनीक में सीधे अंतिम उपभोक्ता को प्रचार किया जाता है और बिक्री की जाती है। इसमें वितरण प्रणाली में से बीचोलियों को निकाल कर सीधे अंतिम उपभोक्ता को समान बिक्री की जाती है। इसमें अंतिम उपभोक्ता को टार्गेट किया जाता है। यह ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है। B2C के उदाहरण – eBay, Netflix, Hotstar, Meta, Uber, Ola, Amazon आदि।
3. C2B – Customer to Business
यह तकनीक बिलकुल B2C के विपरीत होती है। इसमें उपभोक्ता द्वारा कंपनी को कोई वस्तु या सेवा बेची जाती है। इसमें उपभोक्ता बिना किसी बीचोलीय के सीधे कंपनी को वस्तु बेचता है या सेवा प्रदान करता है। जैसे – किसी सेलेब्रिटी द्वारा किसी कंपनी के उत्पाद का प्रचार करना।
4. C2C – Customer to Customer
इस मार्केटिंग तकनीक में एक उपभोक्ता दूसरे सह उपभोक्ता से बातचीत करता है, उत्पाद के विषय में अपना अनुभव शेयर करता है। इससे एक ग्राहक का दूसरे ग्राहक के साथ बिजनेस कनरे में सहायता मिलती है। इससे उपभोक्ता को उत्पाद को खोजने में उसकी जानकारी लेने में भी बहुत मदद मिलती है। C2C के उदाहरण हैं – eBay, Etsy, Amazon Marketplace, Craigslist आदि।
उपरोक्त वर्णित मुख्य प्रकारों के अलावा भी मार्केटिंग/विपणन के कुछ प्रकार हैं। मार्केटिंग का क्षेत्र वर्तमान समय में और भी ज्यादा व्यापक हो गया है। वर्तमान में मार्केटिंग की बहुत विभिन्न तकनीक विकसित हुई हैं, जिससे मार्केटिंग एक अलग पेशे के रूप में उभर कर आया है।
मार्केटिंग की शाखाएँ
1. डिजिटल मार्केटिंग
इस मार्केटिंग तकनीक में डिजिटल साधनों के माध्यम से वस्तु का प्रचार किया जाता है। यह इंटरनेट के जरिये की जाती है, इसलिए हम इसको ऑनलाइन मार्केटिंग या इंटरनेट मार्केटिंग भी कह सकते हैं। इसमें इंटरनेट, मोबाइल फोन, लैपटाप आदि के द्वारा उत्पाद का प्रचार किया जाता है। इससे कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ताओं तक पहुंचा जा सकता है। डिजिटल मार्केटिंग को हम निम्नलिखित विभिन्न प्रकार से कर सकते हैं:-
- सोश्ल मीडिया मार्केटिंग: यह मार्केटिंग तकनीक वर्तमान समय की सबसे ज्यादा प्रचलित तकनीक है। यह तकनीक डिजिटल या इंटरनेट मार्केटिंग के फलस्वरूप ही विकसित हुई है। इसमें सोश्ल मीडिया प्लैटफ़ार्म जैसे – facebook, twitter, linkedin, instgram, telegram आदि के माध्यम से लक्षित और संभावित ग्राहकों तक पहुंचा जाता है।
- सर्च इंजिन मार्केटिंग: इसमें कंपनियों द्वारा अपनी कंपनी की वैबसाइट के लिंक की प्राथमिकता को बढ़ाने के लिए सर्च ईंजन कंपनी को भुगतान किया जाता है और वैबसाइट के जरिये मार्केटिंग की जाती है। जैसे – Google Chrome, Firefox, Internet Explorer, Microsoft Edge आदि सर्च ईंजन को कंपनी द्वारा भुगतान करना जिससे की कंपनी की वैबसाइट के लिंक को प्राथमिकता दी जाए और कंपनी अपने संभावित ग्राहकों तक पहुँच पाए।
- एफ़िलिएट मार्केटिंग: एफ़िलिएट मार्केटिंग डिजिटल मार्केटिंग का एक हिस्सा है। यह मार्केटिंग की ऐसी तकनीक है जिसमें कम पैसे खर्च होते हैं। यह एक performance के आधार पर अपनाए जाने वाली तकनीक है। इसमें एफ़िलिएट द्वारा कंपनी के उत्पाद की बिक्री करने पर कंपनी द्वारा उस उस एफ़िलिएट को कमिशन का भुगतान किया जाता है। इसमें कंपनी द्वारा बिक्री को बढ़ाने के उद्देश्य से एक या एक से ज्यादा एफ़िलिएट को बनाया जाता है।
- कंटैंट मार्केटिंग: इसमें उत्पाद के विषय में कंटैंट निर्माण करके, उसको डिजिटल मीडिया के माध्यम से ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है, जिससे की संभावित ग्राहकों को उत्पाद की संक्षिप्त में जानकारी दी जा सके और उनको खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
- ईमेल मार्केटिंग: इसमें ईमेल के जरिये लक्षित ग्राहकों तक पहुंचा जाता है। लिख कर प्रचार करना या ग्राहकों को बेचने के उद्देश्य से लिख कर प्रोत्साहित करने के संबंध में यह एक बेहतर माध्यम है। इसके जरिये सीधे लक्षित ग्राहकों तक पहुँच जा सकता है।
2. ट्रेडिशनल मार्केटिंग
इसमें मार्केटिंग की वह सब तकनीक शामिल की जाती है जो प्राचीन समय से चलती आ रही है और अब भी कंपनियों द्वारा अपनाए जाती है। मुख्यतः इन तकनीकों में डिजिटल मार्केटिंग की तुलना में कम खर्चा होता है। कुछ ट्रेडिसनल मार्केटिंग तकनीक निम्नलिखित हैं:-
- आउटडोर मार्केटिंग: इस मार्केटिंग तकनीक में सार्वजनिक स्थलों पर विज्ञापन करके मार्केटिंग की जाती है। इसमें स्टिकर, प्रिंटेड विज्ञापन आदि को सार्वजनिक परिवहन के साधनों पर चिपका कर, शहरों में रोड पर बड़े बड़े बोर्ड्स लगा कर इत्यादि परकार से प्रचार किया जात है।
- प्रिंट मार्केटिंग: यह मार्केटिंग तकनीक सदियों से चलती आ रही है। यह सबसे प्राचीन मार्केटिंग तकनीक है। इसमें समाचार पत्र, मेगज़ीन, ब्रोशर, पेंफलेट आदि के जरिये इमेज और टेक्स्ट दोनों तरह से कंपनी का प्रचार प्रसार किया जाता है।
- डाइरैक्ट मार्केटिंग: यह विज्ञापन का एक माध्यम है। इसमें ग्राहकों से फोन, केटलोग डिस्ट्रिब्यूशन, मेस्सेजिंग, ईमेल, अखबार या मेगेजीन आदि के माध्यम से सीधे संवाद किया जाता है।
- ईलेक्ट्रोनिक मार्केटिंग: इसमें रेडियो, टेलिविजन आदि के माध्यम से विज्ञापन किया जाता है। इसमें रेडियो, टेलिविजन में विज्ञापन दिखाकर संभावित ग्राहकों तक उत्पाद की जानकारी को पहुंचाया जाता है।
- इवैंट मार्केटिंग: इसमें कंपनी द्वारा किसी निर्धारित जगह पर संभावित उपभोक्ताओं को इकट्ठा करने के लिए इवैंट का आयोजन किया जाता है, ताकि उन संभावित उपभोक्ताओं के साथ कंपनी के उत्पादों के संबंध में संवाद किया जा सके। इसमें उपभोकताओं को उत्पाद का डेमो भी दिखाया जाता है। इसमें कॉन्फ्रेंस, सेमिनार, रोडशो और ट्रेड शो आदि किए जाते हैं।
3. नेटवर्किंग मार्केटिंग क्या होता है?
इस मार्केटिंग तकनीक को मल्टी लेवेल मार्केटिंग भी कहा जाता है। इसमें कंपनी के उत्पाद के प्रचार के लिए ऐसे व्यक्तियों का सहारा लिया जाता है जो बहुत से समूहों और व्यक्तियों के संपर्क में होता है और वो व्यक्ति आगे अन्य व्यक्तियों के संपर्क में होते हैं। इसमें कंपनी के उत्पाद को एक व्यक्ति द्वारा अपने संपर्क वाले व्यक्तियों प्रचारित किया जाता है और यह प्रक्रिया आगे चलती रहती है। इसे हम चैन मार्केटिंग भी कहते हैं।
4. रिलेसन्शिप मार्केटिंग
यह मार्केटिंग क्या होता है, इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि ग्राहकों के निर्माण, ग्राहकों को बनाए रखने, ग्राहकों के भरोसे को बनाए रखने, ग्राहकों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने के लिए यह मार्केटिंग की जाती है।
5. अंडरकवर मार्केटिंग
यह एक ऐसी प्रकार की मार्केटिंग तकनीक होती है जिसमें ग्राहक इस विपणन की तकनीक से अंजान होते हैं। इस मार्केटिंग तकनीक को हम स्टील्थ मार्केटिंग भी कह सकते हैं। व्यापार की दुनिया में अंडरकवर मार्केटिंग का महत्व काफी अधिक है, और एक अच्छा मार्केटिंग एक्सपर्ट यह जानता है कि यह मार्केटिंग क्या है और इसे किस प्रकार से फायदा उठाया जा सकता है।
उपरोक्त वर्णित मार्केटिंग तकनीकों के अलावा भी कुछ मार्केटिंग तकनीक हैं, जो निम्नलिखित हैं:-
- शेयर मार्केटिंग
- टेलीमार्केटिंग
- सेल्स मार्केटिंग
- सर्विसेस मार्केटिंग
मार्केटिंग कोर्स करने के लिए कॉलेज
मार्केटिंग/विपणन कोर्स करने के लिए हमें पहले यह निश्चित कर लेना चाहिए की हमें कोर्स कोनसा करना है। हमें अपनी रुचि के अनुसार ही मार्केटिंग कोर्स का चयन करना चाहिए। कोर्स का चयन करने के पश्चात ही हमें उस कोर्स को करवाने वाले कोलेज को ढूँढना चाहिए। इससे हम अपने कार्य में विशिष्टता ला सकते हैं।
हम मार्केटिंग कोर्स करने के लिए विदेश के किसी कॉलेज में भी प्रवेश ले सकते हैं और भारत के किसी कॉलेज में भी। अपने चयनित कोर्स के अनुसार ही हम भारतीय या विदेशी कॉलेज को चुन सकते हैं।
1. मार्केटिंग कोर्स करने के लिए भारत में कॉलेज
- IIM
- MIT स्कूल ऑफ बिजनेस
- IMT
- इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस
- (SPJIMR) एस पी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च
- चंडीगढ़ विश्वविद्यालय
- जेवीयर इंस्टीट्यूट ऑफ सोश्ल सर्विस
- सिंबायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट
- NIMS विश्वविद्यालय
- दिल्ली विश्वविद्यालय DU
- गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय
- IIT
2. मार्केटिंग कोर्स करने के लिए विदेशी कॉलेज
- इंपीरियल कॉलेज बिजनेस स्कूल
- कोलम्बिया बिजनेस स्कूल
- ESCP यूरोप बिजनेस स्कूल
- एलायंस मैंचेस्टर बिजनेस श्कूल
- ESADE बिजनेस स्कूल
- वारवीक बिजनेस स्कूल
मार्केटिंग डिग्री धारक के लिए अवसर
मार्केटिंग कोर्स करने के बाद व्यक्ति के लिए बहुत सारे अवसर उपलब्ध होते हैं। वह अपनी योग्यता और रुचि के अनुसार किसी भी तरह के मार्केटिंग पद पर कार्य कर सकता है। कॉर्पोरेट की दुनिया में मार्केटिंग डिग्री धारक व्यक्ति को मुख्यतः निम्नलिखित पदों पर कार्य करने के अवसर उपलब्ध होते हैं:-
- ब्रांड प्रबन्धक
- मार्केटिंग/विपणन प्रबन्धक
- विज्ञापन प्रबन्धक
- ग्राहक सेवा प्रतिनिधि
- सोश्ल मीडिया प्रबन्धक
- PR एक्सपेर्ट (जनता से सम्बन्धों के विशेषज्ञ)
- PR प्रबन्धक
- बिक्री प्रबन्धक
- मीडिया प्लानर
- सोश्ल मीडिया मैनेजर
- सेल्स रिप्रेजेंटेटिव
- सोश्ल मीडिया इन्फ़्लुएन्सर
- विपणन विश्लेषक (मार्केटिंग एनेलिस्ट)
- विपणन/ मार्केटिंग अनुसंधान विश्लेषक
- ग्राहक व्यवहार विश्लेषक (Consumer Behaviour Analyst)
मार्केटिंग की जॉब में वेतन
वर्तमान समय में मार्केटिंग/विपणन की जॉब में बहुत अच्छा वेतन मिल सकता है। चाहे हम कहीं भी किसी भी क्षेत्र में जॉब करते हों, हमारा वेतन कहीं भी निश्चित नहीं होता है। हमारे वेतन को हमारी योग्यता, डिग्री, अनुभव जैसे बहुत से कारक हैं जिनके आधार पर हमारा वेतन निर्धारित किया जाता है। ऐसा भी संभव होता है की हमारे पास ज्यादा योग्यता और बड़ी डिग्री होने के बाद भी हमें किसी ज्यादा अनुभवी व्यक्ति से कम वेतन मिले।
अगर वर्तमान में चल रहे रुझानों को देखने से पता लगता है की आज के समय में मार्केटिंग में हमें बहुत बेहतर वेतन मिल सकता है। क्योंकि मार्केटिंग ग्राहक और कंपनी के बीच की कड़ी है। ग्राहक के व्यवहार, पसंद, से लेकर बिक्री के बाद ग्राहक सेवाओं तक की प्रक्रिया में मार्केटिंग एक अहम भूमिका अदा करती है। उत्पाद के निर्माण से पूर्व ही मार्केटिंग कार्य शुरू हो जाता है, जैसे उत्पाद अनुसंधान, उत्पाद नाम, उत्पाद की बिक्री के लिए बाजार तैयार करना इत्यादि।
इसलिए मार्केटिंग की कंपनी में भूमिका को देखते हुए यह कहा जा सकता है की मार्केटिंग डिग्री धारक व्यक्ति के लिए बेहतर अवसर हमेशा उपलब्ध रहेंगे। वैसे तो यह नहीं कहा जा सकता की मार्केटिंग की जॉब में कितना निश्चित वेतन मिलेगा, क्योंकि वेतन को निर्धारित करने के लिए बहुत से कारकों को ध्यान में रखा जाता है। फिर भी कुछ अनुमानित वेतनमान का उल्लेख निम्नलिखित है:-
- IIM से मार्केटिंग डिग्री धारक:- 10-20 लाख सालाना नए IIM से डिग्री प्राप्त के लिए, 25-50 लाख सालाना शीर्ष IIM से डिग्री प्राप्त के लिए, 70 लाख से 01 करोड़ सालाना IIM से टॉप किए हुए के लिए।
- सामान्य मार्केटिंग की डिग्री धारक:- 2-5 लाख सालाना नवसिखिया के लिए, 5-15 लाख सालाना मध्यम अनुभवी के लिए, 20-50 लाख मार्केटिंग एक्सपर्ट के लिए।
अच्छे मार्केटिंग प्रबन्धक में क्या होना चाहिए
- टीम वर्क में कुशल होना चाहिए।
- टीम वर्क में सामान्य स्थापित करने वाला होना चाहिए।
- पब्लिक स्पीकिंग में आत्म विश्वास होना चाहिए।
- व्यापारिक तथ्यों के विषय में जागरूक होना चाहिय।
- संगठनात्मक कुशलता होनी चाहिय।
- रचनात्मक कुशलता होनी चाहिए।
- बेहतरीन communication कुशलता होनी चाहिए।
- प्रैशर में भी उचित निर्णय लेने वाला होना चाहिए।
- अच्छे व्यवहार वाला होना चाहिए।
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