हनुमान जी के भक्त इन्हें अलग-अलग नाम से पुकारते हैं और हनुमान चालीसा जो तुलसीदास द्वारा लिखी गई है उनमें हनुमान जी के 12 नाम का वर्णन मिलता है। हनुमान जी के 12 नाम के साथ हर नाम के साथ एक कथा जुड़ी हुई है जिसके कारण हनुमान जी के 12 नाम पड़े हैं।
हनुमान जी दुखों को हरने वाले और बुद्धि देने वाले हैं, यदि हनुमान जी के 12 नाम से उन्हें पुकारा जाए और उनके मंत्रों का उच्चारण किया जाए तो आप किसी भी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
हनुमान जी के 12 नाम
यहां पर हनुमान जी के 12 नाम के साथ उनके मंत्र भी दिए गए हैं:
- Advertisement -
- हनुमान (ॐ श्री हनुमते नमः।)– जब भगवान हनुमान जी अपनी बाल्यावस्था में सूर्य को फल समझकर उन्हें खाने के लिए बड़े तो इंद्रदेव ने उनके ऊपर वजह से प्रहार किया था जिस कारण इनकी ठुड्डी का आकार बदल गया। ठुड्डी को हनु भी कहते हैं और इसीलिए इनका बाल्यावस्था में ही हनुमान नाम पड़ा था।
- अंजनीसुत (ॐ अञ्जनी सुताय नमः।) – हनुमान जी की माता का नाम अंजनी था और सुत का अर्थ पुत्र होता है इसलिए अंजनी माता का पुत्र इसका अर्थ निकलता है।
- वायु पुत्र (ॐ वायुपुत्राय नमः।) – हनुमान जी का जन्म वायु देवता के आशीर्वाद से हुआ था इसीलिए उन्हें पवन पुत्र या वायु पुत्र भी कहते हैं।
- महाबल (ॐ महाबलाय नमः।) – भगवान हनुमान में बल्कि कोई सीमा नहीं है और कोई भी उनसे बलवान नहीं है। भगवान हनुमान जी के बल के कारण उन्हें महाबल के नाम से भी उनके भक्त पुकारते हैं।
- रामेष्ट (ॐ रामेष्ठाय नमः।) – रामेष्ट का अर्थ है राम के सबसे श्रेष्ठ यानि भगवान श्री राम के सबसे प्रिय, इसीलिए हनुमान जी को रामेष्ट नाम से भी पुकारते हैं।
- फाल्गुनसखा (ॐ फाल्गुण सखाय नमः।) – भगवान श्री हनुमान जी अर्जुन के मित्र थे, फाल्गुनसखा उन्हें इसीलिए बोला जाता है क्योंकि फाल्गुन का अर्थ अर्जुन और शाखा का अर्थ दोस्त या मित्र होता है।
- पिंगाक्ष (ॐ पिंगाक्षाय नमः।) – रामायण ग्रंथ में हनुमान जी के नेत्रों में हल्के लाल और पीले रंग की परत होने का उल्लेख मिलता है। इसलिए हनुमान जी को उनके भक्त पिंगाक्ष के नाम से भी पुकारते हैं।
- अमितविक्रम (ॐ अमितविक्रमाय नमः।) – श्री हनुमान जी अत्यधिक पराक्रमी थे और उन्हें शिव का अवतार माना जाता है। उनमें अथाह बाल होना स्वाभाविक है ,इसीलिए उन्हें अमित विक्रम के नाम से भी जपा जाता है।
- उदधिक्रमण (ॐ उदधिक्रमणाय नमः।) – जब रावण माता सीता को हर के ले गया था तो उसे समय माता सीता की खोज में हनुमान जी ने समुद्र को लांघा था। उदधिक्रमण का अर्थ समुद्र लांघना होता है इसीलिए उदधिक्रमण, हनुमान जी के 12 नाम में से एक है।
- सीताशोकविनाशक (ॐ सीताशोकविनाशनाय नमः।) – जब हनुमान जी समुद्र को लंगकर माता सीता की खोज में लंका में गए थे तो जब वह माता-पिता से मिले तो उन्होंने अपना परिचय देते हुए खुद को रामदूत बताया था। माता सीता भगवान राम से बिछड़ने के कारण शोक में थी और जब उन्हें यह पता लगा कि हनुमान जी रामदूत है तो उनके सभी दुख दूर हो गए इसलिए इन्हें सीताशोकविनाशक भी कहा जाता है।
- लक्ष्मण प्राणदाता (ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः।) – जब भगवान श्री राम और रावण के बीच में युद्ध चल रहा था उसे समय एक दिन मेघनाथ और लक्ष्मण जी के बीच में युद्ध हुआ और मेघनाथ ने छल से लक्ष्मण जी को मूर्छित कर दिया था। लक्ष्मण जी की मूर्छा तोड़ने के लिए संजीवनी बूटी की आवश्यकता थी जिसे भगवान हनुमान जी लेकर आए और लक्ष्मण जी के प्राण बचाए। लक्ष्मण प्राण दाता भगवान हनुमान जी के 12 नाम में से एक है।
- दशग्रीवदर्पहा (ॐ दशग्रीवस्य दर्पाय नमः।) – रावण एक बहुत ही ज्ञानी पंडित था परंतु उसमें बहुत अधिक घमंड था। श्री हनुमान जी ने रावण का घमंड कई बार तोड़ा है और इसीलिए हनुमान जी को 10 सिरों वाले रावण का घमंड तोड़ने वाला कहा जाता है और इसीलिए श्री हनुमान जी को दशग्रीवदर्पहा नाम से भी पुकारते हैं।
श्री हनुमान जी के 12 नाम और उनके मित्रों का उच्चारण करने से सिद्धि प्राप्त होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।
ज़रूर देखें:
हनुमान जी की आरती हिंदी में
हनुमान चालीसा हिंदी में
हिन्दू कैलेंडर और हिन्दू महीनों के नाम