रविवार, सितम्बर 24, 2023

हिन्दू कैलेंडर और हिन्दू महीनों के नाम – Hindu Months

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भारत में अक्सर घरों में बड़े बुजुर्गों को हिन्दू कैलेंडर और हिन्दू महीने के नाम लेते हुए देखा होगा। और जब भी किसी तिथि या दिन की जानकारी उन्हें देनी होती है या वह बात करते हैं तो हिंदू कैलेंडर और हिंदू महीनों के द्वारा ही वह ऐसा करते हैं।

अक्सर आपका जन्मदिन भी बड़े बुजुर्गों को हिंदू कैलेंडर के हिसाब से याद होता है। हिंदू धर्म में जो भी त्यौहार मनाए जाते हैं वह भी हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से होते हैं। यदि आप हिंदू कैलेंडर को नहीं जानते और उनके महीने आपको याद नहीं है तो इस लेख में हिंदू कैलेंडर और हिंदू महीनों के बारे में विस्तार से बताया गया है जिससे आप अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं।

हिन्दू कैलेंडर की जानकारी

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अंग्रेजी कैलेंडर के जैसे ही हिंदू कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं। हर महीने में 15 -15 दिन के 2 हिस्से होते हैं। हर महीने चमकीले चांद के बाद पूर्णिमा और ढलते हुए चांद के बाद अमावस्या आती है। भिन्न-भिन्न कैलेंडरों में महीने का पहला दिन भिन्न – भिन्न होता है।

अधिकतर उत्तर भारत में महीने का पहला दिन वह होता है जब पूर्ण चंद्रमा निकलता है, इसके विपरीत दक्षिण भारत में महीने का पहला दिन अमावस्या के दिन को मानते हैं। हिंदू कैलेंडर में हर महीने का नाम राशि के अनुसार रखा गया है। हिंदू कैलेंडर में हर महीने का महत्व है और हर महीने के अपने त्योहार और उत्सव हैं।

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हिन्दू कैलेंडर या पंचांग

हिंदू कैलेंडर के लिए पंचांग शब्द का उपयोग किया जाता है। यह शब्द संस्कृत के पंचांगम (पंच + अंगम) से लिया गया है, जो पंचांग के 5 अंगों जैसे – चंद्रमा, चंद्र दिन, अर्ध दिन, सूर्य और चंद्रमा के कोण और सौर दिन का प्रतिक है। पंचांग या फिर हिंदू कैलेंडर से हमारा तात्पर्य उन सभी प्रकार के पंचांगों से है जो कालगणना और धार्मिक एवं सांस्कृतिक अनुष्ठानों के लिए भारत में प्राचीन समय से ही इस्तेमाल हो रहे हैं।

भारत में हिन्दू कैलेंडर

भारत में प्राचीन काल से ही हिंदू कैलेंडर इस्तेमाल हो रहा है। जैसे जैसे भारत कई हिस्सों में बंटता गया वैसे-वैसे कैलेंडर में भी बदलाव होते रहे। भारत में विभिन्न क्षेत्रीय कैलेंडर है जैसे – ओड़िया कैलेंडर, पंजाबी कैलेंडर, मलयालम कैलेंडर, बंगाली कैलेंडर, तमिल कैलेंडर, कन्नड़ कैलेंडर और तुलु कैलेंडर जिनको आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटका, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा इत्यादि राज्यों द्वारा अपनाया गया है। एक कैलेंडर विक्रम संवत भी है।

लगभग हर कैलेंडर में 12 महीने हैं और उन महीनों के नाम भी समान ही है। हिंदू कैलेंडर चंद्रमा और सूर्य दोनों की गतियों के आधार पर बना है और यह धर्म और विज्ञान दोनों पर ही केंद्रित है।

भारत में साका कैलेंडर को राष्ट्रीय कैलेंडर का दर्जा मिला हुआ है। बहुत समय पहले हिंदू कैलेंडर को विकसित खगोलीय दर्शन द्वारा बनाया गया था। इसका निर्माण चंद्र मास के आधार पर हुआ था। उसके पश्चात 1957 में साका कैलेंडर बना, जिसमें अंग्रेजी कैलेंडर के जैसे ही लीप ईयर (Leap Year) को भी सम्मिलित किया गया जिसको हम हिंदू कैलेंडर में अधिक मास कहते हैं।

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हिन्दू और अंग्रेजी कैलेंडर के महीने

हिंदू कैलेंडर में महीने अंग्रेजी कैलेंडर के साथ – साथ नहीं चलते हैं। दरअसल हिंदू कैलेंडर का एक महीना अंग्रेजी कैलेंडर के दो क्रमिक महीनों में बंटा होता है। यह हिंदू महीना अंग्रेजी कैलेंडर के दोनों क्रमिक महीनों में किसी एक में कम और किसी एक में ज्यादा होता है। हिन्दू कैलेंडर के महीनों के समकक्ष अंग्रेजी कैलेंडर के महीनों की संक्षिप्त जानकारी निम्नलिखित है:-

क्रम संख्याहिन्दू महीने का नाम समकक्ष अंग्रेजी महीने के नामटिपण्णी
1चैत्रमार्च – अप्रैल 
2वैशाखअप्रैल – मई 
3ज्येष्ठमई – जून 
4आषाढ़जून – जुलाई 
5श्रावणजुलाई – अगस्त 
6भाद्रपद/ भादोंअगस्त – सितम्बर 
7अश्विनसितम्बर – अक्टूबर 
8कार्तिकअक्टूबर – नवम्बर 
9मार्गशीर्षनवम्बर – दिसम्बर 
10पौषदिसम्बर – जनवरी 
11माघजनवरी – फरवरी 
12फाल्गुनफरवरी – मार्च 
13पुरुषोतम/ अधिक मास यह महिना 32 महीने 16 दिन के पश्चात आता है

चैत्र माह (मेष राशी)

हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र माह होता है। इस महीने में ही नवरात्रि का व्रत भी आता है। इस महीने में गर्मी की ऋतु की शुरुआत महसूस होने लगती है। नेपाली कैलेंडर में चैत्र का महीना साल का आखिरी महीना होता है। महाराष्ट्र में चैत्र माह के पहले दिन गुड़ी पड़वा, कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में उगड़ी और तमिलनाडु में चैत्री विशु के त्योहार मनाए जाते हैं।

चैत्र माह में ही चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन रामनवमी मनाई जाती है और इस महीने की आखिरी पूर्णिमा का दिन हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर का चैत्र माह अंग्रेजी कैलेंडर के मार्च – अप्रैल महीने में आता है।

चैत्र महीने का महत्व

हिंदू धर्म के अनुसार चैत्र महीने को बहुत ही पूजनीय माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में श्रद्धालु अपनी प्रार्थना ओं को पूर्ण कर सकते हैं। चैत्र महीने में श्रावण पक्ष के समय का एक अलग महत्व है और हिंदू धर्म के अनुसार यह समय पूजनीय होता है।

चैत्र महीने के कुछ प्रमुख त्यौहार

  • चतुर्दशी: इस महीने में चतुर्दशी को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घर की सफाई करते हैं और काम करने वाले जगह की भी सफाई चतुर्दशी वाले दिन की जाती है।
  • चैत्र नवरात्रि: चैत्र महीने की चैत्र नवरात्रि को बहुत ही धूमधाम से 9 दिन तक मनाया जाता है। और इसे हिंदू अपने नए साल की शुरुआत मानते हैं।
  • हनुमान जयंती: हनुमान जयंती का त्यौहार भी चैत्र महीने में आता है जिसे भगवान हनुमान के जन्म के रूप में धूमधाम से मनाते हैं.
  • रामनवमी: रामनवमी त्योहार को भगवान राम के जन्म के उपलक्ष में मनाया जाता है। और यह चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन होता है।
  • गुढीपाडवा: गुडी पाडवा एक ऐसा त्यौहार है जिसे महाराष्ट्र में हिंदू कैलेंडर के अनुसार नए साल के उपलक्ष में मनाया जाता है।

वैशाख (वृषभ)

वैशाख हिंदू कैलेंडर का दूसरा महीना होता है। लेकिन बंगाली, नेपाली और पंजाबी कैलेंडर के अनुसार यह पहला महीना होता है। यह महीना अंग्रेजी कैलेंडर में अप्रैल – मई महीने में आता है। इस माह का नाम वैशाख इसलिए पड़ा क्योंकि इसी समय सूर्य की स्थिति विशाखा नामक तारे के निकट होती है। इस महीने के आने पर बंगाली नया साल मनाया जाता है और पश्चिम बंगाल एवं बांग्लादेश में लोग इस माह में किसी नए काम की शुरुआत करते हैं।

पंजाब में भी इस महीने को नए साल के रूप में मनाया जाता है और वहां पर इस माह में ही फसल की कटाई की जाती है और बैसाखी का त्यौहार इसी महीने में पंजाब में मनाया जाता है। इस माह की पूर्णिमा को ‘’बुद्धपूर्णिमा’’ के रूप में मनाया जाता है और इसी दिन गौतम बुध का जन्म उत्सव भी मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को ही श्री सीता माता का जन्म हुआ था। इस माह में मां गंगा, भगवान नरसिंह, भगवान कुर्म और परशुराम की पूजा भी की जाती है।

ज्येष्ठ (मिथुन राशी)

हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना ज्येष्ठ माह होता है। यह माह अत्याधिक गर्मी का होता है। इस माह को तमिल में आणी कहते हैं। यह माह अंग्रेजी के कैलेंडर के अनुसार मई – जून में आता है। इस माह में माता धूमावती, माता गायत्री, गंगा मां और शनिदेव की पूजा की जाती है। ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को हम शनि जयंती के रूप में मनाते हैं।

इस माह की दशमी के दिन ही गंगा मां धरती में अवतरित हुई थी इसलिए इस दिन हम गंगा दशहरा मनाते हैं। ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन को हम निर्जला एकादशी के रूप में मनाते हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन को वट सावित्री या वट पूर्णिमा का व्रत रखते हैं।

आषाढ़ (कर्क राशी)

हिंदू कैलेंडर का चौथा माह आषाढ़ माह होता है। इस माह को तमिल में हम आदि कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर में यह माह जून – जुलाई महीने में आता है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को हम ‘’गुरुपूर्णिमा’’ के रूप में मनाते हैं। इस माह में श्री विष्णु के साथ वामन पूजा भी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि आषाढ़ माह में देवता सो जाते हैं। आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा भी की जाती है।

श्रावण (सिंह राशी)

हिंदू कैलेंडर का पांचवा माह होता है श्रावण माह। इस माह को शिव भगवान का माह कहा गया है। हिंदू धर्म में इस माह को बहुत पवित्र माना गया है। इस माह से ही अनेक त्यौहार आने की शुरुआत हो जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर में यह मां जुलाई – अगस्त में आता है। श्रावण मास को तमिल में अवनी कहते हैं। इस माह की शुरुआत सूर्य के सिंह राशि में आने से होती है।

श्रावण माह की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है इसके साथ-साथ इस दिन महाराष्ट्र में नाराली पूर्णिमा भी मनाई जाती है। श्रावण माह की पूर्णिमा के आठ दिन पश्चात जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। श्रावण मास की अमावस्या के पांच दिन पश्चात नागपंचमी का त्यौहार आता है। इस महीने में ही देश के विभिन्न हिस्सों में भगवान शिव की कावड़ यात्रा निकाली जाती हैं और इस महीने में विशेष धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं। इस महीने में हरियाली अमावस्या और हरियाली तीज के त्यौहार भी आते हैं।

भाद्रपद/भादों (कन्या राशी)

भाद्रपद माह हिंदू कैलेंडर का छठा महीना होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह अगस्त – सितंबर के महीने में आता है। इस माह को हम पुरातासी या भादों भी कहते हैं। भाद्रपद माह के शुरू में ही गणेश चतुर्थी, हरितालिका तीज और ऋषि पंचमी आते हैं। इसी महीने में अष्टमी के दिन राधा अष्टमी और चौदस के दिन अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है।

इसके पश्चात आने वाले 15 दिन पितृपक्ष के होते हैं अर्थात यह 15 दिन पितरों को तर्पण दिया जाता है। इस महीने में ही गणेश उत्सव मनाए जाते हैं और इसके साथ साथ इस महीने में ही श्री राधा की भी पूजा की जाती है क्योंकि भाद्रपद में ही उनका जन्म हुआ था।

अश्विन (तुला राशी)

हिंदू कैलेंडर का सातवां महीना अश्विन माह होता है। इसको हम कुआर नाम से भी जानते हैं। यह माह अंग्रेजी कैलेंडर में सितंबर – अक्टूबर में आता है। इस महीने में ही बहुत अधिक छुट्टियां होती है क्योंकि इस महीने कई सारे त्यौहार आते हैं जैसे – कोजागिरी पूर्णिमा, नवरात्रि, दशहरा/ विजयदशमी, दिवाली, धनतेरस और काली पूजा।

कार्तिक (वृश्चिक राशी)

हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना होता है कार्तिक माह। गुजराती कैलेंडर के अनुसार कार्तिक साल का पहला महीना होता है और इस महीने में गुजरात में दिवाली से नए साल को शुरु हुआ माना जाता है। यह माह अंग्रेजी कैलेंडर में अक्टूबर – नवंबर महीने में आता है। इस माह को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है।

कुछ राज्यों में इस माह में ही माता कालिका की पूजा होती है। इसके साथ साथ इस माह में कुबेर, चित्रगुप्त, धनवंतरी देव, यमदेव और श्रीकृष्ण आदि की पूजा भी होती है। कार्तिक माह में कार्तिक पूर्णिमा, गोवर्धन पूजा और भाई दूज के त्योहार भी आते हैं। इस माह की एकादशी को देव उठनी एकादशी भी मनाई जाती है जिसको हम तुलसी विवाह के नाम से भी जानते हैं। देव उठनी एकादशी के पश्चात शुभ कार्यों की शुरुआत मानी जाती है। कार्तिक माह में ही गुरु नानक जयंती भी मनाई जाती है।

मार्गशीर्ष/ अगहन (धनु राशी)

हिंदू कैलेंडर का नौवां महीना होता है अब अगहन माह। इसको हम मार्गशीर्ष भी कहते हैं। इस महीने में गीता जयंती होती है। इस माह में भगवान दत्तात्रेय, श्री कृष्ण, पितृदेव. सत्यनारायण भगवान और भैरव की पूजा भी की जाती है। इस माह में वैकुंठ एकादशी भी मनाई जाती है जिसे हम मोक्ष एकादशी के नाम से जानते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर में यह माह नवंबर – दिसंबर में आता है।

पौष (मकर राशी)

हिंदू कैलेंडर का दसवां महीना होता है पौष माह। अंग्रेजी कैलेंडर में यह माह दिसंबर – जनवरी के महीने में आता है। इस माह में बहुत अधिक सर्दी पड़ती है। इस माह में ही मकर संक्रांति, पोंगल और लोहड़ी जैसे अन्य त्योहार मनाए जाते हैं। इस माह में सूर्य की उपासना और भगवान विष्णु की पूजा को विशेष माना जाता है।

माघ (कुम्भ राशी)

हिंदू कैलेंडर का ग्यारहवां महीना होता है माघ माह। इस माह को तमिल में हम मासी के नाम से जानते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर में यह माह जनवरी – फरवरी में आता है। इस महीने में ही सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करता है।

इस माह में बसंत पंचमी के दिन कला और विद्या की देवी सरस्वती मां की पूजा की जाती है। इसके साथ ही रथा सप्तमी और महाशिवरात्रि का त्योहार भी मनाया जाता है। इस माह में गुप्त नवरात्रि भी होती है। और इसके साथ-साथ माता दुर्गा के 10 महारुपों की पूजा भी की जाती है।

फाल्गुन (मीन राशी)

हिंदू कैलेंडर का बारहवां महीना होता है फाल्गुन माह। अंग्रेजी कैलेंडर में यह माह फरवरी – मार्च में आता है। बंगाली कैलेंडर के अनुसार यह 11वां महीना होता है। बांग्लादेश में इस माह के पहले दिन को पोहेला फाल्गुन के रूप में मनाया जाता है और नेपाल में इस महीने के पहले दिन को होली के रूप में मनाया जाता है जिसको वहां पर फागू के नाम से जानते हैं।

भारत में भी फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है। इस माह में भगवान नरसिंह और प्रहलाद की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि फाल्गुन माह की अष्टमी तिथि के दिन ही माता सीता का जन्म हुआ था इसलिए इस माह में माता सीता की पूजा भी की जाती है।

पुरुषोतम (अधिक मास)

हिंदू कैलेंडर मैं एक अतिरिक्त महीना भी होता है जिसे पुरुषोत्तमा या फिर अधिक मास कहते हैं। हिंदू कैलेंडर में यह महीना 32 महीने और 16 दिन के पश्चात आता है। सनातन धर्म या हिंदू धर्म में इस अधिक मास का विशेष महत्व है।


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Rashvinder
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मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
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