ए आर रहमान ( A. R. Rahman ) भारतीय संगीतकार, गायक, रिकॉर्ड निर्माता और गीतकार हैं जो भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में काफी लोकप्रिय है। ए आर रहमान का पूरा नाम अल्लाह रखा रहमान है, लेकिन जन्म के समय उनका नाम यह नहीं था।
ए आर रहमान का जन्म हिंदू परिवार में हुआ और उनके जन्म का नाम ‘ऐ एस दिलीप कुमार’ है जो बाद में इन्होंने बदल कर अपना नाम अल्लाह रखा रहमान यानी ए आर रहमान रख लिया।
भारत सरकार ने सन 2010 में ए आर रहमान को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पदम भूषण से सम्मानित किया था, इसके अलावा इन्हें फिल्म इंडस्ट्री में अनेकों पुरस्कार प्राप्त है। अल्लाह रखा रहमान में तमिल, हिंदी और अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में संगीतकार, गायक, रिकॉर्ड निर्माता और गीतकार के रूप में अपना अनूठा योगदान दिया है।
ए आर रहमान ने शुरुआती दिनों में अपने कैरियर की शुरुआत विज्ञापनों और भारतीय टेलीविजन चैनलों के लिए डॉक्यूमेंट्री के लिए कंपोज करके की थी। इसके पश्चात सन 1990 में इन्होंने तमिल फिल्म रोजा से फिल्मों में संगीत देने से शुरुआत की और इसके पश्चात इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और तमिल भाषा की अनेकों फिल्मों में गाने गाए।
सन 2006 में वैश्विक संगीत में उनके योगदान के लिए स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा ए आर रहमान को सम्मानित किया गया था। इसके पश्चात 2008 में उन्हें मद्रास के रोटरी क्लब से भी लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त हुआ। इसके अलावा अनेकों प्रकार के अवार्ड से उन्हें सम्मानित किया गया जैसे 2009 में 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में उनका नाम, 2014 में बर्कली कॉलेज आफ म्यूजिक से डॉक्टरेट की उपाधि, इत्यादि।
ए आर रहमान का जन्म
ए आर रहमान का जन्म 6 जनवरी 1967 में मद्रास राज्य, भारत में हुआ, जिसे अब तमिलनाडु के नाम से जाना जाता है। ए आर रहमान के पिता का नाम आरके शेखर था और उन्होंने जन्म के पश्चात इनका नाम है दिलीप कुमार रखा।
ए आर रहमान के पिता आरके शेख तमिल और मलयालम फिल्मों में संगीतकार थे, और संगीतकार बनने की प्रेरणा उन्हें अपने पिता से ही मिली। यही कारण रहा कि रहमान 4 साल की उम्र में ही पियानो बजाना सीख चुके थे और वह अपने पिता की कीबोर्ड बजाने में उनके स्टूडियो में मदद करते थे।
ए आर रहमान का शुरुआती जीवन
अल्लाह रखा रहमान के पिता की मृत्यु के समय इनकी उम्र केवल 9 वर्ष थी। इनके पिता तमिल और मलयालम इंडस्ट्री में संगीतकार थे लेकिन उनकी मृत्यु के पश्चात उनके परिवार के पास आय का कोई साधन नहीं था। इन्होंने अपने पिता के संगीत उपकरणों को किराए पर दिया, जो इनके परिवार की आय का साधन था।
इनका पालन-पोषण इनकी मां करीमा द्वारा किया गया, इनकी मां का जन्म का नाम कश्ती था। रहमान को अपने परिवार का समर्थन करने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ काम भी करना पड़ता था और इस वजह से वह सही से अपनी पढ़ाई नहीं कर पाए।
ए आर रहमान ने 1 वर्ष के लिए एमसीएन नामा पढ़ाई की और उसके बाद मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज हायर सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लिया। इस स्कूल में इनको इनकी संगीत प्रतिभा के आधार पर दाखिला दिया गया जहां पर इन्होंने अपने स्कूल के साथियों के साथ एक बैंड बनाया।
मां के कहने के बाद उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और अपना पूरा समय संगीत को दिया।
ए आर रहमान का संगीत जीवन
रहमान ने अपने संगीत कैरियर की शुरूआत भारतीय टेलीविजन और विज्ञापनों में जिंगल यानी झंकार देने से की थी। सन 1987 में रहमान नहीं एल्विन द्वारा शुरू की गई घड़ियों की एक सीरीज में झंकार की रचना की और इसके पश्चात कुछ विज्ञापनों के लिए भी झंकार की व्यवस्था की जिसके पश्चात वह काफी लोकप्रिय हुए।
इस समय इन्हें दलित के नाम से ही जाना जाता था। इसके पश्चात सन 1992 में मणिरत्नम जो एक तमिल निर्देशक हैं उन्होंने रोजा फिल्म के लिए साउंडट्रैक की रचना के लिए रहमान से संपर्क साधा। रहमान का फिल्मी कैरियर शुरू हो चुका था और उन्होंने अपने रिकॉर्डिंग और मिक्सिंग स्टूडियो पंचतंत्र रिकॉर्ड इन शुरू 1992 में किया।
उस समय यह कोई नहीं जानता था कि यह भारत का सबसे आधुनिक रिकॉर्डिंग स्टूडियो बन जाएगा और दुनिया के सबसे हाईटेक स्टूडियो में से एक होगा। सन 1992 में ही सिनेमैटोग्राफर संतोष शिवम में इन्हें इनकी दूसरी फिल्म योद्धा के लिए संपर्क किया, जिसमें इन्होंने काम किया।
सन 1993 में रहमान की पहली फिल्म रोजा को सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सिल्वर लोटस प्राप्त हुआ।
ए आर रहमान के संगीत जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु
- 1992 में रोजा फिल्म से फिल्मी कैरियर की शुरुआत।
- रोजा फिल्म के लिए रहमान को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सिल्वर लोटस प्राप्त हुआ।
- फिल्म मुंबई के साउंडट्रेक के लिए दुनिया भर में 150 मिलियन से ज्यादा प्रतियां बिकी।
- ‘दिल से’, ‘ताल’ और छैया छैया ए आर रहमान द्वारा निर्मित लोकप्रिय संगीत में से एक है।
- 1997 में तमिल फिल्म में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए दक्षिण फिल्म फेयर में पुरस्कार जीता और लगातार 6 साल तक यह पुरस्कार जीतकर रिकॉर्ड बनाया। इसके पश्चात लगातार तीन बार एक अतिरिक्त पुरस्कार जीता।
- 2007 में उन्हें हांगकांग अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ संगीतकार एशियाई फिल्म पुरस्कार के लिए नामांकन प्राप्त हुआ।
- हॉलीवुड की उनकी पहली फिल्म कपल्स रिट्रीट के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ कोर के लिए बीएमआई लंदन पुरस्कार दिया गया।
- 2008 की फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर के संगीत के लिए इन्हें गोल्डन ग्लोब कोर 2 अकादमी पुरस्कार मिले। इस फिल्म में दिए गए इनके साउंडट्रेक के गाने ‘जय हो’ और ‘ओ साया’ अंतरराष्ट्रीय तर्पण काफी सफल रहे।
- वर्ष 2014 में ए आर रहमान ने एक साथ अलग-अलग भाषाओं के 12 फिल्मों में काम किया था।
- गैर फिल्मी परियोजनाओं में भी रहमान शामिल रहे हैं, जैसे वंदे मातरम 1997 में भारत की स्वतंत्रता की 50 वीं वर्षगांठ के लिए जारी की गई एल्बम थी जो सबसे अधिक बिकने वाली भारत की गैर फिल्मी एल्बम में से एक है।
- रहमान कर्नाटक संगीत, पश्चिम और हिंदुस्तानी राष्ट्रीय संगीत के अलावा नुसरत फतेह अली खान की कव्वाली शैली में भी काफी कुशल है।
ए आर रहमान का व्यक्तिगत जीवन
ए आर रहमान ने सायरा से शादी की और इनके 3 बच्चे हैं जिनका नाम खतीजा, रहीमा और अमीन है। रहमान का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था और इनका नाम ए एस दिलीप कुमार था लेकिन 20 साल की उम्र में इन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया और अपना नाम बदल कर अल्लाह रखा रहमान रख लिया।
A. R. Rahman के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
जन्म के समय नाम | ए एस दलीप कुमार |
इस्लाम अपनाने के बाद नाम | अल्लाह रखा रहमान (ए आर रहमान) |
जन्म तिथि | 6 जनवरी 1967 |
जन्म स्थान | तमिलनाडु (मद्रास) |
वेबसाइट | https://arrahman.com/ |
पिता का नाम | आर के शेखर |
पेशा | संगीतकार, गायक, रिकॉर्ड निर्माता और गीतकार |
पद्म भूषण से सम्मानित | 2010 |
पत्नी का नाम | सायरा बानो |
बच्चों के नाम | खतीजा, रहीमा और अमीन |
ए आर रहमान का पहला नाम क्या था?
ए आर रहमान का पहला नाम है दिलीप कुमार था।
ए आर रहमान को पदम भूषण से कम सम्मानित किया गया?
रहमान को सन 2010 में भारत सरकार द्वारा पदम भूषण से सम्मानित किया गया।
ए आर रहमान की जन्म तिथि क्या है?
रहमान का जन्म 6 जनवरी 1967 को मद्रास भारत में हुआ। मद्रास को अब तमिलनाडु के नाम से जाना जाता है।