देश की स्वतन्त्रता में 1857 की क्रांति ने मुख्य भूमिका निभाई है। 1857 की क्रांति के बाद आजादी के लिए लड़ाई में और अधिक तेजी आई जिस कारण भारत को स्वतन्त्रता मिली। इस क्रांति का पूरा श्रेय मंगल पांडे को जाता है। इस लेख में आपको 1857 की क्रांति के परिणामों का संक्षिप्त में वर्णन किया गया है।
1857 की क्रांति के परिणाम
1857 की क्रांति ने ब्रिटिश शासन और भारतीय जनता दोनों को बहुत प्रभावित किया। अंग्रेजों ने 1857 की क्रांति से यह समझ आ गया की उनको नीतियों में बदलाव करने की आवश्यकता है और सेना का पुनर्गठन करने की भी ज़रूरत है। इस विद्रोह के कारण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से शासन ब्रिटिश क्राउन के हाथों में चला गया। इस विद्रोह के आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और सैन्य इत्यादि प्रभाव पड़े जो निम्नलिखित हैं:
आर्थिक प्रभाव
अंग्रेजों ने यातायात के साधनों का विकास किया जो उनके लिए बहुत फायदेमंद रहा। ब्रिटिश शासन ने एक नई ईस्ट इंडिया कॉटन कंपनी की स्थापना की जिसका काम था भारत से कच्चे माल के रूप में रुई को इंग्लैंड में ले जाकर वह मशीनों से कपडे बनाकर भारत में लाकर बेचना। इससे भारतीय हस्तशिल्प उद्योग की स्थिति बहुत दयनीय हो गई। संरक्षण के नाम पर भारतीय उद्योगों को ब्रिटिश शासन द्वारा कुछ भी नहीं दिया गया। भारत में निवेश करने के लिए ब्रिटिश निवेशकों को बढ़ावा दिया गया और उनको सुरक्षा भी प्रदान की गई।
सेना का पुनर्निर्माण या पुनर्गठन
ब्रिटिश सेना में भारतीय सैनिकों की संख्या कम कर दी गई। तोपखाने का पूरा नियंत्रण ब्रिटिश सैनिकों के हाथों में रखा गया। भारतीय सैनिकों को उनके क्षेत्र से बहुत दूर सेवा देने के लिए भेजा जाने लगा। सेना में नियुक्ति के लिए साम्प्रदायिकता, धर्म और जातिगत तत्वों को ध्यान में रखकर नियुक्ति की जाने लगी। इसके अलावा सेना में सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई और एक विशाल सेना का निर्माण किया गया ताकि भविष्य में 1857 Ki Kranti जैसी स्थिति उत्पन्न होने पर उसको दबाया और कुचला जा सके। इंग्लैंड में कुछ सैनिकों को आरक्षित रखा गया ताकि ज़रूरत पड़ने पर उन सैनिकों को बुलाया जा सके।
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महारानी का घोषणा पत्र
इस विद्रोह के पश्चात भारत में अनिश्चितता की भावना उत्पन्न हो गई थी और पूरे भारत में उथल पुथल मची हुई थी। इस स्थिति को देखते हुए ब्रिटेन की महारानी का घोषणा पत्र आया जिसको लौर्ड कैनिंग ने इलाहाबाद में एक बड़ा दरबार आयोजित किया और इस घोषणा पत्र को पढ़कर सुनाया। इस घोषणा पत्र में निम्नलिखित बातों का उल्लेख था:
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- पक्षपात के बिना शिक्षा और योग्यता के आधार पर भारतीयों को सरकारी नौकरी दी जाएंगी।
- जितना अभी ब्रिटिश राज्य का विस्तार है उससे आगे और विस्तार की कोई नीति नहीं अपनाई जाएगी।
- भारतीयों की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई जाएगी।
- सब भारतीयों को समान रूप से कानून का संरक्षण प्राप्त होगा।
- भारत के देशी राजाओं के साथ जो समझौते किए हुए थे ब्रिटिश शासन उनका आदर करेगा और उनकी रक्षा करेगा।
- उन भारतीय क्रांतिकारी को माफ किया जायेगा जिन्होंने किसी अंग्रेज़ अधिकारी को नहीं मारा था।
सरकारी नौकरियों में समान अधिकार के नाम पर भेदभाव
महारानी के घोषणा पत्र में इस बात का उल्लेख तो था की सब भारतीयों को शिक्षा और योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाएगी, लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं हुआ। रोयल कमीशन के सामने पेश होने के लिए कभी किसी भी भारतीय को योग्य नहीं समझा गया। अगर कोई भारतीय सैनिक वायसराय से कमीशन ले भी लेता था तो उसे किसी अंग्रेज़ सैनिक के मुक़ाबले कमजोर ही समझा जाता था। ब्रिटिश शासन चाहता था की भारतीय सिर्फ अंग्रेज़ अधिकारियों की चापलूसी करें। इसलिए भारतीयों को क्लर्कों और सहायकों के पद ही दिये जाते थे। इससे ये भारतीय कर्मचारी ब्रिटिश प्रशासन और जनता के बीचोलिए बनकर रह गए।
ईस्ट इंडिया कंपनी का अंत
विद्रोह के परिणामस्वरूप ब्रिटिश संसद द्वारा एक अधिनियम के तहत भारत में शासन की दौर कंपनी से छीनकर ब्रिटिश क्राउन को सौंप दी और भारत में कंपनी के शासन को खतम कर दिया गया। बोर्ड औफ़ कंट्रोल और बोर्ड औफ़ डाइरेक्टर की जगह भारत सचिव और उसकी 15 सदस्यों वाली इंडियन काउंसिल ने ले ली। इस घटना से जो बदलाव आया उससे एक नया युग शुरू हुआ।
सांप्रदायिक घृणा को जन्म
भविष्य में कभी आगे ऐसा विद्रोह न हो उसके लिए अंग्रेजों ने फूट डालो राज करो की नीति को अपनाया। इस विद्रोह में मुसलमानों ने हिंदुओं से ज्यादा उत्साहित होकर इस विद्रोह में हिस्सा लिया था, तो अंग्रेजों ने अब हिंदुओं के पक्ष में बोलना प्रारम्भ कर दिया और मुसलमानों के खिलाफ। इससे हिन्दू और मुसलमान के बीच एक खाई पैदा होने लगी। जिसका आगे चलकर बहुत घातक परिणाम हुआ। धर्म के नाम पर भारतीय और भारतीय के बीच बढ़ती हुई खाई के परिणामस्वरूप भविष्य में भारत के दो टुकड़े हुए और भारत दो भागों में बंट गया।
भारतीयों को लाभ
1857 के विद्रोह के नकारात्मक प्रभाव पड़े लेकिन भारतीयों को कुछ लाभ भी हुआ इस विद्रोह से। इस विद्रोह के बाद भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना ने जन्म लिया। जिसके चलते आगे चलकर भारत की स्वतन्त्रता के लिए बहुत राष्ट्रीय आंदोलन हुए जिनके फलस्वरूप भारत को आज़ादी मिली। इस विद्रोह के पश्चात अंग्रेजों ने भारत के संवैधानिक ढांचे को सुधारने के प्रयास किया जिसकी शुरुआत हुई 1858 के अधिनियम से।
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इस विद्रोह के बाद कई अधिनियम आए जिनके फलस्वरूप भारतीयों को शासन में हिस्सा लेने के अवसर मिले। 1858 का विद्रोह ब्रिटिश शासन की नींव को हिला देने वाली घटना थी। यह विद्रोह भारतीयों के लिए एक प्रेरणादायक घटना थी। इससे प्रेरित होकर भारतीयों ने आगे चलकर बहुत आंदोलन करे और गौरवान्वित हुए। इस विद्रोह के बाद आधुनिक भारत के युग की शुरुआत हो चुकी थी।