इस लेख में हम आश्रय से संबंधित जानकारी को समझेंगे और जानेंगे कि आश्रय क्या है, आश्रय के प्रकार, आश्रय का पर्यायवाची शब्द और आश्रय का अर्थ इत्यादि।
आश्रय क्या है?
आश्रय वह जगह होती है जहां पर कोई भी जीव या जंतु रहता है। सभी जीवों के आश्रम अलग-अलग प्रकार के होते हैं। जिस प्रकार से हम अपने घरों में रहते हैं तो हमारा घर हमारा आश्रय है। इसी प्रकार से पशु पक्षी और अन्य जीव जंतु अपना आश्रय या तो खुद बनाते हैं या ढूंढते हैं।
यदि कोई जीव पानी में रहता है तो अपनी ही उसका आश्रय है, और यह है मुख्य से दो प्रकार के होते हैं।
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आश्रय के प्रकार
- स्थाई आश्रय
- अस्थाई आश्रय
- स्थाई आश्रय: यह वह आश्रय होता है जिसमें कोई जीव अपना एक स्थाई घर बना कर उसमें रहता है। उदाहरण के लिए मनुष्य अपने स्थाई आश्रम में रहता है। परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि जीव जंतु स्थाई आश्रम में नहीं रहते जिस प्रकार से शेर, बाग या चिता इत्यादि जंगलों में रहते हैं तो जंगल उनका स्थाई आश्रय है।
- अस्थाई आश्रय: वह जगह होती है जहां पर कोई भी जीव कुछ समय के लिए ठहरता है और उसके बाद वह दूसरी जगह पर जाता है। जिस प्रकार से हम कहीं पर घूमने जाते हैं तो टेंट आदि लगते हैं और वह अस्थाई होता है।
कुछ आश्रम के प्रकार और उनमें रहने वाले जीव जंतु
- मनुष्य द्वारा बनाए गए घर: मनुष्यों द्वारा बनाई गई इमारत में कुत्ता, छिपकली, मच्छर, चूहा, मकड़ी, बिल्ली आदि रहते हैं।
- जंगलों में रहने वाले जीव: जंगलों में हाथी, शेर, गेंदा, बाग, मोर, हिरण, जिराफ, इत्यादि रहते हैं।
- पेड़ों पर रहने वाले जीव: पक्षी, बंदर, लंगूर बंदर, पांडा, गिलहरी इत्यादि।
- जमीन पर रहने वाले जीव: कुत्ता, बिल्ली, बकरी, गधा, घोड़ा इत्यादि।
- जमीन के अंदर रहने वाले जीव: चूहा, चींटी, सांप, केंचुआ, बिच्छू इत्यादि।
- पानी में रहने वाले जीव: मछली, बत्तख, मेंढक, मगरमच्छ, कछुआ इत्यादि
- झुंड में रहने वाले जीव: जिराफ, जंगली भैंस, हिरण इत्यादि।
- समूह में रहने वाले जीव: मधुमक्खी, ततैया, दीमक, चींटी आदि।
आश्रय का पर्यायवाची शब्द
आश्रय का पर्यायवाची शब्द: शरण, घर, सहारा, पनाह, आधार, ठिकाना, संरक्षण
मनुष्यों द्वारा बनाए जाने वाले आश्रय
- मिट्टी के घर – अक्षर गांव वाले क्षेत्र में जहां पर ज्यादा गर्मी रहती है वहां पर मिट्टी के घर मनुष्य द्वारा बनाए जाते हैं। इन घरों की दीवारें काफी मोटी रहती हैं और मिट्टी से लिपाई इनकी की जाती है ताकि उनके अंदर ठंड रहे। यह झोपड़ी नुमा बने होते हैं और यहां पर दीमक जैसे कीड़ों से बचने के लिए नीम या की करके लकड़ी का उपयोग किया जाता है।
- झोपड़ी – झोपड़ी को बसिया लकड़ी के साथ बनाया जाता है और इनमें उपयोग होने वाले बस काफी मजबूत होते हैं। ज्यादातर ऐसे क्षेत्र में खोपड़ी बनाई जाती है जहां पर बारिश अधिक होती है।
- लकड़ी के घर – लकड़ी के घर अक्सर पहाड़ी इलाकों में बनाए जाते हैं और उनकी छतों को ढलवाँ रखा जाता है ताकि बारिश का पानी या बर्फ आदि पड़ने पर नीचे की तरफ वह आ सके। ज्यादातर समतल जगह पर इस प्रकार के घर बनाए जाते हैं परंतु कुछ घर समतल जमीन पर भी होते हैं। ज्यादातर इस प्रकार के घर दो मंजिला तक होते हैं।
- ईंट पत्थर के मकान और ऊंची इमारत – इस प्रकार की इमारतें या घर समतल जगह पर मैदानी भागों में बनाए जाते हैं और यह बहुमत जिला होते हैं। अधिकतर शहरों में ईंट और पत्थर के मकान और ऊंची इमारतें पाई जाती हैं।
- बर्फ के घर – बर्फ के घर ऐसे क्षेत्रों में बनाए जाते हैं जहां पर बहुत मात्रा में बर्फ गिरती है, इन्हें इग्लू कहते हैं। इस प्रकार के घर गुंबद के आकार के होते हैं और इनका प्रवेश द्वार काफी छोटा होता है। इनका प्रवेश द्वार छोटा होने का कारण यह होता है कि अंदर की गर्मी अंदर ही रहे और बाहर की शीत लहर अंदर ना आ सके।
- टेंट – टेंट अस्थाई तौर पर लगाया जाता है, क्योंकि इसमें मनुष्य अलग-अलग क्षेत्र में जाकर रहता है। परंतु स्थाई तौर पर टेंट का उपयोग रहने के लिए नहीं किया जाता। यह टेंट कपड़े, प्लास्टिक इत्यादि से बनते हैं और ज्यादातर इनका उपयोग पर्वतारोहियों द्वारा किया जाता है।
- महल या क़िले – और महलों को जमीदार, अमीर लोग और महाराज पहले के समय बनवेट थे जिनमें लड़कियों का और पत्रों का उपयोग ज्यादातर किया जाता था। इस प्रकार के किलो में नक्काशी की जाती थी और इनका आकार काफी बड़ा होता है।
- बोट हाउस – बोर्ड हाउस को जिलों और नदी पर रहने के लिए बनाया जाता है और इस प्रकार के घर पानी पर तैरते हैं। यह घर भारत में कश्मीर और केरल राज्य में पाए जाते हैं।
- पेड़ पर घर – जंगली क्षेत्र में लोगों द्वारा पेड़ पर भी घरों को बनाया जाता है जिनका निर्माण बस की लकड़ियों और अन्य लकड़ियों द्वारा किया जाता है।
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