रात में जब भी हम आसमान की तरफ देखते हैं तो हमें आसमान तारों से भरा हुआ दिखाई देता है। इन्हें देखकर कभी ना कभी तो जरूर सोचा होगा कि आसमान में कितने तारे हैं? चाहे आप यह तारे आज के समय देख रहे हो या बचपन में आपने देखे हो, यह सवाल हमारे सबके दिमाग में आता है।
तो आज हम यहां पर तारों की बात करेंगे और जानेंगे कि आसमान में कितने तारे हैं। सबसे पहले हम इसी बात का जवाब देंगे कि आखिर आसमान में कितने तारे हैं उसके बाद हम तारों के बनने और अन्य उनसे संबंधित जानकारियां यहां पर जानेंगे।
आसमान में कितने तारे हैं?
कोई भी वैज्ञानिक या विशेषज्ञ इसका सटीक उत्तर नहीं दे सकता कि आसमान में कितने तारे हैं, परंतु एक अनुमान के मुताबिक ब्रह्मांड में लगभग 10000 करोड आकाशगंगा हैं, और हर आकाशगंगा में लगभग 20000 करोड़ तारे मौजूद हैं।
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यह वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा एक अंदाजा लगाया गया है। वैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा जिसका नाम मिल्कीवे है उसका अध्ययन किया है और हमारी आकाशगंगा के पास जितनी दूसरी आकाशगंगा ए हैं उनके आकार के आधार पर एक अकाश गंगा में लगभग 20000 करोड तारों को माना गया है।
इस हिसाब से यदि हम यह बताना चाहिए कि आसमान में कितने तारे हैं तो 10000 करोड़ को 20000 करोड़ से गुणा करके हम वह तारों की संख्या ज्ञात कर सकते हैं जो है 20000×10000=200000000 करोड़ तारे
यह संख्या सटीक नहीं है क्योंकि इन तारों और आकाशगंगा ओं का सिर्फ अंदाजा वैज्ञानिकों द्वारा लगाया गया है। और जैसा कि आप जानते हैं कि तारों का निर्माण और उनका नष्ट होना हर समय चलता रहता है।
आसमान के तारों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- वैज्ञानिकों के अध्ययन के अनुसार तारे हर समय बनते और टूटते रहते हैं।
- हमारी पृथ्वी से तारों की दूरी प्रकाश वर्ष से नापी जाती है।
- हमारे सौरमंडल के तारे का नाम सूर्य है।
- सूर्य की आयु लगभग 4.603 बिलियन साल है।
- रात को आसमान में चमकने वाले तारों में से सभी वहां पर मौजूद नहीं है। क्योंकि उन तारों की रोशनी अब हमारे पास पहुंच रही है इसलिए वह हमें वहां पर दिखाई देते हैं।
- आसमान में दिखने वाले सैकड़ों हजारों लाखों तारे नष्ट हो चुके हैं, और उनकी जगह नए तारों का जन्म भी हुआ है जो अभी हमें दिखाई नहीं देते।
- हमारी आकाशगंगा का आकार लगभग 52850 प्रकाश वर्ष है।
- हमारे द्वारा खोजा गया सबसे बड़ा तारा Stephenson 2-18 है, जिसका आकार सूर्य से लगभग 10 बिलियन गुना है।
तारों का निर्माण कैसे होता है?
तारों का निर्माण ब्रह्मांड में मौजूद नेबुला से होता है। नेबुला को हिंदी में निहारिका भी कहा जाता है। इनका आकार कई प्रकाश वर्ष बड़ा होता है और इनके अंदर मौजूद गैस, हाइड्रोजन, हिलियम और धूल करण से तारों का निर्माण होता है।
नेबुला में धूल कण के साथ-साथ अन्य कैसे मौजूद होती हैं और गुरुत्वाकर्षण बल के कारण यह एक दूसरे की तरफ खींचते हैं और एक गैस के गोले में बदल जाते हैं। गैसों और धूल कण के बीच का खिंचाव इतना अधिक हो जाता है कि यह गोले अपना तापमान बढ़ाने लगते हैं और तेजी से घूमते हैं।
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तापमान बढ़ने और तेजी से घूमने के कारण यह आसपास मौजूद और अधिक धूल कणों और गैसों को अपनी तरफ खींचता है और यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। तारे की इस स्थिति को प्रोटोस्टार कहा जाता है। यह प्रोटोस्टार लगातार अपनी तरफ गैसों और गणों को खींचता रहता है और यह तब तक ऐसा करता रहता है जब तक प्रोटोस्टार के अंदर सघनता नहीं आ जाती।
जब प्रोटोस्टार एक मात्रा में द्रव्यमान को इकट्ठा कर लेता है तो इसके अंदर वह सघनता मौजूद होती है और तारे का कोर तापमान और दबाव को पैदा करता है। पूर्व में मौजूद दबाव और तापमान के कारण हाइड्रोजन गैस यूज होती है जिसके चलते नाभिकीय प्रक्रिया शुरू होती है नाभिकीय संलयन प्रक्रिया होने पर हाइड्रोजन के 2 अणु मिलकर हीलियम का निर्माण करते हैं।
जब यह प्रक्रिया होती है तो तारे में से ऊर्जा और प्रकाश बाहर निकलता है और वह चमकना शुरू होता है। इस प्रकार से एक तारे का जन्म होता है।
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तारे टूटना क्या है?
हमारे सौरमंडल में और सौरमंडल के बाहर ऐसे हजारों लाखों करोड़ भिंड मौजूद हैं जो तेजी से घूमते रहते हैं। यह पिंड चट्टानों से बने होते हैं और ग्रहों की तरह ही यह भी सूर्य के चक्कर लगाते हैं।
जब यह आकाशीय पिंड एक दूसरे से टकराते हैं तो इनकी दिशा भटक जाती है और वह पृथ्वी की तरफ बढ़ते हैं। जब यह आकाशीय पिंड पृथ्वी के वातावरण में आते हैं तो यहां के वायुमंडल में मौजूद हवा और सघनता के कारण इनमें बहुत तेज घर्षण होता है।
घर्षण के कारण यह आकाशीय पिंड जलते हैं और जब यह जलने की प्रक्रिया होती है तो इनसे बहुत तेज रोशनी निकलती है। और जब इस घटना को हम देखते हैं तो आम भाषा में इसे तारा टूटना कहा जाता है।
तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
तारों से रोशनी एक समान रूप से निकलती है परंतु जब हम उन्हें देखते हैं तो वह टिमटिमाते हुए नजर आते हैं। तारों के टिमटिम आने का एक कारण है। और वह कारण हमारी पृथ्वी के वायुमंडल से जुड़ा होता है। क्योंकि जब पृथ्वी के बाहरी क्षेत्र से तारों को देखा जाता है तो वह नहीं टिमटिमाते बल्कि पृथ्वी से जब हम देखते हैं तो वह टिमटिमाते हुए नजर आते हैं।
तारों की रोशनी जब पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है तो पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद ठंडी और गर्म हवा की परत से इन किरणों को गुजारना पड़ता है। गर्म और ठंडी हवा की परतें रोशनी के लिए एक लेंस की तरह काम करते हैं और उस रोशनी में रिफ्लेक्शन यानी परावर्तन की प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया से रोशनी की दिशा भटकती है और हमें तारे टिमटिमाते हुए नजर आते हैं।
निष्कर्ष
हमें उम्मीद है कि “आसमान में कितने तारे हैं” लेख में दी गई जानकारी आपको समझ आई होगी। और तारों से संबंधित आपका ज्ञान बढ़ा होगा। यदि इस लेख से आपके ज्ञान में वृद्धि हुई हो तो कृपया इस लेख को अपने दोस्तों के साथ साझा करें और अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसे शेयर करें। धन्यवाद!