बृहस्पति ग्रह पर भेजे गए अभियान के बारे में अपने आप को अपडेटेड रखने के लिए इस लेख को पढ़ें। यदि आप एक विज्ञान के छात्र हैं, तो बृहस्पति ग्रह की जानकारी आपको पूर्ण रूप से होना आवश्यक है। बृहस्पति ग्रह पर भेजे गए अंतरिक्ष अभियान नीचे दिए गए हैं।
बृहस्पति ग्रह के लिए भेजे गए उड़ान अभियान
- पायनियर 10: दिसम्बर 3, 1973 को यह अन्तरिक्ष यान बृहस्पति तक पहुंचा जिसको अमेरिका की अन्तरिक्ष अनुसन्धान संस्था द्वारा एटलस सेंटौर राकेट की मदद से भेजा गया था। पायनियर 10 पहला अन्तरिक्ष यान था जिसने क्षुद्रग्रह घेरे को पार किया। इसने इसकी तस्वीरें ली और यह थोड़ी दुरी से होता हुआ उससे आगे निकल गया और अन्तरिक्ष के बाहरी क्षेत्र में पहुँच गया, उसके बाद उसका संपर्क पृथ्वी से टूट गया।
- पायनियर 11: दिसम्बर 4, 1974 को यह अन्तरिक्ष यान बृहस्पति तक पहुंचा। इसको भी अमेरिका के नासा द्वारा भेजा गया था। इसका भार 260 किलोग्राम था। यह दूसरा अन्तरिक्ष यान था जिसने क्षुद्र ग्रह घेरे को पार किया। यह यान बृहस्पति और शनि ग्रह तक पहुंचा उसके बाद 1995 में उसका पृथ्वी से संपर्क टूट गया।पायनियर 11, दूसरा ऐसा अन्तरिक्ष यान था जिसने एस्केप वेलोसिटी को प्राप्त किया और सौरमंडल से बहार अन्तरिक्ष के बाहरी क्षेत्र में कहीं चला गया।
- वॉयेजर 1: मार्च 5, 1979 को यह बृहस्पति और उसके बाद शनि ग्रह तक भी पहुंचा, और इसका भार 815 किलोग्राम है। यह पहला यान है, जिसने बृहस्पति के उपग्रहों की तस्वीरें भेजी।नासा का यह अभियान सबसे लम्बा है। यह अन्तरिक्ष यान अब तक काम कर रहा है। इस यान ने शनि ग्रह की भी यात्रा की है। यह यान सूर्य और पृथ्वी से अनंत दूरी पर स्थित है और गतिशील है।
- वॉयेजर 2: जुलाई 9, 1979 को यह बृहस्पति तक पहुंचा। यह एक मानव रहित अन्तरिक्ष यान था जिसे अमेरिका की नासा संस्था द्वारा भेजा गया/ यह भी वॉयेजर 1 के समान ही था। परन्तु इसकी गति धीमी थी, इसके पथ को युरेनस और नेप्चून तक पहुँचने के अनुकूल बनाने के लिए इसकी गति को धीमा किया गया था।जब शनि ग्रह इसके रस्ते में आया तो उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण यह युरेनस की तरफ हो गया और बृहस्पति के उपग्रह टाइटन का अध्ययन नहीं कर पाया।इस यान की यात्रा के लिए ग्रहों की एक विशेष स्थिति का फायदा उठाया गया जिसमें सब ग्रह एक सीधी रेखा में आते हैं। यह स्थिति 176 वर्ष बाद ही आती है। इस स्थिति का फायदा उठाकर ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करके यान की ऊर्जा को बचाया गया। इसके एक मुख्य विशेषता यह भी थी की इस यान में बहुत कम खर्च हुआ था।
- युलिसेस: इस अन्तरिक्ष यान को सूर्य के सब अक्षांशों के अध्ययन के लिए भेजा गया था। इस यान को नासा और यूरोपीय अन्तरिक्ष संस्था “इसा” द्वारा संयुक्त रूप से भेजा गया था। यह यान सौलर बैटरियों से संचालित नहीं हो सकता था इसलिए इसको बृहस्पति से मुठभेड़ करवाया गया ताकि इस रेडियो आइसोटोप थ्र्मोएलेक्त्रिक जनरेटर से संचालित किया जा सके। इसा के अनुरोध पर इस यान को ओडीसियस नाम दिया गया था।
- कैसिनी: यह अन्तरिक्ष यान शनि ग्रह और उसके उपग्रहों के अध्ययन के लिए भेजा गया था। बृहस्पति के सन्दर्भ में इतना ही कह सकते हैं की यह यान इस ग्रह को पार करके शनि ग्रह का अध्ययन कर रहा है। सुनने में आया है की इसका संपर्क टूट चूका है और वो शनि ग्रह से टकराकर नष्ट हो चूका है।