दोस्तों, हर व्यक्ति के मन में ब्रह्मांड के रहस्यों के विषय में जानने की इच्छा अवश्य होती है। इस लेख में आपको बृहस्पति ग्रह की जानकारी, उसकी उत्पत्ति, संरचना और ग्रेट रेड स्पॉट के बारे में भी जानने को मिलेगा। इस लेख बृहस्पति गृह से संबंधित कुछ रोचक और चौकाने वाले तथ्य भी बताए गए हैं। यदि आप एक विज्ञान के छात्र हैं, और बृहस्पति ग्रह की जानकारी पूर्ण रूप से प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़ें।
बृहस्पति ग्रह की जानकारी और उत्पत्ति
सौरमंडल के बारे में जानकर उसे आप बृहस्पति ग्रह की जानकारी को अच्छी प्रकार से समझ सकते हैं।
लगभग 4.6 अरब साल पहले ब्रह्मांड में सिर्फ धूल के कण और गैस (मुख्यतः हाइड्रोजन व् हीलियम) ही उपस्थित थी जो बहुत तीव्र गति से घूम रहे थे इनके अलावा सिर्फ अन्धकार फैला था। धीरे धीरे ये धूल कण समीप आने लगे और गुरुत्वाकर्षण के कारण एक दुसरे से जुड़ने लगे।
बहुत सालों की लम्बी अवधि के बाद ये धूल कण बड़ी चट्टानों का रूप लेने लगे और ठोस और सघन हो गए। यह ठोस भाग केंद्र में और गैस के बादल उसके चारों और तेज गति से घूम रहे थे। गुरुत्वाकर्षण के कारण इन गैस के बादलों का दबाव केंद्र की तरफ बढ़ने लगा और तेज गति से घुमने के कारण तथा हाइड्रोजन और हीलियम गैस के कारण न्यूक्लिअर फ़िज़न हुआ और केंद्र वाले ठोस हिस्से में ऊष्मा पैदा हुई।
- Advertisement -
उसके बाद कुछ ऐसा हुआ की ये गैस के बादल जो ठोस केंद्र के चारों और घूम रहे थे (डिस्क के आकर में गैस के बादल को नेब्युला कहते हैं) उसमे विस्फोट हुआ। जिससे केंद्र वाला हिस्सा जिसमें ऊष्मा पैदा हो रही थी जिसे अब हम सूर्य कहते हैं अलग हो गया और गैस का ये बादल और धूल कण अलग अलग हिस्सों में बिखर गए। लेकिन गुरुत्वाकर्षण के कारण ये हिस्से एक दुसरे से जुड़ने लगे और धीरे धीरे बड़े हो गए।
विस्फोट के बाद धूल कण और चट्टानें केंद्र वाले हिस्से के समीप घूम रहे थे और गैसीय टुकड़े उससे दूर घूम रहे थे जो धीरे धीरे गुरुत्वाकर्षण के कारण एक दुसरे के समीप आके जुड़ते गए और बड़े होने लग गए जिन्होंने बाद ग्रहों का रूप लिया। इन्हीं ग्रहों में से एक ग्रह है बृहस्पति। उपरोक्त वर्णित प्रक्रिया नेब्युला सिद्धांत पर आधारित है।
ज़रूर पढ़ें:
बृहस्पति ग्रह पर एक नजर
बृहस्पति ग्रह को इंग्लिश में जुपिटर कहते हैं और बृहस्पति ग्रह का रंग पीला है। घूर्णन गति तीव्र होने के कारण इसका आकार चपटा हो गया है अर्थात् भूमध्य रेखा पर बहुत कम ही सही लेकिन ध्यान देने लायक़ उभार है।
सूर्य से दूरी के आधार पर 5वां ग्रह है। यह सौरमंडल में आकर के आधार पर सब ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। यह इतना बड़ा है की सब ग्रहों का द्रव्यमान मिला देने पर भी इसका द्रव्यमान उससे तक़रीबन दो गुना ज्यादा होगा।
- Advertisement -
गैसीय ग्रहों के रूप में वर्गीकृत किये गए 4 ग्रहों (शनि, बृहस्पति, अरुण, वरुण) में से बृहस्पति भी एक है। कोई हमसे पूछे की बृहस्पति ग्रह के कितने उपग्रह हैं या बृहस्पति ग्रह के कितने चंद्रमा हैं तो हम कह सकते हैं की इसके अब तक 64 उपग्रह हैं जिनमें ‘गैनिमेडे’ पुरे सौरमंडल में सबसे बड़ा उपग्रह है। सौरमंडल के सबसे ज्यादा चमकने वाले पिंडों में से यह चौथा है, पहले तीन सूर्य, चन्द्र और शुक्र हैं। इसलिए इसे हम बिना किसी यंत्र की सहायता लिए खूली आँखों से देख सकते हैं।
इसका अपनी धुरी पर परिभ्रमण करने का समय सबसे कम है, इसलिए इस ग्रह पर सबसे छोटा दिन होता है। यह ग्रह अपना अपनी धुरी पर परिभ्रमण 9 घंटे 55 मिनट में पूरा कर लेता है। देखने में यह ग्रह पीले रंग का है। सूर्य के चारों और अपनी परिक्रमा करने में बृहस्पति को 12 वर्ष लग जाते हैं। बृहस्पति के चारों और भी शनि ग्रह की तरह छल्ले बने हुए हैं लेकिन वो शनि की तुलना में छोटे और धुंधले हैं।
इन छल्लों के वातावरण में भिन्नता के कारण इनकी सीमा को देखा जा सकता है क्योंकि वातावरण भिन्न होने के कारण ही इनकी सीमा किसी पट्टियों के रूप में दिखती हैं। बृहस्पति एक गैसीय ग्रह है इसलिए इसमें सिर्फ गैस और धूल के बादल ही हैं इसमें ठोस सतह बहुत कम उपस्थित है अर्थात बृहस्पति की कोई जमीन नहीं है।
- Advertisement -
बृहस्पति ग्रह की संरचना
बृहस्पति ग्रह की जानकारी प्राप्त करने के पश्चात आपको इसकी संरचना के बारे में भी जानना आवश्यक है। इसकी संरचना दूसरे ग्रहों के मुकाबले बिल्कुल अलग है और हमारे सौरमंडल में यह अपने आप में ही एक अनोखा ग्रह है।
बृहस्पति मुख्यतः तरल पदार्थों और गैसों से बना है। इस ग्रह के वातावरण में मुख्यतः दो गैस ही पाई जाती है। इसका बाहरी वातावरण 71 प्रतिशत हाइड्रोजन, 24 प्रतिशत हीलियम और 5 प्रतिशत अन्य तत्वों से मिलकर बना है। यहाँ प्रतिशत का अर्थ है अणुओं की मात्रा हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान हीलियम परमाणु का 1/4 होता है। इस ग्रह में ब्रह्मांड के दो सबसे हल्के और सबसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले तत्त्व हैं। इसलिए इसकी रचना सूर्य या किसी तारे के समान लगती है।
इस ग्रह में धूल और गैस के अनेकों विशाल बादल हैं जो अशांत हैं। बहरी वातावरण में जमी हुई अमोनिया के क्रिस्टल मिलते हैं। यह हमेशा अमोनिया बृहस्पति का वातावरण बहुत ही सघन है। इस ग्रह के अन्दर के भाग में घने पदार्थों के होने की आशंका है। कुछ वैज्ञानिकों का मत है की इसके आंतरिक भाग में हाइड्रोजन के उच्च दबाव के कारण हाइड्रोजन ठोस अवस्था में उपलब्ध है।
धातु हाइड्रोजन के कारण ही इसका चुम्बकीय क्षेत्र बाक़ी सब ग्रहों से अधिक शक्तिशाली है। बृहस्पति में अक्रिय गैस भी प्रचुर मात्रा में हैं। सूर्य से भी दो से तीन गुना ज्यादा अक्रिय गैस बृहस्पति में है और यह एक बहुत ठंडा ग्रह है।
बृहस्पति पर जीवन की सम्भावनाएँ
बृहस्पति की संरचना को देखते हुए हम कह सकते हैं की बृहस्पति पर जीवन संभव नहीं है। वैसे अब तक बृहस्पति के बाहरी वातावरण का ही स्पष्टता से पता चला है। इसके आंतरिक वातावरण और संरचना से हम पूरी तरह से अवगत नहीं हैं। लेकिन बृहस्पति में उपस्थित विशाल अशांत गैस और धूल के बादल और 500 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली हवाओं को देखकर लगता हैं बृहस्पति पर शायद ही कभी जीवन संभव हो।
जो अंतरिक्ष वैज्ञानिक बृहस्पति ग्रह की जानकारी रखते हैं, वह बृहस्पति ग्रह पर जीवन की संभावना को पूर्ण रूप से नकारते हैं।
बृहस्पति ग्रह की पृथ्वी से तुलना
बृहस्पति ग्रह की जानकारी को अधूरा ही समझ जाएगा यदि आप बृहस्पति ग्रह की पृथ्वी से तुलना नहीं करते हैं। बृहस्पति की जानकारी पूर्ण रूप से प्राप्त करने के लिए आप यह अनोखे बिंदु पढ़ सकते हैं जिसमें इसकी तुलना पृथ्वी ग्रह से की गई है।
- सूर्य से दूरी के आधार पर पृथ्वी तीसरे स्थान पर है और बृहस्पति पांचवे स्थान पर है।
- आकार के आधार पर बृहस्पति पहले स्थान पर है जबकि पृथ्वी पांचवा बड़ा ग्रह है।
- बृहस्पति एक गैसीय ग्रह है और पृथ्वी एक ठोस और चट्टानों वाला ग्रह है।
- बृहस्पति का व्यास पृथ्वी के व्यास से 10 गुना ज्यादा बड़ा है।
- द्रव्यमान के आधार पर बृहस्पति पृथ्वी से 300 गुना भारी है।
- बृहस्पति ग्रह में पृथ्वी की तुलना में 100 गुना अधिक सतह क्षेत्र है।
- पृथ्वी ऑक्सीजन से समृद्ध है जबकि बृहस्पति में हाइड्रोजन और हीलियम ही मुख्य गैस हैं।
- बृहस्पति पर जीवन संभव नहीं जबकि पृथ्वी ही सौरमंडल का अब तक का इकलोता ग्रह है जहाँ जीवन की सम्भावनाएँ सर्वाधिक हैं।
- बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी की तुलना में लगभग दोगुना है।
- बृहस्पति पर एक दिन पूरा लगभग 10 घंटे का होता है जबकि पृथ्वी पर यह 24 घंटे के लगभग है।
- पृथ्वी का केवल एक उपग्रह है जबकि बृहस्पति के अब तक के अध्ययन के तहत तक़रीबन 64 उपग्रह है।
निष्कर्ष
इस लेख में आपको बृहस्पति गृह के बारे में जानने को मिला जिसमें बृहस्पति ग्रह की उत्पत्ति, संरचना, बृहस्पति ग्रह की पृथ्वी से तुलना के साथ अन्य बृहस्पति ग्रह की जानकारी मिली है। यदि आप हमारे लेख से संबंधित कोई सवाल पूछना चाहते हैं या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमें लिख सकते हैं।
हमारे लेख को दूसरों के साथ शेयर करना ना भूले।
यह भी पढ़ें: