शनिवार, सितम्बर 23, 2023

सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार – Article 29-30

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दोस्तों, भारतवर्ष एक विविध संस्कृतियों और साहित्यों वाला देश है। लेकिन यही विविधता भारत देश को ताकत देते है। इसलिए इन विविध संस्कृतियों, भाषाओं, साहित्यों और रीति रिवाजों को संरक्षित करने और इनको बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि देश में विविधता में एकता बनी रहे। प्रत्येक व्यक्ति अपनी संस्कृति को बचाने और उसका प्रचार प्रसार करना चाहता है और अपनी संस्कृति को बनाए रखना चाहता है।

भारत में प्रत्येक व्यक्ति को 6 मौलिक अधिकार दिए गए हैं, जिनमें से एक है सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, जिसके तहत प्रत्येक व्यक्ति को उसकी संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार दिए जाते हैं। जिससे की भाषाओं, लिपियों, संस्कृतियों, साहित्यों और रीति रिवाजों रक्षा की जा सके और उनको संरक्षण दिया जा सके। Cultural and educational rights को समझने के लिए हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 व 30 को समझना पड़ेगा। इस लेख में आपको सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार अनुच्छेद 29-30 का संक्षिप्त विवरण मिलेगा।

Note: सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार को अंग्रेज़ी में Cultural and educational rights कहा जाता है।

सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार क्या है?

और शैक्षिक अधिकार

यह हमारे मौलिक अधिकारों में से एक अधिकार है, जो कि भारतीय संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 29 और 30 के अंतर्गत दिया गया है। यह अधिकार हमको अपनी संस्कृति, साहित्य, भाषा, लिपि आदि को बनाए रखने और उसके प्रचार प्रसार करने का अधिकार देता है और अनिवार्य रूप से बुनियादी शिक्षा मिलने का अधिकार देता है।

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भारत देश में विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं, साहित्यों के लोग रहते हैं। इनमें अल्पसंख्यकों को हमारे संविधान द्वारा विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं। जिनके तहत अल्पसंख्यक अपने धार्मिक और सांस्कृतिक हितों को बनाए के रख सकें, उसकी रक्षा कर सकें, उनका प्रचार व प्रसार कर सके, इसके लिए अनिवार्य शिक्षा संबंधी अधिकार प्राप्त कर सके।

जाने: मौलिक अधिकार – परिभाषा, इतिहास, विशेषताएँ, सम्पूर्ण जानकारी।

सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार का महत्व

इस अधिकार का भारत में बहुत महत्व है। भारत में विभिन्न जातियों, धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों वाले लोग रहते हैं। भारत में इतनी विभिन्नता होने के बावजूद में एकता है और भारत को विविधता में एकता के देश के रूप में देखा जाता है। इसलिए इस एकता को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है की विविध धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं आदि वाले वर्गों के सांस्कृतिक और धार्मिक हितों को संरक्षा दी जाए और शिक्षा संबंधी अधिकार प्रदान किए जाएँ। इस उद्देश्य को पूरा करने के नजरिए से यह अधिकार भारत में बहुत महत्व रखता है।

इस अधिकार के चलते ही विभिन्न जातियों, धर्मों, भाषाओं, संस्कृतियों वाले लोग अपने सांस्कृतिक और धार्मिक हितों की रक्षा कर पाते हैं और शिक्षा संबंधी अधिकार प्राप्त करते हैं। इस अधिकार के कारण भारतवर्ष एकता के सूत्र में बंधा रहता है। इस विविधता से मिली ताकत से भारत की एकता को मजबूती मिलती है। इसलिए संविधान में वर्णित सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार के महत्वों को समझ सकते हैं।

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सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार के तहत प्रावधान

इस अधिकार के तहत अनुच्छेद 29 और अनुच्छेद 30 के अंतर्गत धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को धार्मिक और शैक्षिक हितों की रक्षा करने, उनको बनाए रखने और शिक्षा संबंधी अधिकार दिए गए हैं। इन अनुच्छेदों का वर्णन निम्नलिखित है:-

अल्पसंख्यक वर्गों के हितों की रक्षा (अनुच्छेद 29) 

इस अनुच्छेद के तहत देश के सब नागरिकों को उनकी संस्कृति को बनाए रखने, सुरक्षित रखने और शिक्षा संबंधी अधिकार दिए गए हैं। इस अनुच्छेद के अंतर्गत सब नागरिकों को यह गारंटी दी जाती है की राज्य द्वारा संचालित किसी भी संस्थान में प्रवेश के लिए किसी के साथ जाति, धर्म, भाषा या वर्ग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। इस अनुच्छेद के तहत प्रत्येक नागरिक को अपनी भाषा, लिपि, रीति रिवाज और संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए अधिकार प्रदान किए गए हैं।

अल्पसंख्यक वर्गों को संस्था की स्थापना और संचालन का अधिकार (अनुच्छेद 30)

इस अनुच्छेद के तहत अल्पसंख्यक वर्गों को यह अधिकार दिया गया है की वह शिक्षण संस्थाओं की स्वेच्छा से स्थापना कर सकते हैं और उनका स्वतंत्र रूप से संचालन कर सकते हैं। इस अनुच्छेद के अंतर्गत इन संस्थाओं को यह गारंटी दी जाती है की राज्य द्वारा वित्तीय मदद देते समय जाति, धर्म, भाषा या वर्ग आदि के आधार पर इन संस्थाओं के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा।

अल्पसंख्यक कौन हैं Minority kya hai in hindi?

अनुच्छेद 29  के अंतर्गत कहा गया है की अपनी अलग विशेष भाषा, लिपि और संस्कृति वाले प्रत्येक नागरिक को इनकी सुरक्षा का अधिकार दिया गया है। इसको अगर सरल शब्दों में समझें अपनी अलग विशेष भाषा, लिपि और संस्कृति वाले लोगों को हम अल्पसंख्यक कह सकते हैं।  भारतीय संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यकों को 2 समूहों में विभाजित किया गया है- 1. भाषाई अल्पसंख्यक 2. धार्मिक अल्पसंख्यक। सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय को श्रेणियों में विभक्त करने के विषय में कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं दी है।

अल्पसंख्यक अधिनियम की धारा 2 (c) के तहत 5 धर्मों को मान्यता दी गई है- 1. मुस्लिम, 2. सिक्ख, 3. ईसाई, 4. बौद्ध और 5. पारसी (NCMA)।  इसके अलावा अगर हम बाल पाटिल बनाम भारत संघ इस्लामिक शिक्षा अकादमी बनाम कर्नाटक राज्य मामलों को देखने से पता लगता है की अदालत आर्थिक जैसे पहलू को भी ध्यान में रखती हैं, यह तय करने के लिए की कोई व्यक्ति अल्पसंख्यक है या नहीं।

अनुच्छेद 15 (1) और अनुच्छेद 29 (2) के बीच क्या अंतर है

अनुच्छेद 15 (1) और अनुच्छेद 29 (2) इन दोनों ही अनुच्छेदों के अंतर्गत जाति, धर्म, वर्ण, लिंग और नस्ल आदि के आधार पर होने वाले भेदभाव पर रोक लगाने की बात कही गई है। लेकिन इन दोनों अनुच्छेदों में एक बड़ा अंतर है। अनुच्छेद 15 (1) हमको जाति, धर्म, वर्ण, लिंग और नस्ल आदि के आधार पर होने वाले भेदभाव के विरुद्ध एक व्यापक दायरा प्रदान करता है, जबकि अनुच्छेद 29 (2) के अंतर्गत उन लोगों को विशिष्ट क्षतिपूर्ति प्रदान करता है जिंहोने राज्य द्वारा संचालित शैक्षिक संस्था में भेदभाव का सामना किया है।   

अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थाओं के प्रकार

अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को अधिकार दिया जाता है की वो अपने बच्चों को अपनी भाषा में शिक्षा प्राप्त कर सके। अल्पसंख्यक अपने बच्चों को 3 प्रकार के संस्थाओं से शिक्षा प्रदान कर सकते हैं

  1. ऐसी संस्था जो राज्य सरकार से प्राप्त अनुदान से संचालित हो।
  2. ऐसी संस्था जिसको राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त नहीं होता लेकिन राज्य से मान्यता से संचालित हों।
  3. ऐसी संस्था जो की पूर्णतया समाज द्वारा संचालित हो, जिसको ना तो राज्य से अनुदान प्राप्त होता है और ना ही राज्य से मान्यता प्राप्त होती है।

संस्कृति क्या है

संस्कृति का सरल शब्दों में अर्थ है – उत्तम स्थिति। किसी समाज के अंदर समाए हुए गुणों का स्वरूप है जो की उस समाज के कार्य करने के तरीकों, सोचने और विचारने के तरीकों में निहित होता है। संस्कृति निम्नलिखित दो प्रकार की होती:-

  1. भौतिक संस्कृति:– मनुष्य के द्वारा निर्मित की गई भौतिक वस्तुओं को हम भौतिक संस्कृति में शामिल करते हैं। इसको मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं के आधार पर बनाया है। जैसे – जैसे मानव समाज का विकास हुआ है वैसे-वैसे भौतिक संकृति का भी विकास हुआ है। स्कूटर, कम्प्युटर, साइकिल, पेंसिल, फोन, पेन इत्यादि सब वस्तुएँ जो की मानव द्वारा बनाई गई हैं, को हम भौतिक संस्कृति में शामिल करते हैं।
  2. अभौतिक संस्कृति:- इस संस्कृति में किसी समाज में विरासत में प्राप्त भाषा, साहित्य, लिपि, मनोवृति, रीति रिवाज, धर्म, प्रथा, विश्वास और विचारों को शामिल किया जाता है। यह संस्कृति पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहती है। इसमें परिवर्तन कम ही संभव होता है। अगर कोई व्यक्ति संस्कृति के खिलाफ जाता है या उसके विरुद्ध कार्य करता है तो उसको समाज में निंदा का शिकार होना पड़ता है। यह भी संभव है की समाज के लोग उसे समाज से बाहर कर दे। अभौतिक संस्कृति, भौतिक संस्कृति की तुलना बहुत कम परिवर्तनीय है और इसमे स्थायित्व पाया जाता है।

निष्कर्ष

हर एक व्यक्ति इसी समाज में पैदा होता है, फलता है और फूलता है। सब लोगों को मिलाकर ही समाज का निर्माण होता है। समाज में विविध धर्मों, मान्यताओं, रीति रिवाजों, संस्कृति को मानने वाले लोग हैं। धर्मों, मान्यताओं, रीति रिवाजों, संस्कृति को मानने वाले लोगों की संख्या कहीं कम तो कहीं ज्यादा है। लेकिन हमें एक – दूसरे के धर्म, संस्कृति, मान्यता, रीति रिवाजों और भाषा का सम्मान करना चाहिए, ताकि हमारे देश की विविधता में एकता को मजबूती मिले। सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार हमें इनसे सम्बंधित सभी अधिकार हमें भारत देश में देता है।

सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार pdf

सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार-pdf

सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार किस अनुच्छेद के अंतर्गत आता है?

संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 29 और अनुच्छेद 30 के अंतर्गत

अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थाएं कितने प्रकार हैं?

अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थाएं 3 प्रकार की हैं।

भौतिक संस्कृति किस कहते हैं?

मानव द्वारा निर्मित वस्तुओं को हम भौतिक संस्कृति में शामिल करते हैं।

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मैं Devender Rathi पोस्ट ग्रेजुएट हूं, और अलग-अलग विषयों की जानकारी रखता हूं। लेखन मुझे बहुत पसंद है इसीलिए अलग-अलग विषयों पर लिखकर जानकारी आप लोगों तक हिंदी डेटा वेबसाइट के माध्यम से पहुंचाता रहता हूं। मेरी प्राथमिकता रहती है, कि मैं सही जानकारी पहुंचाने के साथ-साथ उस विषय को रोचक और सरल भी बना हूं, ताकि हर पाठक तक वह जानकारी सरल भाषा में मिल सके।
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