जहां पर आज नई टेक्नोलॉजी के कारण लोग लैपटॉप और फोन आदि उपकरणों का उपयोग करते हैं, वहीं आज साइबर क्राइम का खतरा भी बढ़ गया है। आज हम घर बैठे कई ऐसे काम कर सकते हैं, जो पहले के समय संभव नहीं था। जबसे इंटरनेट का अविष्कार हुआ है उसके बाद से ही कंप्यूटर और फोन का उपयोग बहुत तेजी से बढ़ा है जिसने हमारी सुविधाओं को भी बढ़ाया है। परंतु इसके साथ-साथ साइबरक्राइम भी बड़ा है, यदि आप जानना चाहते हैं कि “साइबर क्राइम क्या है?” तो इस लेख में आपके से संबंधित जानकारियां पा सकते हैं।
यदि आप कंप्यूटर, नेटवर्क या मोबाइल और इंटरनेट से संबंधित जानकारी रखते हैं तो यह आपको पता होगा कि साइबर क्राइम जिसे हम हिंदी में साइबर अपराध कहते हैं वह इन्हीं से संबंधित होता है। आपका साइबर क्राइम से जुड़ी जानकारियों को समझना और उन्हें जानना बहुत जरूरी है क्योंकि आज के समय चाहे वह काम हमारे व्यवसाय से जुड़ा हो या हमारी पढ़ाई से या हमारे बैंकिंग ट्रांजैक्शन से, सभी प्रकार के कार्य ऑनलाइन कंप्यूटर द्वारा या मोबाइल फोन द्वारा किए जाते हैं।
साइबर क्राइम क्या है?
जब भी कोई क्राइम यानी अपराध कंप्यूटर की मदद से, मोबाइल की मदद से किया जाता है तो उसे साइबरक्राइम कहते हैं। इसको दूसरे शब्दों में आप इस प्रकार से समझ सकते हैं कि जब भी किसी अपराध के लिए इंटरनेट, कंप्यूटर, मोबाइल आदि का उपयोग करके किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी निकालना, चोरी करना, निजी जानकारी का उपयोग करना या उसमें कोई फेरबदल करना आदि किया जाता है तो वह साइबरक्राइम कहलाता है।
साइबर क्राइम करने के लिए अपराधी अलग-अलग तरीकों का उपयोग करते हैं जिसमें वह ई-मेल, हैकिंग, फ्रॉड कॉल, फ़िशिंग, वायरस आदि का उपयोग करते हैं जिससे इन अपराधों को अंजाम दिया जाता है।
साइबर क्राइम के प्रकार
- जानकारी बदलना – किसी भी कंप्यूटर, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या किसी अन्य प्लेटफार्म पर किसी व्यक्ति की जानकारी को उसकी अनुमति के बिना बदल देना साइबर क्राइम का एक हिस्सा है। ऐसे अपराध करने वाले व्यक्ति किसी भी व्यक्ति की जानकारी को बदलते हैं और उस बदली हुई जानकारी से अलग-अलग प्रकार के अपराध किए जाते हैं।
- पहचान चोरी करना – इस प्रकार के साइबर अपराध में किसी भी व्यक्ति की पहचान चोरी की जाती है और उस पहचान द्वारा अलग-अलग प्रकार के साइबरक्राइम किए जाते हैं। चोरी की गई पहचान का उपयोग कई अपराधों में किया जा सकता है जैसे- बैंकिंग फ्रॉड। उसके साथ चुराई गई पहचान का उपयोग करके उस व्यक्ति के नाम से और अन्य अपराध भी किए जा सकते हैं। यदि इस प्रकार का कोई कार्य होता है तो वह साइबरक्राइम के अंतर्गत आता है।
- हैकिंग – किसी भी प्लेटफार्म, कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन इत्यादि पर बिना उसके मालिक को जानकारी हुए उन्हें इस्तेमाल करना और उनका उपयोग गलत तरीकों से करना हैकिंग कहलाता है। हैकिंग में हैकर किसी भी प्लेटफार्म, कंप्यूटर या लैपटॉप इत्यादि को अपने वश में करता है और उस अपराधी का पूरा कंट्रोल उस प्लेटफार्म या सिस्टम पर हो जाता है। जिसके पश्चात हैकर द्वारा उस प्लेटफार्म या सिस्टम में वह फेरबदल करता है जो एक साइबर अपराध है।
- वायरस फैलाना – जैसे-जैसे इंटरनेट आगे बढ़ा उसी प्रकार से अलग-अलग प्रकार के वायरस भी इंटरनेट पर फैलने शुरू हुए और इन वायरस की मदद से आपके डाटा को चुराया जाता है और उसका उपयोग अलग-अलग अपराधिक कार्यों में किया जा सकता है। वायरस फैलाना या वायरस बनाकर किसी अन्य प्लेटफार्म या कंप्यूटर या मोबाइल इत्यादि में डालना एक साइबर अपराध का हिस्सा है।
- स्पैम ईमेल – ई-मेल से हम एक दूसरे को जानकारी भेजते हैं या अलग-अलग कार्यों में इसका उपयोग किया जाता है। परंतु जब किसी भी व्यक्ति को गलत जानकारी या बेटा है जिस इमेल में कोई वायरस मौजूद हो या फिर कोई ऐसा लिंक मौजूद हो जिस पर क्लिक करने से उस व्यक्ति की निजी जानकारी सार्वजनिक हो सकती हैं या चुराई जा सकती है, या फिर इसी प्रकार से उसकी मेल द्वारा किसी भी व्यक्ति के कंप्यूटर या मोबाइल इत्यादि को हैक किया जा सकता है तो वह स्पैम ईमेल कहलाता है। एक ही बार में बहुत सारे लोगों को एक साथ ईमेल भेजना भी ईमेल स्पैमिंग होता है क्योंकि गलत तरीकों से ज्यादा से ज्यादा लोगों को ईमेल करना स्पैम ईमेल कहलाता है। यह भी एक साइबर अपराध है और यदि कोई ऐसा करता है तो वह साइबर क्राइम के अंतर्गत सजा पा सकता है।
- सॉफ्टवेयर पायरेसी – सॉफ्टवेयर का उपयोग कंप्यूटर और मोबाइल इत्यादि में किया जाता है जिससे अलग-अलग प्रकार के कार्य हम आसानी से करते हैं। सभी सॉफ्टवेयर फ्री में उपलब्ध नहीं होते बल्कि यह अलग-अलग कंपनियों द्वारा बनाए जाते हैं और इनका उपयोग करने के लिए इन्हें खरीदना पड़ता है। परंतु जब कोई व्यक्ति इन सॉफ्टवेयर की फाइल में फेरबदल करके उस सॉफ्टवेयर को फ्री में उपलब्ध करवाता है तो वह सॉफ्टवेयर पायरेसी कहलाता है जिससे उस कंपनी या सॉफ्टवेयर बनाने वाले व्यक्ति का बहुत अधिक नुकसान होता है जो एक साइबरक्राइम है।
- वीडियो पायरेसी – वीडियो पायरेसी भी सॉफ्टवेयर पायरेसी की तरह होती है जिसमें बिना अधिकार प्राप्त किए आप किसी वीडियो या मूवी फिल्म इत्यादि को बेचते हैं या फ्री में लोगों को बांटते हैं तो वह वीडियो पायरेसी कहलाती है। जब भी कोई फिल्म रिलीज होती है तो बहुत सारे लोग फ्री में उस फिल्म को डाउनलोड करते हैं और देखते हैं जिससे फिल्म निर्माता को बहुत नुकसान होता है। इस प्रकार की वीडियो को इंटरनेट पर अपलोड करना या डाउनलोड करना वीडियो पायरेसी कहलाती है और यह भी साइबर क्राइम का एक प्रकार है।
- अफवाह फैलाना – आज के समय में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हमें लोगों से जुड़े रहने का मौका मिलता है और हम लोगों को अपनी बात पहुंचाते हैं या दूसरों से अलग-अलग इंफॉर्मेशन प्राप्त करते हैं। लाखों-करोड़ों लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जुड़े हुए हैं। परंतु इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कुछ लोग गलत इंफॉर्मेशन देने के लिए करते हैं। ऑनलाइन इस प्रकार से अफवाह फैलाना साइबर क्राइम का एक प्रकार है जिसके लिए आपको सजा हो सकती है।
- साइबर बुलीइंग – किसी भी सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम इत्यादि पर इंटरनेट का उपयोग करके किसी व्यक्ति को धमकी देना यह शोध अन्य कमेंट करना या फिर किसी व्यक्ति का मजाक बनाना साइबर बुलीइंग कहलाता है। इंटरनेट का उपयोग करके कोई भी ऐसा कार्य करना जिससे किसी भी व्यक्ति को शर्मिंदा होना पड़े या उसको किसी भी प्रकार से मानसिक तौर पर ठेस पहुंचे तो वह साइबरबुली कहलाती है जो एक साइबरक्राइम है।
- किसी अन्य व्यक्ति की जानकारी उपयोग करना – आपने अक्सर ऐसा देखा होगा कि अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक या इंस्टाग्राम पर किसी भी व्यक्ति की फोटो लगाकर फेक प्रोफाइल बनाई जाती है। उस प्रोफाइल का उपयोग अलग-अलग कार्यों के लिए किया जाता है। इसी प्रकार से जब इंटरनेट पर या किसी प्लेटफार्म पर किसी अन्य व्यक्ति की जानकारी का उपयोग गलत तरीके से या उसकी परमिशन के बिना किया जाता है तो वह एक साइबर अपराध है।
- जानकारी मिटाना – आज के समय में हम अपने महत्वपूर्ण जानकारियां अपने ईमेल पर, कंप्यूटर पर या फिर किसी अन्य प्लेटफार्म पर स्टोर करके रखते हैं। यह महत्वपूर्ण जानकारियां यदि किसी द्वारा मिटा दी जाती है, तो यह एक साइबर अपराध है।
- बिना अनुमति फोटो या वीडियो का उपयोग – इस प्रकार का साइबर अपराध अक्सर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ज्यादा देखने को मिलता है जिसमें किसी भी व्यक्ति या महिला की फोटो या वीडियो का उपयोग किया जाता है। जब किसी भी व्यक्ति या महिला की फोटो या वीडियो का उपयोग उसकी मर्जी के खिलाफ किया जाता है तो वह एक साइबर अपराध है।
साइबर क्राइम रिपोर्ट कैसे करें?
क्योंकि आज के समय में इंटरनेट का उपयोग और कंप्यूटर या मोबाइल का उपयोग बहुत अधिक मात्रा में बढ़ चुका है तो साइबरक्राइम भी उसी प्रकार से तेजी से बढ़ रहा है। यदि आप भी किसी साइबर अपराध के शिकार होते हैं तो आप भारत सरकार द्वारा दी गई वेबसाइट पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
राष्ट्रीय साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल
भारत सरकार द्वारा यह रिर्पोटिंग पोर्टल साइबर अपराध की शिकायतों की ऑनलाइन रिपोर्टिंग करने के लिए बनाया गया है। यह ऑनलाइन साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल मुख्य रूप से साइबर अपराधों, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों के लिए बनाया गया है।
जब आप इस पोर्टल पर शिकायत दर्ज करते हैं तो इससे संबंधित सरकारी एजेंसियां और पुलिस द्वारा इन शिकायतों का निपटारा किया जाता है। आपातकालीन स्थिति में यदि आप साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करना चाहते हैं तो आप स्थानीय पुलिस हेल्पलाइन नंबर पर इसकी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
भारतीय गृह मंत्रालय ने साइबर क्राइम रिपोर्ट करने के लिए एक तत्कालीन सेवा शुरू कर दी है और उसमें शिकायत करने के लिए एक टोल फ्री नंबर भी दिया गया है। यदि आप कॉल करके साइबर अपराध रिपोर्ट करना चाहते हैं तो आप 155260 नंबर पर किस की शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
ज़रूरी जानकारी:
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भारत में साइबर क्राइम से संबंधित कानून और धाराएं
- कंप्यूटर संसाधन से छेड़छाड़ करना या छेड़छाड़ करने की कोशिश करने पर धारा 65 के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है।
- कंप्यूटर में डाले गए डाटा के साथ छेड़छाड़ करना या फिर उसे है करने की कोशिश करने पर धारा 66 के अंतर्गत कार्यवाही होती है।
- यदि कोई प्रतिबंधित सूचना भेजता है तो उसमें धारा 66 ए के तहत दंड का प्रावधान है।
- जब किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट या कंप्यूटर से चोरी की गई सूचनाओं को गलत तरीके से प्राप्त किया जाता है तो इस यह अपराध धारा 66 बी के अंतर्गत होता है।
- किसी अन्य व्यक्ति की पहचान चोरी करना एक साइबर अपराध है और इसके लिए धारा 66 सी के तहत दंड का प्रावधान है।
- जब आप किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत डाटा तक अपनी पहचान छुपाकर पहुंचते हैं तो वह भी एक अपराध होता है और ऐसा होने पर धारा 66 डी के तहत कार्यवाही की जाती है।
- जब आप किसी व्यक्ति की जानकारी उसकी अनुमति के बिना सार्वजनिक करते हैं या नहीं उसकी निजी जानकारियों को सार्वजनिक करते हैं या उसकी निजता को भंग करते हैं, तो ऐसा करना एक दंडनीय अपराध है जो धारा 66 ए के तहत आता है।
- धारा 66 ए के अंतर्गत साइबर आतंकवाद जैसे मामले आते हैं जो एक दंडनीय अपराध है।
- जब किसी आपत्तिजनक सूचनाओं का किसी भी प्लेटफार्म जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इत्यादि पर प्रकाशन किया जाता है तो इससे संबंधित प्रावधान धारा 67 के तहत आते हैं।
- यदि अश्लील सूचनाओं का प्रकाशन किसी प्लेटफार्म या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होता है तो वह एक दंडनीय अपराध है और इस प्रकार के अपराध के लिए धारा 67 ए के तहत कार्यवाही होती है।
- जब किसी बच्चे को अश्लील अवस्था में दिखाया गया हो या आपत्तिजनक सामग्री को पोस्ट किया जाता है तो इस प्रकार का अपराध धारा 67 बी के अंतर्गत आता है।
- किसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच में बाटी जाने वाली सूचना अगर बाधित किया जाता है तो उसके लिए धारा 67 सी के तहत दंड का प्रावधान है।
- धारा 70 के अंतर्गत बिना अधिकार के किसी भी सुरक्षित कंप्यूटर तक पहुंचना आदि अपराध आता है।
- जब किसी भी आंकड़े या डाटा को गलत तरीके से पेश किया जाता है तो उस अपराध के लिए धारा 71 के तहत कार्यवाही होती है।
- जब आपसी विश्वास और निजता को भंग किया जाता है तो उसके लिए धारा 72 ए तहत कार्यवाही होती है।
- ऐसे बहुत सारे कार्य ऑनलाइन किए जाते हैं जिसमें कॉन्ट्रैक्ट होता है कि उन सूचनाओं को सार्वजनिक नहीं करें परंतु यदि उस कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का उल्लंघन करके कोई व्यक्ति सूचनाओं को सार्वजनिक करता है तो उसके तहत धारा 72a के तहत कार्यवाही होती है।
- फर्जी डिजिटल हस्ताक्षर को यदि प्रकाशित किया जाता है तो धारा 73 के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है।
- सूचना तकनीक कानून की धारा 78 के तहत इस प्रकार के मामलों की जांच इंस्पेक्टर स्तर के पुलिस अधिकारी कर सकते हैं और उन्हें जांच का अधिकार है।
साइबर क्राइम के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) धाराएं
- हथियारों की ऑनलाइन खरीदी या बिक्री करने में आर्म्स एक्ट के तहत सजा होती है।
- यदि ईमेल का गलत इस्तेमाल किया जाता है तो आईपीसी धारा 500 के अंतर्गत सजा होती है।
- यदि दवाओं को बिना अनुमति के ऑनलाइन बेचा जाता है तो एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्यवाही की जाती है।
- ईमेल के द्वारा किसी भी व्यक्ति को धमकी देना एक अपराध है जो आईपीसी की धारा 503 के अंतर्गत कार्यवाही होती है।
- फर्जी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का इस्तेमाल करके कोई अपराधिक कार्य किया जाता है तो उसके लिए आईपीसी की धारा 463 के अंतर्गत कार्यवाही होती है।
- किसी भी व्यक्ति की मानहानि करना जिसमें एक ईमेल का उपयोग किया गया हो तो उसके लिए आईपीसी धारा 499 के तहत कार्यवाही की जाती है।
- साइबर फ्रॉड और फर्जी वेबसाइट बनाने के लिए आईपीसी की धारा 420 के अंतर्गत कार्यवाही होती है।
- यदि आप किसी की ई-मेल आदि पर चोरी-छिपे नजर रखते हैं या उन्हें देखते हैं तो आईपीसी की धारा 468 के अंतर्गत सजा का प्रावधान है।
- यदि किसी व्यक्ति को उस पर आरोप लगाकर डराया जाता है या कोई ऐसी धमकी दी जाती है जिससे उस व्यक्ति की मानहानि होती हो तो वह एक अपराध है जिसके लिए आईपीसी धारा 383 के तहत कार्यवाही को अंजाम दिया जाता है।
साइबर क्राइम के कारण
यदि आप भी कभी साइबर क्राइम के शिकार हुए हैं तो जरूर नीचे दिए गए साइबर क्राइम के कारण रहे होंगे। आज के समय में है कर्ज पैसा कमाने के लिए एक आसान तरीका चुनते हैं और यदि आप उन्हें वह आसान तरीका दे देते हैं तो आप आसानी से साइबर अपराध का शिकार हो सकते हैं।
- आपके कंप्यूटर या मोबाइल तक हैकर्स का पहुंचना – आज के समय में जिस प्रकार से टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है उसी प्रकार से इस टेक्नोलॉजी का यूज गलत लोग भी करते हैं। कोई भी इंफॉर्मेशन हो आप उसे ई-मेल द्वारा या व्हाट्सएप द्वारा या फिर अलग-अलग प्लेटफार्म द्वारा प्राप्त करते हैं। लेकिन इन्हीं माध्यम से कोई भी हैकर एक्सेस कोड, रेटिनल इमेज या वायरस को आपके कंप्यूटर या मोबाइल में इंस्टॉल करवा देता है जो उसके लिए उसे है कर पाना काफी आसान हो जाता है।
- उपकरणों को इस्तेमाल करने में लापरवाही – जब हम अपने कंप्यूटर या मोबाइल आदि को उपयोग करने में लापरवाही बरतने हैं तो हम साइबर क्राइम करने वालों के शिकार आसानी से बन जाते हैं। अपने कंप्यूटर या मोबाइल में आने वाली इंफॉर्मेशन को बिना पढ़े हम कई बार कहीं पर भी क्लिक कर देते हैं और उस कंप्यूटर या मोबाइल का नियंत्रण हैकर के पास पहुंच जाता है।
- जटिल कोड का उपयोग ना करना – जब हम कोई भी आईडी बनाते हैं या अपने मोबाइल या कंप्यूटर इत्यादि में कोड आदि डालते हैं तो उसमें हम अक्सर आसान कोड को चुनते हैं ताकि वह हमें आसानी से याद रहे और साइबर अपराधी इसी प्रकार की जानकारी का उपयोग करते हैं।
साइबर क्राइम से बचने के उपाय
- अज्ञात लिंक पर क्लिक करने से बचें – साइबर अपराधी आपके मोबाइल पर s.m.s. दोबारा या फिर अन्य तरीके जैसे ई-मेल आदि से लिंक भेजते हैं। यदि आप उस लिंक पर क्लिक करते हैं तो आपके मोबाइल या कंप्यूटर का नियंत्रण उस अपराधी तक पहुंच जाता है और आप उसका शिकार हो जाते हैं। यदि आपको आपके मोबाइल पर किसी भी प्रकार का अज्ञात लिंक प्राप्त होता है तो उस लिंक पर कभी भी क्लिक ना करें और इस प्रकार से साइबर अपराधी के शिकार होने से बचे रह सकते हैं।
- अनजान की ईमेल को ना खोलें – हमें सैकड़ों हजारों के मेल प्राप्त होते हैं, यदि आप ऐसे अनजाने ईमेल को खोलकर देखते हैं या फिर किसी ऐसे इमेज या लिंक पर क्लिक करते हैं, जिससे आप अनजान हैं तो आप इसका शिकार हो सकते हैं इसीलिए इस प्रकार के ईमेल को ना खोलें और ना ही कहीं किसी इमेज या लिंक पर क्लिक करें।
- मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें – अक्सर हम अपनी जन्मदिन की तारीख या अपने परिवार जनों के नाम से संबंधित पासवर्ड बनाते हैं। यदि आप भी इस प्रकार के पासवर्ड का उपयोग करते हैं तो आपका पासवर्ड आसानी से हैक किया जा सकता है इसलिए हमेशा मजबूत पासवर्ड का ही उपयोग करें जिससे आप अपनी प्रोफाइल या किसी भी अकाउंट को हैक होने से बचा सकते हैं।
- फ्री वाईफाई का इस्तेमाल करने से बचें – हैकर्स अक्सर फ्री वाईफाई का इस्तेमाल करके भी आपके डिवाइस को हैक कर सकते हैं। इस प्रकार के अपराधी पब्लिक एरिया में फ्री वाईफाई को लोगों को यूज करने के लिए देते हैं और यदि आप उस प्रकार के नेटवर्क से जोड़ते हैं तो वह आपके डिवाइस को हैक कर लेते हैं। इसलिए यदि आपके क्षेत्र में किसी भी प्रकार का अनजान फ्री वाईफाई मौजूद है तो उसे उपयोग ना करें और उससे अपनी डिवाइस को ना जोड़ें।
- कंप्यूटर और मोबाइल को अपडेट रखें – आज के समय में अलग-अलग प्रकार के वायरस बनते हैं जिनसे आपके मोबाइल में कंप्यूटर को हैक करने की कोशिश की जाती है। आप अपने कंप्यूटर या मोबाइल को अपडेटेड रखें जिससे आप इस प्रकार के वायरस से बच सकते हैं।
- सोशल मीडिया पर अपनी पर्सनल इंफॉर्मेशन पब्लिश ना करें – आपके द्वारा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दी गई पर्सनल जानकारी को साइबर अपराधी चुराते हैं और वह इस प्रकार की जानकारी अलग-अलग प्रकार से प्राप्त करते हैं जिसका उपयोग वह गलत कार्यों के लिए कर सकते हैं। इसके अलावा इस प्रकार की जानकारी का उपयोग वह किसी भी प्रकार की ठगी करने या फिर बैंक से फ्रॉड करने के लिए भी कर सकते हैं इसीलिए इस प्रकार की जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देने से बचें।
- बच्चों को इंटरनेट से संबंधित जरूरी जानकारी दें – साइबर अपराधी अक्सर बच्चों को टारगेट करते हैं क्योंकि बच्चों को बहला ना फुसलाना आसान होता है। इसीलिए अपने बच्चों को इंटरनेट से संबंधित और इस प्रकार की जानकारी जरूर दें। ताकि आपके बच्चे भी इस प्रकार के अपराधियों से सतर्क रहें और किसी भी प्रकार की जानकारी किसी के साथ साझा ना करें।
- सोशल मीडिया प्रोफाइल प्राइवेट रखें – अपने सोशल मीडिया की प्रोफाइल को प्राइवेट रखें। ताकि सिर्फ आपके जानकार ही आपकी प्रोफाइल को देख सकें कोई भी अनजान व्यक्ति जवाब कि सोशल मीडिया प्रोफाइल को देखता है, तो वह आप से संबंधित जानकारी वहां से जुटा सकता है। जिसका उपयोग वह अपराधी कार्यों के लिए कर सकता है।
- पायरेटेड सॉफ्टवेयर वेबसाइट पर जाने से बचें – बहुत सारे लोग सॉफ्टवेयर को पायरेटेड वेबसाइट से डाउनलोड करते हैं, ताकि वह उस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल फ्री में कर सकें। जब भी आप इस प्रकार की वेबसाइट से कोई सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते हैं, तो उस सॉफ्टवेयर की फाइल में वायरस होने की संभावना बहुत अधिक होती है। इस प्रकार के सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने से आप अपनी जानकारी को किसी अन्य व्यक्ति को बिना आपकी अनुमति के साझा कर सकते हैं। यदि आप इस प्रकार से सॉफ्टवेयर डाउनलोड करके अपने कंप्यूटर में इस्तेमाल करते हैं, तो ऐसा करने से बचें।
- सुरक्षित वेबसाइट से ही किसी सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करें – यदि आपको कोई सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना है तो उस सॉफ्टवेयर की जो ऑफिशियल वेबसाइट है उसी वेबसाइट से उसे डाउनलोड करें और अपने कंप्यूटर में इस्तेमाल करें। ताकि कोई भी पायरेटेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके आपके कंप्यूटर या किसी भी डिवाइस को हैक ना कर सके।
- बार-बार पासवर्ड बदलें – चाहे बात आपके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की हो या इंटरनेट बैंकिंग की या फिर किसी भी अन्य प्लेटफार्म की जब आप किसी पासवर्ड का उपयोग अपने अकाउंट को सुरक्षित बनाने के लिए करते हैं तो उस पासवर्ड को हमें निरंतर बदलते रहना चाहिए। यदि आप समय-समय पर पासवर्ड को बार-बार बदलते हैं तो किसी भी हैकर्स के लिए पासवर्ड और स्टोर किए गए डाटा तक पहुंचना आसान नहीं होगा और आप इस प्रकार से अपने आप को साइबर अपराधियों से बचा सकते हैं।
- अनजान पेनड्राइव को अपने कंप्यूटर में लगाना – जब आप किसी भी अनजान पेनड्राइव अपने कंप्यूटर में लगाते हैं तो उस पेनड्राइव में वायरस मौजूद हो सकते हैं जो है कसने डाले हुए हों। इसीलिए किसी भी अनजान पेनड्राइव को अपने कंप्यूटर में लगाने से बचें।
- कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर को अपडेट रखें – जब आप किसी भी सॉफ्टवेयर को अपने कंप्यूटर में इंस्टॉल करते हैं तो समय-समय पर वह सॉफ्टवेयर कंपनी को सॉफ्टवेयर के लिए अपडेट लादी रहती है। उन सभी अपडेट को इंस्टॉल करें और अपने सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट रखें ताकि हैकर्स उनका इस्तेमाल करके
निष्कर्ष
हमें उम्मीद है कि “साइबर क्राइम क्या है?” लेख में आपको समझ आया होगा कि साइबरक्राइम क्या होता है और साइबर अपराध से कैसे बचें। यदि आप साइबर क्राइम के प्रकार और “साइबर क्राइम रिपोर्ट कैसे करें?” आदि सवाल के बारे में कुछ और जानना चाहते हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं।
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