सोमवार, अक्टूबर 2, 2023

हरियाणा के जिले – सभी जिलों की जानकारी

- Advertisement -

1 नवंबर 1966 को हरियाणा जिले की स्थापना हुई थी, भारत की आजादी के बाद हरियाणा पूर्वी पंजाब का हिस्सा था, लेकिन 1 नवंबर 1966 को हरियाणा पूर्वी पंजाब से अलग हो गया। जब हरियाणा पंजाब से अलग हुआ तब हरियाणा में कुल 7 जिले थे।

हरियाणा के विभाजन के समय हरियाणा के जिले:

  1. रोहतक
  2. महेंद्रगढ़
  3. गुड़गांव (गुरुग्राम)
  4. करनाल
  5. अम्बाला
  6. जींद
  7. हिसार

लेकिन वर्तमान समय में हरियाणा में कुल 22 जिले हैं। हरियाणा के जन सामान्य को बेहतर सेवाएं देने के लिए हरियाणा राज्य को 22 जिलों और 6 मंडलों में विभाजित किया गया।

पढ़ें : हरियाणा के मंडल

- Advertisement -
हरियाणा के जिले,

हरियाणा के जिले

अम्बाला

अंबाला जिला हरियाणा के उत्तर में स्थित है, जिसका क्षेत्रफल 608 वर्ग मील है। अंबाला जिला हरियाणा के 6 मंडलों में से एक है। अंबाला जिला पंजाब और हरियाणा के विभाजन के समय ही वजूद में आया, दूसरे शब्दों में कहें तो अंबाला जिला की स्थापना 1 नवंबर 1966 को हुई।

हरियाणा में मौजूद अंबाला जिला एक ऐतिहासिक और प्रसिद्ध जिलों में से एक है। अंबाला जिले की सीमा पूर्व में यमुनानगर, उत्तर में पंचकूला और दक्षिण में कुरुक्षेत्र जिले से मिलती हैं। अंबाला के पश्चिम में पंजाब के रोपड़ और पटियाला जिले स्थित है, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ भी अंबाला के उत्तर पश्चिम दिशा में स्थित है।

अंबाला जिले में मुख्यतः दो प्रकार के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं जो चूना पत्थर और सफेद शोरा हैं। अंबाला में पाए जाने वाला चूना पत्थर एक उच्च ग्रेड का चूना पत्थर है। इसके साथ-साथ अंबाला जिले को भूकंपीय क्षेत्र भी माना जाता है, हिमालय की घाटियां करीब होने के कारण यहां पर भूकंप के झटकों की संभावना होती है।

करनाल

करनाल जिले की स्थापना भी 1 नवंबर 1966 को हरियाणा के विभाजन के समय हुई थी। करनाल जिले का क्षेत्रफल 559 वर्ग मील है। और यह हरियाणा का आठवां सबसे बड़ा जिला है।

- Advertisement -

करनाल जिले एक ऐतिहासिक नगरी है जिसे कर्ण की नगरी भी कहा जाता है। करनाल हरियाणा जिले के उत्तर मध्य क्षेत्र में स्थित है, और यह एक कृषि औद्योगिक जिला भी है। करनाल जिले को राजा कर्ण द्वारा स्थापित किया गया था, राजा कर्ण ने करनालय नाम लिया था जिसका अर्थ है करण का निवास स्थान।

करनाल को हरियाणा का धान का कटोरा भी कहा जाता है, हरियाणा जिले में धान की खेती प्रमुख है और इस जिले की मिट्टी बहुत ही उपजाऊ है। करनाल जिला बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र माना जाता है क्योंकि इसके पूर्व में यमुना नदी बहती है और बारिश के समय पर यहां बाढ़ की स्थिति बनती है।

कुरुक्षेत्र

कुरुक्षेत्र जिले की स्थापना 23 जनवरी 1973 को हुई थी, और इसका क्षेत्रफल 650 वर्ग मील है। कुरुक्षेत्र एक ऐतिहासिक नगरी है इसके साथ साथ ही है हिंदुओं का एक पावन स्थान भी है।

कुरुक्षेत्र नाम कौरवों के कारण पड़ा था और महाभारत का युद्ध भी कुरुक्षेत्र में ही हुआ था। भगवान कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को श्री श्रीमद्भगवद्गीता का व्याख्यान भी कुरुक्षेत्र में ही किया था।

कुरुक्षेत्र जिले को 23 जनवरी 1973 को करनाल जिले से अलग कर दिया था, जिस का कुछ भाग कैथल और यमुनानगर जिले के निर्माण के समय बाटा गया था। कुरुक्षेत्र जिले में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की स्थापना सन 1956 में हुई। आज कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है।

कैथल

कैथल जिला हरियाणा के उत्तर पश्चिम में स्थित है और कैथल जिले की स्थापना 1 नवम्बर 1989 में हुई थी। कैथल जिले की सीमाएं उत्तर पश्चिम में गुला चीका पंजाब राज्य से जुड़ी हुई हैं और कैथल जिले के उत्तर में कुरुक्षेत्र दक्षिण में जींद और पूर्व दिशा में करनाल जिला है।

कैथल जिले का क्षेत्रफल 895 वर्ग मील है। कैथल जिला एक ऐतिहासिक नगर है, भगवान राम के सेवक भगवान हनुमान कैथल में पैदा हुए थे। भगवान हनुमान की माता का नाम अंजनी था और अंजनी का टीला नामक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक कैथल में मौजूद है।

प्राचीन समय से ही कैथल एक प्रसिद्ध बाजा रहा है और मुगल और पठान साम्राज्य के बाद इस जिले की एक प्रमुख भूमिका रही है। रजिया सुल्ताना का मकबरा भी कैथल में मौजूद है। कैथल जिले की ज्यादातर जनसंख्या गांव में रहती है।

गुड़गांव (गुरुग्राम)

गुरुग्राम के स्थापना 1 नवंबर 1966 को हुई थी, हरियाणा के विभाजन के समय इसे गुड़गांव के नाम से जाना जाता था जिसका नाम बदलकर अभी गुरुग्राम कर दिया गया है।

गुरुग्राम जिला एक बहुत ही प्रमुख औद्योगिक और वित्तीय जिला है जो भारत की राजधानी दिल्ली से 30 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। गुरुग्राम दिल्ली क्षेत्र के प्रमुख शहरों में से एक है। भारत में गुरुग्राम को प्रति व्यक्ति आय में तीसरा स्थान प्राप्त है।

गुरुग्राम पर दिल्ली पर राज करने वाले राजाओं ने हमेशा राज किया है और इसके अलावा प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में भी गुरुग्राम जिले का एक महत्वपूर्ण नगर के रूप में उल्लेख मिलता है। गुरुग्राम शहर ने बहुत ही थोड़े समय में अत्याधिक विकास किया है और पूरे विश्व में अपने नाम को स्थापित किया है।

गुरुग्राम का इतिहास हमें महाभारत काल से मिलता है, राजा युधिष्ठिर ने अपने धर्म गुरु द्रोणाचार्य को गुरुग्राम एक उपहार के रूप में भेंट किया था। इसीलिए इसका नाम गुरु गांव पड़ा था, जिसके बाद इसका नाम बदलकर गुड़गांव हो गया। लेकिन साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इसका नाम गुड़गांव से बदलकर गुरुग्राम कर दिया।

पर्यटन के मामले में भी गुड़गांव एक खूबसूरत जगह है, गुड़गांव में माता शीतला का मंदिर एक प्रमुख स्थान है जहां पर देश-विदेश से लोग माता शीतला की पूजा करने आते हैं।

जींद

जींद जिले की स्थापना 1 नवंबर 1966 को हरियाणा और पंजाब के विभाजन के समय हुई थी। जींद जिले का क्षेत्रफल 2702 वर्ग किलोमीटर है, और यहां पर दो मुख्य भाषाएं बोली जाती हैं जो हरियाणवी और हिंदी है।

जींद को हरियाणा का दिल कहा जाता है। जींद एक ऐतिहासिक नगरी है और इसका उल्लेख इतिहास में मिलता है, जींद जिले को महाभारत के समय से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपनी जीत के लिए जयंती देवी का मंदिर स्थापित किया था और जयंती देवी के नाम पर ही जींद का नाम पड़ा।

सन 1755 में राजा गजपत सिंह ने उत्तरी भारत के हिस्से पर क़ब्ज़ा किया था, जिसके बाद 1776 में जिंदो को जींद की राजधानी बनाया गया। इसके बाद 1775 में फतेहगढ़ क़िला बनाया गया, इसके बाद संगरूर को जींद राज्य की राजधानी बनाया गया।

झज्जर

झज्जर ज़िले की स्थापना 15 जुलाई 1997 को हुई थी। झज्जर ज़िले का क्षेत्रफल 1834 वर्ग किलोमीटर है। वर्तमान का झज्जर जिला रोहतक का हिस्सा हुआ करता था जिसे 15 जुलाई 1997 को अलग करके एक नया जिला स्थापित किया गया जिसका नाम झज्जर है।

झज्जर जिले का मुख्यालय झज्जर शहर में है और झज्जर शहर एक ऐतिहासिक नगरी है। रोहतक से अलग होने के बाद झज्जर जिले का विकास इतनी तेजी से नहीं हो पाया, लेकिन अभी हाल के समय में सरकार ने झज्जर जिले में नई सड़कों का निर्माण, नए उद्योगों की स्थापना, और अच्छे से बिजली प्रदान करके झज्जर जिले के विकास के लिए निवेश किया है।

झज्जर शहर दिल्ली से लगभग 65 से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, झज्जर का नाम किसान छज्जू के नाम से पड़ा है। पहले झज्जर का नाम छज्जू नगर हुआ करता था जो बदल कर झज्जर हो गया।

झज्जर जिले की झज्ज्री मतलब सुराही बहुत ही मशहूर है और यह भी एक कारण है कि छज्जू नगर का नाम बदलकर झज्जर रखा गया। झज्जर जिले में भिंडावास पक्षी अभ्यारण, भीमेश्वरी देवी मंदिर, बुआ का गुबंद, और झज्जर संग्रहालय मुख्य आकर्षण वह पर्यटन स्थल है। झज्जर शहर में मौजूद संग्रहालय हरियाणा राज्य का सबसे बड़ा संग्रहालय है जिसे सन 1959 में बनाया गया था।

चरखी-दादरी

चरखी दादरी जिले की स्थापना 18 सितंबर 2016 को हुई थी। चरखी दादरी जिले में हरियाणवी और हिंदी भाषा बोली जाती है। दादरी में शहरी विकास होने के कारण चरखी नामक गांव इससे जुड़ गया इस तरह इसका नाम चरखी दादरी पड़ा।

चरखी और दादरी दो अलग-अलग गांव हैं जिनमें से चरखी गांव राजा बिहान सिंह फोगाट के द्वारा स्थापित किया गया था। कहा जाता है कि यहां पर एक दादर नामक बहुत बड़ी झील हुआ करती थी जिस कारण दादरी नाम पड़ा। पूर्वजों के अनुसार उस जेल में मेंढक रहते थे और मेंढक को संस्कृत में दादुर कहा जाता है। इसीलिए इस जगह को दादुर के नाम से जाना जाता था जिसे बाद में बदल कर दादरी कर दिया गया।

आज के समय में चरखी और दादरी दोनों एक दूसरे के साथ विकास होने के कारण मिल गए हैं और इनको एक नाम से पुकारा जाता है।

चरखी दादरी हरियाणा के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में मौजूद एक जिला है जिसकी स्थापना सन 2016 में की गई थी।

पलवल

पलवल जिले की स्थापना 15 अगस्त 2008 को की गई थी, यह हरियाणा राज्य के दक्षिण में स्थित है जिसका क्षेत्रफल 1359 वर्ग किलोमीटर है।

पलवल जिले में हरियाणवी और हिंदी भाषाएं मुख्य भाषाएं हैं, इसके अलावा पलवल ने आजादी में अपना अहम योगदान निभाया था। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पहली राजनीतिक गिरफ्तारी पलवल से ही हुई थी। इसके अलावा नेता सुभाष चंद्र बोस जी ने पलवल में अपने हाथों से एक कमरे का निर्माण करवाया था, और पलवल ने महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ भारत की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

पलवल जिला हरियाणा का एकमात्र ऐसा जिला है जो ब्रिज क्षेत्र में आता है, सांस्कृतिक रूप से यह बहुत ही महत्वपूर्ण है और यहां पर होली बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। ब्रिज क्षेत्र हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों में बटा एक भूभाग है जिसको एक अलग राज्य बनाने की मांग भी उठ रही है।

पलवल जिले की स्थापना से पहले यह फरीदाबाद का हिस्सा था जिसे सन 2008 में अलग करके एक अलग जिला बना दिया गया।, पलवल जिले के उत्तर में फरीदाबाद जिला, दक्षिण में उत्तर प्रदेश व राजस्थान की सीमाएं लगती है।

पंचकूला

हरियाणा जिले के उत्तर में स्थित पंचकूला जिला 15 अगस्त 1995 को स्थापित हुआ। पंचकूला शहर चंडीगढ़ के शहरी क्षेत्र का हिस्सा है। पंचकूला जिला में हरियाणवी पंजाबी और हिंदी भाषाएं बोली जाती हैं।

पंचकूला शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है पंच + कुला, जिसमें पंच का मतलब 5 और कुला का मतलब नहर होता है। इसीलिए पंचकूला का शाब्दिक अर्थ है पांच नहरों का शहर। पंचकूला एक नियोजित और सोच समझकर बनाया गया शहर है, पंचकूला में मोरनी की पहाड़ियां स्थित है जिनकी अधिकतम ऊंचाई 1514 मीटर है।

इसके अलावा पंचकूला में योग व प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र भी मौजूद है, प्रसिद्ध सुखना झील और टकर ताल झील भी पंचकूला में ही है। पंचकूला का कुछ भाग जंगलों से घिरा हुआ है और यहां पर दो जीव अभ्यारण मौजूद है जिनमें से एक रैतान वन्य जीव अभ्यारण और दूसरा बीर शिकारगढ़ वन्य जीव अभ्यारण है जिसकी स्थापना सन 1975 में की गई थी।

पंचकूला में पालतू पशु चिकित्सा केंद्र भी है इसके साथ-साथ गिर प्रजनन केंद्र भी मौजूद है जिसकी स्थापना सन 1992-93 में की गई और 2006 में गिद्ध प्रजनन केंद्र की स्थापना भी पंचकूला में की गई।

पानीपत

पानीपत एक ऐतिहासिक नगरी है और पानीपत जिले की स्थापना 1 नवंबर 1989 को हुई थी। पानीपत जिले को विश्व में पानीपत में हुई तीन लड़ाईयों के कारण भी जाना जाता है। पानीपत में सन 1526, 1556 और 1761 में युद्ध हुए जिसका विवरण हमें इतिहास में मिलता है।

पानीपत जिले में मुख्यतः हरियाणवी और हिंदी भाषा बोली जाती है। पानीपत हरियाणा के पूर्व दिशा में स्थित एक जिला है जो यमुना नदी के किनारे पर बसा हुआ है।

पानीपत का नाम हमें प्राचीन काल में भी मिलता है, पानीपत का प्राचीन नाम “पाण्डुप्रस्थ” था। जो बदल कर इसका नाम पानीपत पड़ गया। यह दिल्ली से महज 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है औद्योगिक शहर है। पानीपत को बुनकरों का शहर भी कहा जाता है।

पुराने समय के अवशेष अब भी पानीपत शहर में देखे जा सकते हैं, पानीपत का संग्रहालय, दरगाह, सलार गंज गेट, देवी मंदिर आदि मुख्य पर्यटन स्थल हैं।

पढ़ें: पानीपत का प्रथम, द्वितीय, व तृतीय युद्ध।

फतेहाबाद

फतेहाबाद जिले की स्थापना 15 जुलाई 1997 को हुई थी। यह हरियाणा के पश्चिम में स्थित एक जिला है जिस का कुल क्षेत्रफल 2538 वर्ग किलोमीटर है।

फतेहाबाद का नाम फिरोजशाह तुगलक ने 14वीं शताब्दी में अपने बेटे फतेह खान के नाम पर रखा था।

फतेहाबाद जिले के उत्तर में पंजाब राज्य पश्चिम में सिरसा जिला और दक्षिण में हिसार जिला है। फतेहाबाद जिले का क्षेत्र पांडवों और उनके उत्तराधिकारी यों के राज्य में भी शामिल था। अशोक स्तंभ की खोज से यह पता चलता है कि फतेहाबाद जिले का क्षेत्र मौर्य साम्राज्य का भी हिस्सा रहा है।

फरीदाबाद

फरीदाबाद जिले की स्थापना 15 अगस्त 1979 को हुई थी, और यह है हरियाणा के दक्षिण दिशा में स्थित है। फरीदाबाद के उत्तर में दिल्ली पूर्व में उत्तर प्रदेश पश्चिम में गुरुग्राम और दक्षिण में पलवल जिला मौजूद है।

फरीदाबाद में हरियाणवी पंजाबी और हिंदी भाषा बोली जाती है, और यह भारत की राजधानी दिल्ली क्षेत्र का एक भाग है। फरीदाबाद शहर की स्थापना शेख फरीद द्वारा 1607 में की गई थी। शेख फरीद को बाबा फरीद के नाम से भी पुकारा जाता है जो एक प्रसिद्ध सूफी संत हुआ करते थे। सूफी संत शेख फरीद बादशाह जहांगीर के कोषाध्यक्ष थे और इन्होंने ही फरीदाबाद शहर की स्थापना की थी।

बड़खल झील फरीदाबाद में मौजूद एक बहुत ही खूबसूरत झील है जो मानव निर्मित है। इसके अलावा बाबा फरीद गुंबद, सूरजकुंड पर्यटक परिसर और हस्तशिल्प मेला फरीदाबाद में पर्यटन का मुख्य केंद्र है।

फरीदाबाद का मुख्यालय फरीदाबाद शहर में स्थित है इसके अलावा बल्लभगढ़ फरीदाबाद का सबसे बड़ा शहर है और यहां पर राजा नाहर सिंह का महल भी मौजूद है।

भिवानी

भिवानी जिले की स्थापना 22 दिसंबर 1972 को हुई थी। हरियाणवी हिंदी और अंग्रेजी यहां की प्रमुख भाषाएं हैं। भिवानी हरियाणा जिले का रेगिस्तान को छूता हुआ एक प्रमुख जिला है जो गंगा सतलुज के मैदान पर बसा हुआ है।

भिवानी हरियाणा जिले का सबसे बड़ा जिला हुआ करता था लेकिन चरखी दादरी के अलग होने के कारण अब सिरसा हरियाणा का सबसे बड़ा जिला है।

भिवानी जिले को हिसार से अलग करके 22 दिसंबर 1972 को अलग जिला बना दिया गया था। भिवानी जिला एक प्रमुख व्यापार का केंद्र है और इस जिले का अधिकांश व्यापार राजस्थान राज्य के साथ होता है, इसके अलावा भिवानी शिक्षा के मामले में भी एक उन्नत जिला है और हरियाणा का शिक्षा बोर्ड भी भिवानी में स्थित है।

भिवानी शहर को राजा नीम ने अपनी रानी रानी के नाम पर स्थापित किया था जो एक राजपूत राजा हुआ करते थे। इसके अलावा आईने अकबरी में भी भिवानी का जिक्र मिलता है। इसके अलावा हिंदू मान्यताओं के अनुसार देवी माता भवानी ने अपने चरण इस भूमि पर रखे थे इसीलिए इसका नाम भिवानी पड़ा है।

महेंद्रगढ़

महेंद्रगढ़ जिला 1 नवंबर 1966 को स्थापित हुआ, जिसका मुख्यालय नारनौल में स्थित है। प्राचीन सूर्य नारायण मंदिर में मिले शिलालेख में नंदीग्राम के रुप में नाम उल्लेख मिला जो इसका नाम नारनौल पड़ा।

महेंद्रगढ़ जिले कि ज्यादातर सीमाएं राजस्थान राज्य के साथ लगती हैं, और यहां की मिट्टी हरियाणा के उत्तरी भाग में मिलने वाली मिट्टी की तुलना में कम उपजाऊ है। आज के समय में हरियाणा सरकार और भारत सरकार महेंद्रगढ़ जिले को औद्योगिक क्षेत्र बनाने में तत्पर है।

महेंद्रगढ़ जिले का क्षेत्रफल 1898 वर्ग किलोमीटर है और यहां पर हरियाणवी और हिंदी भाषाएं मुख्यतः बोली जाती है।

नूँह (मेवात)

नूँह (मेवात) जिले की स्थापना 4 अप्रैल 2005 को हुई थी। पहले इसे मेवात जिले के नाम से जाना जाता था, जिसका आधिकारिक नाम बदल कर अब नूँह कर दिया गया है।

नूँह (मेवात) क्षेत्र में भौगोलिक विशेषताएं है यहां पर कहीं पर अरावली पर्वत की श्रंखला ए तो कहीं पर खुले मैदान देखे जा सकते हैं। यहां के स्थानीय निवासी मियां आदिवासियों के वंशज हैं।

मेवात क्षेत्र के लोगों का मुख्य कार्य कृषि है और यहां पर अधिकतर लोग डेयरी उद्योग में कार्यरत हैं। मेवात जिले /न्यू जिले की स्थापना 4 अप्रैल 2005 को फरीदाबाद और गुड़गांव के कुछ क्षेत्र को मिलाकर की गई थी। मेवात जिले में मुख्यतः मेवाती भाषा बोली जाती है इसके अलावा हिंदी भाषा भी इस क्षेत्र में प्रचलित है।

यमुनानगर

यमुनानगर जिले की स्थापना 1 नवंबर 1989 को हुई थी, और जैसा किसके नाम से ही प्रतीत होता है इस शहर का नाम यमुना नदी के ऊपर पड़ा है।

यमुनानगर में एशिया की सबसे बड़ी पेपर मिल मौजूद है इसके साथ-साथ यहां पर लकड़ी की मार्केट और पावर प्लांट भी मौजूद है। यमुनानगर के उत्तरी भाग में शिवालिक की पहाड़ियां मौजूद है और इन पहाड़ियों में वैदिक कालीन मंदिरों के अवशेष भी मिले हैं, इसके साथ-साथ यहां पर बौद्ध धर्म के मंदिरों के अवशेष भी पाए गए हैं।

यमुना नदी पर बना हथिनी कुंड बैराज यहीं पर मौजूद है, और इसके अलावा गोबच्चा मंदिर, पंचमुखी हनुमान, सरस्वती धाम आदि धार्मिक स्थल यमुनानगर में मौजूद हैं। यमुनानगर में यमुना नदी प्रमुख है लेकिन इसके अलावा सरस्वती नदी, राक्षी नदी, पथराला नदी, सोम नदी आदि कुछ बरसाती नदियां भी यहां पर बहती है।

रेवाड़ी

रेवाड़ी जिला हरियाणा राज्य के दक्षिण भाग में स्थित एक जिला है जिसका मुख्यालय रेवाड़ी शहर में है। रेवाड़ी जिले की स्थापना 1 नवंबर 1989 को गुरुग्राम जिले से अलग करके हुई थी।

रेवाड़ी जिले में मुख्यतः हरियाणवी पंजाबी और हिंदी भाषा बोली जाती है, रेवाड़ी को अपने महान कलाकारों, कवियों, शूरवीर हो, धार्मिक स्थलों, साहित्यकारों के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन भारत में रेवत नामक एक राजा हुआ करते थे जिनके घर रेवती नामक पुत्री ने जन्म लिया, राजा उन्हें प्यार से रेवा कह कर पुकारते थे। इसीलिए इस शहर का नाम उनके नाम पर ही पड़ा।

राजा रेवत की पुत्री रेवा ने भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी से शादी की जिसके बाद राजा रेवत ने “रेवा वाडी” को उन्हें दान दिया और इसके बाद इसका नाम रेवाड़ी पड़ गया।

भारत की सबसे पहली गौशाला रेवाड़ी में राजा राव युधिष्ठिर यादव द्वारा सन 1882 में बनाई गई थी।

रोहतक

रोहतक जिले की स्थापना 1 नवंबर 1966 को हुई थी, और यह है हरियाणा के 6 मंडलों में से एक है। एशिया की सबसे बड़ी कपड़ा मार्केट रोहतक में ही स्थित है जिसे सॉरी मार्केट के नाम से जानते हैं।

रोहतक में अनेक कॉलेज और विश्वविद्यालय मौजूद है इसीलिए इसे हरियाणा के एजुकेशन हब के नाम से भी जाना जाता है। रोहतक जिला एकमात्र ऐसा जिला है जिसकी सीमाएं किसी बाहरी राज्य से नहीं लगती।

रोहतक का पुराना नाम रोहतासगढ़ था जिसकी स्थापना रोहतास नामक राजा ने की थी। बाद में इसका नाम रोहतासगढ़ से रोहतक हो गया। रोहतक एक बहुत ही पुराना शहर है जिसका विवरण महाभारत में भी मिलता है।

रोहतक में मौजूद देनी मस्जिद सन 1140 में बनी थी और इसके अलावा रोहतक में खोकरा कोट टीले की खुदाई करने के बाद बौद्ध मूर्तियों के अवशेष भी यहां पर पाए गए हैं। सन 1024 में एक ब्रिटिश जिले का मुख्यालय भी रोहतक नगर को बनाया गया था।

सिरसा

सिरसा जिले की स्थापना 26 अगस्त 1975 को हुई थी, इसका मुख्यालय सिरसा शहर में मौजूद है। सिरसा एक ऐतिहासिक नगर है जिसका नाम प्राचीन काल में भी मिलता है।

प्राचीन काल में सिर शूति और सिरसिका नाम का उल्लेख मिलता है। 1330 ईस्वी में प्रसिद्ध अरबी यात्री इबनबतूता ने सिरसूति नगर में अपने पड़ाव का उल्लेख किया है। महाभारत में भी सिरसा का जिक्र हुआ है और महाभारत काल में इसे साईरिषाका के नाम से जानते थे। इस तरह से इसका नाम धीरे-धीरे सिरसा पड़ गया।

सिरसा की जलवायु उष्ण कटिबंधीय है, और यहां पर गर्मी में अधिक गर्मी और सर्दी में अधिक सर्दी पड़ती है। सिरसा जिले के उत्तर में पंजाब राज्य और दक्षिण में राजस्थान राज्य लगता है सिर्फ पूर्व दिशा में यह हरियाणा राज्य के साथ जुड़ा हुआ है।

सिरसा हरियाणा का सबसे बड़ा जिला है। हरियाणवी, पंजाबी और हिंदी यहां की मुख्य भाषा है।

सोनीपत

सोनीपत जिले की स्थापना 2 दिसंबर 1972 को हुई, जिसका मुख्यालय सोनीपत शहर में है। यहां पर मुख्यतः हरियाणवी पंजाबी और हिंदी भाषा बोली जाती है।

सोनीपत के उत्तर में पानीपत जिला, उत्तर पश्चिम में जींद जिला, पश्चिम में रोहतक जिला, दक्षिण पश्चिम में झज्जर, दक्षिण में दिल्ली और पूर्व में उत्तर प्रदेश मौजूद है।

महाभारत काल में भी सोनीपत का वर्णन होता है, महाभारत काल में सोनीपत को स्वर्णप्रस्थ के नाम से जाना जाता था। इतिहासकारों के अनुसार सोनीपत शहर की स्थापना 1500 ईसवी पूर्व आर्यों द्वारा हुई। राजा सेन के नाम पर इस शहर का नाम सबसे पहले सोनपत रखा गया जिसके बाद यह बदलकर सोनीपत बना।

जब पांडवों ने महाभारत का युद्ध रोकने के लिए जिन पांच पतों की मांग कौरवों से की थी स्वर्णप्रस्थ उनमें से एक था।

हिसार

जिले की स्थापना 1 नवंबर 1966 को हुई थी, जिसका मुख्यालय हिसार शहर में है। हिसार एक प्राचीन शहर है जिसका उल्लेख अष्टाध्यायी ग्रंथ में इसुकार नाम से मिलता है। हिसार जिले में बोली जाने वाली भाषा हरियाणवी और हिंदी मुख्य है।

1354 ईस्वी में जब फिरोजशाह तुगलक ने हिसार की स्थापना की तो उन्होंने हिसार का नाम हिसार-ए-फिरोजा रखा था, हिसार-ए-फिरोजा का मतलब फिरोज का किला है। फिरोज शाह द्वारा निर्मित किला आज भी हिसार में मौजूद है।

कपास और गेहूं हिसार जिले की प्रमुख फसलें हैं इसके अलावा चना, बाजरा, सरसों, चावल, और गन्ना भी यहां पर उगाया जाता है। हिसार जिले में सबसे ज्यादा उत्पादन गेहूं का किया जाता है।

Rashvinder
Rashvinder
मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
- Advertisement -

सम्बंधित जानकारी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

ज़रूर पढ़ें

नवीनतम