मानव की आधुनिकता से पर्यावरण पर बहुत बुरा असर पड़ा है। जिस कारण कई प्रकार की पर्यावरण की समस्याएँ उत्पन्न हुई है। पर्यावरण की समस्याएँ मानव जाति के साथ पृथ्वी पर रहने वाली अन्य प्रजातियों पर भी बुरा असर डालते हैं। इसकी वजह से पढ़ने वाला बुरा असर हम आज के दौर में साफ देख सकते हैं। इस लेख में हमने पर्यावरण की समस्याओं के बारे में लिखा है, जिसमें बताया गया है कि इन समस्याओं के कितने प्रकार हैं और यह किस प्रकार से प्रभावित करती है।
पर्यावरण की समस्याएँ
ज़्यादातर पर्यावरण की समस्याओं का कारण मनुष्य की जनसंख्या में वृद्धि और मनुष्य द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले संसाधन हैं। पर्यावरण में परिवर्तन किसी भी क्षेत्र या पृथ्वी पर रहने वाले जीव जन्तुओं और ख़ुद मानव के लिए ख़तरा है। और इस प्रकार की समस्याओं में प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता में कमी और प्राकृतिक आपदाएँ आदि शामिल हैं।
मानव जाति की बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण जो पर्यावरण में बदलाव आ रहे हैं, जो एक चिंता का विषय है और मनुष्य ही इन सभी समस्याओं का सबसे मूल कारण है।
1. पर्यावरण प्रदूषण
पर्यावरण में विषैले ठोस पदार्थ तरल या गैस या फिर ऊर्जा जैसे गर्मी ध्वनि और रेडियोधर्मिता आदि का होना ही पर्यावरण प्रदूषण है। मानव जाति ने इन विषैली चीज़ों को पर्यावरण में इतनी तेज़ी से फैलाया है कि पर्यावरण का पुनर्निर्माण करना बहुत कठिन बन गया है।
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इस प्रदूषण को आप इस तरीक़े से भी समझ सकते हैं कि किसी भी पदार्थ या ऊर्जा का वातावरण में या प्रकृति में प्रवेश करना जो प्रकृति के लिए और पर्यावरण के लिए हानिकारक है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रेडियोधर्मिता प्रदूषण, आदि इसके कुछ उदाहरण है।
2. प्राकृतिक संसाधनों की कमी
मानव जाति अपने लाभ के लिए बहुत तेज़ी से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर रहा है। पृथ्वी पर जो भी प्राकृतिक संसाधन मौजूद है वो एक सीमित मात्रा में पाए जाते हैं। लेकिन जिस प्रकार से मानव जाति की जनसंख्या बढ़ रही है उतनी ही तेज़ी से इन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग भी बढ़ रहा है जिसके कारण प्राकृतिक संसाधनों में कमी आ रही है।
वैसे तो प्राकृतिक संसाधनों को दो भागों में बाँटा जा सकता है-
- अनवीकरणीय संसाधन
- नवीकरणीय संसाधन
अनवीकरणीय संसाधन
अनवीकरणीय संसाधन वो संसाधन होते हैं जिन्हें दोबारा नहीं बनाया जा सकता। दूसरे शब्दों में हम इसे ऐसे समझ सकते हैं कि ऐसे संसाधन जिनका भंडार सीमित मात्रा में पृथ्वी पर मौजूद है उन्हें अनवीकरणीय संसाधन संसाधन कहते हैं। पेट्रोल, डीज़ल कोयला पृथ्वी पर पाने वाले खनिज पदार्थ आदि अनवीकरणीय संसाधन के उदाहरण हैं।
नवीकरणीय संसाधन
नवीकरणीय संसाधन से तात्पर्य यह है की ऐसे संसाधन जिन्हें हम दोबारा भी बना सकते हैं और अगर यह समाप्त हो जाएं तो मानव इन्हें दोबारा से बनाकर अपनी ज़रूर पूरी कर सकता है।
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उदाहरण के तौर पर पेड़ पौधे नवीकरणीय संसाधनों में आते हैं जिनका उपयोग मनुष्य द्वारा किया जाता है लेकिन मनुष्य पेडों और पौधों को उगाकर इस समस्या से छुटकारा पा सकता है।
पढ़ें: नवीकरणीय और अनवीकरणीय संसाधन – ऊर्जा और स्त्रोत
3. जीवों की विविधता में कमी
आधुनिक मानव जाति ने ही अपने सामने अनेकों प्रकार की जीव प्रजातियों को विलुप्त होते देखा है जिसका मुख्य कारण हमारी जनसंख्या का बढ़ना और हमारी ज़रूरतों के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना है। मानव जाति की आधुनिकता के कारण अनेकों प्रकार की वनस्पतियों और पर जातियों की विविधता में कमी आयी है।
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4. जलवायु में परिवर्तन
मानव जाति अपने लाभ के लिए अनेकों प्रकार के औद्योगिक क्षेत्र बना रहा है और जलवायु को प्रदूषित कर रहा है। जब मानव द्वारा निर्मित गैस और प्रदूषण हमारी जलवायु में फैलता है तो उस से पृथ्वी के मौसम पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
आज के दौर में जलवायु परिवर्तन के कारण मानने को जीवन और ख़ुद मनुष्य भी अलग अलग समस्याओं से जूझ रहा है। शुद्ध जलवायु में अनेकों प्रकार की वनस्पतियों पनपते हैं और जीव जन्तु आसानी से रह सकते हैं।जलवायु परिवर्तन के कारण सभी जीव जंतुओं और पेड़ पौधों को काफ़ी हानि पहुँचती है।
5. प्राकृतिक आपदाएँ
प्राकृतिक आपदाएँ भी पर्यावरण की मुख्य समस्या है। जैसे ज्वालामुखी का फटना, अत्याधिक बारिश, सूखा पड़ना, तेज़ तूफ़ान या भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं में शामिल है।
उदाहरण के तौर पर यदि एक ज्वालामुखी फट जाए तो उसमें से निकलने वाली गैस, धूल और राख पर्यावरण को प्रदूषित करती है और उस पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
पर्यावरण संरक्षण
आधुनिक मानव जाति अपनी आविष्कारों और विज्ञान के बलबूते प्रकृति पर अपनी पकड़ मज़बूत करना चाहती है। जिस कारण हमारी पृथ्वी का संतुलन बिगड़ गया है। वैसे तो मानव अब प्राकृतिक संतुलन को ठीक करने के लिए वैज्ञानिक तरीक़ों से कोशिश कर रहा है, लेकिन पृथ्वी पर मानव जाति की बढ़ती हुई जनसंख्या और औद्योगीकरण, प्राकृतिक संसाधनों के साथ साथ हरे भरे एक क्षेत्रों को भी समाप्ति की ओर ले जा रहा है।
पर्यावरण का संरक्षण पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवों और प्राणियों और उनके प्राकृतिक परिवेश से सम्बंधित है। मानव जाति द्वारा फैलाए गए प्रदूषण के कारण पर्यावरण दूषित हो रहा है, जो संभवत मानव जाती के अंत का एक कारण बनेगा।
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