दोस्तों, होली जैसे त्यौहारों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। त्यौहार के समय हर इंसान अपने सब सुख – दुख भूलकर त्यौहार को मनाते हैं। भारत देश को त्यौहारों का देश भी कहा जाता है। क्योंकि भारतवर्ष में साल में बहुत सारे त्यौहार आते हैं, अलग – अलग क्षेत्रों में अलग – अलग त्यौहारों का भिन्न – भिन्न महत्व है। होली, तीज, मकर संक्रांति, दिवाली, कृष्ण जन्माष्टमी, रक्षा बंधन आदि भारतवर्ष के मुख्य त्यौहार हैं। हम इस लेख के माध्यम से आपको होली के त्यौहार के विषय में संक्षिप्त जानकारी देंगे।
Holi Par Nibandh – होली पर निबंध – 10 lines
- होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और रंगों का त्योहार है।
- यह त्योहार हर साल फाल्गुन के महीने में मनाया जाता है।
- होली का त्योहार पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जिसकी रात को होलिका का दहन किया जाता है।
- Holi के दिन लोग घर में मीठे पकवान बनते हैं, और ख़ुशियाँ मनाते हैं।
- Holi से अगले दिन फाग मनाया जाता है, और इस दिन रंगों से खेला जाता है। कई क्षेत्र में इस दिन को दुल्हन्डी भी कहा जाता है।
- हरिण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका और उसके पुत्र प्रह्लाद की हत्या करने के लिए उनके आग में बैठा दिया था।
- इसी की याद में दिन होली का दहन किया जाता है।
- भगवान विष्णु ने नरसिंह के रूप में हरिण्यकश्यप का वध किया था।
- हरिण्यकश्यप का वध बुराई का अच्छाई पर विजय है, जो गुलाल से फाग के दिन खेला जाता है।
- इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर प्रेम और भक्ति का संदेश देते हैं।
होली के त्यौहार के बारे में जानकारी
होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। Holi रंगों का त्यौहार है। यह त्यौहार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार लगभग पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। विशेष रूप से यह त्यौहार हिन्दू धर्म का त्यौहार है, लेकिन फिर भी सब धर्मों के लोग इस त्यौहार को बड़ी धूम – धाम से मनाते हैं।
इस त्यौहार को मनाने के लिए इस त्यौहार के आने से कई दिन पहले ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती हैं। लोग कई दिन पहले ही घरों की सफाई करना शुरू कर देते हैं। लगभग हर गली मौहल्ले में Holi बनाई जाती है।
लोग Holi के त्यौहार के कई दिन पहले से ही अलग अलग रंगों के रंग खरीद के रख लेते हैं। इस त्यौहार पर अलग अलग तरह के पकवान और मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, और सब इन पकवान और मिठाइयों को एक दुसरे के साथ साझाँ करते हैं। इस त्यौहार पर सब अपने – अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलकर Holi की सुभकामनाएँ देते हैं।
होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है
होली के त्यौहार को मनाने के पीछे एक प्रमुख पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जिसका वर्णन विष्णु पुराण में मिलता है। विष्णु पुराण की इस कथा के अनुसार, हिरण्य कश्यप नाम का एक दैत्यों का राजा हुआ करता था, जो की अपने आपको भगवान मानता था और अपनी प्रजा को खुद को पूजने के लिए दबाव डालता था। उस राजा का एक पुत्र था, जिसके नाम था प्रहलाद। प्रहलाद, विष्णु भगवान का परम भक्त था, और हमेशा विष्णु भगवान की भक्ति में लीन रहता था।
राजा हिरण्य कश्यप, अपने पुत्र की इस विष्णु भक्ति से बहुत परेशान और क्रोधित रहता था। उसने अपने पुत्र को विष्णु भक्ति करने से रोकने के लिए बहुत प्रयास किये, यहाँ तक की उसने अपने पुत्र को मरवाने के भी प्रयास किये लेकिन प्रहलाद हर बार विष्णु भगवान की कृपा से बच जाता था।
एक बार राजा हिरण्य कश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया। होलिका को भगवान से वरदान मिला हुआ था की आग में कभी नहीं जलेगी। राजा हिरण्य कश्यप ने अपनी बहन के इस वरदान को अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए इस्तेमाल करने की योजना बनाई।
राजा ने अपने पुत्र प्रहलाद को अपनी बहन होलिका की गोद में बैठा दिया और उनके चारों तरफ लकड़ी का ढेर करके उसमें आग लगवा दी। एक तरफ होलिका को आग में कुछ नहीं हो रहा था और वह हंस रही थी, और दूसरी तरफ प्रहलाद हाथ जोड़कर विष्णु भगवान की उपासना में लगा हुआ था। लेकिन आग के बुझने पर लोगों ने प्रहलाद को विष्णु भगवान की उपासना करते हुआ जिन्दा पाया गया और होलिका को आग में जलकर मरा हुआ पाया गया।
तब से लेकर आज तक होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई, और अन्धकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाने लगा। इस त्यौहार का नाम होली, राजा हिरण्य कश्यप की बहन होलिका के उस आग में जलकर मरने के कारण ही पड़ा है।
होली का त्यौहार कब मनाया जाता है
यह त्यौहार लगभग 600 ईसा पूर्व से ही मनाया जा रहा है। यह त्यौहार फाल्गुन महीने की पुर्णिमा को मनाया जाता है। वैसे तो फाल्गुन माह की पूर्णिमा के आने से पहले ही इस त्यौहार को मनाना शुरू कर दिया जाता है।
लोग कई दिन पहले ही एक दुसरे पर रंग और पानी डालना शुरू कर देते हैं, लेकिन फाल्गुन माह की पूर्णिमा को ही होलिका दहन करके होली को मनाया जाता है। होलिका दहन से अगले ही दिन दुल्हंडी के त्यौहार को मनाया जाता है। दुल्हंडी की दिन को श्री कृष्ण भगवान के काल से मनाना शुरू हुआ है।
होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है
इस त्यौहार को मनाने की तैयारी लगभग एक महीने पहले से ही शुरू हो जाती है। सब लोग अपने – अपने घरों की सफाई करते हैं। Holi के कुछ दिन पहले से ही बच्चे पानी एक दुसरे पर डालकर Holi खेलना शुरू कर देते हैं। फाल्गुन माह शुरू होते ही लोग Holi को मनाने लग जाते हैं।
इस त्यौहार के आने से कई दिन पहले से ही पर घरों में लड़कियां , गोबर से अलग अलग आकृतियों के उपले बनाने लग जाती हैं, जिनको Holi वाले दिन होलिका दहन होता है। इस अलग – अलग तरह की गोबर की आकृतियों को उत्तर भारत में हरियाणा में सांझी कहा जाता है। हर गली मौहल्ले के लड़के अपनी होली बनाते हैं।
होली बनाने के लिए वो सब एक गहरा गड्डा खोदते हैं, जिसमें किसी पेड़ की लम्बी मजबूर टहनी को काटकर गाड़ दिया जाता है। फिर उसके चारों तरफ सुखी कांटेदार झाड़ियों, लकड़ियों, पेड़ की छोटी छोटी सुखी टहनियों और गोबर के उपलों को लगा दिया जाता है। इस प्रकार होली को जलाने के लिए तैयार कर दिया जाता है।
फिर होली वाले दिन जिस गली, मौहल्ले और शहर में जहाँ जहाँ भी होली को बनाया जाता है, वहां के आस पास के सब लोग नए नए कपडे पहनकर आते हैं और होली को आग लगाते हैं, होली को आग लगाने को होलिका दहन बोला जाता है। लड़कियों द्वारा बनाए गए गोबर के अलग अलग आकृतियों के उपले भी उस होली में जालाये जाते हैं।
होली को आग लगाकर शादीशुदा जोड़े जलती हुई होली की परिक्रमा करते हैं और कुछ मनोकामना करते हैं। शादीशुदा लोगों के अलावा भी सब लोग होली की परिक्रमा करते हैं और भगवान से कुछ मांगते हैं। होली के इस उपलक्ष में विशेष रूप में बेर नामक फल को प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है।
होली से अगले दिन दुल्हंडी का दिन होता है। इस दिन सब लोग एक दुसरे को रंग गुलाल लगाते हैं और एक दुसरे पर पानी डालते हैं। इस दिन सब लोगों के दिल, दिमाग और शरीर होली के रंगों से भीग जाते हैं। उत्तर भारत में विशेष रूप से इस दिन को मनाया जाता है। उस दिन वैसे तो सब लोग एक दुसरे को रंग गुलाल लगाते हैं और पानी डालते हैं, लेकिन विशेष रूप से देवर भाभी इस दिन को अलग तरह से मनाते हैं।
विशेष रूप से उत्तर भारत में हरियाणा में दुल्हंडी के दिन भाभियाँ अपने देवरों को डंडे या किसी चुनरी को लपेटकर, उससे देवरों को मारती हैं और देवर उनके ऊपर पानी और रंग डालते हैं। बच्चे भी ग़ुब्बारों में पानी भरकर एक दुसरे पर गुब्बारे फोड़ते हैं, और पिचकारी में पानी भरकर एक दुसरे पर पानी डालते हैं। कई जगहों पर विशेष रूप से संगीत के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, जिसमें सब मिलकर नाचते गाते हैं और नाचते नाचते एक दुसरे पर पानी डालते हैं।
पूरे विश्व भर में मौजूद हर भारतवासी इस त्यौहार को हर्षो उल्लास से धूम धाम से मनाते हैं। विदेशी लोग भी भारतवासियों के साथ मिलकर इस त्यौहार को मनाते हैं।पूरे विश्व में बरसाने की होली, मथुरा की होली और वृन्दावन की होली सुप्रसिद्ध है। पूरे भारतवर्ष के हर कोने से और विदेशों से भी लोग यहाँ की होली को देखने के लिए आते हैं।
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होली का त्यौहार कहाँ पर किस नाम से मनाया जाता है
यह त्यौहार भारतवर्ष के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका तथा अन्य देशों में जहाँ बहुत अधिक भारत प्रवासी गए हुए हैं वहां भी सब लोग इस त्यौहार को मनाते हैं। भारत में भी अलग – अलग राज्यों में इस त्यौहार को अलग – अलग नाम से अलग – अलग तरह से मनाया जाता है। होली के त्यौहार को भारत के किन राज्यों में किस नाम से और किस तरह मनाया जाता है, वह निम्नलिखित है:-
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शिगमो
गोवा राज्य में Holi को शिगमो नाम से मनाया जाता है। यहाँ पर इस त्यौहार को किसानों के प्रमुख त्यौहारों में से एक माना जाता है। इस त्यौहार पर गोवा के लोग वसंत ऋतु का इस त्यौहार के साथ स्वागत करते हैं। यहाँ पर यह त्यौहार 14 दिनों तक मनाया जाता है।
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याओसांग
असम और मणिपुर राज्य में होली के त्यौहार को याओसांग के नाम से मनाया जाता है। यहाँ पर यह त्यौहार 6 दिनों तक मनाया जाता है। इस त्यौहार पर इन राज्यों में सड़क के किनारे बांस की झोपड़ियाँ बनाई जाती हैं।
फिर एक ब्राह्मण द्वारा भगवान चैतन्य की मूर्ति को एक झोपडी में रखा जाता है, और भजन व कीर्तन किये जाते हैं, फिर त्यौहार के अंतिम दिन मूर्ति को झोपडी से हटा दिया जाता है और ”हरी बोल” या फिर ”हे हरी” का जाप करते हुए झोपड़ियों में आग लगा दी जाती है।
उसके बाद गोविन्द जी भगवान के मंदिर में श्री कृष्ण के भजनों पर लोग नृत्य करते हैं और उन पर पानी डाला जाता है। मणिपुर में दुल्हंडी वाले दिन को पिचकारी भी कहा जाता है। असम में इस त्यौहार को ”देओल” और ”फग्वाह” भी कहा जाता है।
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दुल्हंडी और होला मोहल्ला
पंजाब और हरियाणा में होली के त्यौहार पर दुल्हंडी का उत्सव और होला मोहल्ला का उत्सव भी मनाया जाता है। दुल्हंडी के दिन देवर व भाभी विशेष रूप से एक दुसरे के साथ खेलते हैं, भाभी, देवर को उस पर पानी डालने और रंग लगाने पर लट्ठ मारती हैं।
होला मोहल्ला पंजाब में मनाया जाता है। इस दिन पंजाब में सिक्ख धर्म के मानने वाले अपने योद्धाओं को याद करते हैं। इस उपलक्ष में पंजाब में नाच गाना होता है और मार्सल आर्ट का प्रदर्शन किया जाता है।
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लट्ठमार होली
होली में लट्ठमार होली के नाम से उत्तर प्रदेश में यह उत्सव बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। इसमें महिलाएं अपने देवरों को लट्ठ मारती हैं और देवर उन पर रंग व पानी डालते हैं। दरअसल नंदगांव, वृन्दावन, मथुरा और बरसाना क्षेत्र में यह होली खेली जाती है, जो की पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है।
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फगुनवा, फगुआ और फाग
बिहार और झारखण्ड में होली के दिन को फगुनवा, फाग और फगुआ नाम से मनाया जाता है। इस उत्सव पर वह के लोग फाग के लोग गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और गुजिया व ठंडाई इत्यादि एक दुसरे को खिलाते हैं और इस उत्सव को मनाते हैं।
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खड़ी होली, बैठकी होली, कुमाऊं होली और महिला होली
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में होली के त्यौहार को वहां के लोग गीत व वह के पारंपरिक गीत गाकर और एक दुसरे को रंग लगाकर मनाया जाता है। यहाँ पर इस त्यौहार को खड़ी होली, बैठकी होली, महिला होली और कुमाऊं होली के नाम से मनाया जाता है।
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बसंत उत्सव
पश्चिम बंगाल में होली के त्यौहार को बसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव पर यहाँ के लोग बसंत ऋतू के स्वागत में यह त्यौहार मनाते हैं। यहाँ पर यह त्यौहार कई दिनों तक चलता है, अंतिम दिन यहाँ पर डोला यात्रा निकाली जाती है।
बसंत उत्सव पर यहाँ के लोग पीले कपडे पहनते हैं और यहाँ के लोग गीत गाए जाते हैं और नृत्य किया जाता है और एक दुसरे पर रंग गुलाल लगाया जाता है, और इसके साथ साथ रविन्द्र नाथ टैगोर की कविताओं का पाठ किया जाता है।
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डोल पूर्णिमा या डोला होली
उड़ीसा राज्य में होली के त्यौहार को डोल पूर्णिमा या फिर डोला होली के नाम से मनाया जाता है। इस उत्सव को यहाँ पर 5 से 7 दिनों तक मनाया जाता है। इस उत्सव पर यहाँ के लोग कृष्ण भगवान की सभा यात्रा निकालते हैं, और उन्हें रंग गुलाल और मिठाई चढाते हैं और भोग लगाते हैं। अंतिम दिन यहाँ भी एक दुसरे को रंग गुलाल लगाकर और पानी डालकर इस उत्सव को मनाया जाता है।
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उकुली या मंजल कुली
केरल राज्य में होली के उत्सव को मंजल कुली या फिर उकुली के नाम से मनाया जाता है। यहाँ पर कोंकणी और कुम्बा समुदाय के लोग हल्दी और मंजल कुली का इस्तेमाल रंग के रूप में करते हैं, और एक दुसरे पर रंग लगाकर यह उत्सव मनाते हैं।
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कामाविलास, कामा-दाहानाम और कमान पंडीगई
तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य में होली के त्यौहार को कामदेव के बलिदान के रूप में मनाते हैं। तमिलनाडु में इस त्यौहार को कामाविलास, कामा-दाहानाम और कमान पंडीगई नाम से मनाते हैं, और कर्नाटक में इस त्यौहार को कामना हब्बा के नाम से मनाते हैं।
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रंग पंचमी
महाराष्ट्र राज्य में इस त्यौहार को रंग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। होलिका दहन के अगले दिन यहाँ पर सूखे और गिले रंगों से यह उत्सव मनाया जाता है और इस दिन लोग यहाँ के लोक गीतों पर नृत्य करते हैं।
होली के त्यौहार के दिन क्या नहीं करना चाहिए
हमें सिर्फ होली और दुल्हंडी का त्यौहार ही नहीं बल्कि सब त्यौहारों को मिलजुल कर हंसी ख़ुशी के साथ मानना चाहिए। लेकिन वर्तमान समय में लोग त्यौहारों को मनाने के नाम पर शराब पीकर हुडदंग करते हैं, जो की हमें नहीं करना चाहिए। हमें होली के त्यौहार के दिन निम्नलिखित काम करने से बचना चाहिए:-
- हमें त्यौहार के दिन शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
- हमें होलिका दहन करते समय सावधानी पूर्वक रहना चाहिए, ताकि होलिका दहन के आस पास आग ना फैले।
- हमें त्यौहार के दिन पटाखे नहीं जलाने चाहिए, जिससे की पर्यावरण प्रदूषित होता है।
- हमें दुल्हंडी के त्यौहार के दिन बच्चों को अपनी देख – रेख में खेलना चाहिए या फिर बच्चों को समझाना चाहिए की खराब और पक्के रंग को किस पर ना डालें, गुब्बारे किसी पर फोड़ते समय ध्यान रखें की किसी की आँख, कान या मुंह पर गुब्बारे ना फोड़ें।
- बच्चों को समझाना चाहिए की किसी मोटरसाइकल या गाडी पर जाते हुए व्यक्ति पर गुब्बारे ना फेंकें।
- हमें इस त्यौहार के दिन झगडा करने से बचना चाहिए, ताकि इस त्यौहार को ख़ुशी – ख़ुशी मनाकर प्यार और शांति का संकेत दिया जा सके।
निष्कर्ष
हमें Holi के त्यौहार के साथ – साथ हर त्यौहार को प्यार, प्रेम और शांति के साथ मानना चाहिए, ताकि त्यौहारों के माध्यम से दुनिया को शांति, प्यार और भाईचारे का संकेत दिया जा सके। त्यौहार को सबके साथ मिलकर मानना चाहिए और उस दिन शराब का सेवन ना करें और पटाखे ना जालाएं।
पटाखे जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है और शराब पीने से आपस में झगडा हो सकता है और और उत्सव की ख़ुशी हानि और दुःख में परिवर्तित हो जाती है। हमें होली के त्यौहार को मनाते समय पक्के और खराब रंग इस्तेमाल नहीं करने चाहिए, इससे व्यक्ति की त्वचा खराब हो सकती है को की किसी व्यक्ति के लिए बहुत नुक़सानदायक हो सकता है।