शनिवार, सितम्बर 23, 2023

कागज कैसे बनता है? Paper के बारे में सभी जानकारी

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सैकड़ों सालों से कागज हमारी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है। चाहे वह स्कूल कॉलेज में किताबों में उसके उपयोग की बात हो, सरकारी कामकाज या हमारे घर के कागजात की बात हो, यह हर जगह इस्तेमाल होता है। जब भी किसी व्यक्ति को कुछ पेन से लिखना होता है, तो कागज का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कागज कैसे बनता है?

कागज का बनना पूरी तरह से पेड़ पौधों से संबंधित है, और इसको बनाने में पेड़ों से मिलने वाले सैलूलोज का इस्तेमाल किया जाता है। यदि आप यह विस्तार से जानना चाहते हैं कि कैसे कागज बनता है, कागज किस पेड़ से बनता है, कागज के उपयोग, कागज के नुकसान या कागज के प्रकार इत्यादि तो आप यहां से सभी जानकारी ले सकते हैं।

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दोस्तों कागज ने हमारी जिंदगी यों को बदल कर रख दिया है। चाहे बात हमारे इतिहास को सहेज कर रखने की हो, या आधुनिक समय में हमारे प्रॉपर्टी के कागजात से लेकर रेस्टोरेंट में टिशु पेपर ठीक हो, हर जगह कागज का उपयोग किया जाता है। चलिए जानते हैं कि आखिर कागज क्या है?

कागज क्या है?

पेड़ पौधों से मिलने वाले सैलूलोज से बनी एक चद्दर को कागज कहा जाता है जिसका उपयोग लिखने, चित्रकारी करने इत्यादि के लिए किया जाता है। कागज के निर्माण में लकड़ी की लुगदी अल प्रोग्राम रेशेदार सामग्री, गेहूं का भूसा इत्यादि का उपयोग करके किया जाता है।

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आज के दौर में कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल आदि का उपयोग करके हम लिखते और पढ़ते हैं। लेकिन 90 प्रतिशत से भी ज्यादा ज्ञान किताबों में ही सहज कर रखा गया है। यहां तक की आज के समय में भी स्कूल और कॉलेज में किताबों का उपयोग होता है और उन में लिखा हुआ ज्ञान कागज पर ही लिखा जाता है।

इतिहास में जो ज्ञान लोग एक दूसरे को बोलकर बताते थे, वह ज्ञान पेपर की मदद से लाखों-करोड़ों लोगों तक बहुत तेजी से फैला है। कागज की मदद से ही हम अपने इतिहास को लिखकर और उसे सहेज कर रखने में कामयाब हो पाए हैं।

कागज का इतिहास

यदि आप कागज के इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको चीन के Cai Lun नामक व्यक्ति के बारे में जानना बहुत जरूरी है। सर्वप्रथम 105 ईसवी में Cai Lun ने ही कागज को बनाया था। यह चीनी व्यक्ति चीन के एक कोर्ट में एक उच्च अधिकारी के पद पर थे।

Cai Lun नामक व्यक्ति ने पुराने कपड़ों की रद्दी, पेड़ों की छाल और मछली पकड़ने के पुराने जाल का इस्तेमाल करके सबसे पहले 105 ईसवी में पहला कागज बनाया था। इसके बाद चीनियों ने छठी शताब्दी तक कागज बनाने के इस फार्मूले को छुपा कर रखा ताकि यह तरीका किसी और देश या राज्य के हाथ में ना आ सके।

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छठी शताब्दी के बाद जापान देश में एक बौद्ध भिक्षु थे जिनका नाम डैम जिंग था। डैम सिंह ने यह अविष्कार चीनियों से खरीदा और इस तकनीक को सीखा जिसके पश्चात उन्होंने शहतूत के पेड़ की छाल से लुगदी तैयार की और उस लुगदी से कागज बनाया।

प्राचीन समय में लिखने के लिए ताड़ के पत्तों का उपयोग किया जाता था और इसके साथ ताम्रपत्र और लकड़ी पर भी लेख लिखे जाते थे। क्योंकि कागज का आविष्कार नहीं हुआ था और कागज बनाना नहीं जाना गया था इसीलिए ताम्रपत्र, शिलालेख, ताड़ पत्र और लकड़ी का उपयोग करके लेखों को सुरक्षित रखा जाता था।

कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि कागज का सबसे पहला प्रयोग मिस्र देश में हुआ था और वहां पर घास द्वारा कागज बनाया गया जिसे पैपी रस या पेपीरी नाम से जाना जाता था। परंतु इतिहासकारों के अनुसार सबसे पहले कागज का आविष्कार चीन में ही हुआ था जिसके बहुत सारे प्रमाण मिलते हैं। चीन में बांस और रेशम के कपड़े पर पहले लिखा जाता था परंतु रेशम बहुत महंगा होने के कारण इसका इस्तेमाल बहुत कम होता था।

Cai Lun नामक व्यक्ति ने एक नया तरीका खोज निकाला और पेड़ की छाल, कपड़े और अन्य तरह के रेशों का उपयोग करके पेपर का निर्माण किया जिसके बाद यह अविष्कार जापान में पहुंचा और उसके बाद पूरे विश्व भर में पेपर बनाने की प्रक्रिया का खुलासा हुआ।

कागज कैसे बनता है?

कागज बनाने में सेल्यूलोज का मुख्य रूप से उपयोग होता है, जो एक चिपचिपा पदार्थ है। सेल्यूलोज पेड़ पौधों में मौजूद होता है, और सेल्यूलोज के रेशों को जोड़कर एक पतली सी परत बनाई जाती है। यह पतली परत सुखकर पेपर बनती है।

कागज की गुणवत्ता सेल्यूलोज की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। रुई एक परकार का शुद्ध सेल्यूलोज होता है, परंतु रुई का महँगा होने के कारण इसका उपयोग पेपर बनाने में नहीं किया जाता है। रुई का उपयोग कपड़े बनाने में किया जाता है। चूँकि काग़ज़ कपड़े के मुक़ाबले बहुत सस्ता होता है, इसीलिए पेपर को बनाने में रुई का इस्तेमाल ना करके पेड़ों से मिलने वाले सेल्यूलोज का उपयोग किया जाता है।

कागज बनाने की प्रक्रिया

  • पेड़ों का चयन – कागज बनाने के लिए पेड़ों के चयन की प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें ऐसे पेड़ों को चुना जाता है जिसकी लकड़ी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। जिस पेड़ में रेशों की मात्रा यानी फाइबर की मात्रा अधिक होती है उनसे आसानी से और अच्छे पेपर बन कर तैयार होते हैं। कागज बनाने की प्रक्रिया में यह सबसे पहला चरण है जिसमें पेड़ों का चयन किया जाता है।
  • लकड़ी को काटना – दूसरे चरण में इन पेड़ों की लकड़ी को काटा जाता है और अवांछित टुकड़ों को हटा दिया जाता है जैसे पेड़ों के छिलके, पत्ते इत्यादि। इस चरण में अवांछित टुकड़ों को हटाने के पश्चात लकड़ी को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लिया जाता है और उन्हें कागज बनाने वाली फैक्ट्री में भेज दिया जाता है।
  • लुगदी तैयार करना – जब पेड़ों की लकड़ी कागज बनाने वाली फैक्ट्री में पहुंच जाती है तो वहां पर लकड़ी की लुगदी तैयार की जाती है। लकड़ी की लुगदी तैयार करने के दो मुख्य तरीके हैं जिनमें से पहला तरीका मैकेनिकल तरीका और दूसरा केमिकल तरीका होता है।
    • मकैनिकल तरिके से लुगदी तैयार करना – मैकेनिकल तरीके में लकड़ी के टुकड़ों से ग्राइंडिंग स्टोन और रिफाइनर की मदद से रेशों को अलग कर लिया जाता है। जब यह रेशे अलग हो जाते हैं तो इन की चमक बढ़ाने के लिए इनमें प्लीज का मिश्रण मिलाया जाता है। लिग्निन की मौजूदगी के कारण इस प्रकार से बने पेपर में पीलापन मौजूद रहता है और यह कागज अपारदर्शी और नरम बनता है। इस प्रकार के कागज का उपयोग ज्यादातर समाचार पत्र और मैगजीन इत्यादि बनाने में किया जाता है।
    • केमिकल से लुगदी तैयार करना – केमिकल तरीके से लुगदी तैयार करने में लकड़ी के टुकड़ों को भाप की मदद से नरम किया जाता है और लकड़ी में मौजूद हवा को बाहर निकाल दिया जाता है। यह तरीका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। नरम हुई लकड़ी में सोडियम हाइड्रोक्साइड और सोडियम सल्फाइड के साथ हेल्पलाइन का घोल मिलाकर उसे digester चेंबर में डाल दिया जाता है।सोडियम हाइड्रोक्साइड और सोडियम सल्फाइट के साथ एल्कलाइन मिले घोल को 160 डिग्री से 170 डिग्री सेल्सियस के बीच कुछ घंटों के लिए उबलते हैं जिसके बाद फाइबर और एक काला तरल बच जाता है। इस मिश्रण से इस काले तरल को निकाल दिया जाता है और रेशे को कर उसे ब्लीचिंग के लिए शुभ कर दिया जाता है। इस प्रकार से बने कागज की गुणवत्ता उच्च स्तर की होती है और यह मैकेनिकल प्रोसेस से बने हुए कागज की अपेक्षा अधिक चमकदार और चिकना होता है।
  • पिटना और निचोड़ना – जब केमिकल या मैकेनिकल तरीके से लुगदी तैयार कर ली जाती है तो उसके बाद उसे पीटना और नीचे उड़ने की प्रक्रिया आरंभ होती है। तैयार हुए रो मटेरियल में कई तरह के खेल सामग्री मिला दी जाती है जैसे चौक, केमिकल्स, मिट्टी इत्यादि। मिलाए गए चौक केमिकल और मिट्टी के कारण कागज की पारदर्शिता कम होती है और इसकी गुणवत्ता बढ़ती है।
  • केमिकल और अन्य चीजों का मिश्रण – इस चरण में तैयार हुई लुगदी में स्टार्च की मात्रा अधिक होती है। स्टार्च के कारण कागज पर जब शाही पड़ती है तो वह स्याही से अधिक तेजी से रिएक्ट करती है शाही को अधिक सोखती है। इसी कारण इस चरण में sizing का उपयोग किया जाता है, जिससे कागज द्वारा स्याही को ज्यादा सोखने से बचाया जा सके।
  • पेपर का निर्माण – यह कागज के निर्माण का आखरी चरण होता है और इस अंतिम चरण में लुगदी को एक विशाल मशीन में डाल दिया जाता है। यह मशीन इस लुगदी को अलग-अलग चरणों से गुजारती है और लुगदी की एक लंबी परत से कागज का निर्माण कर देती है। तैयार हुए पेपर को अलग-अलग साइज में काट लिया जाता है जिन्हें मैगजीन, नोटबुक्स, किताबें इत्यादि बनाने में उपयोग में लाया जा सके।

जानें: हाथ से कागज बनाने की विधि

कागज किस पेड़ से बनता है?

दोनों प्रकार के पेड़ जैसे नरम लकड़ी वाले पेड़ और सख्त लकड़ी वाले पेड़ का उपयोग करके कागज का निर्माण किया जाता है। नरम लकड़ी वाले पेड़ की लकड़ी और सख्त लकड़ी वाले पेड़ की लकड़ी को Softwood  या Hardwood अंग्रेजी में कहा जाता है।

कागज बनाने की प्रक्रिया लकड़ी की लुगदी में 85% भाग नरम लकड़ी के लिए शंकुधारी पेड़ों का उपयोग किया जाता है। इसमें ऐसे पेड़ों का चयन किया जाता है जिनमें फाइबर की लंबाई अधिक हो ताकि कागज मजबूत बने। शंकुधारी पेड़ों में फाइबर की मात्रा अधिक पाई जाती है इसीलिए इनका उपयोग ज्यादा किया जाता है।

शंकुधारी पेड़ों की लिस्ट:

  • चीड़
  • पर सरल
  • हेमलॉक
  • सनोबर
  • लार्च

सख्त लकड़ी वाले पेड़ों की लिस्ट:

  • बांस
  • मेपल
  • बर्च

एक पेड़ से कितने कागज बनते हैं?

यह कागज की गुणवत्ता उसकी मोटाई पर निर्भर करता है कि एक पेड़ से कितने कागज बनते हैं। एक अनुमान के हिसाब से 1 टन न्यूज़पेपर बनाने में 10 से 12 पेड़ लगते हैं। वहीं पर अगर बात मैगज़ीन कागज की की जाए तो वहां पर लगभग 14 से 15 पेड़ 1 टन कागज बनाने में लग जाते हैं।

किताबों में उपयोग होने वाले कागज मैगजीन और न्यूज़पेपर में उपयोग होने वाले कागज से उच्च होते हैं इसीलिए उनको बनाने के लिए 15 से 17 वर्ड टेक्केन कागज के लिए लग जाते हैं।

कागज कितने प्रकार के होते हैं? – Types of Paper in Hindi

  • Printing Paper – प्रिंटिंग पेपर वह पेपर होता है जिसका उपयोग न्यूज़, पत्रिका और कैटलॉग इत्यादि प्रिंट करने के लिए होता है। यह पेपर काफी पतला होता है और इस पेपर की क्वालिटी इतनी अच्छी नहीं होती। क्योंकि यह पेपर न्यूज़ प्रिंट, पत्रिका प्रिंट और कैटलॉग प्रिंट के लिए उपयोग होता है इसीलिए इसको प्रिंटिंग पेपर बोलते हैं।
  • Book Paper – जैसा किसके नाम से ही जाहिर है बुक पेपर का उपयोग किताबों के पन्नों के लिए किया जाता है और इसकी क्वालिटी काफी अच्छी होती है। क्योंकि किताबें नियमित तौर पर पढ़ी जाती हैं और लंबे समय तक रखी जाती हैं इसलिए बुक पेपर की क्वालिटी अच्छी होती है।
  • Business Card Paper – बिजनेस कार्ड पेपर एक मोटा कागज होता है। यह कई प्रकार का होता है परंतु इसकी गुणवत्ता अधिक होती है और यह कागज मोटा और कठोर तैयार किया जाता है। इस कागज का उपयोग बिजनेस कार्ड बनाने में किया जाता है इसीलिए इसे बिजनेस कार्ड पेपर कहते हैं।
  • Greeting Card Paper – यह कागज बिजनेस कार्ड पेपर से थोड़ा पतला होता है परंतु इसकी गुणवत्ता काफी अच्छी होती है। इस कार्ड का उपयोग ग्रीटिंग कार्ड बनाने में किया जाता है। इस कार्ड का वजन मध्यम वर्ग का है और यह प्रिंटिंग पेपर से ज्यादा मोटा होता है जबकि कार्डबोर्ड से पतला होता है।
  • Artistic Paper – आर्टिस्टिक पेपर की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है परंतु इस कागज की मोटाई कागज पर उपयोग होने वाली शाही और इसे उपयोग करने के आधार पर अलग-अलग की जाती है । इस पेपर का उपयोग ड्राइंग और स्केच के साथ-साथ पेंटिंग करने के लिए होता है।
  • Blotting Paper – ब्लाटिंग पेपर में सूखने की शक्ति मौजूद होती है इसीलिए इस पेपर का उपयोग किसी तरल पदार्थ को सूखने के लिए किया जाता है उदाहरण के लिए हमारी त्वचा से अतिरिक्त तेल हटाने के लिए जिस पेपर का उपयोग किया जाता है वह ब्लाटिंग पेपर की होता है।
  • Lining Paper – मिठाई के डब्बे और सजावट के लिए जिस पेपर का इस्तेमाल किया जाता है उस पेपर को लाइनिंग पेपर कहते हैं। लाइनिंग पेपर को धब्बों के ऊपरी और अंदरूनी परत पर उपयोग किया जाता है ताकि बीच में मौजूद पेपर की सुरक्षा की जा सके।
  • Bond Paper – बोर्ड पेपर की मोटाई मध्यम वर्ग की होती है परंतु इसकी मजबूती सामान्य कागज की अपेक्षा अधिक तैयार की जाती है। क्योंकि इस पेपर का उपयोग लीगल कार्यों के लिए किया जाता है इसीलिए इस पेपर को ऐसा बनाया जाता है कि यह लंबे समय तक टिक सके और इसीलिए बोर्ड पेपर में पुराने कपड़ों से तैयार लुगदी का भी इस्तेमाल होता है।
  • Filter Paper – फिल्टर पेपर का उपयोग खाने वाले तरल पदार्थों को फिल्टर करने के लिए किया जाता है इसके साथ साथ ऑटोमोबाइल में भी इंधन और गैस इत्यादि को फिल्टर करने के लिए भी इस पेपर का उपयोग होता है। फिल्टर पेपर से तरल और गैस आसानी से पास हो सकते हैं।
  • Tracing Paper – ट्रेसिंग पेपर दूसरे पेपर के मुकाबले अधिक पारदर्शी होता है। इस पेपर का उपयोग ज्यादातर इंजीनियर और आर्किटेक्ट दोबारा इंजीनियरिंग ड्राइंग के लिए किया जाता है। इस पेपर को किसी भी इमेज या किसी दूसरे पेपर के ऊपर रखकर नीचे वाले डिजाइन की ड्रेसिंग की जाती है, इसीलिए इस पेपर को ट्रेस पेपर किया ट्रेसिंग पेपर कहा जाता है।
  • Sand Paper – सैंडपेपर को कागज और कपड़े की लुगदी से तैयार किया जाता है और यह काफी मजबूत होता है। इस पेपर के एक तरफ रगड़ने वाला योगिक चिपका दिया जाता है, इसके तैयार होने के पश्चात इस पेपर का उपयोग किसी भी सतह को रगड़ने के लिए किया जाता है।
  • Inkjet  Paper – ग्लौसी पेपर किसी भी दूसरे प्रिंटिंग पेपर की तुलना में अधिक चिकना और ए पारदर्शिता होता है। इस पेपर की चमक अधिक होती है और इसका इस्तेमाल इंकजेट प्रिंटिंग में किया जाता है। यह इंकजेट प्रिंटिंग के लिए उपयुक्त कागज होता है और इस पर शाही सही तरह से अवशोषित होती है।
  • Recycled Paper – रीसाइकिल्ड पेपर वह पेपर होता है जिसको पुराने खराब हुए पेपरों द्वारा बनाया जाता है और इसका इस्तेमाल रिपोर्ट, फॉर्म और मेमो पेपर इत्यादि बनाने में किया जाता है। क्योंकि इस पेपर को बनाने के लिए किसी प्रकार का कोई पेड़ पौधा नहीं काटा जाता इसलिए यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित होता है और पुराने खराब हुए पेपरों से ही इस कागज का निर्माण किया जाता है।
  • Tissue Paper – टिशु पेपर काफी पतला होता है और इसका उपयोग पानी सूखने, तेल सूखने और खाने को रखने इत्यादि में किया जाता है। यह पेपर आसानी से किसी भी तरल पदार्थ को सोख लेता है और खाने की टेबल पर वह रसोई घर में इसका इस्तेमाल बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है।
  • Kraft Paper – क्राफ्ट पेपर को सॉफ्टवुड लुगदी से बनाकर तैयार किया जाता है और यह एक आम कागज की तुलना में अधिक मजबूत होता है। इस पेपर का उपयोग बैग बनाने, पैकिंग करने या किताबों को कवर करने आदि कार्यों में किया जाता है।
  • Photograph Paper – फोटो ग्राफ पेपर मोटा और काफी मजबूत होता है। इस पेपर को एक तरफ से ग्लौसी बनाया जाता है जहां पर फोटोग्राफ्स प्रिंट होना होता है। अगर फोटोग्राफर को नार्मल पेपर के ऊपर प्रिंट किया जाएगा तो वह अच्छा नहीं दिखाई देगा इसीलिए फोटोग्राफ पेपर को एक तरफ से ग्लौसी बनाया जाता है ताकि फोटो के कलर अच्छी प्रकार से उभर कर आए।
  • Tobacco Paper – टोबैको पेपर काफी पतला होता है और यह ऐसे पेड़ पौधों की लुगदी से बनाया जाता है जिनके जलने पर बहुत कम हमारे शरीर में नुकसान हो। यह पेपर काफी आसानी से जलता है और इसे सिगरेट इत्यादि बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • Parchment Paper – हिंदी में इसे चर्म पत्र कहते हैं और जैसा किसके नाम से ही जाहिर है यह कागज चमड़ी से बनाया जाता है। यह कागज उस जगह उपयोग किया जाता है जहां पर कागज को लंबे समय तक सुरक्षित रखना हो। चर्म पत्र आपको देखने में वैक्स पेपर या ट्रेसिंग पेपर जैसा दिखाई दे सकता है परंतु इस पेपर पर सिलिकॉन कोटिंग की जाती है जिससे यह आसानी से नहीं जलता।
  • Wax Paper – वैक्स पेपर में नॉनस्टिक और नमी प्रतिरोध के गुण मौजूद होते हैं। यह चरण पत्र से सस्ता होता है परंतु चरण पत्र की तुलना में यह कम तापमान ही सहन कर सकता है। इस पेपर का उपयोग रसोई घर में किया जाता है।
  • Wove Paper – विंटेज यानी पुरातत्व जैसी फील देने के लिए इस तरह के पेपर का उपयोग किया जाता है। इस पेपर का अविष्कार जेम्स वाट मैंने किया था, और उस समय अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस में इस तरह से पेपर बनाने की प्रक्रिया का बहुत तेजी से प्रचलन हुआ। सबसे अधिक गुणवत्ता वाले वोव पेपर को वाटमैन  पेपर कहा जाता है।
  • Acid Free Paper – इस पेपर में कैल्शियम कार्बोनेट मेला होता है जो 7 से अधिक पीएच रीडिंग की मात्रा को दर्शाता है। यह कागज ऐसे दस्तावेजों के लिए उपयोग किया जाता है जिन्हें संरक्षित करके रखना हो क्योंकि यह कागज बिना पीला पढ़े और बिना खराब हुए लंबे समय तक रह सकता है।
  • Litmus Paper – लिटमस पेपर एक प्रकार का फिल्टर पेपर ही है जिसका उपयोग अम्लता और क्षार इयत्ता को रखने के लिए किया जाता है। जब भी यह पेपर अमल या क्षार के संपर्क में आता है तो अपना रंग बदलता है।
  • Cotton Paper – कॉटन पेपर का उपयोग दस्तावेजों और अभी लिखिए प्रतियों के साथ-साथ सर्किट बोर्ड ओं में होता है। यह कागज को टर्न यानी रूई द्वारा बनाया जाता है जिस कारण यह एक साधारण कागज के मुकाबले काफी मजबूत और टिकाऊ होता है। इस कागज का उपयोग ऐसे दस्तावेजों के लिए किया जाता है जिन दस्तावेजों को सैकड़ों हजारों सालों तक सुरक्षित रखना हो।
  • Wallpaper – वॉलपेपर का उपयोग दीवारों को सजाने के लिए किया जाता है और आज के समय में घरों पर ऑफिस में अलग-अलग डिजाइन के वॉलपेपर लगाए जाते हैं। वॉलपेपर काफी मजबूत और टिकाऊ होता है इसके साथ-साथ डिजिटल प्रिंटिंग और रोटरी प्रिंटिंग इत्यादि के लिए उपयुक्त कागज माना जाता है। इस कागज पर आप अलग-अलग रंग और पैटर्न के साथ-साथ बनावट भी आसानी से उभार सकते हैं।
  • Food Paper – फूड पेपर को हिंदी में खाद्य पेपर या नहीं खाते कागज भी कहते हैं इन कागजों का उपयोग नियमित रूप से खाने को पैक करने और खाना रखने के लिए किया जाता है। खाना पैक करने के लिए यह कागज सुरक्षित होता है और खाद्य वितरण और शिपमेंट के लिए इन कागजों का उपयोग किया जाता है।
  • Wrapping Paper – रैपिंग पेपर किसी भी वस्तु को ढकने या बांधने के लिए उपयोग में लाया जाता है और यह खुरदुरा और सिलिकॉन की परत के साथ मौजूद होता है। इस कागज का उपयोग गिफ्ट और बक्से इत्यादि को कवर करने और उन्हें रेप करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह दूसरे का विषयों के मुकाबले पतला परंतु मजबूत होता है।

कागज के उपयोग

कागज का उपयोग हर प्रकार की इंडस्ट्री, फील्ड, घर और अलग-अलग कामकाज के लिए किया जाता है। कागज के उपयोग के बारे में नीचे बताया गया है।

  • स्कूल और ऑफिस:  स्कूल और ऑफिस में किताबें, नोटबुक, रजिस्टर, कार्ड, पोस्टर, पहचान पत्र, बिजनेस कार्ड, मार्कशीट और जरूरी दस्तावेजों में कागज का उपयोग किया जाता है।
  • घर में कागज का उपयोग: घरों में ग्रॉसरी बैग, टिशू पेपर, टॉयलेट पेपर, फेशियल पेपर, कैलेंडर, वॉलपेपर, नैपकिन, रैपिंग पेपर, गिफ्ट रैपिंग इत्यादि में कागज का उपयोग किया जाता है।
  • चिकित्सा क्षेत्र में कागज का उपयोग: चिकित्सा क्षेत्र में कैप्सूल पैकिंग, बैंडेज, मेडिकल चार्ट, डॉक्टर प्रिसक्रिप्शन पेपर, मास, वाइट्स, प्यूरीफाइंग इत्यादि में पेपर का उपयोग किया जाता है।
  • इंडस्ट्री में कागज का उपयोग: इंडस्ट्रीज में पेपर का उपयोग फिल्टर, नोटपैड, लेटर पैड, नोटबुक, आईडी कार्ड, इंसुलेशन, ड्राईवॉल, कंडेनसर पेपर इत्यादि में होता है।
  • ऑटोमोबाइल में कागज के उपयोग: हवा का फिल्टर, रूफिंग पेपर, वॉल कवरिंग, अप्रैल पेपर और गैस किट वह अलग-अलग प्रकार के फिल्टर में कागज का उपयोग होता है।
  • अन्य कार्यों में कागज के उपयोग: बच्चों की फुटबॉल, ऑडियो टेप अलविरा बोर्ड गेम्स, बलून, पतंग, फोटोग्राफी, रिबंस और टिकट इत्यादि में पेपर के उपयोग होते हैं।

कागज के फायदे

कागज ने मानव जीवन को बहुत अधिक फायदे दिए हैं और हमारी सभ्यता को और आगे बढ़ने का अवसर प्रदान किया है। कागज के फायदे नीचे दिए गए हैं।

  • जानकारी लिखना: कागज पर कभी भी और किसी भी समय आसानी से कोई भी जानकारी लिख सकते हैं। जब भी हमें कोई जानकारी याद हो और उसे भविष्य के लिए लिखित रूप से सहेज कर रखना हो तो पेपर पर उसे आसानी से लिखकर शहजाद जा सकता है।
  • तेजी से जानकारी का लोगों तक पहुंचना: कागज का वजूद आने के बाद मनुष्य ने जानकारी को एक दूसरे के साथ बहुत तेजी से बांटा है। पहले जो जानकारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक जुबानी पहुंचती थी, अब कागज की मदद से वह जानकारी बहुत तेजी से हजारों लोगों को लोगों तक एक ही समय में पहुंच जाती है।
  • इतिहास को सहेज कर रखना: इतिहास में घटी महत्वपूर्ण घटनाओं को कागज पर लिखकर सहेज कर रखा गया है। वैसे तो आधुनिक समय में कंप्यूटर लैपटॉप और मोबाइल आदि का उपयोग करके हम अपने जानकारी को सहेज कर रख सकते हैं, परंतु यह भी कागज पर लिखने से अधिक सुरक्षित नहीं है। पेपर पर लिखे हुए इतिहास को हम हजारों सालों तक सुरक्षित रख सकते हैं।
  • रोजमर्रा के कार्यों में उपयोग: रोजमर्रा के कार्यों में कागज बहुत उपयोगी है। आज के समय में हम कैलेंडर देखते हैं या टिशू पेपर का उपयोग करते हैं या टॉयलेट पेपर इत्यादि का उपयोग करते हैं वहां पर पेपर का उपयोग किया जाता है। चाहे स्कूल हो कॉलेज हो या ऑफिस हो या फिर जिस गाड़ी से हम एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं वहां पर भी कागज का उपयोग किया जाता है।

कागज के नुकसान

जहां कागज ने मानव सभ्यता को आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण योगदान निभाया है। वहीं पर कागज के बहुत सारे ऐसे नुकसान भी हैं, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता।

  • पेड़ों के कटने से वातावरण पर बुरा प्रभाव: कागज को बनाने के लिए पेड़ पौधों का उपयोग किया जाता है जिस कारण पेड़ पौधों की कटाई बहुत तेजी से हुई है। इस कारण वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव कागज के आने के बाद पड़ा है।
  • जल्दी खराब होना: जब भी कोई दस्तावेज किसी कागज पर लिखे जाते हैं तो वह अधिक समय तक सहेज कर रखे जाते हैं परंतु ऐसा सभी प्रकार के कागज के साथ नहीं है। ज्यादातर पेपर कुछ ही समय में खराब हो जाते हैं और वह उपयोग करने लायक नहीं रहते।
  • कचरे का बढ़ना: आज के समय में चाहे वह समाचार पत्र हो या कोई पत्रिका हर जगह पेपर का ही उपयोग किया जाता है। स्कूल की किताबें हो या कॉलेज की मोटे मोटे किताबें यह सभी कागज से ही बनी होती हैं। जब इनका उपयोग नहीं रह जाता तो इनको फेंक दिया जाता है जिस कारण कचरे में बढ़ोतरी होती है।

कागज का आविष्कार कहाँ हुआ?

इतिहासकारों के अनुसार कागज का आविष्कार सबसे पहले चीन में हुआ था। परंतु कुछ इतिहासकार यह भी मानते हैं कि कागज सबसे पहले मिस्र देश में प्रयोग हुआ। भारत में भी कागज के निर्माण और उसके प्रयोग के साक्ष्य सिंधु सभ्यता से जुड़े हुए मिलते हैं।

पहले कागज को हाथों से बनाया जाता था जिसके बाद इसे बनाने के लिए मशीनों का उपयोग शुरू हुआ। पेपर को बनाने के लिए कई प्रकार की विधि प्रचलित हुई हैं और इनसे कई प्रकार का कागज बनाया जाता है।

भारत में कागज का आविष्कार कब हुआ था?

ऐसा माना जाता है कि भारत में कागज का निर्माण और इसका प्रयोग सिंधु सभ्यता के दौरान हुआ था और इसके बाद सबसे पहला कारखाना सन 1417 में कश्मीर में सुल्तान जैनुल आबिदीन ने लगवाया था।

इसके पश्चात आधुनिक पेपर के निर्माण करने के लिए कारखाना सन 1832 में श्रीरामपुर नामक जगह जो पश्चिम बंगाल में स्थित है वहां पर स्थापित किया गया। यह कारखाना सफल नहीं हो पाया जिसके बाद हुगली नदी के तट पर बाली नामक स्थान जो कोलकाता के समीप है वहां पर सन 1870 में स्थापित किया गया।

  • श्रीरामपुर पश्चिम बंगाल में पेपर कारखाना सन 1832 (असफल)
  • 1870 में बाली, कोलकाता में हुगली नदी के तट पर पहला सफल कागज का कारखाना
  • 1882 टीटागढ़
  • 1887 बंगाल
  • 1925 जगाधरी
  • 1933 गुजरात

यूरोप में कागज की शुरुआत

11 वीं शताब्दी में पेपर यूरोप में पहुँचा था, और इस समय चमड़े का उपयोग काग़ज़ के रूप में किया जाता था। पहले यूरोप में चावलों से पेपर बनाया जाता था, जो कीड़ों के लिए अच्छा भोजन था। यह ज़्यादा समय तक नहीं टिक पता था, जिस कारण पेपर के प्रति यूरोप में ग़लत धारणा बन गयी और इसे अच्छा नहीं माना जाता था।

12 वीं शताब्दी में पेपर को बनाने के तरीक़े में बदलाव किया गया और लिलन और जूट से काग़ज़ का निर्माण किया गया। इस तरीक़े से पेपर का का निर्माण तेज़ी से हुआ।

  • पेपर की शीट को जिलेटिन के साथ चिपकाने से कीड़ों ने पेपर खाना बंद का दिया जिससे पेपर की उम्र बढ़ी और यह ख़राब नहीं होता था।
  • जुट, लिलन आदि को हथोड़ों द्वारा चीर-फाड़ करने का मशीनीकरण किया गया।
  • पेपर के विभिन्न रूप तयार किए गए।
  • पेपर और धातु के तार से वॉटरमार्क का आविष्कार हुआ और इस तरीके से हस्ताक्षर और हॉलमार्क का इस्तेमाल होने लगा।

अरब देशों में कागज की शुरुआत

750 ईश्वी में अरब में पेपर बनाया गया और इसके बाद बग़दाद के खलीफा के गवर्नर जनरल ने चीनी पेपर निर्माता को बंधी बना लिया और इनसे यह तकनीक चुराकर उज्बेक में पेपर मिल की स्थापना की थी।

इस क्षेत्र में जुट और लिलन की अधिकता के कारण अच्छे कागज का निर्माण होने लगा। इसी समय में मिस्र और उत्तर अफ्रीका में इसी तकनीक से पेपर बनाने की शुरुआत हुई।

कागज से क्या-क्या बनता है?

  • किताबें: किताबों में लिखित ज्ञान पेपर पर ही लिखा जाता है, और किताबों का कवर और बाहरी जिल्द भी अलग काग़ज़ से ही बना होता है। किताबों में आमतौर पर एक ही प्रकार का कागज उपयोग किया जाता है परंतु कुछ किताबों में कम गुणवत्ता वाले और अधिक गुणवत्ता वाले पेपर का भी उपयोग किया जाता है।
  • कलेंडर: कलेंडर चाहे दिवार पर टांगने वाला हो या table कलेंडर, वह काग़ज़ से ही बना होता है।
  • बैग: खाना स्थानांतरित करना हो या कोई समान उसमें बैग की आवश्यकता पड़ती है। बैग बनाने में कपड़े, प्लास्टिक और काग़ज़ का उपयोग किया जाता है। क्योंकि प्लास्टिक वातावरण के लिए हानिकारक है इसलिए अब कपड़े से बने और पेपर से बने बैग का उपयोग ज़्यादा होता है।
  • पतंग: पतंग मनोरंजन के लिए उड़ाया जाता है, जिसका निर्माण काग़ज़ और लकड़ी के साथ किया जाता है।
  • कॉपी और डायरी: लिखने में उपयोग होने वाली कॉपी और डायरी में पेपर होते हैं। और काग़ज़ से ही यह प्रोडक्ट जैसे कॉपी और डायरी बनाए जाते हैं।
  • दस्तावेज: दस्तावेज चाहे घर के हो या ऑफ़िस के, सभी में पेपर का उपयोग होता है और सभी दस्तावेज पेपर से बने होते हैं।
  • समाचार पत्र: समाचार पत्र भी पेपर से ही बनाए जाते हैं। पहले के समय में कपड़ों के समाचार पत्र बनते थे, परंतु कपड़ों का महँगा होने से बाद में यह पेपर पर प्रिंट होने लगे। आज के समय में समाचार पत्र काग़ज़ के बने होते हैं।
  • टिशू पेपर: रसोईघर और टेबल पर उपयोग होने वाले टिशु पेपर काग़ज़ से बने होते हैं।

भारत में कागज का कारखाना कहाँ है?

भारत में कागज का उद्योग कृषि पर ही आधारित है और पेपर की गुणवत्ता में भारत का 15 वा स्थान है। भारत सरकार कागज उद्योग को कोर इंडस्ट्री के नाम से परिभाषित करती है। यदि आप जानना चाहते हैं कि भारत में कागज कहां बनते हैं, तो नीचे दी गई लिस्ट से आप यह जान सकते हैं कि भारत के किस किस राज्य में कितने कागज के कारखाने स्थित हैं।

  • उत्तर प्रदेश – 68
  • महाराष्ट्र – 63
  • गुजरात – 55
  • पश्चिम बंगाल – 32
  • तमिलनाडु – 24
  • पंजाब – 23
  • हरियाणा – 18
  • आंध्र प्रदेश – 19
  • मध्य प्रदेश – 18
  • कर्नाटक – 17
  • उड़ीसा – 8

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है कि आपको कागज के बारे में सभी जानकारी इस लेख से मिल गई होंगी और आपको अब ज्ञात होगा कि कागज कैसे बनता है। यदि आप पेपर के बारे में कुछ सुझाव देना चाहते हैं या आपका कोई प्रश्न है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं।

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Rashvinder
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मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
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