इंसान एक जगह से दूसरी जगह है आने-जाने और अपने सामान को लाने व ले जाने के लिए दो पहिया वाहन या चार पहिया वाहन का इस्तेमाल करता है। इन सभी वाहन को चलाने के लिए Petrol और Diesel की आवश्यकता होती है परंतु क्या आप जानते हैं कि पेट्रोल कैसे बनता है? या डीजल कैसे बनता है?
यहां पर हम पेट्रोल कैसे बनता है और डीजल कैसे बनता है सवाल के जवाब में इनके बनने की प्रक्रिया के बारे में जानेंगे। दोस्तों चाहे रोजमर्रा की जरूरत जैसे फल सब्जियां, दूध, कपड़े, फर्नीचर इत्यादि सामान को इधर से उधर ले जाना हो या हमें खुद अपने काम पर जाना हो या एक जगह से दूसरी जगह पर आवागमन करना हो तो हम वाहनों का उपयोग करते हैं।
मोटरसाइकिल, कार, ट्रक, रेलगाड़ी, हवाई जहाज और समुद्री जहाज ऐसे साधन है जिनकी मदद से हम एक जगह से दूसरी जगह आते जाते हैं और हमारी जरूरत के सामान भी इनकी मदद से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाए जाते हैं। इन सभी वाहनों में पेट्रोल और डीजल का उपयोग होता है।
पेट्रोल और डीजल ऐसे इंधन हैं जिनकी मदद से इंजन चलाए जाते हैं और इंजन की मदद से कोई भी विकल्प आगे बढ़ता है। डीजल एक ऐसा इंजन है जो आज के समय में सबसे ज्यादा उपयोग में लाया जाता है। जितने भी बड़े और भारी वाहन होते हैं उनमें डीजल का उपयोग किया जाता है। जैसे ट्रक और समुद्री जहाज
Petrol को मोटरसाइकिल, हवाई जहाज और कारों में उपयोग किया जाता है। धीरे-धीरे वह कम हो रही हैं उनके कारणों के बारे में हम यहां पर जानेंगे और जानेंगे कि Petrol और डीजल कैसे बनते हैं? पेट्रोलियम क्या है? कच्चा तेल कैसे बनता है और पूरी प्रक्रिया के बारे में आपको यहां पर जानकारी मिलेगी।
पेट्रोलियम क्या है?
पेट्रोलियम एक प्रकार का तरल पदार्थ है जिससे हमें पेट्रोल और डीजल जैसे इंधन प्राप्त होते हैं। पेट्रोलियम को कच्चा तेल नहीं बोला जाता है और विश्व भर में पेट्रोलियम का व्यापार किया जाता है। एक देश किसी दूसरे देश से प्रति बैरल के हिसाब से तेल खरीदता है और 1 बैरल में लगभग 160 लीटर पेट्रोलियम यानी कच्चा तेल मौजूद होता है।
पेट्रोलियम से न केवल Petrol और Diesel प्राप्त नहीं होते हैं, बल्कि इनसे अन्य पदार्थ भी प्राप्त किए जाते हैं जिनका इस्तेमाल हम रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है। पेट्रोलियम से Petrol और Diesel तेल को अलग किया जाता है और इनमें कुछ दूसरे केमिकल भी मिलाए जाते हैं जो इनकी केमिकल स्थिरता और परफॉर्मेंस बढ़ाने के लिए जरूरी होते हैं।
पेट्रोलियम को धरती से निकाला जाता है। इस समय सबसे ज्यादा पेट्रोलियम अरब के खाड़ी देशों में, अमेरिका और रूस जैसे देशों में अधिक मात्रा में पाया जाता है। वैसे तो पेट्रोलियम चीन और भारत में भी निकाला जाता है परंतु इनकी मात्रा बहुत कम होती है और भारत और चीन जैसे देश पेट्रोलियम का आयात अरब के देशों से और रूस जैसे देशों से करता है।
पेट्रोल क्या है?
Petrol कच्चे तेल से निकाले जाने वाला एक तरल पदार्थ है जो इंधन के रूप में वाहनों में उपयोग किया जाता है। Petrol का उपयोग Petrol इंजन वाले वाहन में होता है और इसकी स्थिरता और परफॉर्मेंस बढ़ाने के लिए इसमें दूसरे केमिकल्स को भी मिलाया जाता है जैसे इथेनॉल, ETBE,MTBE
इन पदार्थों को Petrol में मिलाने से Petrol की जलन शीलता बढ़ती है। Petrol, Diesel के मुकाबले महंगा होता है परंतु इससे डीजल के मुकाबले कम मात्रा में हानिकारक पदार्थ वातावरण में मिलते हैं।
डीजल क्या है?
पेट्रोलियम से हमें कई तरह के पदार्थ प्राप्त होते हैं जिनमें से डीजल भी एक प्रकार का तरल पदार्थ है। डीजल एक जलन शील पदार्थ है जिसका उपयोग डीजल इंजन में किया जाता है और भारी वाहनों में डीजल इंजन का उपयोग होता है।
आज के समय में डीजल को पेट्रोलियम से निकाला जाता है परंतु इसके साथ-साथ दूसरे ऐसे विकल्प भी अपनाए जा रहे हैं जिनसे डीजल प्राप्त किया जा रहा है। बायोडीजल इसका एक अच्छा उदाहरण है।
पेट्रोलियम से प्राप्त होने वाले डीजल को पेट्रो-डीजल कहा जाता है। यह Petrol की तुलना में सस्ता होता है और वायु प्रदूषण Petrol के मुकाबले डीजल में ज्यादा होता है। इसके और जनता को बढ़ाने के लिए इसमें दूसरे केमिकल्स भी मिलाए जाते हैं जैसे Esters, Alcohols, Acetals और Carbonates इत्यादि।
पेट्रोल और डीजल कैसे बनते हैं? – Petrol Kaise Banta hai?
Petrol और Diesel को जीवाश्म इंधन या नहीं पेट्रोलियम से निकाला जाता है। पेट्रोलियम को हम सीधे रूप से वाहनों में उपयोग नहीं कर सकते क्योंकि इस को जलाने के लिए बहुत कुछ तापमान की आवश्यकता होती है।
पेट्रोलियम एक अच्छा इंसान नहीं है इसीलिए इसमें से Petrol, डीजल और अन्य पदार्थ अलग कर लिए जाते हैं ताकि उन्हें आसानी से उपयोग कर उनसे एनर्जी प्राप्त की जा सके। इस कच्चे तेल को पेट्रोलियम रिफाइनरी की मदद से Petrol और डीजल जैसे इंधन में अलग अलग कर लिया जाता है और इस प्रक्रिया को आंशिक आसवन कहते हैं।
आंशिक आसवन को अंग्रेजी में फ्रेक्शनल डिस्टलेशन कहा जाता है और यह एक प्रकार की यूनिट होती है जिसमें एक साथ लगभग 200000 बैरल कच्चे तेल को होल्ड किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले कच्चे तेल को भट्टी में डालकर गर्म किया जाता है जिसका तापमान 400 डिग्री सेल्सियस होता है। जब यह पेट्रोलियम 400 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किया जाता है तो इसके मॉलिक्यूल वाष्प के रूप में बदल जाते हैं।
इस वाष्प को एक स्तंभ में डाला जाता है जिसकी लंबाई लगभग 150 फिट होती है। जब यह वाष्प गर्म होने की वजह से इस स्तंभ में धीरे-धीरे ऊपर उठती है तो यह ठंडी होती चली जाती है। इस प्रक्रिया में जितने भी बड़े और भारी मॉलिक्यूल मौजूद होते हैं वह नीचे रह जाते हैं और हल्के मॉलिक्यूल टावर के ऊपरी भाग में इकट्ठा होना शुरू हो जाते हैं।
इस प्रक्रिया में जैसे-जैसे यह वाष्प ऊपर उठते हैं तो इनका तापमान भी कम होता जाता है। सबसे ऊपर प्राकृतिक गैस उसके बाद पेट्रोल और केरोसिन तेल होता है। इस स्तंभ के मध्य भाग में डीजल और निचले भाग में लुब्रिकेंट्स जैसे भारी तत्व प्राप्त किए जाते हैं।
इस टावर में अलग अलग लेवल पर लगी Distillation Plates पेट्रोल, डीज़ल और अलग पदार्थों को अलग करती हैं। इन पलेटों की मदद से इन सभी भी संघनित किया जाता है, और इसके बाद इनमे अलग पदार्थ मिलाए जाते हैं।
- पेट्रोलियम गैस: प्रोपेन सबसे ऊपर और 20 डिग्री सेल्सियस और उससे कम के तापमान पर निकलती है।
- पेट्रोल: पेट्रोल 20 डिग्री सेल्सियस और 150 डिग्री सेल्सियस के बीच संघनित किया जाता है।
- केरोसिन: 150 डिग्री सेल्सियस और 200 डिग्री सेल्सियस के बीच केरोसिन तेल प्राप्त होता है।
- डीज़ल: डीज़ल तेल को 200 डिग्री सेल्सियस और 300 डिग्री सेल्सियस के बीच में निकलता है।
- फ़्यूअल तेल: 300 से 370 डिग्री सेल्सियस के बीच हमें यह फ़्यूअल ओईल मिलता है, जिसका उपयोग बड़े बड़े समुद्री जहाज़ चलाने के लिए किया जाता है।
- Lubricant, Wax और Asphalt: यह हमें 370 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर प्राप्त होते हैं। जिनका उपयोग गाड़ियों, जहाज़ों और अलग अलग जगहों पर करते हैं।
Refinery में किए जाने वाले process
- Catalytic Process: Refining Process तेल को साफ़ करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।इस प्रक्रिया में Catalytic जैसे aluminium, platinum, acid और processed मिट्टी का उपयोग होता है, जिससे चमिचल बदलाव होते हैं और दबाव के बढ़ने से तेल के molecules टूट जाते हैं, और जो चाहिए वह मिल जाता है।
- Polymerisation: इस Refining Process में हल्के और छोटे molecules को जोड़कर बड़े molecules में बदला जाता है और इन्हें तरल र्रोप में इक्कट्ठा किया जाता है। यह Catalytic Process के बिलकुल उल्टा होता है।
- Additives: यह वो यौगिक हैं, जिनका उपयोग ईंधन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इनके उपयोग से ईंधन की efficiency बढ़ती है और अधिक पावर के लिए High Power Ratio को भी allow करते हैं। इनके उपयोग से इंजन का अचानक रुकना, एंजिन शुरू ना होना और स्टम्ब्लिंग जैसी समस्या से छुटकारा देते हैं।
पेट्रोलियम कैसे बना और इसकी खोज कैसे की जाती है?
हज़ारों साल पहले पेड़ पौधे और जीव जंतुओं के ज़मीन के अंदर दबने से और वह पर ऑक्सिजन के ना होने से यह पेट्रोलियम में बदल गया। यह धरती पर विशेष जगह पर ही पाया जाता है और इसको खोजने के लिए विशेष फ़्यूल रेडिएटर मशीन का उपयोग किया जाता है।
यह कच्चा तेल ज़मीन के नीचे और समंदरों के नीचे पाया जाता है। फ़्यूल रेडिएटर मशीन की मदद से यह पता लगाया जाता है की कहाँ पर यह तेज उपलब्ध है, जिसके बाद वह पर ड्रिलिंग और बोरिंग करके तेल को प्राप्त किया जाता है। तेल के प्राप्त होने पर यह तेल Refinery में भेज दिया जाता है। जिसके बाद इस तेल से Petrol, Diesel और केरोसिन जैसे ईंधन प्राप्त किए जाते हैं।
ज़रूरी जानकारी: पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई : Prithvi ki Utpatti
भारत में तेल निकलने वाले क्षेत्र
- रावा अपतटीय क्षेत्र
- गुजरात में कल्लोल, अंकलेश्वर, खम्भात, सानंद नदी घाटी, और लुनेज
- पश्चिमी अपतटीय क्षेत्र – बसीन, मुंबई हाई तेल क्षेत्र
- असम और ब्रह्मपुत्र घाटी क्षेत्र – नहरकाटिया, डिगबोई, सूरमा घाटी, हुगरीजन मौरेन
हमें उम्मीद है की आपको यह समझ आया होगा कि “Petrol Kaise Banta hai”। यदि आपका इससे संबंधित कोई सवाल या सुझाव है तो हमें आपके कॉमेंट का इंतेज़ार रहेगा। धन्यवाद!