शनिवार, सितम्बर 23, 2023

प्रत्यक्ष लोकतंत्र क्या है? – परिभाषा, इतिहास और किस देश में है?

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प्रत्यक्ष लोकतंत्र एक ऐसा लोकतंत्र है, जिससे अक्सर बहस उत्पन्न होती है। क्योंकि यह बहुत बड़ी जनसंख्या के साथ संभव नहीं है इसलिए कम लोगों के साथ प्रत्यक्ष लोकतंत्र शासन को चलाया जाता है जिसमें नागरिकों का सीधा मत होता है। इस लोकतंत्र में समर्थकों और नागरिकों की भागीदारी अधिक रहती है और सार्वजनिक दबाव से कोई भी निर्णय लोकतंत्र में लिया जाता है।

प्रत्यक्ष लोकतंत्र क्या है, प्रत्यक्ष लोकतंत्र के फायदे और नुकसान के साथ-साथ प्रत्यक्ष लोकतंत्र की परिभाषा प्रत्यक्ष लोकतंत्र का इतिहास आदि के बारे में हम यहां पर जानेंगे।

पढ़े: लोकतंत्र क्या है, लोकतंत्र की परिभाषा, संक्षिप्त जानकारी।

प्रत्यक्ष लोकतंत्र क्या है?

प्रत्यक्ष लोकतंत्र, pratyaksh loktantra
प्रत्यक्ष लोकतंत्र, pratyaksh loktantra

प्रत्यक्ष लोकतंत्र शासन का ही एक रूप है जिसमें किसी भी नियम या कानून को बनाने के लिए नागरिकों का सीधा मत लिया जाता है। यह अप्रत्यक्ष लोकतंत्र से बिल्कुल उलट होता है और इसमें किसी भी प्रकार के प्रतिनिधि का चुनाव ना करके नागरिक जनमत संग्रह द्वारा निर्णय लिए जाते हैं।

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प्रत्यक्ष लोकतंत्र में नागरिकों की भागीदारी अधिक रहती है और सार्वजनिक दबाव से ही कोई भी निर्णय लिया जाता है या बदला जाता है। इस प्रकार की डेमोक्रेसी में सीधा शामिल किया जाता है और जो भी परिणाम उससे निकलते हैं या जो भी निर्णय नागरिकों द्वारा लिया जाता है वही मान्य होता है।

इस प्रकार का लोकतंत्र पहले के समय में अधिक उपयोग में लाया जाता था परंतु आज पूरे विश्व में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को ही अपनाया जाता है। परंतु आज भी कुछ ऐसी जगह और ऐसे देश हैं जहां पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र द्वारा निर्णय लिए जाते हैं। स्वीटजरलैंड देश में से एक उदाहरण है।

प्रत्यक्ष लोकतंत्र का इतिहास

प्रत्यक्ष लोकतंत्र का इतिहास काफी पुराना है और प्राचीन समय में भी अलग-अलग शहरों और राज्यों के निर्णय लोगों को इकट्ठा करके मतदान द्वारा लिए जाते थे। इसके कुछ प्रमाण यूनान और एथेंस जैसे शहरों में भी मिलते हैं।

मध्य युग के दौरान प्रत्यक्ष लोकतंत्र को काफी हद तक कम कर दिया गया था और उसके पश्चात प्रतिनिधि लोकतंत्र शासन उभर कर सामने आया। परंतु आज के समय में भी स्विट्जरलैंड जैसे देशों में प्रत्यक्ष लोकतंत्र से फैसले लिए जाते हैं।

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प्रत्यक्ष लोकतंत्र कैसे काम करता है?

प्रत्यक्ष डेमोक्रेसी में नागरिकों के पास यह शक्ति होती है कि वह पहल और वापसी के माध्यम से जनमत संग्रह द्वारा निर्णय ले सकते हैं। इस प्रकार की डेमोक्रेसी में नागरिकों द्वारा प्रत्यक्ष मतदान किया जाता है जिससे विशिष्ट मुद्दों या नीति का निर्णय होता है।

इस प्रकार की डेमोक्रेसी को अंग्रेजी में डायरेक्ट डेमोक्रेसी कहते हैं। यह नागरिकों को नए कानून बनाने या फिर पुराने कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव करने की अनुमति देती है। इस प्रकार की डेमोक्रेसी में लोगों के पास यह भी शक्ति होती है कि वह निर्वाचित अधिकारी को उसके कार्यकाल से पहले समाप्त कर सकें और उसे पद से हटा सकें।

इस प्रकार से कोई भी निर्णय लेने के लिए एक निश्चित संख्या में लोगों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है जिसके बाद जनमत संग्रह दोबारा कोई निर्णय लिया जाता है और लोग जिन प्रस्तावों को पसंद नहीं करते उन्हें जनमत संग्रह द्वारा रोकते हैं। डायरेक्ट डेमोक्रेसी में लोग ही यही सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी मुद्दा या प्रस्ताव या कानून उनके लिए लागू हो या ना हो।

इस तरह की डायरेक्ट डेमोक्रेसी किसी ऐसे क्षेत्र या देश में लागू की जा सकती है जहां की जनसंख्या कम होती है। अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र या देश में इस प्रकार की डेमोक्रेसी को चला पाना संभव नहीं है क्योंकि इसकी कुछ अपनी कमियां भी हैं।

प्रत्यक्ष लोकतंत्र की हानियां

प्रत्यक्ष लोकतंत्र को लगभग सभी लोकतांत्रिक देश मानने से इनकार करते हैं, क्योंकि इससे संबंधित एक तर्क यह है कि अल्प समय को देखते हुए लोग भावनात्मक निर्णय ले सकते हैं जिससे देश या क्षेत्र के लिए लिया गया निर्णय गलत हो सकता है।

एक दूसरा तर्क इसमें यह दिया जाता है कि बहुसंख्यक लोग अल्पसंख्यक लोगों पर अत्याचार कर सकते हैं। जो काफी हद तक सही है। नीचे कुछ प्रत्यक्ष लोकतंत्र की हानियां दी गई है और कुछ उदाहरणों के साथ आप इसकी हानियां समझ सकते हैं।

  • जनमत संग्रह द्वारा निर्णय लेने में काफी समय लग सकता है, क्योंकि किसी भी निर्णय तक पहुंचने से पहले उस मुद्दे पर लंबी बहस और चर्चा की आवश्यकता होती है।
  • यदि कोई दो गुट एक निर्णय पर राजी ना हो और प्रत्यक्ष लोकतंत्र के द्वारा उनके हाथ में ही निर्णय लेने की शक्ति हो तो इससे दोनों गुटों के बीच में झगड़ा हो सकता है, और सामाजिक व्यवस्था बिगड़ सकती है।
  • जनमत संग्रह करने से पहले उनके संचालन की प्रक्रिया और संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिससे धन खर्च अधिक होता है।
  • हर छोटे से छोटे निर्णय के लिए जन संग्रह करने पर प्रशासनिक व्यवस्था करनी होती है जिसमें अधिक समय और धन लगता है। इस प्रकार के कार्यों में आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
  • प्रत्यक्ष लोकतंत्र में बहुसंख्यक किसी भी अल्पसंख्यक समूह की आवाजों का दमन कर सकते हैं। ऐसा होने पर अल्पसंख्यकों के हितों और अधिकारों की हानि होगी।
  • राजनीतिक और सामाजिक तनाव पैदा हो सकता है।
  • सभी नागरिकों के पास किसी निर्णय को लेने का ज्ञान नहीं होता है। इस प्रकार से व्यक्तियों को भावनात्मक या फिर किसी अन्य तरीके से फुसलाकर गलत निर्णय भी दिलवाया जा सकता है।
  • इस प्रकार से लिए गए निर्णय सूचना के आधार पर कम बल की भावना के आधार पर जाता लिए जाते हैं, जो हानिकारक हो सकते हैं।

प्रत्यक्ष लोकतंत्र के लाभ

हालांकि पूरे विश्व में इस प्रकार से लोकतंत्र नहीं चलाया जाता परंतु कुछ जगहों पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र से निर्णय लिए जाते हैं। इसके कुछ लाभ भी हैं जिन्हें हमें समझना जरूरी है।

  • प्रत्यक्ष लोकतंत्र में नागरिकों की भागीदारी अधिक रहती है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
  • चुने हुए प्रतिनिधि द्वारा जनता पर किसी भी प्रकार का कोई कानून या निर्णय थोपा नहीं जा सकता, बल्कि लोगों के जन संग्रह से ही निर्णय लिया जाता है।
  • जो निर्णय नागरिक के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं वह किसी अन्य व्यक्ति के हाथ में नहीं होते और उनका स्वामित्व खुद उसके हाथ में होता है।
  • लोगों द्वारा सक्रिय रूप से राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लिया जाता है और इसमें पारदर्शिता के साथ-साथ जवाबदेही को भी बढ़ावा मिलता है।
  • इस प्रकार के लोकतंत्र में भ्रष्टाचार और पीछे से किए गए सौदों के लिए बहुत ही कम जगह बचती है, और सभी प्रकार से पारदर्शिता जनता के साथ बनी रहती है।
  • क्योंकि प्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता द्वारा ही फैसला लिया जाता है। इसीलिए इसकी संभावना अधिक रहती है कि जनता की चिंताओं और उनके हितों को ध्यान में रखकर निर्णय हुआ है।

प्रत्यक्ष लोकतंत्र किस देश में है?

जब हम प्रत्यक्ष लोकतंत्र स्थापित देश की बात करते हैं तो स्विट्जरलैंड का नाम सबसे पहले आता है। इस देश में नागरिकों के पास कानूनों को पास करने, जनमत संग्रह द्वारा कानूनों को रद्द करने या कानून संशोधन करने की अनुमति है। स्विट्जरलैंड की स्विस प्रणाली की यही विशेषता है कि राजनीतिक प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी मौजूद है।

स्विट्जरलैंड के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका में भी प्रत्यक्ष लोकतंत्र का अभ्यास होता है और कुछ राज्यों में नागरिकों के पास जनमत संग्रह से संविधान में संशोधन किया जा सकता है। वहां का कानून उनके नागरिकों को यह अनुमति देता है कि वह जनमत संग्रह से स्थानीय कानूनों और नीतियों को बदल सकते हैं।

इसके अलावा विश्व के अलग-अलग देशों में भी कई बार प्रत्यक्ष लोकतंत्र माध्यम से किसी निर्णय को लिया जाता है जिसमें नागरिकों की सीधी भागीदारी होती है। उन निर्णय को चुनने के लिए नागरिक सीधा वोट करते हैं और जो भी निर्णय होता है वह मान्य होता है।

आज आपने सीखा

प्रत्यक्ष डेमोक्रेसी के बारे में आज आपने इस लेख से सीखा कि इसमें नागरिकों की साझेदारी अधिक होती है और जनमत संग्रह द्वारा कोई भी निर्णय लिया या बदला जा सकता है। इसके साथ आपने डायरेक्ट डेमोक्रेसी की हानियां और लाभ को भी जाना।

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Rashvinder
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मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
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