जब किसी देश के कानून और उस देश के सिद्धांत की बात हो तो वह बिना संविधान के पूर्ण नहीं हो सकती है। यदि देश की शासन प्रणाली को अच्छी प्रकार से चलाना है, तो उसके लिए संविधान होना अनिवार्य है। संविधान की किसी भी देश की उन्नति, प्रगति, लोगों की स्वतंत्रता के साथ न्याय प्रणाली को चलाता है।
यहाँ हम जानेंगे कि “संविधान किसे कहते हैं” भारत के संविधान का इतिहास उसकी विशेषताएं और इससे जुड़े अलग-अलग जानकारियां आपको यहां पर प्राप्त होंगी। भारत का संविधान लिखित रूप में है, और विश्व में दो प्रकार का संविधान पाया जाता है। संविधान के दो प्रकार हैं लिखित और अलिखित।
संविधान किसे कहते हैं?
संविधान किसी भी देश, राज्य संस्था का वह दस्तावेज होता है, जिसमें कानून के रूप में बने हुए सिद्धांत और मौलिक नियम मौजूद होते हैं। दूसरे शब्दों में आपकी से इस प्रकार कह सकते हैं, कि संविधान किसी भी संस्था या देश द्वारा निर्धारित किए गए कानून और नियम का मेल होता है जिसके द्वारा किसी भी देश, राज्य संस्था का संचालन सुचारू ढंग से किया जाता है।
भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को आंशिक रूप से देश में लागू हुआ था। 26 जनवरी 1950 को भारत के संविधान में 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूची और 22 भाग मौजूद थे जिसके पश्चात इसमें कई बार संशोधन किए गए और वर्तमान समय में भारत के संविधान में 465 अनुच्छेद, 25 भाग और 12 अनुसूचियां शामिल है।
भारत का संविधान
भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ था, जिसे 26 जनवरी 1950 को पूरे देश में लागू किया गया। 26 जनवरी को भारत देश में संविधान दिवस यानी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत सरकार अधिनियम 1935 भारत के संविधान का मूल आधार है। भारत का संविधान विश्व में किसी भी लोकतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुसार भारत एक समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, संप्रभुता संपन्न, गणराज्य है।
भारत के संविधान से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:
- 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान पारित हुआ।
- 26 जनवरी 1950 को पूरे देश में भारतीय संविधान लागू हुआ।
- संविधान सभा की पहली बैठक 1946 में हुई थी।
- भीमराव अंबेडकर को संविधान का जनक कहा जाता है।
- भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे।
- भारतीय संविधान को तैयार करने में 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था।
- भारतीय संविधान सभा में कुल 299 सदस्य थे।
- भारतीय संविधान के अनुसार केंद्रीय कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है।
भारतीय संविधान की अनुसूचियां
- पहली अनुसूची – राज्य और संघ राज्य क्षेत्र का वर्णन
- दूसरी अनुसूची – मुख्य पदाधिकारियों के वेतन भत्ते
- तीसरी अनुसूची – विधायिका के सदस्य, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति अपराधी और मंत्रियों आदि के लिए शपथ प्रतिज्ञान के प्रारूप दिए गए हैं।
- चौथी अनुसूची – राज्यों और संघ राज्य क्षेत्र से राज्यसभा में स्थानों का आवंटन
- पांचवी अनुसूची – अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित उपबंध।
- छठी अनुसूची – हसन, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के विषय से संबंधित।
- सातवीं अनुसूची – राज्यों और संघ के मध्य के अधिकारों का उल्लेख। इसमें तीन सूचियां शामिल है संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची।
- आठवीं अनुसूची– 22 भाषाओं का उल्लेख
- नौवीं अनुसूची – 1951 में पहले संविधान संशोधन में जोड़ी गई और भूमि सुधार संबंधी अधिनियम का विवरण मौजूद है।
- 10वीं अनुसूची – 1985 में 52वें संविधान संशोधन में जोड़ी गई, इसमें दल परिवर्तन संबंधी उपबंध है।
- 11वीं अनुसूची – जिला पंचायत और पंचायती राज से संबंधित है जिसे 72वें संवैधानिक संशोधन में सन 1992 में जोड़ा गया।
- 12वीं अनुसूची – 74वें संशोधन में वर्ष 1993 में संविधान में जोड़ा गया और इसमें नगरपालिका का वर्णन है।
लिखित और अलिखित संविधान किसे कहते हैं?
अलिखित संविधान
अलिखित संविधान वह संविधान होता है जिसमें विचार, रीति रिवाज, लोग तथा, परंपरा और नियमों से शासन प्रणाली को चलाया जाता है। इस प्रकार के संविधान में कोई भी नियम स्पष्ट रूप से मौजूद नहीं होता और कहीं पर भी नियमों के बारे में लिखा गया मौजूद नहीं होता है।
ब्रिटेन के संविधान को अलिखित संविधान माना जाता है क्योंकि ब्रिटेन का संविधान पूर्ण रूप से लिखित रूप में मौजूद नहीं है। ब्रिटेन के संविधान का कुछ ही भाग लिखित रूप में मौजूद है बाकी जो नियम, विचार और रीति रिवाज के साथ परंपरा आदि मौजूद है उसी से ही वहां की शासन व्यवस्था चलाई जाती है।
लिखित संविधान
लिखित संविधान नियमों और सिद्धांतों का वह लिखित दस्तावेज होता है, जिसमें नागरिकों और सरकार के अधिकार, नियम संवैधानिक प्रकृति, राजनीतिक व्यवस्था आदि को सही प्रकार से परिभाषित किया गया है। लिखित संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा किया जाता है और जिसमें देश को अच्छी प्रकार से संचालित करने के लिए नियम कानून आदि लिखित दस्तावेज में होते हैं।
भारत का संविधान लिखित संविधान है जो विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान देश का सर्वोच्च कानून है, और इसका उल्लंघन होने पर गैर संवैधानिक माना जाता है। भारत देश की न्यायिक प्रणाली को संविधान के अनुसार चलाया जाता है और जरूरत होने पर संशोधन भी संविधान सभा द्वारा लिखित रूप में किए जाते हैं।
भारतीय संविधान की विशेषताएं
भारतीय संविधान की अनेकों विशेषताएं हैं और यह भारत देश का सर्वोच्च कानून है। इसका निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया था और इसे पूर्ण रूप से लिखने में 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था।
नीचे कुछ भारतीय संविधान की विशेषताएं दी गई है:
- भारतीय संविधान पूरे विश्व में किसी भी लोकतांत्रिक देश का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
- भारतीय संविधान अपनी कठोरता के साथ लचीलापन को भी लिए हुए हैं।
- भारतीय संविधान का आधार भारतीय शासन अधिनियम 1935 है।
- इसमें 60 से अधिक देशों के संविधान के प्रावधानों को शामिल किया गया है।
- इसके अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जो किसी भी नागरिक के साथ धर्म या पंथ के आधार पर भेदभाव नहीं करता है।
- इसके अनुसार भारत में सरकार का संसदीय स्वरूप है और संसदीय प्रणाली से लोकतांत्रिक शासन को चलाया जाता है।
- भारत में लोकसभा और राज्यसभा, दो विधायिका है।
- केंद्रीय कार्यप्रणाली और देश का मुखिया राष्ट्रपति होता है।
- भारतीय सरकार का मुख्य प्रधानमंत्री होता है।
- भारत के संविधान के अनुसार भारत में एकल नागरिकता है, और कोई भी नागरिक दोहरी नागरिकता नहीं रख सकता।
- न्यायपालिका को एकीकृत और स्वतंत्र शक्ति प्रदान है।
- भारतीय संविधान में 42वां संशोधन में मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया है।
- इसमें आपातकाल के प्रावधान मौजूद हैं जिसके अनुसार भारत के राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा की जा सकती है। राष्ट्रपति को आपातकाल की घोषणा के लिए कैबिनेट से लिखित रूप में सिफारिश लेनी पड़ती है।
- 18 वर्ष से अधिक के सभी नागरिकों को मत का अधिकार है और इसमें किसी भी प्रकार से जाति, धर्म, लिंग और साक्षरता आदि द्वारा भेदभाव नहीं किया जाता।
संविधान संशोधन कैसे होता है?
संविधान संशोधन भारत में दो चरणों में किया जाता है, जिसमें सबसे पहला चरण संवैधानिक संशोधन विधेयक है और दूसरा चरण राष्ट्रपति की संविधान संशोधन अधिसूचना।
- संविधान संशोधन विधेयक: यह संविधान के संशोधन का पहला चरण होता है और संविधान संशोधन विधेयक पेश किया जाता है। यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में पारित होना अनिवार्य है। जब दोनों सदनों में बहुमत के साथ कोई विधेयक पास हो जाता है तो उसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है।
- राष्ट्रपति की संविधान संशोधन अधिसूचना: राष्ट्रपति द्वारा पास हुए विधेयक के लिए संविधान संशोधन अधिसूचना जारी की जाती है। और राष्ट्रपति की अनुमति के बाद संविधान में संशोधन लागू होता है।
निष्कर्ष
“संविधान किसे कहते हैं?” लेख में हमने जाना कि संविधान क्या है और इसकी परिभाषा के साथ इसके इतिहास और विशेषताओं के बारे में भी चर्चा की है। संविधान किसी भी देश की आत्मा होती है और उसके बिना कोई भी शासन प्रणाली किसी भी राष्ट्र में नहीं चलाई जा सकती।
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