किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव को एक त्यौहार की तरह माना जाता है, और इन चुनाव में वह अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं। और एक आदर्श चुनाव आचार संहिता उन प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के लिए एक नियमावली है जिसका पालन चुनाव के समय में किया जाता है।
चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता की घोषणा चुनाव होने से पहले करता है और परिणाम के बाद यह समाप्त हो जाती है। राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और सरकार के साथ जनता को भी चुनाव आयोग द्वारा निर्देश दिए जाते हैं जिनका पालन करना आवश्यक होता है।
आचार संहिता क्या है?
राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के मार्गदर्शन हेतु कुछ मानकों का एक समूह बनाया जाता है जिसे सभी राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को मानना पड़ता है। इसमें निर्धारित सभी सिद्धांतों की पालना करना और उनका अनुसरण किया जाता है जिसकी शुरुआत सबसे पहले केरल विधानसभा चुनाव में वर्ष 1960 में की गई थी।
क्यों और कब लागू की जाती है?
निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं और इन नियमों के समूह को आचार संहिता कहा जाता है। जिसमें सभी राजनीतिक दलों द्वारा इसकी पालना की जानी अनिवार्य है। देश, राज्य या गांव शहर के चुनाव में निष्पक्षता रखने के लिए आचार संहिता को लागू किया जाता है।
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इसे लागू होने की तारीख भारत निर्वाचन आयोग द्वारा पहले से ही निर्धारित कर दी जाती है, जिसकी घोषणा की जाती है, और यह है चुनाव प्रक्रिया के पूरा होने तक लागू रहती है।
आचार संहिता के नियम और कानून
- इस समय में सरकार, राजनीतिक दल या कोई भी प्रत्याशी लोगों को लुभाने के लिए घोषणाएं नहीं कर सकता है।
- कोई भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल किसी धर्म, क्षेत्र या जाति से संबंधित मुद्दे नहीं उठा सकते हैं।
- चुनाव के समय बाहुबल और धन का उपयोग नहीं किया जा सकता।
- सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग चुनाव के दौरान नहीं किया जा सकता है।
- प्रत्याशियों को राजनीतिक प्रचार की मनाही होती है।
इसका वर्णन भारतीय संविधान में भी है और संविधान के अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को करवाने और उन पर निगरानी रखने की अनुमति दी गई है। निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा कर दी जाती है तो आदर्श आचार संहिता उसे तारीख से लागू होती है।
उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों का सम्बंध
- राजनीतिक दल एक दूसरे की आलोचना उनके कार्यक्रमों, पिछला रिकॉर्ड और नीतियों के लिए ही कर सकते हैं।
- किसी के विचारों का विरोध करते हुए उसके घर के बाहर प्रदर्शन करना, धरना देना, जातिगत और सांप्रदायिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, बिना सही रिपोर्ट के आधार पर दूसरे उम्मीदवार की आलोचना करना पूर्णत प्रतिबंधित है।
- यदि कोई राजनीतिक दल लोगों के साथ बैठक करना चाहता है तो उसे स्थानीय पुलिस अधिकारियों को सूचित करना होगा, ताकि वह सुरक्षा के इंतजार कर सकें।
- राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके जुलूस किसी एक मार्ग से ना निकले और यदि ऐसा है तो उनके बीच में आपसी टकराव नहीं होना चाहिए।
- पुतले जलाने या उन्हें ले जाने की अनुमति नहीं होती है।
- चुनाव के दिन उम्मीदवार मतदाता केंद्र में प्रवेश नहीं कर सकता है।
- अधिकृत पार्टी कार्यकर्ताओं को पहचान पत्र या निर्धारित किए गए बैज के साथ प्रवेश करना चाहिए।
- मतदाताओं को दी जाने वाली पहचान पर्ची सफेद रंग के कागज पर होनी चाहिए और उसे पर किसी भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार का नाम अंकित नहीं होना चाहिए।
चुनाव को सही प्रकार से करवाने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है। और वह इस बात का पूरी तरह से ध्यान रखते हैं कि किसी भी क्षेत्र, राज्य में चुनाव के दौरान किसी प्रकार की कोई हिंसा या आचार संहिता का उल्लंघन ना हो। यदि कोई व्यक्ति, उम्मीदवार या राजनीतिक दल के कार्य करता ऐसा करते हुए पाए जाते हैं तो उनके लिए सजा का प्रावधान है।
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