सुशासन वह होता है जिसमें किसी भी देश या क्षेत्र के सभी नागरिक चाहे वह किसी भी लिंग, जाती, वर्ग या समुदाय से हो, समान रूप से और पूरी क्षमता के साथ विकास करते हैं। भारत देश में सुशासन की संकल्पना प्राचीन समय से ही मिलती है और इसके एक उदाहरण में आप आचार्य चाणक्य की अर्थशास्त्र पुस्तक को ले सकते हैं।
चाणक्य ने अर्थशास्त्र पुस्तक में राजा के गुना का वर्णन किया है और यह सभी सुशासन के विषय के बारे में। उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है की राजा की खुशी प्रजा की खुशी में होती है, और एक राजा अपनी जनता के कल्याण में ही अपना कल्याण समझता है। जिसमें राजा की खुद की खुशी होती है वह उसे अच्छा न समझकर, जिसमें प्रजा की खुशी होती है उसे वह उत्तम समझता है।
इसके बाद महात्मा गांधी जी ने भी सूरज की संकल्पना की है जिसमें उन्होंने सुशासन के बारे में अपने कथन कहे हैं।
सुशासन क्या है?
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निर्णय लेने और किस द्वारा वह निर्णय लागू होंगे इस पूरी प्रक्रिया को शासन कहते हैं, और सुशासन में भागीदारी, जवाबदेही, सहमति, पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, न्याय संगत, प्रभावी और कुशल, समावेशी के साथ कानून के शासन का अनुसरण होता है।
इसमें किसी भी राजनीतिक या सामाजिक इकाई को इस तरह से चलाया जाता है जिससे वंचित परिणाम प्राप्त किया जा सके। इसमें बहुत सारी चीजों पर ध्यान दिया जाता है जैसे ही कानून का शासन, अच्छा बजट, सही प्रबंधन और सदाचार इत्यादि। जहां पर प्रदर्शित की कमी होती है या लोगों की कम भागीदारी या फिर भ्रष्टाचार होता है, वह सुशासन नहीं हो सकता। सुशासन शब्द शासन के आगे उपसर्ग लगने से बना है जिसमें “सु” का अर्थ अच्छा, शुभ या मंगलकारी है।
सुशासन के 8 तत्व
- कानून का शासन
- भागीदारी
- सर्वसम्मति उन्मुख
- न्यायसंगत और समावेशी
- प्रभावशीलता और दक्षता
- पारदर्शिता
- जवाबदेही
- अनुक्रियाशीलता
सुशासन की चुनौतियाँ
- न्याय में विलम्ब: न्याय में देरी सुशासन की चुनौतियों में से एक है और भारत जैसे देश में न्यायपालिका पर अत्यधिक बोझ है। न्यायपालिका पर मौजूद इस बोझ का कारण बाहरी हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार है, जिस कारण सुशासन में बड़ी बाधा उत्पन्न हो रही है। न्याय में विलंब होने के कारण निर्दोष को लंबे समय तक कासन को सहना पड़ता है और देरी से न्याय मिलने पर इसका कोई खास महत्व नहीं रहता है।
- राजनीति में अपराधीकरण: राजनीति का अपराधीकरण सुशासन के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में चयनित हुए सांसदों में से लगभग 43% सांसदों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। ऐसा होने से जनता के लिए राजनीतिक वर्ग का सम्मान कम होता है, और ऐसे सांसद जिनके खिलाफ अपराध, भ्रष्टाचार और अन्य गंभीर आरोप लगाते हैं उनके लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता है।
- भ्रष्टाचार: एक अच्छे शासन की कल्पना आप भ्रष्टाचार के साथ नहीं कर सकते हैं। मानव का लालच ही भ्रष्टाचार को चलाता है, भ्रष्टाचार वह रास्ते का रोड होता है जो एक नीचे स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक एक अच्छे शासन और शासन प्रणाली के साथ लोगों के विकास को भी बहुत बुरी तरीके से प्रभावित करता है।
- बढ़ती हुई हिंसा: एक अच्छे शासन में शांति और व्यवस्था का बने रहना हम है और यदि बलपूर्वक तरीक़ों का उपयोग होता है तो वह सुशासन के लिए एक समस्या है।
- कम जागरूकता: जनता जब जागरूक नहीं होती है तो वह अपने हितों को सही से नहीं समझ पाती है। इसलिए जनकल्याण के लिए लोगों का जागरूक होना और अलग-अलग माध्यम से उन तक जन कल्याणकारी योजनाओं का पहुंचना बहुत जरूरी होता है। यदि जनता कम जागरुक है तो यह एक अच्छे शासन में बाधा उत्पन्न करती है।
- जवाबदेहिता का अभाव: बहुत बार ऐसा देखने को मिलता है कि प्रशासनिक कार्यों में कोई नेता या कर्मचारी जवाब देगी नहीं होता है। यदि ऐसा है तो सुशासन को सुनिश्चित करने में बहुत बड़ी बाधा आती है। इसीलिए किसी भी प्रशासनिक कार्य के लिए कर्मचारियों को उसे संबंधित जवाबदेही को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- लैंगिक असमानता: सुशासन में किसी भी लिंग के साथ कोई भेदभाव नहीं होता है, परंतु जब लैंगिक असमानता पाई जाती है, तो दूसरा वर्ग अपने अधिकारों से बहुत बार वंचित रह जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी क्षेत्र में सिर्फ पुरुष ही कार्य करते हैं तो वह उसे क्षेत्र में महिलाओं के लिए पूर्ण रूप से न्याय नहीं कर सकते हैं।
- प्रशासनिक प्रणाली का केंद्रीयकरण: यदि प्रशासनिक प्रणाली का केंद्रीयकरण होता है तो वह सुशासन के लिए सही नहीं है। क्योंकि यदि ऐसा होगा तो दूर रहने वाली जनता, ग्रामीणवासी आदि इससे वंचित रहेंगे।
- पिछड़े लोगों का मुख्य धारा से वंचित होना: सभी वर्ग के लोगों का मुख्य धारा के साथ जुड़ने से ही सभी का विकास होगा, यदि पिछड़े लोग इससे वंचित रहते हैं तो यह सुशासन के लिए एक चुनौती है।
भारत में सुशासन स्थापित करने के लिए की गई पहल
- कानून में सुधार: भारत देश ने अपने संविधान में संशोधन करके समय-समय पर जरूरत के हिसाब से कानून में सुधार किया है, जो एक अच्छा शासन स्थापित करने के लिए की गई पहल है। एक समय पर बनाया गया कानून उसे समय की परिस्थितियों के अनुसार होता है जिसमें बदलाव की आवश्यकता पड़ती है।
- ई गवर्नेंस: किसी भी सूचना और सेवाओं को संचार और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग भारत देश में हुआ है। इसका मुख्य उद्देश्य देश और राज्य के साथ नागरिकों के संबंध को मजबूत बनाना है। भारत देश में नागरिकों को ऑनलाइन सेवाएं प्रदान की जाती हैं जिससे एक बड़े पैमाने पर लोगों तक सूचना और सेवाएं पहुंच पाती हैं।
- सूचना का अधिकार: भारत के नागरिकों को सूचना का अधिकार प्राप्त है। यदि वह किसी प्रशासनिक कार्य या फिर किसी भी विषय पर सरकार या संबंधित कार्यालय से सूचना प्राप्त करना चाहते हैं तो वह उसका पूरा विवरण ले सकते हैं।
- ईजी आफ डूइंग बिजनेस: देश में बिजनेस करने को भारतीय सरकार ने काफी आसान बनाया है। ऐसा करने से विदेश से भी बहुत सारी कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं जिससे यहां के लोगों का कल्याण हो रहा है और आर्थिक रूप से लोग विश भी मजबूत बन रहा है।
- पुलिस सुधार: पहले के समय में पुलिस प्रशासन से संबंधित लोगों के मन में काफी गलत धारणा थी। सरकार निरंतर प्रयास कर रही है और पहले से पुलिस में काफी सुधार आया है। ऐसा होने से पीड़ित लोगों तक पुलिस प्रशासन की मदद पहुंचती है और कानून व्यवस्था भी सही प्रकार से बनी रहती है।
- विकेंद्रीकरण: प्रशासनिक प्रणाली का विकेंद्रीकरण किया गया है जिससे लोग अपने ही क्षेत्र में प्रशासनिक सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार की सुविधा प्राप्त करने के लिए उन्हें दूर जाने की आवश्यकता नहीं है और स्थानीय ऑफिस से ही यह सुविधा आमजन को प्राप्त होती है।
- शिकायत निवारण: पहले के समय में किसी भी प्रकार की शिकायत का निवारण आमतौर पर बहुत देरी से होता था। ई गवर्नेंस ने भी शिकायत निवारण में बहुत सहयोग दिया है और लोगों की शिकायत संबंधित अधिकारी तक तुरंत पहुंचती है जिससे शिकायत निवारण में सुधार हुआ है। इसमें और अधिक सुधार करने की आवश्यकता है जिस पर निरंतर प्रयास किया जा रहे हैं।
- प्रक्रिया में सरलता: अक्सर सरकारी कामकाज के लिए लोगों को अलग-अलग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। भारतीय सरकार ने इस प्रक्रिया में सुधार किया है जिससे इसमें सरलता आई है।
- कानून का शासन: भारत देश में कानून का शासन है और किसी भी क्षेत्र, राज्य में कानून के अंतर्गत ही शासन किया जाता है। किसी भी क्षेत्र या राज्य पर किसी राजा या अन्य व्यक्ति का स्वामित्व नहीं है और शासन कानून के हिसाब से चलता है।
सुशासन का उद्देश्य
- देश के नागरिकों तक सरकारी और गैर सरकारी सेवाओं को आसानी से पहुंचना।
- जवाबदेह और पारदर्शिता का पालन करना
- लोगों तक सूचनाओं पहुंचाना और उन्हें जागरूक करना
- शासन में उपस्थित कमियों को दूर करना
- सभी वर्ग के लोगों का एक साथ विकास
- शासन प्रणाली को सुचारू रूप से चलते रहना
- सभी लोगों के लिए समान न्याय
- व्यापार और उद्योग से संबंधित सुधार
- देश को हमेशा आगे बढ़ाने के लिए तत्पर रहना और निरंतर प्रयास
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सुशासन के आधार पर ही सबका साथ और सबका विकास का नारा दिया था ताकि देश में सुशासन रहे। इसमें सरकार के साथ-साथ देश के लोगों की भी भागीदारी की बहुत आवश्यकता है। भारत देश में लोगों के जागरूकता का स्तर काफी बड़ा है और लोगों ने देश को आगे बढ़ाने में बहुत योगदान दिया है। देश को सुशासन के लिए निरंतर आगे बढ़ाने की आवश्यकता है जिसमें स्थानीय नागरिकों का जागरूक होना और उनके विकास के साथ स्थानीय शासन में भी भागीदारी निश्चित होना जरूरी है।
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