सितंबर 2023 में महिला आरक्षण बिल को लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में महिलाओं को 33% आरक्षण देने के लिए पास किया गया। इस बिल को 19 सितंबर 2023 में लोकसभा में पेश किया गया और अगले दिन 20 सितंबर 2023 को पास हुआ।
महिला आरक्षण बिल क्या है?
महिला आरक्षण बिल के पास होने के बाद लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। भारतीय जनता पार्टी ने सितंबर 2023 में इस बिल को पेश किया जिसके बाद इस बिल को पास किया गया। यह बिल पास होने के पश्चात महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में 33% सीटें आरक्षित रहेंगी।
इस बिल का मकसद महिलाओं को शक्ति प्रदान करना था और सभी दलों ने इस बिल का समर्थन किया। हालांकि यह दिल पास हो गया है परंतु इस बिल को वर्ष 2029 तक लागू किया जाएगा।
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महिला आरक्षण बिल से संबंधित कुछ अन्य जानकारियां
लोकसभा में और राज्यों की विधानसभा में एसएससी और अनुसूचित जातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं। जिस प्रकार से अनुसूचित जातियों के लिए और जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं, उसी प्रकार से अब महिलाओं के लिए भी लोकसभा में साइट आरक्षित रहेंगी।
जो भी सीटें महिलाओं के लिए होंगी, उन सीटों पर कोई भी पुरुष चुनाव नहीं लड़ पाएगा।
महिला आरक्षण बिल के लाभ
- देश की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, जिससे कोई भी राजनीतिक फैसला लेने पर महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी।
- जिन सीटों पर महिलाओं का आरक्षण होगा उन सीटों पर कोई भी पुरुष चुनाव नहीं लड़ पाएगा।
- नारी शक्ति को बढ़ावा मिलेगा, जिससे केवल पुरुष प्रधानता जैसी चीजों पर रोक लगेगी।
- ना केवल लोकसभा बल्कि राज्यों के विधानसभा में भी महिलाओं का आरक्षण होगा।
- महिलाओं से संबंधित कानूनों को पास करने में लोकसभा में बैठी महिलाएं अपनी भागीदारी दे सकेंगी।
महिला आरक्षण बिल पास करना क्यों आवश्यक था?
महिला आरक्षण बिल पास होने से पहले महिलाएँ अपने अधिकारों की आवाज़ को सही से विधानसभा और राज्यसभा में नहीं उठा पाती थी। पुरुषों द्वारा ही विदाई संस्थानों में महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रतिनिधित्व किया जाता था। इसीलिए यह अति आवश्यक था कि महिलाएं अपने अधिकारों के लिए खुद आवाज उठाएं।
इस बिल का मकसद महिलाओं को शक्ति देना और उन्हें और अधिक समृद्ध बनाना था।
महिला आरक्षण बिल का इतिहास
सबसे पहले यह 1996 में पेश किया गया था, जिसके पश्चात वर्ष 2010 में राज्यसभा ने इसे पास कर दिया था। परंतु परंतु लोकसभा में यह बिल पास नहीं हो पाया था। वर्ष 2023 में मोदी सरकार द्वारा विशेष मोदी सरकार द्वारा विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया।
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यह महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में विशेष स्तर के दौरान वर्ष 2023 में पारित किया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में इस विधेयक को पारित करवाया परंतु यह लोकसभा में पारित नहीं हो सका था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय टुवर्ड्स इक्वलिटी नाम की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें महिलाओं की स्थिति के बारे में बताया गया और उनके आरक्षण की बात हुई। उस समय इस रिपोर्ट को तैयार करने वाली कमेटी के अधिकतर सदस्य आरक्षण के खिलाफ थे और महिलाएं भी चाहती थी कि वह आरक्षण के बलबूते पर नहीं बल्कि अपने बलबूते पर राजनीति में कदम रखें।
1980 के दशक में पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं को 33% आरक्षण दिलाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कोशिश की परंतु राज्य की विधानसभा में इसका समर्थन नहीं किया। फिर इसके पश्चात एच डी देवगौड़ा की सरकार ने 1996 में यह विधेयक पेश किया।
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मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद ने इस महिला आरक्षण का विरोध किया, जिसके पश्चात 1997 में फिर से एक बार कोशिश हुई और शरद यादव ने इस पर एक विवादास्पद टिप्पणी की और इस विधेयक की निंदा की। वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में तत्कालीन कानून मंत्री एम थंबीदुरई ने इस विधेयक को पेश किया परंतु फिर सफलता नहीं मिल पाई।
इस विधेयक से संबंधित कोशिशें वर्ष 1999, वर्ष 2003 में भी हुई परंतु सफल नहीं हो पाई। वर्ष 2010 में यह विधेयक राज्यसभा में पास हुआ परंतु लोकसभा में पास नहीं हो सका। जिसके पश्चात वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में इस विधेयक को विशेष सत्र में लोकसभा में पास।करवा दिया।
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