रविवार, सितम्बर 24, 2023

परमाणु किसे कहते हैं? परिभाषा, खोज, संख्या और परमाणु मॉडल

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आपके यह जानने से पहली की “परमाणु किसे कहते हैं?” यह समझना ज़रूरी है, कि पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनता है और परमाणु किसी भी पदार्थ का मूल कण होता है। इसे ओर अधिक छोटे टुकड़ों में नहीं तोड़ा जा सकता है। यह अपरमाणविक कणों से मिलकर बना होता है।

परमाणु किसे कहते हैं?

What is an atom in hindi, परमाणु किसे कहते हैं?
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परमाणु की परिभाषा: परमाणु किसी भी पदार्थ की वह सबसे छोटी इकाई होती है जिसमें रसायनिक गुण मौजूद होते हैं। कोई भी पदार्थ चाहे वह ठोस, तरल या गैस हो वह परमाणुओं से मिलकर बना है। परमाणु का आकार लगभग 1 मीटर के 10 अरबवें हिस्से के बराबर होता है। परंतु यह इसकी सटीक परिभाषित सीमा नहीं है।

परमाणु के संघटक

  • इलेक्ट्रॉन
  • प्रोटोन
  • न्यूट्रॉन

परमाणु संख्या किसे कहते हैं?

परमाणु में इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन मौजूद होते हैं और किसी भी तत्वों के नाभिक में मौजूद प्रोटोन की संख्या को ही परमाणु संख्या कहते हैं। परमाणु संख्या को परमाणु क्रमांक भी कहा जाता है जिसे अंग्रेजी अक्षर z से प्रदर्शित किया जाता है।

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परमाणु संख्या (z) = इलेक्ट्रॉन = प्रोटॉन

परमाणु क्रमांक/Parmanu kramank 1 to 30

परमाणु संख्या/क्रमांक तत्व का नाम रासायनिक श्रेणी
1 हाइड्रोजन अधातु
2 एलियन अधातु
3 लिथियम क्षार धातु
4 बेरिलियम क्षारीय पार्थिव धातु
5 बोरान उपधातु
6 कार्बन उपधातु
7 नाइट्रोजन अधातु
8 ऑक्सीजन अधातु
9 फ्लोरीन हैलोजन
10 नियॉन अक्रिय गैस
11 सोडियम क्षार धातु
12 मैग्नीशियम क्षारीय पार्थिव धातु
13 एलुमिनियम मिश्रित धातु
14 सिलिकॉन उपधातु
15 फास्फोरस अधातु
16 सल्फर अधातु
17 क्लोरीन हेलोजन
18 आर्गन अक्रिय गैस
19 पोटेशियम चार धातु
20 कैल्शियम क्षारीय पार्थिव धातु
21 स्कैंडियम मिश्रित धातु
22 टाइटेनियम मिश्रित धातु
23 वैनेडियम मिश्रित धातु
24 क्रोमियम मिश्रित धातु
25 मैग्नीज मिश्रित धातु
26 आयरन मिश्रित धातु
27 कोबाल्ट मिश्रित धातु
28 निकल मिश्रित धातु
29 तांबा मिश्रित धातु
30 यशद मिश्रित धातु

परमाणु ऊर्जा क्या है?

किसी भी तत्व के नाभिक में मौजूद ऊर्जा को परमाणु ऊर्जा कहते हैं। परमाणु के केंद्र में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन मौजूद होते हैं जो आपस में उर्जा को जोड़कर रखते हैं, इस ऊर्जा को परमाणु ऊर्जा कहा जाता है।

परमाणु ऊर्जा के उपयोग

  • बिजली उत्पादन: परमाणु ऊर्जा का उपयोग बिजली उत्पादन में किया जाता है। परमाणु पूजा द्वारा बिजली उत्पन्न करने के लिए रिएक्टर की आवश्यकता होती है जिसके पश्चात परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पादन होता है।
  • गर्मी उत्पादन: परमाणु ऊर्जा से गर्मी उत्पन्न होती है जिससे सबमरीन जैसे वाहन या युद्धपोत जैसे समुद्री जहाज चलाए जाते हैं।
  • युद्ध सामग्री: परमाणु ऊर्जा का उपयोग युद्ध सामग्री जैसे परमाणु बम बनाने में किया जाता है।

परमाणु की खोज

  • जॉन डाल्टन: आधुनिक विज्ञान के हिसाब से यह माना जाता है कि परमाणु की खोज सन 1808 में ब्रिटिश केमिस्ट जॉन डाल्टन ने की थी।
  • ग्रीक दार्शनिक डेमोक्रिट्स एवं ल्यूसीपश्ल्यूसीपश्: लगभग 500 ईसा पूर्व ग्रीक दार्शनिक डेमोक्रिट्स एवं ल्यूसीपश्ल्यूसीपश् ने अविभाज्य कणों के बारे में बताया था और उन्हें ATOMS कहां गया था जिसका यूनानी भाषा में अर्थ है नए काटे जाने वाला यानी जिसका और छोटा हिस्सा नहीं किया जा सकता।
  • महर्षि कणाद: महर्षि कणाद ने परमाणु पदार्थ को अविनाशी करण कहा था इसके अलावा आचार्य कन्नड़ जिन्हें कश्यप नाम से भी जानते हैं एक प्राचीन भारतीय प्राकृतिक वैज्ञानिक है उन्होंने भी परमाणु का सिद्धांत जॉन डाल्टन की खोज से 2500 वर्ष पूर्व तैयार किया था।

आज के आधुनिक विज्ञान के हिसाब से सर जॉन डाल्टन को ही परमाणु का खोजकर्ता माना जाता है जिन्होंने सन 1803 में परमाणु की खोज की थी।

प्रमुख परमाणु मॉडल

अलग-अलग वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों के आधार पर अलग-अलग परमाणु मॉडल दिए हैं जिनमें परमाणु से संबंधित जानकारियां और व्याख्या की गई है।

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1. रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल

रदरफोर्ड परमाणु मॉडल को सन 1911 में इलेक्ट्रॉन के प्रयोग के आधार पर रसायन और भौतिक शास्त्री अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा प्रस्तुत किया गया था।

रदरफोर्ड ने सोने की सो नैनोमीटर की पतली पन्नी का उपयोग किया और सोने की पन्नी के चारों ओर फोटोग्राफिक प्लेट लगाई। यह फोटोग्राफिक प्लेट प्रतिदिन पदार्थ जिंक सल्फाइड से लिपटी हुई थी। इसके पश्चात उन्होंने उस सोने की पन्नी पर अल्फा किरणों की बौछार की।

जब अल्फा किरणों की बौछार कदर फोड़ने सोने की 100 नेनोमीटर पतली पन्नी पर की तो उन्हें निम्नलिखित परिणाम प्राप्त हुए:

  • ज्यादातर अल्फा कण सोने की पन्नी से विक्षेपित नहीं हुए और बिना विक्षेपित हुए ही निकल गए।
  • अल्फा गणों का बहुत ही कम भाग विक्षेपित हुआ
  • जो अल्फा कण सोने की पन्नी पर गिराए गए थे उनमें से सिर्फ 100000 कण में से सिर्फ 1 कण ही वापस 180 डिग्री के कोण पर वापस लौट कर आया।

रदरफोर्ड के किए गए इस एक्सपेरिमेंट से निम्नलिखित निष्कर्ष निकले –

  • परमाणु का ज्यादातर भाग खोकला यानी खाली है।
  • परमाणु के बीच में गन आवेशित भाग है क्योंकि कुछ ही अल्फा कण प्रतिकर्षण बल के कारण विक्षेपित हुए हैं।
  • परमाणु का घन आवेश और द्रव्यमान एक बहुत ही छोटी जगह पर केंद्रित होता है जिसे रदरफोर्ड ने नाभिक का नाम दिया।
  • रदरफोर्ड के इस परमाणु मॉडल से यह पता चला कि इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार कक्षाओं में नाभिक के चारों ओर घूमते हैं, जिसका मॉडल हमारे सौरमंडल से काफी मिलता-जुलता है।
  • इलेक्ट्रॉन के वृत्ताकार कक्षाओं में नाभिक के चारों ओर घूमते हुए मॉडल से उन्होंने इसका उदाहरण सौरमंडल से मिलता जुलता बताया और नाभिक को सूर्य और इलेक्ट्रॉन को ग्रहों की तरह गतिमान बताया है।

2. बोर का परमाणु मॉडल

बोर का परमाणु मॉडल एक डेनिश भौतिक वैज्ञानिक नील बोर ने दिया था। इन्होंने रदरफोर्ड द्वारा दिए गए रदरफोर्ड परमाणु मॉडल के दोषों को प्लांट के क्वांटम सिद्धांत की मदद से दूर किया और एक नया मॉडल प्रस्तुत किया। इस मॉडल में रदरफोर्ड परमाणु मॉडल के दोषों को दूर किया और इस मॉडल को बोर का परमाणु मॉडल कहां गया।

बोर के परमाणु मॉडल में अभिगृहीत का वर्णन किया, जो निम्न प्रकार से है।

  • पहला अभिगृहीत: इलेक्ट्रॉन केवल उन्हीं कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं जिनका कोणीय संवेग h/2π का पूरा गुणज होता है। यहाँ h प्लांक नियतांक है और h का मान 6.6 x 10-34 जूल सेकंड है.
  • दूसरा अभिगृहीत: स्थाई कक्षा में घूमते हुए इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का पैदा नहीं करते हैं जिसका कारण अभिकेंद्र त्वरण होता है। इसी के कारण परमाणु स्थिर रहता है।
  • तीसरा अभिगृहीत: बाहरी ऊर्जा के कारण इलेक्ट्रॉन ऊपरी कक्षा में चले जाते हैं, और यह इनकी उत्तेजित अवस्था होती है। इस अवस्था में यह इलेक्ट्रॉन ज़्यादा देर तक नहीं ठहर पाते और 10-8 सेकंड में ही वापस अपनी कक्षा में आ जाते हैं।

3. थॉमसन का परमाणु मॉडल

जे जे थॉमसन ने सन 1891 से लेकर 1897 तक परमाणु मॉडल पर रिसर्च की और सन 1998 में उन्होंने बताया कि परमाणु पर एक समान आवेश होता है और जिसकी त्रिज्या 10−10m है। जे जे थॉमसन के थॉमसन परमाणु मॉडल के अनुसार गणवेश एक समान रूप से वितरित रहता है जो इलेक्ट्रॉन इसी प्रकार से स्थिर रहते हैं।

थॉमसन परमाणु मॉडल को इलेक्ट्रॉन की खोज के बाद तैयार किया गया था। सन 1918 में जे जे थॉमसन ने यह विचार दिया कि तत्वों के परमाणु में अनेकों ऋण आवेशित करण एक समान रूप से घन आवेशित गोले में बंद रहती है। थॉमसन परमाणु मॉडल के अनुसार द्रव्यमान पूरे परमाणु पर समान रूप से बटा हुआ है और यह परमाणु की विद्युत उदासीनता को पूरी तरह से स्पष्ट करता था।

थॉमसन के परमाणु मॉडल से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:

  • थॉमसन परमाणु मॉडल के अनुसार परमाणु में एक घन आवेशित गोला है और बिना वजह परमाणु गोले पर समान रूप से वितरित है।
  • परमाणु के अंदर अनेकों करण ऋण आवेशित मौजूद होते हैं।
  • परमाणु पूरी तरह से विद्युत उदासीन है।
  • इस मॉडल को पल्म-पुडिंग मॉडल और रेजिन-पुडिंग मॉडल के नाम से भी जाना जाता है।
  • थॉमसन परमाणु मॉडल, रदरफोर्ड द्वारा दिए गए परवल को नहीं समझा सका इसीलिए इसे रद्द कर दिया गया।

सन 1996 जे जे थॉमसन को गैसों की विद्युत चालकता पर प्रयोग और सैद्धांतिक जांच के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया।

4. डाल्टन का परमाणु सिद्धांत

जॉन डाल्टन एक ब्रिटिश स्कूल में अध्यापक थे जिन्होंने सन 1808 में द्रव का परमाणु सिद्धांत दिया था। जॉन डाल्टन ने परमाणु को द्रवों का मूल कण बताया और द्रवों की विभाज्यता का विचार दिया।

डाल्टन ने इन सबसे छोटे कणों को ग्रीक दर्शनिकों की तरह परमाणु नाम दिया। जॉन डाल्टन के डाल्टन परमाणु सिद्धांत के अनुसार चाहे कोई भी धर्म हो वह सभी सूक्ष्म कणों से मिलकर बने होते हैं और वह कण परमाणु हैं। यह परमाणु रासायनिक अभिक्रिया का हिस्सा होते हैं और यह कण ना तो बनते और ना ही नष्ट होते हैं।

डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की उपलब्धि:

  • यह सिद्धांत एक काल्पनिक सिद्धांत है और इसके लिए कोई प्रयोग नहीं किया गया, परंतु डाल्टन का परमाणु सिद्धांत में बताई गई काल्पनिक तथ्य आगे जाकर बहुत सारे प्रयोगों में सही साबित हुई है।
  • डाल्टन परमाणु सिद्धांत ने बताया कि परमाणु रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं जो आज के प्रयोगों से यह कथन सही साबित हो चुका है।
  • परमाणु किसी भी तरह की सबसे छोटी इकाई है।
  • योग में परमाणुओं की संख्या और सापेक्ष सरकार निश्चित होते हैं जो बिल्कुल सच है।
  • डाल्टन परमाणु सिद्धांत में द्रव्यमान के संरक्षण के नियम और निश्चित अनुपात के नियम की युक्तिसंगत व्याख्या की गई है।

डाल्टन परमाणु सिद्धांत की कमियां:

  • गोल्डन परमाणु सिद्धांत में कहा गया कि प्रभाव के कारण सबसे छोटे होते हैं और विभाजित नहीं होते और ना ही रासायनिक अभिक्रिया में सृजित होते हैं ना नष्ट होते हैं। परंतु परमाणु को इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन और प्रोटॉन जैसे सूक्ष्म कणों में विभाजित किया जा सकता है।
  • इस सिद्धांत के अनुसार सभी तत्वों के परमाणु का द्रव्यमान और रासायनिक गुण धर्म एक समान होते हैं परंतु यह पूर्णता सत्य नहीं है और परमाणुओं के द्रव्यमान अलग-अलग हो सकते हैं।
  • हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते हैं और इनके द्रव्यमान अलग-अलग एक, दो, तीन होते हैं और हाइड्रोजन एक ही तत्व है जिससे डाल्टन के परमाणु सिद्धांत में बताए गए ‘ किसी भी पदार्थ के परमाणु के द्रव्यमान और रासायनिक गुण धर्म एक समान होते हैं’ कथन झूठा साबित होता है।

परमाणु और अणु में अंतर

  • परमाणु: यह इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बने होते हैं और परमाणु स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकते। यह किसी भी पदार्थ के सबसे छोटे कण होते हैं।
  • अणु: सभी अणु, परमाणुओं से बने होते हैं। यह स्वतंत्र रूप से रह सकते हैं और यह परमाणु से बड़े कण होते हैं। परमाणु एक मज़बूत रासायनिक बंधन से बंधे होते हैं और अणु का निर्माण करते हैं। इनकी संरचना अलग अलग पदार्थ में अलग अलग हो सकती है।

निष्कर्ष

हमें उम्मेद है की आपकी यह समझ आया होगा कि ” परमाणु किसे कहते हैं?”, “परमाणु और अणु में क्या अंतर है?” और इसके साथ परमाणु के सिद्धांत भी आपने यहाँ पर जाने। यदि आपका कोई सवाल परमनु या अणु से सम्बंधित है, तो आप हमें कॉमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं।

आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो भी हमें कॉमेंट में लिख के बताए और “परमाणु किसे कहते हैं” लेख को दूसरों के साथ साँझा करें।

Rashvinder
Rashvinder
मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
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