अक्षर विज्ञान के पेपर में यह प्रश्न पूछा जाता है कि इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की? और इससे संबंधित कुछ अन्य सवाल भी आपको देखने को मिल सकते हैं जैसे इलेक्ट्रॉन क्या होता है इलेक्ट्रॉन के गुण क्या है इसका इतिहास इत्यादि। इस लेख में इलेक्ट्रॉन से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध हैं।
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इलेक्ट्रॉन क्या होता है? What is Electron in hindi?
सर जे जे थॉमसन के कैथोड रे परिक्षण से पहले सन्न 1808 में जॉन डाल्टन के परमाणुवाद सिद्धांत द्वारा हमें पता चला था की हर एक वस्तु पदार्थ की बनी होती हैं और पदार्थ अति सूक्ष्म व अविभाज्य परमाणु से बना होता है, जिसका विभाजन नहीं हो सकता है।
लेकिन सन्न 1897 में कैथोड रे परीक्षण के दौरान सर जे जे थॉमसन ने इलेक्ट्रॉन की खोज की और हमें बताया की परमाणु अविभाज्य नहीं है, बल्कि परमाणु तीन अति सूक्ष्म कणों से मिलकर बना है जिन्हें हम – इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन और न्यूट्रॉन के नाम से जानते हैं
इन तीन कणों में से प्रोटोन और न्यूट्रॉन, परमाणु के नाभिक में मौजूद होते हैं और इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों तरफ दीर्घवृताकार पथ पर चक्कर लगाते हैं। इलेक्ट्रॉन एक ऋणावेशित कण होता है। इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों और अलग अलग कक्षाओं में वितरित होता है और चारों और चक्कर लगता रहता है।
इलेक्ट्रॉन, नाभिक के साथ आकर्षण के स्थिर विद्युत बल की वजह से बंधा रहता है। हर एक इलेक्ट्रॉन ऊर्जा रखता है जिसकी वजह से वह नाभिक में नहीं गिरता है। परमाणु की सबसे बाहरी कक्षा में मौजूद इलेक्ट्रॉन, संयोजी इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं और सबसे भीतरी कक्षा में मौजूद इलेक्ट्रॉन, कोर इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं।
इलेक्ट्रॉन की गुण
- इसकी त्रिज्या 2.8 x 10-13 होती है।
- इन पर एक इकाई ऋणावेशित होती है।
- यह लेप्टोन परिवार की पहली पीढ़ी का कण है।
- इसका द्रव्यमान हाइड्रोजन के द्रव्यमान के लगभग 1/1837 वें भाग के समान होता है।
- इसका द्रव्यमान 9.11 x 10-31 कि.ग्रा. (9.11 x 10-28 ग्रा.) होता है।
- इसको e या फिर e- से दिखाया जाता है।
- यह नाभिक के चारों तरफ दीर्घवृताकार पथ पर घूमते हैं।
- इसका व्यवहार तरंग और कण दोनों ही तरह का होता है।
- इस पर -1.6 x 10-19 कुलाम आवेश होता है।
- इनकी परमाणु संख्या नाभिक में मौजूद प्रोटोन और न्यूट्रॉन के बराबर होती है।
इलेक्ट्रॉन की खोज का इतिहास
इलेक्ट्रॉन की खोज से पहले हमें कैथोड किरणों की खोज के विषय में जानना पड़ेगा। सर विलियम कुक्स ने सन्न 1879 में विसर्जन नली में भरी हुई गैस के अंदर दो ईलेक्ट्रोड (Electrode) के मध्य कम दाब पर वॉल्ट (Volt) पैदा की तो हल्के हरे रंग के प्रकाश की किरणें दिखाई दी, जिन्हें हम कैथोड किरणों (Cathode Ray) के नाम से जानते हैं। उसके पश्चात जीन पेरिन ने सन्न 1895 में बताया की यह कैथोड किरणें छोटे – छोटे ऋणावेशित कणों के मिलने से बनती हैं, इसलिए यह किरणें ऋणात्मक होती हैं।
जॉर्ज जॉनस्टोन स्टोनी नमक एक आइरिश भौतिकविद ने इन ऋणावेशित कणों को द्रव की इकाई माना और इनको ”इलेक्ट्रॉन” का नाम दिया। उसके पश्चात सर जे. जे. थॉमसन ने सन्न 1897 में इलेक्ट्रॉन के आवेश और भार के अनुपात का मान निर्धारित किया और कैथोड किरणों पर प्रयोग करने के दौरान ही इलेक्ट्रॉन की खोज की।
इलेक्ट्रॉन की खोज किसने, कब और कहाँ की
इलेक्ट्रॉन की खोज आज से 126 साल पहले सन्न 1897 में कैथोड रे परीक्षण द्वारा सर जे. जे. थॉमसन नामक एक प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिक वैज्ञानिक ने की थी। उन्होने ने यह परीक्षण ब्रिटिश लैब में किया था, जिसके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉन की खोज हुई थी।
सर जे. जे. थॉमसन कौन थे?
सर जे. जे. थॉमसन का नाम शायद कहीं न कहीं सब ने सुन ही रखा होगा, क्योंकि वह एक विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। इनका जन्म इंग्लैंड में 18 दिसम्बर, 1856 में हुआ था। वह रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन (Royal Society of London) के सदस्य भी थे। उनकी शिक्षा मैंचेस्टर विश्वविद्यालय और कैंब्रिज विश्वविद्यालय में हुई थी। अर्नेस्ट रद्र्फ़ोर्ड उनके शिष्यों में से एक थे। सर जे. जे. थॉमसन ने ही सन्न 1897 में इलेक्ट्रॉन की खोज की थी।
उनको सन 1906 में गैसों में बिजली के चालान के उनके किए हुये काम के लिए उनको भौतिकी के लिए नोबल पुरस्कार मिला था। वह एक प्रसिद्ध ब्रिटिश भौतिक वैज्ञानिक थे। उन्होने ही दुनिया को बताया था की परमाणु अविभाज्य नहीं है उसके अंदर इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन और न्यूट्रॉन नामक तीन कण होते हैं। उन्होने कैथोड रे परीक्षण करके इलेक्ट्रॉन की खोज की।
इलेक्ट्रॉन की खोज कैसे हुई?
दुनिया में हर एक चीज किसी पदार्थ से बनी होती है और हर पदार्थ एक अति सूक्ष्म अणु से बना होता है, जिसे हम परमाणु कहते हैं। जॉन डाल्टन ने 1808 में परमाणु की खोज की थी, उन्होने ने परमाणुवाद सिद्धान्त (Atomic Theory) द्वारा दुनिया को परमाणु के बारे में बताया। उन्होने बताया की हर पदार्थ अविभाज्य अणु (परमाणु) से बना होता है। लेकिन बाद में ज्ञात हुआ की परमाणु के अंदर भी अविभाज्य कण होते हैं। अर्थात परमाणु भी तीन (इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन, न्यूट्रॉन) अति सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है।
सन्न 1897 में सर जे. जे. थॉमसन नामक ब्रिटिश भौतिक वैज्ञानिक ने एक क्रूक्स ट्यूब (Crookes Tube) पर प्रयोग (इसको कैथोड रे परीक्षण से भी जानते हैं) करते हुये Electron की खोज की और बताया की परमाणु को भी विभाजित किया जा सकता है और उसके अंदर इलेक्ट्रॉन नाम का भी एक कण होता है, जो की ऋणावेशित होता है।
सर जे. जे. थॉमसन ने एक क्रूक नलिका ली जिसके दोनों तरफ धातु के एलेक्ट्रोड (Electrode) लगे हों। इस नली में से गैस या हवा को बाहर निकालने के लिए खाली करने वाले पंप (Vacuum Pump) की व्यवस्था की गई थी। उसके बाद दोनों सिरों पर लगे धातु के एलेक्ट्रोड को उच्च विभव और निम्न दाब एलेक्ट से जोड़ा गया और जब नलिका में दाब मिलीमीटर के 1000 वें हिस्से के समान था, तब देखा गया की कैथोड अर्थात ऋणात्मक एलेक्ट्रोड से एनोड अर्थात धनात्मक एलेक्ट्रोड की तरफ रोशनी के रूप में कणों की धारा प्रवाहित हो रही थी।
यह किरणें एक सीधी रेखा में प्रवाहित हो रही थी, क्योंकि विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति थी। यह किरणें एनोड प्लेट में मौजूद एक छिद्र में से गुजर के धनात्मक प्लेट की तरफ प्रवाहित होती हैं, जिससे यह सिद्ध हुआ की यह किरणें ऋणावेशित हैं। यह किरणें कैथोड से निकली थी, इसलिए इनको कैथोड किरणें भी कहा गया। इन किरणों को स्पष्ट रूप से देखा जा सके इसके लिए एनोड प्लेट के पीछे की तरफ नली पर जिंक सलफाइड (ZnS) का लेप किया गया था।
जब यह किरणें छिद्र में से निकलके ज़िंक सलफाइड के उस लेप से टकराई तो वहाँ एक चमकीला चिन्ह बन गया, जिससे की इन किरणों से स्पष्ट रूप से देखा गया। इन्हीं ऋणात्मक किरणों को सर जे. जे. थॉमसन ने इलेक्ट्रॉन (Electron) का नाम दिया।
कैथोड किरणों के गुण
- इनसे x-किरणें उत्पन्न होती हैं।
- यह किरणें कैथोड से एनोड की तरफ प्रवाहित होती हैं।
- यह किरणें चुम्बकीय और विद्युत क्षेत्रों में विक्षेपित हो जाती हैं।
- इन किरणों में ऋणावेशित कण होते हैं जिनको हम इलेक्ट्रॉन कहते हैं।
- यह किरणें सीधी रेखा में प्रवाहित होती हैं।
- यह किरणें अति सूक्ष्म कणों से बनी होती हैं, क्योंकि जब इनके मार्ग में कोई भी पहियेदार वस्तु आती है तो वह घुमनी शुरू हो जाती है।
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