शनिवार, सितम्बर 23, 2023

Plasi ka Yuddh: प्लासी के युद्ध की सभी जानकारी

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प्लासी का युद्ध (Plasi ka yuddh) शुरू होने के कुछ कारण रहे हैं जिनके बारे में आपको सभी जानकारी इस पोस्ट में मिलेंगी, इसके साथ साथ हम जहां पर जानेंगे कि प्लासी का युद्ध क्यों हुआ था, इसके क्या कारण थे और क्या परिणाम रहा।

17-18 वीं शताब्दी में यूरोपीय कंपनियों का भारत में आगमन होना शुरू हो चुका था। यूरोपीय कंपनियों का उद्देश्य भारत में व्यापार करने का था, लेकिन यूरोपीय कंपनियों की बढ़ती जा रही इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं की वजह से उन्होंने भारत के अनेक क्षेत्रों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था।

Plasi ka Yuddh

औरंगजेब के मरने के बाद मुगल साम्राज्य की नींव हिल चुकी थी और मुगल साम्राज्य कमजोर पड़ गया था। जिसके कारण अलवरदी खां नाम के व्यक्ति ने 1740 ईस्वी में बंगाल को मुगल साम्राज्य से मुक्त घोषित करते हुए अपने आप को बंगाल का नवाब घोषित किया। मुगलों की नींव कमजोर होते हुए देखकर अंग्रेजों ने भी इसका लाभ उठाना चाहा और भारत में अलग-अलग कई जगहों पर किले-बंदी करके अपना आधिपत्य स्थापित करने का प्रयास किया।

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9 अप्रैल 1756 में अलवरदी खां के मरने के पश्चात उनकी सबसे छोटी बेटी का बेटा सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना। उस समय बंगाल में अशांति का माहौल था। अंग्रेज और फ्रांसीसीयों के बीच में द्वंद्व चल रहा था। फ्रांसीसियों ने अलग-अलग जगहों पर बंगाल में किले-बंदी करना शुरू कर दिया था। इस माहौल को देखते हुए सिराजुद्दौला बहुत चिंतित रहते थे। इसलिए उन्होंने फ्रांसीसीयों को और अंग्रेजों को जल्द ही किले-बंदी रोकने का आदेश दिया।

फ्रांसीसीयों ने सिराजुद्दौला का यह आदेश मान लिया लेकिन अंग्रेजों ने इस आदेश की अवहेलना की और किले-बंदी करना जारी रखा। सिराजुद्दौला का आदेश ना मानने के कारण 1756 ईस्वी में कासिम बाजार में अंग्रेजों की कोठी पर नवाब सिराजुद्दौला ने आक्रमण करके कब्जा कर लिया उसके पश्चात हुगली नदी के पास फोर्ट विलियम किले पर भी नवाब सिराजुद्दौला ने अधिकार कर लिया।

फोर्ट विलियम पर आधिपत्य स्थापित करने के दौरान 146 अंग्रेजों को बंदी बनाया गया जिनमें स्त्री और बच्चे भी शामिल थे। इन बंधुओं को एक छोटे अंधेरे कमरे में कैद करके रखा गया। अगली सुबह इन बंदियों में से सिर्फ 23 लोग की बचे हुए मिले। इन बचे हुए कैदियों में से एक अंग्रेज व्यक्ति होल्बेल नामक थे जिन्होंने इस बात के बारे में अंग्रेज अफसरों को बताया। इस घटना को हम काली कोठरी की घटना के नाम से भी जानते हैं।

इस घटना से नवाब सिराजुद्दौला और अंग्रेजों के बीच कड़वाहट और भी ज्यादा बढ़ गई। इसके पश्चात अंग्रेज क्रोधित होकर अंग्रेजी सेना को लेकर बंगाल की तरफ बढ़ चले और अंग्रेजों ने कलकत्ता पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया और सिराजुद्दौला के साथ अलीनगर की संधि की। यह संधि सिराजुद्दौला ने मजबूरी वश की थी अलीनगर की संधि के पश्चात अंग्रेजों का साहस और भी बढ़ गया और वह और भी ज्यादा आक्रामक हो गए।

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अलीनगर की संधि के पश्चात अंग्रेजों को किले-बंदी करने की अनुमति भी प्राप्त हो चुकी थी और उसके बाद अंग्रेजों ने चंद्र नगर नामक प्रांत पर भी आक्रमण किया और उसको अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया। अंग्रेजों के बढ़ते हुए इस साहस और गतिविधियों को देखते हुए नवाब सिराजुद्दौला ने फिर से अंग्रेजों पर आक्रमण करने की योजना बनाई। लेकिन दूसरी तरफ अंग्रेज सिराजुद्दौला के सेनापति मीरजाफर को खरीद चुके थे। सेनापति मीर जाफर बंगाल का नवाब बनने के लालच में नवाब सिराजुद्दौला से विश्वासघात करने को राजी हो गए थे।

प्लासी युद्ध की घटना

प्लासी का युद्ध मुर्शिदाबाद के दक्षिण दिशा में 22 मील की दूरी पर नदिया जिले में भागीरथी नदी के किनारे  जिसका नाम प्लासी है, वहां लड़ा गया था। यह युद्ध 23 जून 1957 को हुआ था। यह युद्ध अंग्रेजी सेना और बंगाल के नवाब के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व रॉबर्ट क्लाइव ने किया था और बंगाल की सेना का नेतृत्व सिराजुद्दौला ने किया था। इस युद्ध को हम छद्म युद्ध बोले तो ठीक रहेगा, क्योंकि यह युद्ध कंपनी ने षड्यंत्र रच के जीता था।

रॉबर्ट क्लाइव ने युद्ध शुरू होने से पहले ही बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के सेनानायक मीर जाफर, एक अमीर सेठ जगत सेठ और उनके एक दरबारी को रिश्वत देकर अपनी तरफ मिला लिया था। क्लाइव ने सेनानायक मीर जाफर को बंगाल की गद्दी पर बिठाने का लालच देकर उनको खरीद लिया था। बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की सेना ने तो इस युद्ध में पूर्ण रूप से भाग भी नहीं लिया था। इस युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार को बहुत फायदा हुआ। अगर हम यह कहें कि इस युद्ध के बाद ही भारत में ब्रिटिश सेना या ईस्ट इंडिया कंपनी का उदय हुआ था तो यह गलत नहीं होगा।

Plasi ka Yuddh शुरू होने से पहले की स्थिति

यह युद्ध शुरू होने से पहले ही रोबर्ट क्लाइव को लग रहा था की वो यह युद्ध जीत नहीं पाएगा। क्योंकि कंपनी की सेना में लगभग 3 हजार ही सैनिक थे जबकि बंगाल के नवाब की सेना में लगभग 50 हजार सैनिक थे। इस युद्ध की जानकारी हमें लन्दन की इंडिया हाउस लाइब्रेरी में उपलब्ध दस्तावेजों से मिल सकती है। यह बहुत बड़ी लाइब्रेरी है, इस लाइब्रेरी में भारत की गुलामी के लगभग 20 हजार दस्तावेज उपलब्ध हैं।

रोबर्ट क्लाइव ने कई बार पत्र लिखकर ब्रिटिश पार्लियामेंट को इस बात से अवगत कराया था की अगर आमने सामने का युद्ध हुआ तो उनकी सेना 1 घंटे तक भी बंगाल के नवाब की सेना के सामने टिक नहीं पायेगी। क्लाइव ने पत्र लिखकर ब्रिटिश पार्लियामेंट से और सैनिक भेजने के लिए बोला था।

दूसरी तरफ बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के सेना नायक मीर जाफर जो की बंगाल की गद्दी पर बैठने के लालच में कुछ भी करने को तैयार था। उसके साथ साथ नवाब का एक दरबारी और अमीर सेठ भी नवाब के साथ गद्दारी करने को तैयार थे।

Plasi ka Yuddh एक षड्यंत्र-छद्म युद्ध

नवाब सिराजुद्दौला और कंपनी की सेना के बीच बहुत बड़ा अंतर था। जिसके देखके कोई भी यह कह नहीं सकता था की यह आमने सामने का युद्ध होगा। इस युद्ध में कंपनी का हारना तय था। लेकिन रोबर्ट क्लाइव ने अपने जासूसों को सचेत किया और उनको नवाब की सेना की सम्पूर्ण जानकारी लाने के लिए लगा दिया। जासूसों द्वारा जानकारी लेने का ख़ास उद्देश्य था बंगाल में ऐसे इंसान को तलाश करना जो नवाब से गद्दारी करके कुछ भी करने को तैयार हो।

युद्ध शुरू होने से पहले ही क्लाइव ने बंगाल के एक अमीर सेठ (जिसका नाम जगत सेठ था),राय दुर्लभ ( जो की बंगाल की सेना के सेनानायक ओ में से एक थे) और मीर जाफर (जो कि सैन्य प्रमुख थे), इन तीनों को अपने साथ मिला लिया था। कहने को तो उपरोक्त वर्णित तीनों आदमी बंगाल के नवाब की तरफ से लड़ रहे थे लेकिन वह तीनों बंगाल के नवाब के साथ गद्दारी कर रहे थे। इसलिए ही हम प्लासी के युद्ध को एक छद्म युद्ध या षड्यंत्र कह सकते हैं।

प्लासी का युद्ध क्यों हुआ ?

  • बंगाल के नवाब की आर्थिक स्थिति: अंग्रेज अधिकतर अपने व्यापारिक अधिकारों को स्थानीय लोगों को किसी आकर्षक लेवी के बदले में बेचा करते थे। इसके कारण बंगाल के नवाब के कर संग्रह पर बुरा असर पड़ता था। ईस्ट इंडिया कंपनी में कार्य कर रहे कर्मचारियों द्वारा शुल्क व कर का भुगतान ना करना भी प्लासी के युद्ध का एक कारण बना।
  • अंग्रेजों द्वारा नवाब के शत्रुओं को सहारा देना: अंग्रेजों ने बंगाल के नवाब के शत्रु कृष्णदास को सहारा दिया जिसके कारण नवाब बहुत क्रोधित हुआ। जिसके कारण भी अंग्रेजों और नवाब के बीच में कड़वाहट पैदा हुई।
  • अंग्रेजों द्वारा नवाब के आदेश को नए मानना: नवाब ने बंगाल की वर्तमान स्थिति को देखकर आदेश दिया की किले-बंदी को रोक दिया जाए। लेकिन अंग्रेजों ने उनके इस आदेश की अवहेलना की और किले-बंदी करना जारी रखा। आदेश की अवहेलना करने के कारण नवाब क्रोधित हुए और यह भी एक कारण था, जिस वजह से प्लासी का युद्ध हुआ।
  • काली कोठरी की घटना: बंगाल के नवाब द्वारा दिए गए किले-बंदी को रोकने के लिए आदेश की अंग्रेजों द्वारा अवहेलना करने पर नवाब ने क्रोधित होकर कलकत्ता के किले पर आक्रमण कर दिया और उसको अपने अधिकार में ले लिया। इस आक्रमण में नवाब ने 146 अंग्रेजों को बंदी बनाकर एक काली कोठरी में कैद कर दिया। सुबह के समय इन 146 बंदियों में से केवल 23 बंदी ही जीवित बचे हुए मिले। इस घटना ने भी प्लासी के युद्ध को जन्म दिया।
  • अंग्रेजों की बंगाल पर अपना राजनीतिक प्रभाव स्थापित करने की इच्छा: अंग्रेज बंगाल को अपने अधिकार में लेना चाहते थे। अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को बंगाल की गद्दी से हटाकर अंग्रेज अपना मनपसंद मोहरा बंगाल की गद्दी पर बैठाना चाहते थे। इस कारण भी प्लासी का युद्ध हुआ।

प्लासी के युद्ध का महत्व

  • प्लासी के युद्ध ने ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारियों को धनाढ्य बना दिया।
  • इस युद्ध के बाद भारत में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी ही एकमात्र शक्ति रह गई थी।
  • अंग्रेजों ने बंगाल की अर्थव्यवस्था को लूटने के लिए कर से संबंधित अनुकूल और कठोर नियम व कानून बनाए और लागू किए।
  • प्लासी के युद्ध के पश्चात अंग्रेजों का आधिपत्य स्थापित हो चुका था और उनका साहस भी बढ़ चुका था। अंग्रेज बंगाल के स्थानीय व्यापारियों से उपहार लेकर ही उनको व्यापार करने के अधिकारों का उपयोग करने की अनुमति देते थे।
  • इस युद्ध के प्रभाव स्वरूप अंग्रेजों का बंगाल में एक बड़ी सैन्य शक्ति के रूप में उदय हुआ।
  • प्लासी के युद्ध के पश्चात अंग्रेजों ने मीर जाफर को बंगाल की गद्दी पर बैठाया। मीर जाफर अंग्रेजों का एक मोहरा था इसके अलावा और कुछ नहीं।
  • प्लासी युद्ध के पश्चात बंगाल में अशांति का माहौल रहा और समय-समय पर राजनीतिक उथल-पुथल होती रही।
  • अंग्रेजों द्वारा बनाए गए अपने अनुकूल कर के नियम व कानून की वजह से बंगाल के स्थानीय हस्तशिल्प और व्यापार कमजोर पड़ गए।

प्लासी युद्ध में सिराजुद्दौला के हार के कारण

  • मीरमदान के मरने के कारण सिराजुद्दौला का हौसला टूट गया था।
  • मीर जाफर विश्वासघात करेगा यह जानने के बाद भी सिराजुद्दौला ने उसको और उसके गद्दार साथियों को गिरफ्तार नहीं किया।
  • सिराजुद्दौला अंग्रेजों के षड्यंत्र के सामने टिक नहीं पाया।
  • सिराजुद्दौला की सेना की बंदूकों की मारक क्षमता खराब थी।
  • नवाब की सेना के पास जो तोपे थी वो बहुत भारी थी जिसके कारण उनको एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाना बहुत मुश्किल था।
  • युद्ध की शुरुआत में ही फ्रांसिसी तोपची का सिराजुद्दौला ने सही इस्तेमाल नहीं किया।
  • नवाब की सेना युद्ध भूमि से जब भाग रही थी तब अगर नवाब ने उनका हौसला बढ़ाया होता तो शायद सफलता प्राप्त हो सकती थी।
  • सिराजुद्दौला की सेना के अंदर ही विश्वासघाती और गद्दार मौजूद थे।
  • बारिश होने के कारण नवाब की बंदूकें, गोला बारूद व तोप भीग गई थी।
  • नवाब के घुड़सवार भी अच्छे नहीं थे वो अंग्रेजों की सेना के पैदल सैनिकों के सामने भी नहीं टिक पाए।
  • सिराजुद्दौला, क्लाइव की षड्यंत्रकारी कूटनीति को समझ नहीं सके और नवाब की सेना में देशभक्ति की भावना का अभाव था।

पढ़ें:

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Rashvinder
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मैं Rashvinder Narwal टेक्निकल फील्ड में एक्सपर्ट हूं और कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ SEO में भी एक्सपर्टीज रखता हूं। मैं हमेशा जनरल नॉलेज और ज्ञानवर्धक टॉपिक्स के साथ ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी रिसर्च करता रहता हूं और उससे संबंधित लेख इस वेबसाइट पर पब्लिश करता हूं। मेरा मकसद हिंदी डाटा वेबसाइट पर सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है।
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