प्राकृतिक आपदा क्या है? इस सवाल के जवाब को आप किस प्रकार समझ सकते हैं कि, कोई भी ऐसी अप्रिय घटना जो प्राकृतिक हो और जिससे मनुष्य जीवन के साथ-साथ जीव जंतु या किसी क्षेत्र को नुकसान पहुंचे ऐसी घटना को प्राकृतिक आपदा कहते हैं। मनुष्य जाति के साथ पृथ्वी पर रहने वाले अन्य जीवो ने भी सदियों से प्राकृतिक आपदाओं को झेला है। जंगलों की आग, वार्ड, भूस्खलन, हिमस्खलन, ज्वालामुखी, भूकंप, चक्रवात, सुनामी या बादल फटने जैसी आपदाएं प्राकृतिक आपदाएं कहलाती हैं।
वर्तमान समय में हम प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल बहुत तेजी से कर रहे हैं जिस वजह से प्रकृति का संतुलन तेजी से बिगड़ रहा है। आज के समय में प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोतरी का कारण मनुष्य की मनमानी ही है। इन आपदाओं को भगवान का गुस्सा या ईश्वर का प्रकोप भी कहा जाता है।
प्राकृतिक आपदा क्या है?
आपदाएं मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं जिनमें से एक मानव द्वारा निर्मित आपदा और दूसरी प्राकृतिक आपदा होती है। इन दोनों आपदाओं के अलग-अलग प्रकार हैं।
प्राकृतिक आपदा एक ऐसा प्राकृतिक खतरा या ऐसी घटना का एक स्वरूप होता है जिसके कारण बहुत बड़े स्तर पर जन धन और माल या भूमि का नुकसान होता है उसे प्राकृतिक आपदा कहते हैं। प्राकृतिक आपदाओं को रोकना हमारे लिए बहुत ही मुश्किल काम है और इन घटनाओं के होने का ज्ञान पहले से पता कर पाना बहुत कठिन है। प्राकृतिक आपदा के प्रकार अलग-अलग हैं और यदि इनके बारे में जानकारी हो तो इनसे सुरक्षित रहा जा सकता है।
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प्राकृतिक आपदा के कारण
- ग्रीन हाउस प्रभाव/ग्लोबल वार्मिंग – ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण ग्लोबल वार्मिंग बहुत तेजी से बढ़ रही है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अलग अलग है परंतु ग्रीन हाउस प्रभाव से जलवाष्प की मात्रा वायुमंडल में बहुत तेजी से बढ़ रही है जिससे बादल फटना, अधिक वर्षा होना जैसी घटनाएं होती हैं। ग्रीन हाउस प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग कुछ क्षेत्रों में बाढ़ आना और कुछ क्षेत्रों में अधिक तापमान के कारण सूखा पड़ने जैसी प्राकृतिक आपदा का कारण बनती है।
- समुंदर जलस्तर का बढ़ना – वायुमंडल में अधिक तापमान होने के कारण ग्लेशियर काफी तेजी से पिघल रहे हैं और समुद्रों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है इसी कारण पूरी पृथ्वी पर उष्णकटिबंधीय तूफानों में वृद्धि हुई है जिन्होंने तटीय इलाकों में बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया है। जानें – ग्लेशियर किसे कहते हैं और कैसे बनते हैं?
- वायुमंडल में परिवर्तन – जिस प्रकार से वर्तमान समय में मौसम और तापमान में तेजी से बदलाव आता है उस कारण कहीं पर सूखा और कहीं पर बाढ़ जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। चाहे वह समुद्र का जलस्तर बढ़ना हो, सुनामी या बादल फटना जैसी समस्या हो इन समस्याओं का कारण वायुमंडल में परिवर्तन ही है।
- भूगर्भीय हलचल – पृथ्वी के अंदर होने वाली हलचल को भूगर्भीय हलचल कहा जाता है। पृथ्वी अपने अक्ष पर घूम रही है और जिस कारण भूकंप और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। जब पृथ्वी के अंदर किसी प्रकार की कोई हलचल होती है तो किस से छोटे और बड़े परिवर्तन देखने को मिलते हैं। यह सभी भूगर्भीय हलचल छोटे और बड़े पैमाने पर होती है जिसके परिणाम में हमें भूकंप और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं को झेलना पड़ता है।
- ज्वालामुखी फटना – पृथ्वी के अंदर मौजूद लावा और गर्म गैस मौजूद होती हैं, जो अक्सर ज्वालामुखी द्वारा बाहर निकलती हैं। ज्वालामुखी से धरातल पर अलग-अलग जगहों का भी निर्माण होता है परंतु जब ज्वालामुखी में विस्फोट होता है तो उसे भूस्खलन, भूकंप, राख के गुबार और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं आती हैं और यह इस पर निर्भर करता है कि ज्वालामुखी में विस्फोट कितनी तेजी से हुआ है।
- उल्का का गिरना – उल्का पिंड गिरने से पृथ्वी पर भूतकाल में बहुत बड़े परिवर्तन हुए हैं। पृथ्वी से डायनासोर का खात्मा भी उल्कापिंड के गिरने से हुआ था। इसी प्रकार आज के समय में भी हर रोज पृथ्वी पर उल्कापिंड गिरते रहते हैं। जिस भी क्षेत्र पर यह गिरते हैं उस क्षेत्र को यह नष्ट कर देते हैं इसीलिए इनके गिरने से भी प्राकृतिक आपदा का खतरा बना रहता है।
प्राकृतिक आपदा के प्रकार
- आंधी और तूफान – वायुमंडल में दबाव के अधिक या कम होने के कारण हवाएं तेजी से चलती हैं। इन तेजी से चलने वाले हवाओं को आंधी या तूफान कहा जाता है। यह अपने साथ धूल मिट्टी और कई प्रकार की चीजें अपने साथ उड़ा कर लाती हैं जिससे जान माल का नुकसान होता है। जब हवा की गति बहुत तेज होती है तो उसे मानव निर्मित घाटों का भी नुकसान होता है।
- जंगलों की आग – जंगल में आग लगना एक बहुत बड़ी प्राकृतिक घटनाओं में से एक है। यह एक बहुत बड़े क्षेत्र में फैली होती है जिसके कारण उस क्षेत्र के सभी पेड़ पौधे और जीव जंतु समाप्त हो जाते हैं। जंगल में लगी आग के कारण वातावरण में धुँआ और गर्मी में बढ़ोतरी होती है।
- बाढ़ – किसी भी क्षेत्र में पानी का बहुत तेजी से आ जाना बाढ़ कहलाता है जिस कारण वहां के सभी पेड़ पौधे और मानव निर्मित चीजें नष्ट हो जाती है। बाढ़ आने से किसी भी क्षेत्र में पानी का स्तर बहुत तेजी से बढ़ता है जिससे जानमाल की हानि होती है।
- बादल फटना – एक ही स्थान पर बहुत तेजी से बरसात होना बादल फटना कहलाता है। इस घटना में बादलों का सारा पानी एक ही जगह पर बरस जाता है जिस कारण वहां पर जान माल की बहुत ज्यादा मात्रा में हानि होती है।
- बिजली गिरना – बिजली गिरना एक प्राकृतिक घटना है। जब बादलों में पॉजिटिव और नेगेटिव चार्ज मौजूद होता है तो उस से बिजली उत्पन्न होती है। आसमानी बिजली किसी भी क्षेत्र में किसी जगह पर जब गिरती है तो वह उस क्षेत्र में आग लगा सकती है। जंगलों की आग भी कई बार बिजली गिरने के कारण लगती है। इसके साथ साथ यदि बिजली किसी मनुष्य या जीव जंतु पर गिर जाए तो उसकी तुरंत मौत हो जाती है।
- सूखा – वातावरण में परिवर्तन और तेजी से बढ़ते तापमान के कारण किसी क्षेत्र में बरसात का ना होना उस क्षेत्र में सूखे का कारण बनता है। जब किसी क्षेत्र में सूखा पड़ता है तो जल स्तर काफी नीचे चला जाता है और बरसात न होने के कारण सूखे का सामना करना पड़ता है।
- हिमस्खलन – पृथ्वी पर बहुत बड़े-बड़े ग्लेशियर मौजूद हैं परंतु पृथ्वी की हलचल या अन्य कारणों से बर्फ एक जगह से दूसरी जगह खिसकती है जिसे हम हिमस्खलन कहते हैं। भूस्खलन के कारण पहाड़ों पर मौजूद पेड़ पौधों का नुकसान होता है जीव जंतुओं की मृत्यु और मनुष्य के जान-माल की हानि का कारण ही बनता है।
- भूस्खलन – भूस्खलन अक्सर पहाड़ी क्षेत्र में देखा जाता है। पहाड़ों पर मौजूद मिट्टी और पत्थर अपनी जगह से ही सकते हैं और नीचे की तरफ लूटते हैं जिसे भूषण कहा जाता है। भूस्खलन से बहुत ज्यादा नुकसान होता है।
- भूकंप – पृथ्वी के अंदर होने वाली भूगर्भीय हलचल के कारण भूकंप आता है। इसके अलावा ज्वालामुखी का फटना और उल्कापिंड का गिरना आदि भी भूकंप आने के अन्य कारण है। भूकंप यानी पृथ्वी का कांपना जिससे बहुत बड़े क्षेत्र में नुकसान होता है।
- सुनामी – समुंदर में उठने वाली बहुत बड़ी-बड़ी लहरों को सुनामी कहा जाता है। इसमें समुंदर की लहरें उग्र रूप धारण कर लेती है और तटीय इलाकों में बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं।
- चक्रवाती तूफान – चक्रवाती तूफान अक्सर समुद्र या समुद्र के तटीय इलाकों में देखा जाता है। इस तरह के तूफान में हवाएं चक्रवात रूप में घूमती हैं और आगे बढ़ती हैं जिससे जानमाल की हानि बहुत अधिक होती है। चक्रवाती तूफान अपने साथ बारिश और ओलावृष्टि भी लाते हैं।
- ओलावृष्टि – बादलों में मौजूद पानी जब नीचे आते आते पर का रूप धारण कर लेता है और बर्फ के रूप में पृथ्वी पर गिरता है तो उसे ओलावृष्टि कहा जाता है। ओलावृष्टि से फसलों का नुकसान और जानमाल का नुकसान होता है।
- हीट वेव – हीटवेव यानी गर्म हवाओं का चलना। इनके कारण फसलें नष्ट होती हैं और बीमारियों को बढ़ावा मिलता है। हिटवे उसे मनुष्य अधिक मात्रा में नुकसान होता है।
- महामारी – जब कोई बीमारी बहुत तेजी से विश्व भर में फैलती है तो उसे महामारी कहा जाता है। करोना इसका एक अच्छा उदाहरण है।
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