दोस्तों, दूध हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है। बच्चे के पैदा होने से लेकर उसके मरने तक दूध इंसान की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक होता है। दूध इंसान के स्वास्थ्य के साथ प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। आजादी के बाद भारत में पाया गया की हम दुग्ध उत्पादन में बहुत पिछड़े हुए हैं और हमें अपने देश की दूध की खपत को पूरा करने के लिए दूसरे देशों से दूध को आयात करना पड़ रहा था, जिस कारण देश पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।
इसलिए भारत में श्वेत क्रांति नामक कार्यक्रम की शुरुआत की गई, श्वेत क्रांति को ऑपरेशन फ़्लड के नाम से भी जाना जाता है। यह क्रांति दूध के उत्पादन से संबन्धित है और इसका उद्देश्य दूध के उत्पादन में वृद्धि करना था। इस लेख में आपको भारत में श्वेत क्रांति या ऑपरेशन फ़्लड के विषय में संक्षिप्त में जानकारी दी जाएगी। what is white revolution in hindi की संक्षिप्त जानकारी
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श्वेत क्रांति क्या है?
श्वेत क्रांति, भारत में दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए और दूध उत्पादन में भारत को आत्म निर्भर बनाने के लिए शुरू किया गया एक कार्यक्रम था। श्वेत क्रांति को हम ”White Revolution” के नाम से भी जानते हैं। इस कार्यक्रम के चलते ही भारत दूध के उत्पादन में अग्रणी देशों की श्रेणी में आ गया है। इस क्रांति के शुरू होने से पहले भारत दूध के उत्पादन और अपनी दूध की आवश्यकता को पूरा करने के लिए जूझ रहा था।
श्वेत क्रांति से भारतीय अर्थ व्यवस्था में बड़े परिवर्तन हुए। क्योंकि भारत में श्वेत क्रांति से पहले दूध की खपत को पूरा करने के लिए दूध को आयात करना पड़ता था, लेकिन श्वेत क्रांति के सफल होने के कारण भारत दूध के उत्पादन में विश्व में अग्रणी देशों की श्रेणी में शामिल हो गया और भारत का आर्थिक बोझ कम हो गया।
ऑपरेशन फ़्लड से स्वस्थ जानवरों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई। इससे डेयरी क्षेत्र के उद्यमों में वृद्धि हुई और लोगों को रोजगार भी मिला। इस क्रांति ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के उत्थान के उद्देश्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। श्वेत क्रांति के कारण दूध उत्पादन से जुड़े किसानों की स्थिति में भी सुधार हुआ।
श्वेत क्रांति किसे कहते हैं: भारत देश में दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक क्रांति की शुरुआत की गई, और इस क्रांति को श्वेत क्रांति के नाम से जाना जाता है।
श्वेत क्रांति किसे कहते हैं? सवाल से संबंधित कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां:
श्वेत क्रांति के जनक कौन हैं? | डॉ.. वर्गीज कुरियन |
ऑपरेशन फ़्लड की शुरुआत किसने की थी? | राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड |
श्वेत क्रांति कब शुरू हुई? | भारत में, वर्ष 1970 में |
श्वेत क्रांति का संबंध किससे है? | श्वेत क्रांति का संबंध दूध उत्पादन से है। |
ऑपरेशन फ़्लड का समापन कब हुआ? | वर्ष 1996 में |
श्वेत क्रांति कि शुरुआत क्यों हुई?
आजादी के बाद भारत में ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि उस समय दूध उत्पादन और फसल उत्पादन में भारतवर्ष विश्व में बहुत पिछड़ा हुआ था। डेयरी उत्पादों और दूध कि जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को दूसरे देशों से आयात करना पड़ता था। जिसके कारण देश पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा था। इसलिए डेयरी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा द्वारा बड़े परिवर्तन किए और दूध के उत्पादन में आत्म निर्भर होने के लिए श्री लाल बहादुर शास्त्री ने 1946 में अमूल कैटेल फीड फेक्ट्री का उदघाटन किया।
श्री लाल बहादुर शास्त्री ने वर्गीस कुरियन के साथ मिलकर किसानों से बात कि और पूरे देश में किसानों कि आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए प्रयास किए जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड कि स्थापना कि गई और 1970 में श्वेत क्रांति को लॉंच किया गया।
श्वेत क्रांति के उद्देश्य
भारत में आजादी के बाद दूध का उत्पादन बहुत कम था। जिसके चलते भारत को दूध कि आपूर्ति को पूरा करने के लिए दूध का आयात करना पड़ता था। जिसके कारण भारत का आर्थिक बोझ बढ़ रहा था। इसलिए ऑपरेशन फ़्लड का मुख्य उद्देश्य भारत में दूध के उत्पादन को बढ़ाना था। इसके साथ साथ श्वेत क्रांति के और निम्नलिखित उद्देश्य थे:-
- दूध के उत्पादन को बढ़ावा देना।
- ग्रामीण क्षेत्रों कि स्थिति में सुधार करना।
- ग्रामीण आय में बढ़ोतरी करना।
- उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर दुग्ध उत्पादों को उपलब्ध करवाना।
- दुग्ध उत्पादों कि उन्नत तकनीक को विकसित करना।
श्वेत क्रांति का महत्व
श्वेत क्रांति का भारत में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसके कारण भारतवर्ष पूरे विश्व में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बन पाया और भारत दूध के उत्पादन में आत्म निर्भर बन गया। श्वेत क्रांति के कारण ही लोगों को रोजगार मिला और ग्रामीण क्षेत्रों का विकास हुआ।
भारत में ऑपरेशन फ़्लड के निम्नलिखित महत्व हैं:-
- वर्ष 2016-17 में भारत को विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बनाने में सहायक।
- दुग्ध उत्पादों से जुड़े किसानों के विकास में सहायक।
- दुग्ध उत्पादो से जुड़े किसानों को उनके संसाधनों पर नियंत्रण देने में सहायक।
- भारत को विश्व में 22 % दुग्ध उत्पादन करके विश्व में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाने में सहायक।
भारत में श्वेत क्रांति का इतिहास क्या है?
आजादी से पहले के समय में Polson नामक एक निजी कंपनी थी, जो कि गुजरात के खेड़ा के किसानों से दूध लेती थी और उस दूध को मुंबई भेजती थी। दरअसल उस समय Polson कंपनी का दूध लेने के मामले में एकाधिकार था और 1946 तक भारत सरकार से भी उस कंपनी को मदद मिलती थी। यह कंपनी दूध कि आपूर्ति करने वाले खेड़ा के किसानों को बहुत कम दाम देती थी।
1946 में सरदार वल्लभाई पटेल कि सलाह पर किसानों ने हड़ताल कि जिसके चलते वापिस दूध कि आपूर्ति पर नियंत्रण पा लिए गया। उसके बाद आणंद में एक सहकारी संस्था कि स्थापना कि गई। 1950 में इस संस्था ने ”अमूल” नाम के एक ब्रांड को शुरू किया। त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल इस संस्था के संस्थापक चेरमेन थे, जिन्होने वर्गीस कुरियन को नौकरी दी थी। वर्गीस कुरियन, हरिचन्द मेघा दलाया और त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल को ”अमूल त्रिमूर्ति” का नाम दिया गया, क्योंकि इन तीनों के प्रयासों से ”अमूल” ब्रांड कि सफलता मिली।
वर्गीस कुरियन और हरिचन्द मेघा दलाया (पेशे से इंजीनियर) ने मिलकर कार्य किए और डेयरी उत्पादों कि तकनीक को विकसित किया। इन दोनों ने मिलकर संसाधनों का पूर्ण उपयोग करते हुए भारतवर्ष में डेयरी उत्पादों के नए आयाम खोल दिए थे। 1964 में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री आणंद पहुंचे और उन्होने वहाँ के कार्यों को देखकर विचार आया कि यह आणंद मॉडल पूरे भारतवर्ष में लागू होना चाहिए जिससे कि डेयरी उत्पादों के विकास और उत्पादन में वृद्धि हो सके।
लाल बहादुर शास्त्री द्वारा 1965 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड कि स्थापना कि गई और वर्गीस कुरियन को उसका प्रमुख बनाया गया। उसके बाद 1970 में आणंद मॉडल को पूरे भारत में अपनाया गया और एक आंदोलन शुरू हुआ जिसका नाम श्वेत-क्रांति या ऑपरेशन फ़्लड था।
श्वेत क्रांति के जनक कौन है?
सन्न 1965 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड कि स्थापना हुई जिसमे वर्गीस कुरियन को प्रमुख बनाया गया। उसके बाद सन्न 1970 में श्वेत क्रांति कि शुरुआत वर्गीस कुरियन द्वारा कि गई। वर्गीस कुरियन ने अलग से एक एक एजेंसी भी बनाई जिससे कि श्वेतक्रांति या ऑपरेशन फ़्लड को ग्रांट मिल सके। इस एजेंसी का नाम था इंडियन डेयरी कार्पोरेशन (IDC)। श्वेत क्रांति में वर्गीस कुरियन के प्रयासों को देखते हुए श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन को ही कहा जाता है।
श्वेत क्रांति कार्यक्रम को लागू कैसे किया गया?
श्वेत-क्रांति या White Revolution को 13 जनवरी 1970 में पूरे भारतवर्ष में लागू किया गया। श्वेत क्रांति को तीन चरणों में लागू किया गया। श्वेत क्रांति एक दीर्घकालिक योजना थी। यह तीन चरणों में सरकार द्वारा अपनाई गई एक सुनियोजित योजना थी। श्वेत क्रांति के तीन चरण निम्नलिखित हैं:-
- पहला चरण (1970-80):- इस चरण का उद्देश्य था भारत में 10 राज्यों में 4 बड़े शहर (दिल्ली, कलकता, मुंबई और चेन्नई) कि मार्केट से जुड़े 18 मिल्क शेड्स को लगाना। इस चरण के अंत तक भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी कॉओपरेटिव विकसित हो गए थे और बहुत बड़ी मात्र में किसान इनसे जुड़ चुके थे। इस चरण के लिए पैसा विश्व खाद्य कार्यक्रम के जरिये यूरोपीय संघ के द्वारा दान किए बटर ऑइल और स्किम्ड मिल्क पाउडर को बेचने से प्राप्त धन में से मिला था।
- दूसरा चरण (1981-85):- इस चरण में पहले चरण को ही आगे बढ़ाने का उद्देश्य था। इस चरण में राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में मिल्क शेड्स को लगाना था। इस चरण बहुत बड़ी मात्र में दुग्धशालाओं और दूध कि दुकानों कि संख्या में बढ़ोतरी हुई। यूरोपियन संघ, विश्व बैंक से मिले लोन और भारतीय राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा इस चरण को वित्तपोषित किया जा रहा था। इसके अलावा UNDP ने भी उपकरण, कंसल्टेंट और विशेषज्ञों को भेजकर इस चरण कि सहायता कि।
- तीसरा चरण (1985-96):- इस चरण का मुख्य उद्देश्य बढ़ती हुई दूध कि उत्पादन कि मात्र को बेचने के लिए बाजार के आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण कारण और उसको मजबूत करना, डेयरी सहकारी समितियों का विस्तार और श्वेत क्रांति कार्यक्रम को अंतिम रूप प्रदान करना।
श्वेत क्रांति की शुरुआत कहाँ से हुई?
गुजरात के आणंद से ऑपरेशन फ़्लड कि शुरुआत हुई थी। क्योंकि वहीं पर ही सबसे पहले 1950 में एक सहकारी संस्था कि स्थापना हुई थी, जिसने ”अमूल” नामक ब्रांड को शुरू किया था और वहीं पर ही डेयरी उत्पादों के विकास कि तकनीक को विकसित किया गया था। गुजरात के आणंद के मॉडल पर ही लाल बहादुर शास्त्री द्वारा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड कि स्थापना कि गई और आणंद मॉडल को पूरे भारत में लागू किया गया, जिससे कि एक आंदोलन कि शुरुआत हुई जिसे श्वेत-क्रांति का नाम दिया गया।
श्वेत क्रांति कब हुई?
1965 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड कि स्थापना कि गई। वर्गीस कुरियन को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का प्रमुख बनाया गया। उसके बाद वर्गीस कुरियन के प्रयासों से 13 जनवरी 1970 में पूरे भारतवर्ष में श्वेत क्रांति कि शुरुआत हुई। जिससे दूध उत्पादन को ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र तक फैलाया गया और भारत को दूध उत्पादन के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाया गया।
श्वेत क्रांति किससे संबन्धित है?
दरअसल भारत में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति (ऑपरेशन फ़्लड) दोनों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत सुधारा। भारत को कृषि उत्पादों और दुग्ध उत्पादों के उत्पादन में विश्व के अग्रणी देशों कि सूची में शामिल होने का श्रेय मुख्यतः इन दोनों क्रांतियों को जाता है। जिस तरह हरित क्रांति गेहूं और चावल के उत्पादन में वृद्धि से संबन्धित थी वैसे ही ऑपरेशन फ़्लड भारत में डेयरी उत्पादों और मुख्यतः दूध के उत्पादन और डेयरी उत्पादों कि नवीन तकनीक के विकास से संबन्धित है।
श्वेत क्रांति के लाभ
- स्वस्थ जानवरों कि संख्या में बढ़ोतरी हुई।
- ग्रामीण क्षेत्रों का विकास हुआ।
- शहरी क्षेत्रों में भी ग्रामीण क्षेत्र के जैसे दूध उत्पादन का विकास हुआ।
- लोगों को रोजगार मिला।
- दुग्ध उत्पादन से जुड़े किसानों कि स्थिति में सुधार हुआ।
- केवल 40 वर्षों में ही दूध का उत्पादन 20 मिलियन मेट्रिक टन से बढ़कर 100 मिलियन मेट्रिक टन हो गया।
- भारत कि अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ।
- भारत कि दूध कि जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता खत्म हो गई।
श्वेत क्रांति से संबन्धित पहल
- राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम
- राष्ट्रिय पशुधन मिशन
- पशुपालन अवसंरचना विकास निधि
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन
- राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य इंसान के जीवन में दूध के महत्व को प्रत्येक व्यक्ति को बताना, दूध और दूध के उत्पादों के महत्व के संबंध में प्रत्येक व्यक्ति जागरूक करना है। इसके साथ साथ दूध के लाभों में बढ़ोतरी करना। भारत में हर वर्ष पशुपालन विभाग द्वारा 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा हर वर्ष 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस, भारत में श्वेत क्रांति के जनक वर्गीस कुरियन जे जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि उनके प्रयासों से ही ऑपरेशन फ़्लड कि शुरुआत हुई और उसकी सफलता का श्रेय भी मुख्यतः वर्गीस कुरियन को ही जाता है और ”अमूल” ब्रांड कि स्थापना करने और उसको सफल बनाने में भी उनकी अहम भूमिका है।
डॉ. वर्गीस कुरियन के प्रयास्वरूप 1998 में भारत, अमेरिका को पीछे छोडते हुए विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया था। डॉ. वर्गीस कुरियन ने ”दिल्ली दूध योजना” के प्रबंध और दूध कि कीमतों में सुधार के लिए भी बहुत सहायता कि थी।
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श्वेत-क्रांति के जनक कौन हैं?
डॉ. वरगिस कुरियन को श्वेत-क्रांति का जनक कहा जाता है।
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अमूल त्रिमूर्ति में कौन कौन शामिल हैं?
डॉ. वरगिस कुरियन, त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल और हरिचन्द मेघा दलाया को।
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NDDB का मुख्यालय कहा पर है?
आणंद, गुजरात में NDDB का मुख्यालय है।
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NDDB का पूरा नाम क्या है?
National Dairy Development Board
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NDDB की स्थापना कब हुई?
वर्ष 1965 में गुजरात के आणंद में NDDB की स्थापना हुई। जिसकी full form National Dairy Development Board है।
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श्वेत-क्रांति को और किस नाम से जाना जाता है?
श्वेत क्रांति को हम ऑपरेशन फ़्लड के नाम से भी जानते हैं।