शनिवार, सितम्बर 23, 2023

बजट क्या है? – इसके प्रकार, महत्व, उद्देश्य और प्रक्रिया

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बजट के बारे में हमने अक्सर अपने घर में, ऑफिस में या बाहर लोगों को बात करते हुए सुना है। एक सामान्य वर्ग का परिवार अपने घर का बजट बनाता है, ऑफिस का बजट बनता है और इसी प्रकार से किसी भी राज्य या देश का बजट होता है।

आप अपने घर के बजट को अपने तरीके से बनाते हैं और उसे समझते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश का बजट क्या है और इसके प्रकार क्या है। यदि नहीं तो इस लेख में आप यह जानेंगे कि बजट क्या है, बजट के प्रकार, बजट की प्रक्रिया, बजट के उद्देश्य और बजट का महत्व, इत्यादि।

बजट क्या है?

बजट क्या है, budget kya hai
बजट क्या है, budget kya hai?

आने वाले साल के लिए जब सरकार देश में होने वाली कमाई और खर्चे की योजना बनाते हैं तो उसे बजट कहते हैं। जिस प्रकार घरों में कमाई और घर खर्च के हिसाब से बजट बनाया जाता है उसी प्रकार से ही किसी भी देश या राज्य का बजट बनता है।

बजट को तैयार करने में एक विस्तृत योजना पेश की जाती है जिसमें अलग-अलग स्त्रोतों से आने वाली कमाई और अलग-अलग जगह पर होने वाला खर्च दर्शाया जाता है। देश के बजट में टैक्स की दरें भी निर्धारित की जाती है, और देश का बजट साल में एक बार पेश होता है।

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सरकार द्वारा देश के नागरिकों के लिए और उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए यह बजट पेश किया जाता है। सरकार का वित्त विभाग देश का बजट बनाता है, और इसे बनाने के लिए विद्युत विभाग के कर्मचारी कड़ी मेहनत करते हैं। जिसके लिए उन्हें कई प्रकार की तैयारियां करनी होती है। इसमें पूरे देश की होने वाली कमाई और खर्च का हिसाब किताब रखा जाता है, जो आसान कार्य नहीं है।

Note: बजट शब्द फ्रांसीसी भाषा के एक शब्द bougette से व्युत्पन्न हुआ है। फ्रांसीसी भाषा में bougette शब्द का मतलब कमाई और खर्च की सूची है।

बजट के प्रकार

बजट कई प्रकार के होते हैं, बजट के प्रकार आर्थिक आधार पर अलग-अलग होते हैं परंतु कुछ ऐसे बजट भी हैं जिन्हें आर्थिक आधार पर ना बनाकर किसी दूसरे कारण को उसका आधार बनाया जाता है। कुछ बजट के प्रकार नीचे दिए गए हैं।

आम बजट

आम बजट को पारंपरिक बजट भी कहते हैं। इस बजट में सरकार की कमाई और खर्च का पूरा लेखा-जोखा मौजूद होता है। आम बजट में यह निर्धारित किया जाता है, कि इस बजट में सरकार अगले वित्त वर्ष में कितना धन किस-किस क्षेत्र में खर्च करेगी और इन सभी का उल्लेख आम बजट में होता है। आम बजट पिछले बजट पर आधारित होता है

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घाटे का बजट

जब सरकार द्वारा कुल कमाई से ज्यादा खर्च का प्रावधान किसी बजट में होता है तो उसे घाटे का बजट कहा जाता है। किसी भी सरकार के पास यदि लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के लिए पैसा नहीं होता तो सरकार इस तरह का बजट पेश करती है।

यह बजट आम बजट से अलग होता है, और इसमें अगले वित्त वर्ष में होने वाले खर्च को बताया जाता है। परंतु सरकार की आमदनी और खर्च से कम होती है। इस तरह का बजट बनाने पर सरकार उन जरूरतों को दूसरे देशों से लोन लेकर भी पूरा कर सकती है।

शून्य आधारित बजट

शून्य आधारित बजट में नए सिरे से बजट को बनाया जाता है। यह आम बजट की तरह पिछले बजट पर आधारित नहीं होता है। इस बजट को हर विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले पेश करना पड़ता है जिसमें उस विभाग के क्रियाकलाप की सभी जानकारी रहती हैं।

इस बजट में पिछले वित्तीय वर्ष में हुए खर्चों और कमाई पर विचार नहीं किया जाता। इसके उलट सुने आधारित बजट में इस बात पर जोर दिया जाता है कि किसी क्षेत्र में यह पैसा खर्च किया जाए या नहीं। यदि पिछले वित्तीय वर्ष में किसी क्षेत्र के लिए कोई पैसा निर्धारित किया गया है और वह अनावश्यक लागत समझा गया, तो नए बजट में उसके लिए जगह नहीं होती है, और यदि जरूरत है तो पिछले वित्तीय वर्ष को आधार नहीं माना जाता है।

निष्पादन बजट

निष्पादन बजट में परिणामों को आधार मानकर बजट बनाया जाता है। इस बजट में बात का ध्यान रखा जाता है की परियोजनाओं का क्रियान्वयन उच्च स्तर पर हो और अपेक्षित और वास्तविक निष्पादन में बहुत कम अंतर हो। इस बजट को संसाधनों की सीमित स्टाफ और अभाव के आधार पर बनाया जाता है इसीलिए इस बजट में सटीक क्रियान्वयन पर जोर दिया जाता है।

निष्पादन बजट की शुरुआत सबसे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी और सन 1949 में प्रशासनिक सुधार के लिए “हुपर आयोग” का गठन हुआ और उनकी सिफारिशों से इस बजट की शुरुआत हुई। इस बजट में हर प्रकार का यह लेखा-जोखा रखा जाता है कि सरकार नागरिकों की भलाई के लिए क्या कर रही है और उसमें कितना पैसा खर्च हो रहा है।

लैंगिक बजट

लैंगिक बजट में महिलाओं और शिशु कल्याण से संबंधित कार्यक्रमों और योजनाओं पर खर्च का बजट बनाया जाता है। इस प्रकार के बजट से सरकार द्वारा बच्चों और महिलाओं के कल्याण, विकास और उनके सशक्तिकरण से संबंधित योजनाओं के लिए राशि को निर्धारित करती है।

परिणामोन्मुखी बजट / आउटकम बजट

परिणामोन्मुखी बजट वह बजट होता है, जिसमें आवंटित की गई धनराशि का किस प्रकार से उपयोग किया उसकी सभी जानकारी मौजूद होती है। जब सरकार किसी योजना के लिए भारी भरकम धनराशि खर्च करती है, तो उनके लक्ष्य को प्राप्त करने और उनके मूल्यांकन के लिए कोई खास पैमाना निर्धारित नहीं होता है, तो उस समय इस प्रकार का बजट दिया जाता है।

इस प्रकार के बजट में जो योजनाएं लटकी हुई है या उनकी लागत कई गुना बढ़ी है उन सभी का ब्योरा देना आवश्यक होता है। यह बजट विभागों और मंत्रालयों के कार्य प्रदर्शन के लिए एक मापक के रूप में काम करता है। ऐसा होने से योजनाओं की निर्माण प्रक्रिया, कार्यक्रमों और उनके मूल्यांकन के साथ परिणामों को बेहतर बनाने में सहायता मिलती है।

भारत देश में इस प्रकार की कमियों को दूर करने के लिए वर्ष 2005 में परिणामोन्मुखी बजट को पेश किया गया था। इसके अंतर्गत आम बजट में जितने भी धनराशि आवंटित की गई है, और सभी मंत्रालयों और विभागों ने किस प्रकार से उच्च राशि का उपयोग किया वह सभी ब्यौरा देना इसका मुख्य आधार था।

भारत में बजट के प्रकार

  • अधिशेष बजट – अधिशेष बजट हो रहे बजट होता है जिसमें सरकार के पास कुल राजस्व, किए जाने वाले खर्चों से अधिक होता है।
  • संतुलित बजट – संतुलित बजट उस प्रकार का बजट होता है जिसमें सरकार के पास मौजूद कुल राजस्व के लगभग खर्च करना होता है।
  • घाटे का बजट – जब वित्तीय वर्ष में किए जाने वाले खर्च, सरकार के पास कुल राज्य सबसे अधिक हो तो उसे घाटे का बजट कहते हैं।

बजट की प्रक्रिया

भारत देश में बजट की प्रक्रिया छह स्टेप्स में पूरी होती है। यह प्रक्रिया जनवरी के महीने से मार्च के महीने तक चलती है, और मार्च के आखिरी दिनों में बजट को मंजूरी मिलती है।

बजट की प्रक्रिया के 6 स्टेप्स नीचे दिए गए हैं:

  1. बजट सत्र की शुरुआत – भारत देश में संसद के तीन सत्र होते हैं, और बजट सत्र सबसे सघन और सबसे लंबा सत्र होता है। इस बजट सेशन की शुरुआत जनवरी के आखिरी हफ्ते में शुरू होती है और अप्रैल के दूसरे हफ्ते तक चलती है। जनवरी में जब बजट सेशन की शुरुआत होती है तो 8 से 10 दिन तक पहला चरण रहता है जिसके पश्चात 1 महीने के अवकाश के बाद दूसरा चरण 4 से 5 हफ्ते के लिए चलता है।
    • आर्थिक सर्वेक्षण –  आर्थिक सर्वेक्षण में देश की आर्थिक दशा और दिशा की सभी जानकारी होती हैं जिससे बजट का आईडिया मिलता है। बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण द्वारा होती है और आमतौर पर इसी दिन आर्थिक सर्वेक्षण को पेश किया जाता है।
  2. बजट पेश होना – बजट को वित्त मंत्री द्वारा पेश किया जाता है। इसमें वित्त मंत्री द्वारा सरकार की स्कीमों से प्राप्त हुई उपलब्धियों का हिसाब दिया जाता है। इसके पश्चात यह बताया जाता है कि अलग-अलग मंत्रालयों और योजनाओं के लिए कितना पैसा निर्धारित किया गया है। और आखिर में टैक्स की दरों में क्या बदलाव हुआ है उसकी जानकारी दी जाती है। वित्त मंत्री द्वारा दी गई है सभी जानकारियां लोकसभा में बजट भाषण के दौरान दी जाती है जिसके बाद वित्तमंत्री राज्यसभा में वित्त विधेयक पेश करता है।
  3. बजट पर चर्चा – इस पड़ाव में वित्त मंत्री द्वारा दिए गए बजट भाषण के ऊपर सामान्य चर्चा की जाती है। यदि किसी पॉलिसी से संबंधित कोई सवाल या समस्या है तो उस पर सवाल उठाए जाते हैं। इस प्रकार की चर्चा लगभग 5 दिन तक चलती है।
    • संसद स्थगित – बजट पर चर्चा के पश्चात 1 महीने के लिए संसद को स्थगित कर दिया जाता है, संसद को स्थगित करने का उद्देश्य सिर्फ बजट प्रस्तावों पर अच्छी तरह से अध्ययन करना होता है, ताकि स्थाई समिति द्वारा इस पर विचार किया जा सके।
  4. स्थाई समिति द्वारा विचार – संसद के स्थगित होने के पश्चात स्थाई समिति अलग-अलग क्षेत्रों के लिए बजट पर चर्चा करती है। इस चर्चा के पश्चात स्थाई समिति द्वारा अपनी सिफारिशें सरकार को दी जाती है। यदि सरकार को स्थाई समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को बजट में लागू करना है तो वह कर सकते हैं अन्यथा सरकार इन्हें मानने के लिए बाध्य नहीं है। इस स्थाई समिति में राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों के सदस्य मौजूद होते हैं।
  5. बजट पर गहन चर्चा – इस पड़ाव में बजट के प्रस्तावों पर विस्तृत रूप से चर्चा की जाती है। चर्चा को मंत्रालयों के हिसाब से बांट दिया जाता है, परंतु इसके साथ विधाई कार्य भी संसद में चलते रहते हैं। बजट सत्र में दूसरे विधेयकों को भी पास कर करवाया जाता है।
  6. बजट को मंजूरी – भारत में 1 अप्रैल से बजट के प्रस्तावों को लागू करना होता है, इसीलिए अप्रैल से पहले ही सरकार द्वारा वित्त विधेयकों को पास करवाना होता है। बजट में दिए गए प्रस्तावों के लिए लोकसभा में वोटिंग की जाती है और यह वोटिंग बजट के हर प्रस्ताव के लिए अलग-अलग होती है। यदि बजट में दिए गए प्रस्ताव को वोटिंग नहीं मिलती तो वह प्रस्ताव गिर जाता है। यदि लोकसभा सरकार का पूरा वित्त विधेयक गिरा दे, तो सरकार को इस्तीफा देना होता है।
    • राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी – यह बजट को मंजूरी वाले पड़ाव का ही एक हिस्सा है इसमें जब लोकसभा से वित्त विधेयक और विनियोग विधेयक पास हो जाते हैं तो राष्ट्रपति द्वारा इसकी मंजूरी अनिवार्य होती है। लोकसभा से यह विधेयक पास होने के बाद है राष्ट्रपति इन्हें मंजूरी दे देते हैं ताकि 1 अप्रैल से यह लागू हो सके।

बजट का उद्देश्य

  • संसाधनों का उपयोग और उनका विकास
  • आय और व्यय में असमानता को कम करना
  • आर्थिक स्थिरता
  • राजस्व बजट और पूंजीगत बजट में वर्गीकरण
  • आर्थिक स्थिति में वृद्धि
  • सामाजिक कल्याण

बजट का महत्व

किसी भी देश के बजट का महत्व बहुत अधिक होता है। बजट के आधार पर ही सरकार देश में किए जाने वाले खर्च को निर्धारित करती है। इसमें यह निर्धारित किया जाता है कि देश की कुल मांग कितनी है और उसकी आपूर्ति कितनी हो रही है।

अर्थव्यवस्था के आधार पर आपूर्ति और मांग को स्थिर रखा जाता है और अलग-अलग कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत बजट में की जाती है। किसी भी देश की आर्थिक स्थिति का पता बजट से लगाया जाता है और यह सरकार को देश के लिए लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक दिशा प्रदान करता है।

बजट से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु

  • भारत देश में वर्ष 1955 तक इंग्लिश भाषा में बजट छपता था।
  • वर्ष 1956 में बजट को पहली बार हिंदी भाषा में छापा गया।
  • वर्ष 2023 में पहली बार डिजिटल बजट पेश किया गया, जिसने पारंपरिक दस्तावेजों को छोड़कर डिजिटल उपकरण से वित्त मंत्री ने बजट को पेश किया।
  • 1998 तक भारत देश में शाम को 5:00 बजे बजट पेश किया जाता था।
  • वर्ष 1999 से वर्तमान समय में बजट को सुबह 11:00 बजे वित्त मंत्री द्वारा पेश किया जाता है.
  • 2016 तक फरवरी के आखिरी दिन बजट पेश किया जाता था जिसे 2017 में बदलकर 1 फरवरी कर दिया गया.
  • 2017 से पहले रेल बजट को अलग रखा जाता था परंतु वर्ष 2017 में रेल बजट को आम बजट में ही मिला दिया गया है।

निष्कर्ष

“बजट क्या है” लेख में हमने जाना कि बजट क्या होता है और बजट के प्रकार के साथ इसकी विशेषताओं और उद्देश्यों के बारे में भी यहां पर जानकारी मिली है। देश का बजट उस देश के कुल आय और व्यय को सूचीबद्ध करता है जिससे जनकल्याण के लिए अलग-अलग योजनाएं भी बनाई जाती हैं।

बजट क्या है? लेख से यदि आप को कुछ ज्ञानवर्धक सीखने को मिला तो आपकी से दूसरों के साथ शेयर करें ताकि दूसरे भी अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकें।


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Komal
Komal
मैं कोमल स्कूल टीचर हूँ, और मुझे बच्चों को पढ़ाने में रुचि है। इतिहास, सामाजिक विज्ञान और हिंदी विषय के साथ विज्ञान व सामान्य ज्ञान से संबंधित विषय के बारे में मैं हिंदी डाटा वेबसाइट पर लिखती हूं। जो भी जानकारी आपको यहां पर मिलती है वह शत प्रतिशत सही होती है। क्योंकि किसी भी विषय के बारे में लिखने से पहले उस पर मैं गहन अध्ययन करती हूं।
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