महात्मा गांधी जी ने अपना सबसे पहला आंदोलन अफ्रीका में किया था और उसके बाद उनके नेतृत्व में कई सारे आंदोलन हमारे देश में हुए हैं। चंपारण सत्याग्रह आंदोलन उनमें से एक है, जो गांधी जी द्वारा देश के किसानों के लिए किया गया था। चंपारण, बिहार राज्य का एक क्षेत्र है, जहां के किसानों पर उस समय काफी अत्याचार हो रहे थे। वहाँ के किसानों से जबरदस्ती नील की खेती करवाई जाती थी, जिससे वाहन के किसान बहुत परेशान थे। नील की खेती करने के कारण, वह अपने खाने के लिए और अन्य ज़रूरतों के लिए खेती नहीं कर पा रहे थे, जिससे उनका बहुत बुरा हाल था।
चंपारण सत्याग्रह क्यों हुआ?
चंपारण सत्याग्रह होने का कारण बिहार के चंपारण क्षेत्र के किसानों की परेशानी थी। उन पर नील की खेती करवाने का दबाव बनाया जा रहा था और वहां के किसान दूसरी जरूरत की खेती अपनी जमीन पर नहीं कर पा रहे थे। उन्हें नील की खेती के लिए मजबूर किया गया और कहा गया की 20 हिस्सों में से तीसरा हिस्सा नील खेती के लिए होगा। इस कारण वहाँ के किसान पूरी जमीन पर गेहूं और चावल जैसी फसलों की खेती नहीं कर सकते थे। जिससे वहाँ के किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
जब महात्मा गांधी जी ने लखनऊ अधिवेशन में दिसंबर 1916 में भाग लिया, तो उस दौरान उनकी मुलाकात राजकुमार शुक्ल से हुई। राजकुमार शुक्ल जी ने इस परेशानी के बारे में गांधी जी को बताया, जिसके बाद इन सम्बंध में दोनों की कई बार मुलाक़ात हुई। जब कई बार राजकुमार शुक्ल ने चंपारण के किसानों के बारे में बताया और उनकी परेशानी उनके सामने रखी तो महात्मा गांधी जी किसानों की मदद के लिए तैयार हो गए।
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इससे पहले गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन किया था और इसी तरह का आंदोलन उन्होंने पहली बार भारत में चंपारण क्षेत्र में किसानों के लिए किया। उन्होंने यह निर्धारित किया, कि वह सिर्फ एक कपड़े में रहेंगे और सत्याग्रह आंदोलन करेंगे। इन आंदोलन के बाद ही उन्हें महात्मा की उपाधि दी थी।
चंपारण सत्याग्रह कब हुआ था?
चंपारण सत्याग्रह 19 अप्रैल 1917 को शुरू हुआ था, उन्होंने इसके बारे में अपनी आत्मकथा में भी लिखा है। वह कहते हैं कि, पहले में चंपारण के बारे में कुछ नहीं जानता था और मैं इसका नाम भी नहीं सुना था। मैं नहीं जानता था कि वहां पर नील की खेती होती है और उसे हजारों किसानों को कष्ट का सामना करना पड़ रहा है परंतु राजकुमार शुक्ल ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा और इसके बारे में मदद करने को कहा।
इसके बाद गांधी जी ने वहां के किसानों से मुलाकात की और राजेंद्र प्रसाद, बृज किशोर प्रसाद, नारायण सिंह और रामनाथ प्रसाद के साथ वह 10 अप्रैल को चंपारण क्षेत्र में पहुंचे। वहां पर उन्होंने इस क्षेत्र के किसानों से मुलाकात की और उनकी परेशानी को समझा। वहां के किसानों को जमीदारों द्वारा दबाया जा रहा था और जबरदस्ती वहां पर नील की खेती करवाई जा रही थी।
चंपारण सत्याग्रह का परिणाम
गांधी जी ने 19 अप्रैल 1917 को चंपारण सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का परिणाम यह हुआ कि वहां के किसानों को नील की खेती करने से मुक्ति प्राप्त हुई और वहां के किसानों की जीत हुई।
गांधी जी के खिलाफ केस
यहां पर जब गांधी जी पहुंचे तो उनके खिलाफ वहां के मजिस्ट्रेट नहीं एक नोटिस जारी किया था। जिसमें उन्होंने कहा कि गांधी जी यहाँ इस जिले में नहीं रह सकते हैं, और वह वहां से वापस लौट जाए। परंतु, गांधी जी ने उनके आदेश को मानने से इनकार कर दिया।
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जब गांधी जी ने आदेश करने से इनकार किया तो वहां के मजिस्ट्रेट ने गांधी जी को एक पत्र लिखा। उन्होंने उस पत्र में लिखा, यदि वह इस क्षेत्र को छोड़कर जाते हैं तो उनके खिलाफ कोई भी मामला दर्ज नहीं किया जाएगा और जो मामला दर्ज है वह भी वापस ले लिया जाएगा। परंतु गांधी जी अपनी बात पर अडिग रहे और उन्होंने जवाब में कहा “मैं देश और मानवता की सेवा के लिए यहां पर आया हूँ और चंपारण मेरा घर है। यहां के किसानों और पीड़ित लोगों के लिए मैं कार्य करूंगा”।
गांधी जी पर आरोप लगा कि वह क्षेत्र में शांति पैदा करने के लिए आए हैं, इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद वहां के किस इकट्ठे होकर पुलिस स्टेशन के बाहर इकट्ठे हुए और पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन किया जिसके बाद वहां की अदालत को गांधी जी को रिहा करना पड़ा।
चंपारण कृषि समिति
ब्रिटिश सरकार को महात्मा गांधी जी की ताकत का अंदेशा हो गया था और इसके बाद उन्होंने किसानों की शिकायत के लिए चंपारण कृषि समिति का गठन किया। इस समिति का गठन होने के पश्चात एक चंपारण कृषि विधेयक पारित हुआ जिसमें किसानों को राहत दी गई और इसमें कहा गया कि जमींदार किसानों पर मनमानी नहीं कर सकते और उन्होंने हो रहे अत्याचारों पर लगाम लगाई।
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इस विधेयक में किसानों को मुआवजा देने और खेती पर नियंत्रण देने के बारे में भी कहा गया। किसने की यह मुसीबत समाप्त हुई, और अब वह नील की खेती करने को मजबूर नहीं थे।
इस आंदोलन का महत्व
- चंपारण सत्याग्रह देश की आजादी के लिए एक प्रतीक बन गया जिसके बाद गांधी जी ने देश में अलग-अलग आंदोलन किए।
- हजारों किसानों पर हो रहे अत्याचार से उनको छुटकारा मिला और अब वह है नील और अन्य नगदी फसलों की बजाय पूर्ण रूप से खाद्यान्न फसल उगा सकते थे।
- जब गांधी जी चंपारण क्षेत्र में आए तो उनके खिलाफ पुलिस केस हुआ और उन्हें वहां से जाने के लिए कहा गया। उनके नए मानने पर उनकी गिरफ्तारी हुई परंतु किसानों द्वारा किए गए प्रदर्शन के कारण उन्हें छोड़ना पड़ा।
- इस आंदोलन ने भारत को डॉ राजेंद्र प्रसाद, आचार्य कृपलानी, महादेव देसाई, नारायण सिंह, बृज किशोर, रामनवमी प्रसाद, जेबी कृपलानी जैसे नेता दिए।
- समूचे भारत का ध्यान यहाँ के क्षेत्र और चंपारण आंदोलन पर था जिसके बाद देश को आजाद करवाने के लिए अलग-अलग आंदोलन महात्मा गांधी जी द्वारा किए गए।
- वर्ष 2017 में चंपारण सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने पर भारतीय डाक टिकट भी जारी किया गया था।
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